Saturday 28 July 2018

दिल्ली के गोशाला में गायों की मौत


एक ओर गायों के संरक्षण और मॉब लिंचिंग को लेकर देश की राजनीति गरमाई हुई है. वहीं, राष्ट्रीय राजधानी के छावला इलाके के घुम्मनहेड़ा की आचार्य सुशील गोशाला में अबतक 48 गायें मृत मिली हैं. दिल्ली के विकास मंत्री गोपाल राय ने इस घटना को गंभीर बताते हुए 24 घंटे के अंदर जांच रिपोर्ट अधिकारियों से तलब की है. वहीं, दिल्ली पुलिस ने भी मामले में संज्ञान लेते हुए शिकायत पर कार्रवाई शुरू कर दी है. पुलिस के अनुसार, मृत मिली गायों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है. गाय कैसे और किन हालातों में मरी हैं? इसकी जांच के लिए पशुपालन विभाग की टीम जांच कर रही है. रिपोर्ट मिलने के बाद पुलिस इसमें आगे की कार्रवाई करेगी. 
दिल्ली के द्वारका इलाके में स्थित घुम्मनहेड़ा इलाके में वर्ष 1995 से आचार्य सुशील गोशाला संचालित है. पुलिस के अनुसार गोशाला करीब 20 एकड़ में फैली हुई है. यहां पुलिस को करीब 1400 गाय मिली हैं, इनमें से 48 मरी हुई पाई गई हैं. प्रथम दृष्टया किसी बीमारी की वजह से इनके मरने की आशंका है. हालांकि बड़ा सवाल है कि मौत के बावजूद इन गायों का समय रहते दफनाया क्यों नहीं गया?     
द्वारका पुलिस के डीसीपी एंटो अल्फोंस का कहना है कि इस घटना की जांच के लिए पशुपालन विभाग की टीम को सूचना दी गई थी. इसके बाद मौके पर पहुंची टीम ने जांच शुरू कर दी है. रिपोर्ट मिलने के बाद पुलिस आगे की कार्रवाई करेगी. चार दर्जन गाय मरी हुई मिलने की सूचना ने पूरे इलाके में खलबली सी मचा दी है. वहीं गोशाला के आसपास के लोगों का कहना है कि यहां न तो डॉक्टर है और न ही पशुओं की देखरेख के लिए कोई कर्मचारी. हालांकि पुलिस का भी यही कहना है कि उन्हें गोशाला में 20 मजदूरों के ही काम करने की जानकारी है. इतना ही नहीं आसपास के लोगों की मानें तो गोशाला में गायों के खानपान को लेकर भी कोई उचित व्यवस्था नहीं है. लोगों की मानें तो 20 एकड़ में फैली इस गोशाला दिल्ली नगर निगम की ओर से गायों पर काफी दान भी मिलता है. बावजूद इसके यहां बंदोबस्त न के बराबर हैं. वहीं गोशाला के कुछ हिस्से को छोड़ दें तो बाकी पूरी जमीन किसी दलदल से कम नहीं दिखती. गोशाला में साफ-सफाई की व्यवस्था भी देखने को नहीं मिली. चारों ओर गंदगी का आलम है. गंदे पानी की वजह से यहां मच्छर और कीट पतंगों का प्रभाव भी अत्यधिक है.    
इस तरह से गायों का मृत अवस्था में मिलना वाकई शर्मनाक है. ये गोशाला दिल्ली सरकार के अधीन आती है. दिल्ली नगर निगम की ओर से गायों को यहां भेजा जाता है. जबकि इसके संचालन से लेकर देखरेख की पूरी जिम्मेदारी दिल्ली सरकार की है. 
