Tuesday 3 September 2013

आशाराम की मुट्ठी में नहीं है कानून!

जी हाँ, आशाराम बापू(आशुमल हर्बलानी) की मुट्ठी में है कानून ऐसा वे समझते थे … तभी तो जघन्य आरोप और एफ आई आर के बाद भी कुछ दिनों तक छुट्टे घूम रहे थे. यही आरोप किसी आम आदमी पर लगता तो वह जल्द जेल के अन्दर होता और अपना जुर्म कबूल कर लिया होता. पर आशाराम उलटे पत्रकारों को भी धमकी दे रहे थे … उनके समर्थक पत्रकारों पर हमले भी कर रहे थे. संसद में आवाज उठने के बाद भी भाजपा नेताओं द्वारा समर्थन … हिन्दू संत के नाम पर!
१५ अगस्त की रात को आशाराम १६ वर्षीय पीड़िता के साथ जोधपुर में जुल्म करते हैं, पीड़िता के माता-पिता उनसे मिलने की कोशिश करते हैं, आशाराम के शिष्य उन्हें टहलाते रहते हैं, जोधपुर पुलिस एफ आई आर दर्ज करने में आनाकानी करती है …. हारकर पीड़िता के माता पिता २० अगस्त को दिल्ली के कमला नगर थाने में जीरो प्राथमिकी दर्ज कराते हैं … पहले आशाराम द्वारा उस दिन जोधपुर में होने से ही इंकार करना, बाद में पीड़िता से मिलने की बात स्वीकार करना पर दुराचार जैसी हरकत से इनकार …फिर कानून को धमकी देना … साबित कर के दिखाओ! क्योंकि मेडिकल रिपोर्ट में बलात्कार की पुष्टि नहीं हुई, फिर भी यौन उत्पीड़न और शोषण का केस तो बनता ही है … पुलिस बड़ी सावधानी से एक-एक कदम फूंक-फूंक कर रख रही है .. ताकि बेवजह हंगामा न हो. आशाराम के भक्त देश और विदेश में भी हैं, जो लगातार पुलिस और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. आशाराम को सम्मन देने में भी पुलिस को काफी दिक्कत हुई. काफी समय इंतज़ार करना पड़ा फिर भी जोधपुर पुलिस संयम बरतते हुए अपना काम कर रही है ..इसी बीच भाजपा नेता उमा भारती, विजय सोनकर शास्त्री, और अब प्रवीन तोगड़िया का मैदान में कूदना, सुब्रमण्यम स्वामी का भी उनके समर्थन में उतरना, यही जाहिर करता है कि एक आम आदमी के बजाय खास रसूखदार आदमी पर हाथ डालने पर कानून के रखवालों को कितनी मसक्कत करनी पड़ती है. इधर आशाराम के पुत्र नारायण साईं ने पीड़िता को मानसिक रोगी बताया है, हो सकता है, उसे मानसिक रोगी साबित भी कर दिया जाय….. आशाराम रसूखदार तो हैं ही, पैसे की भी कोई कमी नहीं… नामी गिरामी वकील भी उन्हें बचाने में लगे हैं. अगर गिरफ्तार हो भी गए तो क्या, वे वहां भी प्रवचन देने लगेंगे. जाहिर है, उन्हें किसी तरह की शारीरिक कष्ट पहुँचाने की हिम्मत, कोई भी नहीं कर सकता, पर उनकी इधर हाल के दिनों में जो बदनामी हुई है, उससे उन्हें कौन बचाएगा … यह भारत देश ही है, जहाँ ऐसे बदनाम लोगों को भी सर आँखों पर बिठाकर रखा जाता है.
निर्मल बाबा की भी खूब बदनामी हुई थी, उन्हें कुछ पेशेवर संतों का ही विरोध झेलना पड़ा था. फिर भी उनका केस अलग किस्म का था. कुछ दिन वे भूमिगत रहे फिर वे आगये अपने समागम में लोग चाव से उन्हें देख रहे हैं मिल रहे हैं औए अपनी जेब ढीली कर रहे हैं.
इनलोगों के अलावा और भी तथाकथित स्वामी नित्यानान्द, भीमा नन्द आदि अनेक नाम हैं जो कुकृत्यों में शामिल रहे हैं.