इसी प्रकार पिछले वर्षों (अगस्त 2016 में) चर्चा में आया था राजस्थान का हिंगोनिया गौशाला जहाँ हजारों गायें सही देख-भाल के अभाव में मृत पायी गयी थी. जांच के आदेश हुआ, क्या हुआ? किसको सजा मिली? पता नहीं. राजस्थान में वसुंधरा राजे नीत भाजपा की सरकार है. कोई गौरक्षक(तथाकथित) वहां भी नहीं जाते गायों की रक्षा करने या सेवा करने. प्रधान मंत्री भी अपने संबोधन में तथाकथित गौरक्षकों की भर्त्सना करते रहे हैं, पर उनके मंत्री तथा अन्य भाजपा कार्यकर्ता/पदाधिकारी उनकी सुनते भी हैं. उनके बयान और क्रिया-कलाप जहर फैलाते हैं ताकि हिन्दू मुस्लिम, स्वर्ण-दलित ही मुद्दा बना रहे और जनता का ध्यान मुख्य मुद्दों से हटा रहे.   
देश के हर भाग में गौशालाएं बनाई गयी हैं, कहीं इनका देखभाल स्वयम सेवी संस्थाएं करती हैं तो कहीं कहीं सेना भी कर रही है. बहुत अच्छी बात है कि गौशालाएं बनाई गयी हैं, यहाँ दूध देनेवाली और दूध न देनेवाली दोनों प्रकार की गायों का ध्यान रखा जाना चाहिए. जो गायें दूध नहीं देती वे भी अपने गोबर और मूत्र से कई प्रकार की औषधियों के निर्माण का मौका देती है, गौमूत्र कई प्रकार की असाध्य बिमारियों की अचूक दवा है. गाय का गोबर भी कीटनाशक है और इससे जैविक खाद बनाया जाता है. गोबर गैस भी इंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. तरीके बहुत हैं. स्वाभाविक मृत्यु के बाद गाय की हड्डियों और चमड़े के इस्तेमाल से मेरे ख्याल से कोई धार्मिक भावना का दोहन नहीं किया जाना चाहिए. नहीं तो उतना जगह भी होना चाहिए जहाँ गायों को जमीन में दफनाया जा सके. बहुत बाते हैं, जिन्हें सामान्य बात चीत से और नियम बनाकर सुलझाये जा सकते हैं. लेकिन मुद्दा बनाकर उछालना और किसी ख़ास जाति और धर्म के लोगों को भीड़ द्वारा मार दिया जाना किसी भी तरीके से जायज नहीं कहा जा सकता.  गौशालाओं की देख-रेख के लिए लोग बड़े पैमाने पर दान देते हैं, सरकार से भी अनुदान राशि मिलती है. फिर सारा पैसा कहाँ चला जाता है. जो तस्वीरें मीडिया में आती हैं उन्हें देखकर यही लगता है कि गायों के रख-रखाव का कोई खास ख्याल नहीं रखा जाता. खासकर जो गाएं दूध देना बंद कर देती हैं, उनका वही हाल होता है जो हाल हमारे समाज में बुजुर्गों का है. जिन्हें हम माता मानते हैं, पूजा करते हैं, गौदान करते हैं, उनकी ऐसी दुर्दशा? केवल बयानबाजी और भाषणबाजी से तो कुछ होने से रहा. गंगा सफाई की योजनायें भी राजीव गांधी के समय से चली आ रही है, पर गंगा की हालात दिन प्रतिदिन और बिगड़ती जा रही है. अब तो NGT ने गंगा के जल को नहाने के लिए भी खतरनाक घोषित कर दिया है और सरकार को फटकार लगते हुए कहा है कि सरकार हर जगह बोर्ड लगाये कि अमुक स्थान पर गंगा के प्रदूषण का स्तर क्या है? ताकि लोग सावधानी बरत सकें. धन तो आवंटन किये जाते हैं, पर बंदरबाट आज भी जारी है. वर्तमान प्रधान मंत्री चाहे जितने वादे करें, जितनी घोषणाएं करें, जबतक धरातल पर काम नहीं दिखेगा, जनता को भरोसा कैसे होगा?  क्या भ्रष्टाचार की जड़ पर प्रहार कर पाए हैं अभीतक हमलोग? अभी आधे भारत में बाढ़ का प्रकोप है. गावों की कौन कहे शहरों/महानगरों का भी बुरा हाल है. नालियां जाम हैं, सड़कें गड्ढों में तब्दील हो गयी है. पुल बह जा रहे हैं. आखिर कौन है जिम्मेदार इन अनियमितताओं का. हमारा सिस्टम कितना बिगड़ गया है, जिसे सुधारा नहीं जा सकता?
गाय रक्षा पर प्रसिद्द व्यंग्यकार श्री हरिशंकर परसाई का व्यंग्य प्रासंगिक है. प्रस्तुत है उसका संकलित अंश! -- एक बार एक स्वामी जी से स्टेशन पर भेंट हो गयी. कहने लगे- बच्चा, धर्मयुद्ध छिड़ गया. गोरक्षा-आंदोलन तीव्र हो गया है. दिल्ली में संसद के सामने सत्याग्रह करेंगे. मैंने कहा- स्वामीजी, यह आंदोलन किस हेतु चलाया जा रहा है? स्वामीजी ने कहा- तुम अज्ञानी मालूम होते हो, बच्चा! अरे गौ की रक्षा करना है. गौ हमारी माता है. उसका वध हो रहा है. मैंने पूछा- वध कौन कर रहा है? वे बोले- विधर्मी कसाई. मैंने कहा- उन्हें वध के लिए गौ कौन बेचते हैं? वे आपके सधर्मी गोभक्त ही हैं न? स्वामीजी ने कहा- सो तो है. पर वे क्या करें? एक तो गाय व्यर्थ खाती है, दूसरे बेचने से पैसे मिल जाते हैं. मैंने कहा- यानी पैसे के लिए माता का जो वध करा दे, वही सच्चा गो-पूजक हुआ! बे बोले -यह भावना की बात है. मैंने पुछा- स्वामीजी, आप तो गाय का दूध ही पीते होंगे? नहीं बच्चा, हम भैंस के दूध का सेवन करते हैं. गाय कम दूध देती है और वह पतला होता है. भैंस के दूध की बढ़िया गाढ़ी मलाई और रबड़ी बनती है. तो क्या सभी गोभक्त भैंस का दूध पीते हैं? हां, बच्चा, लगभग सभी. तब तो भैंस की रक्षा हेतु आंदोलन करना चाहिए. भैंस का दूध पीते हैं, मगर माता गौ को कहते हैं. जिसका दूध पिया जाता है, वही तो माता कहलाएगी. यानी भैंस को हम मातानहीं बच्चा, तर्क ठीक है, पर भावना दूसरी है. स्वामीजी, हर चुनाव के पहले गोभक्ति क्यों जोर पकड़ती है? इस मौसम में कोई खास बात है क्या? बच्चा, जब चुनाव आता है, तब हमारे नेताओं को गोमाता सपने में दर्शन देती है. कहती है बेटा चुनाव आ रहा है. अब मेरी रक्षा का आंदोलन करो. देश की जनता अभी मूर्ख है. मेरी रक्षा का आंदोलन करके वोट ले लो. बच्चा, कुछ राजनीतिक दलों को गोमाता वोट दिलाती है, जैसे एक दल को बैल वोट दिलाते हैं. तो ये नेता एकदम आंदोलन छेड़ देते हैं और हम साधुओं को उसमें शामिल कर लेते हैं. हमें भी राजनीति में मजा आता है. .....
आप समझ गए होंगे. समझना और मनन-चिंतन करना जरूरी है. मानव सेवा, पशु सेवा, प्रकृति सेवा सभी उत्तम कार्य है. अच्छे कार्य की सराहना की जानी चाहिए. अच्छे कार्य का समर्थन किया जाना चाहिए पर भीडतंत्र का न्याय कभी भी सही नहीं हो सकता. आप उन्हें समझा सकते हैं. और सही रास्ते पर ला सकते हैं. जय श्रीराम! जय गोमाता! जय भारत! जय हिन्द!
-    जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर.

Saturday 21 July 2018

जितना ज्यादा दलदल उतना ज्यादा कमल!


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में किसान कल्याण रैलीको सम्बोधित करते हुए कहा कि केंद्र में बीजेपी की सरकार के लिये किसान और गांव हमारी प्राथमिकता है. यही कारण है कि देश के करीब  करोड़ गन्ना किसानों के हित में फैसले लिये गये हैं. उन्होंने कहा कि चीनी के आयात पर 20 लाख टन चीनी निर्यात करने की अनुमति दी गई.