हमारे यहाँ लचर कानून है और इसीका नाजायज फायदा रसूखदार लोग उठा लेते हैं और अंध श्रद्धा में डूबे लोग गरीबों या जरूरतमंद लोगों का भला करने के बजाय इन लोगों का भला कर जाते हैं. इससे आम आदमी को कौन बचाएगा… पहल तो खुद को करना होगा.
भाजपा शायद यहाँ भी अपना हिन्दू वोट देख रही है ..पर ऐसे ही कदम भाजपा के लिए नकारात्मक रूप भी ले सकते हैं उधर पीड़िता की माँ अन्न को त्याग कर सरकार से सख्त कदम उठाने की मांग कर रही है .. उसके साथ शायद कोई रसूखदार नहीं हैं इसलिए उन्हें धमकी भी मिल रही है … अगर वह अभी तक बची है तो मीडिया के बदौलत … जबकि ख़बरें यह भी है कि उन्हें केस वापस लेने के लिए प्रलोभन और धमकी दोनों मिल रहे हैं.
इधर ३० अगस्त को १२ बजे रात्रि को उनकी पेशी की अवधि समाप्त होने के बाद जोधपुर पुलिस उन्हें भोपाल से इंदौर तक तलाश कर रही है और लुक्का-छिप्पी का खेल चल रहा है.सवाल यह है कि इंदौर पुलिस या मध्य प्रदेश राज्य की भाजपा सरकार उन्हें बचा रही है.
और ३१ अगस्त की शाम पौने पांच बजे आशाराम के पुत्र नारायण साईं का मीडिया के सामने संबोधन होता है कि आशाराम की तबीयत ठीक नहीं है. जोधपुर पुलिस का कोई ठिकाना नहीं. इंदौर पुलिस पूरी तरह आशाराम को संरक्षण दे रही है. मीडिया और आम लोग भ्रम की स्थिति में रहें. हमारे देश का कानून और शीर्षस्थ लोग ऐसे ही हैं और ऐसे ही रहेंगे. आप क्या कर लेंगे!
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घटनाक्रम तेजी से बदलता है …और ३१ अगस्त की रात को साढ़े बारह बजे आशाराम जोधपुर पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिए जाते हैं. उन्हें इंदौर से दिल्ली होते हुए जोधपुर लाया जाता है ,,, उनपर आरोप से सम्बंधित पुख्ता सबूत होने पर ही जोधपुर पुलिस ने अपनी रणनीति के तहत गिरफ्तार कर कोर्ट में भी पेश कर चुकी है और वे १५ दिन की न्यायायिक हिरासत में जेल भेज दिए जाते हैं ….इतना सब होने के बाद भे उनके सम्र्तःकों द्वारा जगह जगह प्रदर्शन आखिर क्या साबित करता है … अब उनपर जमीन हड़पने और जबरदस्ती कब्ज़ा करने का भी केस सामने आ रहा है…
क्या अब भी उनके समर्थक चेतेंगे ?
धार्मिक आस्था के नाम पर आम आदमी का दोहन और राजनीतिक संरक्षण में असीम संपत्ति का स्वामी बन सरकार को भी चुनौती देना … यह क्या आस्था के साथ खिलवाड़ नहीं है. अपने भगवान या अवतारी पुरुष घोषित करनेवाले क्या अब बताएँगे की उनकी सारी अलौकिक शक्तियां कहाँ चली गयी? बहुत सारी महिलाएं, जो अभी भी उनका समर्थन कर रही हैं, क्या उनका यह धर्म नहीं बनता और भी बालिकाओं/महिलाओं को उनके चंगुल में फंसने से बचाए. हमारे यहाँ जल्द ही लोग अंध श्रद्धा के शिकार हो जाते हैं. कही जमीन की खुदाई में कला पत्थर मिल गया तो संकर भगवन का अवतार… किसी पपीते ने अगर गणेश जी के जैसी आकृति ले ली तो गणेश अवतार आदि आदि … आखिर हम कबतक ऐसे अंध श्रद्धा के शिकार होते रहेंगे. ये धार्मिक या अध्यात्मिक गुरु/कथावाचक अपने शिष्यों को माया मोह त्यागने का सन्देश/ उपदेश/प्रवचन देते हैं और खुद माया मोह में बंधते चले जाते हैं. क्रोध पर विजय प्राप्त करने की बात कहने वाले खुद क्रोधित हो अनाप शनाप बकते चले जाते हैं. मानव मात्र से प्रेम करना और उनका भला करना कब तक सम्भव होगा?????