पीएम मोदी ने कहा कि जितना ज्यादा 'दल-दल' होता है, उतना ज्यादा 'कमल' खिलता है. कांग्रेस संसद में कितने भी अविश्वास प्रस्ताव लेकर आती रहे लेकिन मोदी जन-जन के दिलों में बसा है. हमारी सरकार न्यू इंडिया बनाने में जुटी हुई है, कई प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है. कोई भी क्षेत्र हो दोगुनी गति से काम हो रहा है. शाहजहांपुर में भी इन योजनाओं से लाभ पहुंच रहा है. देश के 49 करोड़ परिवार को रौशन करने की हमारी योजना है. मेरा गुनाह यही है कि मैं भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहा हूं. परिवारवाद के खिलाफ पूरी ताकत से खड़ा हूं. जब दल के साथ दल हो तो दलदल हो जाता है और जितना ज्यादा दलदल होता है उतना ही कमल खिलता है. वो अपने भविष्य का आकलन के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाए, लेकिन उनका आकलन गलत था. क्योंकि देश बदल चुका है. यहां बेटियां अब जाग चुकी हैं. अब उनका फॉर्मूला कभी काम नहीं आने वाला है. साइकिल हो या हाथी किसी को भी अब बना साथी, लेकिन आपके(और मेरे) स्वांग को देश जान चुका है. कल देश की जनता ने देखा कि कुछ लोगों को प्रधानमंत्री की कुर्सी के अलावा कुछ नहीं दिखता है, उन्हें ना देश दिखता है ना देश का गरीब दिखता है. कल संसद में हम उनसे लगातार ये पूछते रहे कि बताओ तो कि इस अविश्वास का कारण क्या है? लेकिन वो इसका कारण नहीं बता पाए.  हमने संकल्प लिया है जिन लोगों ने यहां के लोगों को 18वीं सदी में जीने के लिए मजबूर कर दिया हम उसे बदल कर रख देंगे. हम जल्द ही सभी घरों तक बिजली पहुंचा कर रहेंगे. हमने बिचौलियों और मुफ्तखोर लोगों का धंधा बंद करवा दिया ऐसे में वो हमें हटाना चाहते हैं. हमने देश के हर गांव हर घर तक बिजली पहुंचाने का काम किया है. 18000 गांवों तक जब बिजली पहुंची तो उन लोगों ने ये बोलना शुरू कर दिया कि गांव में बिजली गई, लेकिन घरों तक नहीं पहुंची है. ऐसे में हम उनसे पूछते हैं कि अगर घर तक बिजली नहीं पहुंची थी उसका जिम्मेदार कौन है? 70 सालों तक उन लोगों ने राज किया, लेकिन बिजली गांव और घरों तक बिजली नहीं पहुंचा सके. किसान और गरीबों की सबसे बड़ी दुश्मन है बीमारी और बीमारी से बचने के लिए प्रधानमंत्री स्वास्थ्य योजना के तहत एक परिवार को एक वर्ष में 5 लाख रुपए तक मुफ्त इलाज कराने का प्रबंध हम करने जा रहे हैं. इस बार पहले की तुलना में 6 गुणा अधिक गेहूं की खरीदारी की गई है. अपूर्ण और असंवेदनशील सोच ने देश और देश के किसानों का बहुत बड़ा नकुसान किया. पिछली सरकार विदेशों से पेट्रोल लाती रही और यहां देश में किसान परेशान होते रहे. सरकार ने फैसला लिया कि गन्ने से सिर्फ चीनी ही पैदा ना हो बल्कि इससे गाड़ियों के लिए ईंधन भी बने. इसके लिए गन्ने से एथेनॉल बनाने और उसे पेट्रोल में मिक्स करने का निर्णय लिया गया. अगर यह होता है तो अच्छा कदम है जिसकी सराहना की जानी चाहिए.
धान, मक्का, दाल और तेल वाली 14 फसलों के सरकारी मूल्य में 200 रुपये से 1800 रुपये कि बढ़ोत्तरी देश के इतिहास में कभी नहीं हुई. मैं योगी जी और उनकी सरकार ने धान और गेहूं की खरीददारी में बढ़ोत्तरी की है.  किसानों में वो ताकत होती है की अगर उसको पानी मिल जाए तो वो मिट्टी में से सोना पैदा कर सकता है. हमें उत्तर प्रदेश के किसानों की चिंता है. बीते एक साल में योगी जी सरकार बनने के बाद काम तेजी आई है. पूर्वी उत्तर प्रदेश में दो लाख के करीब किसानों के खेतों में पानी पहुंचने को तैयार है. देश में सिंचाई परियोजनाओं को लेकर काम तेजी से काम चल रहा है.
मोदी जी हर मंच का इस्तेमाल अपने पक्ष में करने और विपक्ष खासकर कांग्रेस पर कोई भी हमला करने से नहीं चूकते. हर विपरीत परिस्थिति को अपने अनुकूल बनाने में जो महारत उन्हें हासिल है शायद आज के किसी नेता में नहीं है. प्रधान मंत्री की भाषा शैली, अंदाज, हाव-भाव लोगों को भाते हैं और वे उनके प्रशसंक और समर्थक बन जाते हैं. उनकी भाषा के कई अर्थ होते हैं और लोग अपने-अपने विचार के अनुसार या छिपे हुए इशारे के साथ समझते हैं.
उधर पूरे देश में दल-दल है इस पर प्रधान मंत्री कुछ नहीं कहते या कहते भी हैं तो रोक लगाने का कोई सार्थक प्रयास नहीं करते उलटे mob lynching में शामिल लोगों को उनके मंत्री फूल माला पहनाते हैं. गोरक्षा से शुरू हुई इस भीड़-तंत्र द्वारा कानून हाथ में लेने की घटना दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है. कहीं बच्चा चोरी के नाम पर तो कहीं कोई बयान को लेकर किसी को भी भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या कर दी जाती है या उसे शारीरिक नुक्सान कर उसके मुंह को बंद करने की कोशिश की जाती है. उसी प्रकार दलित और कमजोर वर्ग के लोगों पर हो रही हत्या पर भी राज्य सरकार के साथ केंद्र सरकार को भी कदम उठाने ही चाहिए. हमारे देश में हम शांतिपूर्वक रह सकें यह तो हमारा मौलिक अधिकार है न! महिलाओं पर दुष्कर्म और यातना देने की घटनाओं में कोई कमी नहीं आ रही. निश्चित ही इन घटनाओं को रोके जाने की सख्त जरूरत है न कि उसे धर्म या जाति के नाम पर किसी को बचाने या फंसाने का प्रयास होना चाहिए.
हाल की घटनाओं में पंचकूला के मोरनी में गेस्ट हाउस में नौकरी का झांसा देकर 22 वर्षीय महिला से गैंगरेप का सनसनीखेज मामला सामने आया है. करीब 40 लोगों पर आरोप लगे हैं. पीड़िता का आरोप है कि रायपुररानी-मोरनी रोड पर स्थित कंबवाला गांव के एक गेस्ट हाउस में चार दिन तक बंधक बनाकर 40 लोगों ने उसके साथ गैंगरेप किया.
आरोपी महिला को खाने में नशीला पदार्थ मिलाकर वारदात को अंजाम देते रहे. चौथे दिन महिला आरोपियों के चंगुल से जैसे-तैसे भाग निकली और घर पहुंचकर पति को पूरे मामले की जानकारी दी. इसके बाद पीड़ित महिला ने पति के साथ पंचकूला पुलिस को शिकायत देनी चाही लेकिन पुलिस ने उसकी नहीं सुनी. बाद में महिला ने मनीमाजरा थाने में शिकायत दर्ज कराई. मनीमाजरा पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और मामला पंचकूला पुलिस को ट्रांसफर कर दिया. मामला उच्चाधिकारियों और मीडिया तक पहुंचने के बाद पंचकूला पुलिस हरकत में आ गई और शुक्रवार को आनन-फानन में मोरनी चौकी इंचार्ज, महिला थाने की एएसआई और इलाके के सिक्योरिटी एजेंट को सस्पेंड कर दिया. उधर, पुलिस ने तीन आरोपियों को हिरासत में लिया है, जिनसे पूछताछ की जा रही है.