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आशाराम से सम्बंधित और भी जानकारियां जो अब आम हो चुकी हैं…..
उसने वह सात घंटे किस तरह गुज़ारे या उस वक़्त क्या क्या गुजरी उस पर यह सब बताया मगर वो न तो चर्चा का विषय है न ही में लिख सकता हूँ उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में आसाराम बापू द्वारा यौन शोषण वाली लड़की ने कहा है कि आसाराम की शिष्या पूजा बेन ने उनके घर आकर पत्नी के पैर पकड़कर कहा कि उनसे गलती हो गई है माफ कर दो।
उन्होंने कहा कि मुझसे भी मिलने का दबाव बनाया जा रहा है, लेकिन वह किसी भी कीमत पर दबाव में आने वाले नहीं, चाहे उनकी जान ही क्यों न चली जाए।
उन्होंने कहा कि आसाराम संत नहीं शैतान हैं। उनके रुद्रपुर गांव में स्थित आश्रम में अब सत्संग नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर आसाराम को यह सब साजिश लग रही है तो वह सीबीआई जांच करा लें। जांच में यदि वह दोषी पाए जाते हैं तो उन्हें फांसी दे दी जाए, नहीं तो आसाराम को फांसी पर चढ़ा दिया जाए।
लड़की के पिता ने कहा कि पहले अंधविश्वास में उनकी आंखें बंद थीं, लेकिन अब इतना बड़ा धोखा खाकर आंखें खुल चुकी हैं।
जो लोग आसाराम का बचाव कर रहे हैं उन्हें देखकर एक सवाल उठता है कि क्या धर्म और आस्था मानवीय संवेदनाओं को भी समाप्त कर देती है?
नई दिल्ली। संत आसाराम बापू यूं तो धर्म गुरू कहलाते हैं लेकिन गाहे-बगाहे वो ऐसा बयान और काम करते रहते हैं जो उन्हें विवादों में ला खड़ा कर देता है। विवाद और बापू के बीच चोली दामन का रिश्ता है। यदि यह कहा जाए कि आसाराम बापू भारत के सर्वाधिक विवादित धार्मिक गुरू हैं तो गलत नहीं होगा।
भक्त को मारी लात
आसाराम के प्रवचन दौरान जब एक भक्त आर्शीवाद लेने के लिए आगे बढ़ा तो बापू ने उसे लात मारकर गिरा दिया। भक्त का नाम अमान सिंह बताया जा रहा है। इससे भक्त काफी आहत है। किसी संत के लिए इस तरह का व्यवहार निंदनीय है। अभी तक बापू की तरफ से इस पर कोई सफाई नहीं आयी है।
दहेज पर दिया विवादित बयान
आसाराम बापू ने कहा, जब कोई दहेज मामले में पकड़ा जाता है तो चैनलों में आता है लेकिन जब बरी हो जाता है तब नहीं आता, आजकल की कुछ मनचली महिलाएं ये समझ कर आती हैं कि मैं घर पर आउंगी और मौज करूंगी। अगर देवरानी का साथ या प्रतिकूल परिवार पड़ा तो वकील से सलाह करके केस कर देती हैं। सबको जेल में डाल दिया जाता है।
ताली दोनों हाथ से बचती है
आसाराम ने कहा कि गैंगरेप की घटना के लिए वे शराबी पांच-छह लोग भर दोषी नहीं थे। ताली दोनों हाथों से बजती है। छात्रा किसी को भाई बनाती, पैर पड़ती और बचने की कोशिश करती। इतने पर ही नहीं रुके आसाराम। आगे कहा कि बलात्कार के लिए यदि कड़ा कानून बनता है तो इसका दुरुपयोग भी हो सकता है। ऐसा हुआ तो मर्द के साथ गलत हो जाएगा, फिर रोएगी तो कोई मां बहन ही।
कुत्ता भौंकता है तो हाथी क्या नुकसान?
जब दिल्ली गैंगरेप पीड़िता पर विवादित बयान दिया और मीडिया में सुर्खीयां बनने लगी तो आसाराम ने कहा कि एक कुत्ता भौंकता है तो उसे देखकर और कुत्ते भौंकने लगते हैं। कुत्तों का भौंकना लगातार जारी रहता है। लेकिन, मूल बात यह है कि इससे हाथी का क्या नुकसान होता है।
(अब हाथी फंस गया है जाल में!)

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