हरियाणा पुलिस ने मंदिर में कई महिलाओं से बलात्कार करने और उनका वीडियो बनाने के आरोप में बाबा अमरपुरी को गिरफ्तार किया है. बताया जा रहा है कि बाबा ने अब 120 महिलाओं से मंदिर में बने अपने कमरे में दुष्कर्म किया. बाबा के कमरे सीसीटीवी कैमरे भी लगे थे, इससे महिलाओं की वीडियो भी बनाई. आरोपी बाबा फतेहाबाद के तोहाना में बाबा बालकनाथ मंदिर में बतौर महंत तैनात था.
अब तो ऐसे बाबाओं की बाढ़-सी आ गयी है जो महिलाओं का यौन शोषण करने के आरोपी हैं. प्रतिदिन इस प्रकार की दुर्दांत और वीभत्स घटनाओं में बृद्धि हो रही है. इस पर लगाम लगनी ही चाहिए. साथ ही युवाओं को रोजगार, किसानों को उनकी फसल की उचित कीमत और नुक्सान होने पर मुआवजा मिलना ही चाहिए. अन्नदाता आत्महत्या न करे बल्कि हम सबको खिलाता पिलाता और पालन पोषण करत रहे साथ ही अपना और अपने परिवार का भी भरण पोषण कर सके यह तो उसका अधिकार बनता ही है न?
मेरा इस लेख के माध्यम से सभी लोगों से यही निवेदन होगा कि भले ही अभी मोदी के विकल्प में कोई बड़ा नेता नहीं दीखता हो, पर अत्यधिक ताकत सत्ता को निरंकुश और अहंकारी बना देती है, जिसके लक्षण बीच बीच में दिख ही जाते हैं. इसलिए मुद्दों पर आधारित समर्थन या विरोध करें. व्यक्ति नहीं समष्टि की चिंता करें. हमारा देश बहुत ही प्यारा है और आगे भी रहेगा इसकी उम्मीद की जानी चाहिए. अंत में आप सभी जानते हैं - तुझ से पहले जो इक शख़्स यहाँ तख़त नशीन था. उसको भी अपने ख़ुदा होने का इतना ही यक़ीन था - हबीब जालिब ... जयहिंद! जय भारत!
-       - जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर

Saturday 14 July 2018

असम के खेतों से निकला स्वर्ण


''वह भले ही शुरुआत में पीछे चल रही थी, लेकिन मुझे तो पता चल गया था कि आज वह गोल्ड जीतने वाली है.'' गर्व, खुशी और उससे भी ज़्यादा जीत के विश्वास को समेटे ये शब्द हिमा दास के कोच निपुण दास के हैं, जो उनसे हज़ारों मील दूर गुवाहाटी में हिमा की जीत का जश्न मना रहे हैं. किसी अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स ट्रैक पर भारतीय एथलीट के हाथों में तिरंगा और चेहरे पर विजयी मुस्कान, ऊपर दिख रही इस तस्वीर का इंतज़ार लंबे वक़्त से हर हिंदुस्तानी कर रहा था. इंतज़ार की यह घड़ी गुरुवार देर रात उस समय खत्म हुई जब फ़िनलैंड के टैम्पेयर शहर में 18 साल की हिमा दास ने इतिहास रचते हुए आईएएएफ़ विश्व अंडर-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 400 मीटर दौड़ स्पर्धा में पहला स्थान प्राप्त किया. हिमा विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप की ट्रैक स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय बन गई हैं
रनर हिमा दास द्वारा वर्ल्ड अंडर 20 चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने के बाद हर तरफ से उन्हें बधाई संदेश मिल रहे हैं. पी एम मोदी ने शुक्रवार को हिमा को बधाई देने के बाद शनिवार को उनकी रेस से जुड़ा विडियो भी शेयर किया. पीएम ने अपनी पोस्ट में लिखा, 'हिमा की जीत के कभी न भूलनेवाले पल. जीतने के बाद जिस तरीके से वह तिरंगे को खोज रही थीं और फिर राष्ट्रगान के वक्त उनका भावुक होना मेरे दिल को छू गया. इस विडियो को देखकर कौन ऐसा भारतीय होगा जिसकी आंखों में खुशी के आंसू नहीं होंगे! हिमा को बधाई देते हुए पीएम ने लिखा था, ‘भारत को ऐथलीट हिमा दास पर गर्व है जिन्होंने विश्व अंडर 20 चैंपियनशिप में ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीता. इस उपलब्धि से आने वाले समय में युवा खिलाड़ियों को प्रेरणा मिलेगी.’ 
पीएम मोदी से पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को यह विडियो शेयर करते हुए हिमा को बधाई दी थी. उन्होंने लिखा था, ‘मैं उनकी उपलब्धि को सलाम करता हूं और इस ऐतिहासिक जीत पर उन्हें बधाई देता हूं.’ 
एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड जीतकर इतिहास रचने वाली हिमा दास देश के लिए अब रोल मॉडल बनी हैं, लेकिन उनका गांव पहले से उनका फैन है. असम के छोटे से गांव ढिंग में रहनेवाले हिमा के पड़ोसी की मानें तो रेकॉर्ड तोड़ने से पहले वह बुराई के खिलाफ आवाज उठाकर अपने गांव में मौजूद शराब की दुकानों को भी 'तोड़' चुकी हैं. महज 18 साल की हिमा ने अंडर-20 वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 400 मीटर दौड़ में गोल्ड मेडल जीता है. वह महिला और पुरुष दोनों ही वर्गों में ट्रैक इवेंट में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय भी बन गई हैं. हिमा के पड़ोसी ने बताया वह सिर्फ वर्ल्ड क्लास की ऐथलीट नहीं हैं, बल्कि वह अपने आसपास हो रही बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाना भी जानती हैं. पड़ोसी ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि उनके गांव में शराब की दुकानें थीं, जिन्हें हिमा ने लोगों के साथ मिलकर ध्वस्त करवाया था. पड़ोसी ने बताया, 'वह लड़की कुछ भी कर सकती है. वह गलत के खिलाफ बोलने से नहीं डरती. वह हमारे और देश के लिए रोल मॉडल बन चुकी है.' वहां के लोग हिमा को 'ढिंग ऐक्सप्रेस' कहते हैं. 
हिमा ने महज दो साल पहले ही रेसिंग ट्रैक पर कदम रखा था. उससे पहले उन्हें अच्छे जूते भी नसीब नहीं थे. परिवार में 6 बच्चों में सबसे छोटी हिमा पहले लड़कों के साथ पिता के धान के खेतों में फुटबॉल खेलती थीं. सस्ते स्पाइक्स पहनकर जब इंटर डिस्ट्रिक्ट की 100 और 200 मीटर रेस में हिमा ने गोल्ड जीता तो कोच निपुन दास भी हैरान रह गए. वह हिमा को गांव से 140 किमी दूर गुवाहाटी ले आए, जहां उन्हें इंटरनैशनल स्टैंडर्ड के स्पाइक्स पहनने को मिले. इसके बाद हिमा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. हिमा का जन्म असम के नौगांव जिले के एक छोटे से गांव कांदुलिमारी के किसान परिवार में हुआ. पिता रंजीत दास के पास महज दो बीघा जमीन है जबकि मां जुनाली घरेलू महिला हैं. जमीन का यह छोटा-सा टुकड़ा ही दास परिवार के छह सदस्यों की रोजी-रोटी का जरिया है. पिता अपनी बेटी पर पहले से गर्व करते थे, जो अब और बढ़ गया है. 
ऐथलेटिक्स ट्रैक इवेंट में देश को पहली बार गोल्ड दिलाकर इतिहास रचने वाली हिमा दास की कहानी किसी फिल्मी स्टोरी से कम नहीं है. 18 साल की हिमा ने महज दो साल पहले ही रेसिंग ट्रैक पर कदम रखा था. उससे पहले उन्हें अच्छे जूते भी नसीब नहीं थे. असम के छोटे से गांव ढिंग की रहने वाली हिमा के लिए इस मुकाम तक पहुंचना आसान नहीं था. परिवार में 6 बच्चों में सबसे छोटी हिमा पहले लड़कों के साथ पिता के धान के खेतों में फुटबॉल खेलती थीं. 
स्थानीय कोच ने ऐथलेटिक्स में हाथ आजमाने की सलाह दी. पैसों की कमी ऐसी कि हिमा के पास अच्छे जूते तक नहीं थे. सस्ते स्पाइक्स पहनकर जब इंटर डिस्ट्रिक्ट की 100 और 200 मीटर रेस में हिमा ने गोल्ड जीता तो कोच निपुन दास भी हैरान रह गए. वह हिमा को गांव से 140 किमी दूर गुवाहाटी ले आए, जहां उन्हें इंटरनैशनल स्टैंडर्ड के स्पाइक्स पहनने को मिले. इसके बाद हिमा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. गुरुवार को हिमा ने अंडर-20 वर्ल्ड ऐथलेटिक्स चैंपियनशिप की 400 मीटर दौड़ में गोल्ड मेडल अपने नाम किया. खास बात यह कि इस दौड़ के 35वें सेकंड तक हिमा टॉप थ्री में भी नहीं थीं, लेकिन बाद में ऐसी रफ्तार पकड़ी कि सभी को पीछे छोड़ दिया. जब राष्ट्रगान बजा तो हिना की आंखों से आंसू छलक पड़े. 
जीतकर यह बोलीं -'मैं अपने परिवार की हालत जानती हूं कि हमने किस तरह से संघर्ष किए हैं. लेकिन ईश्वर के पास सभी के लिए कुछ न कुछ होता है. मैं पॉजिटिव सोच रखती हूं और जिंदगी में आगे के बारे में सोचती हूं. मैं अपने माता-पिता और देश के लिए कुछ करना चाहती हूं. मेरा अब तक सफर एक सपने की तरह रहा है. मैं अब वर्ल्ड जूनियर चैंपियन हूं.फिनलैंड में आई ए ए एफ वर्ल्ड अंडर -20 ऐथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर देश के लिए इतिहास रचने वाली 18 साल की हिमा दास ने इन्हीं शब्दों के साथ अपनी खुशी बयां की. वह महिला और पुरुष दोनों ही वर्गों में ट्रैक इवेंट में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय भी बन गई हैं. वह अब नीरज चोपड़ा के क्लब में शामिल हो गई हैं, जिन्होंने 2016 में पोलैंड में आईएएएफ वर्ल्ड अंडर-20 चैंपियनशिप में जैवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल जीता था. 
भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) ने आईएएफ वर्ल्ड अंडर -20 ऐथलेटिक्स चैंपियनशिप में महिलाओं की 400 मीटर स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाली हिमा दास की अंग्रेजी का मजाक उड़ाने पर शुक्रवार को उनसे माफी मांगी. हिमा ने गुरुवार को फिनलैंड में आईएएफ वर्ल्ड अंडर-20 चैंपियनशिप में महिलाओं की 400 मीटर स्पर्धा में स्वर्ण जीतकर नया इतिहास रचा है. चैंपियनशिप में महिलाओं की 400 मीटर स्पर्धा में सेमीफाइनल में हिमा की जीत के बाद एएफआई ने ट्विटर पर एक विडियो पोस्ट किया था जिसमें उन्होंने लिखा था कि हिमा में अंग्रेजी बोलने की क्षमता सीमित है. एएफआई ने बुधवार को ट्विटर पर कहा था, 'पहली जीत के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए हिमा की अंग्रेजी उतनी अच्छी नहीं थी, लेकिन उन्होंने अच्छी कोशिश की. हमें आप पर गर्व है. फाइनल में बेहतर प्रयास करें.
एएफआई ने शुक्रवार को अब अपने इस ट्वीट पर सफाई देते हुए कहा कि उनका मकसद हिमा की अंग्रेजी का मजाक उड़ाना नहीं था. एएफआई ने कहा, 'हम सभी भारतीयों से माफी चाहते हैं. हमारे एक ट्वीट से आपको चोट पहुंची हैं. हमारा असली मकसद यह दिखाना था कि हमारे धावक, मैदान के बाहर और अंदर किसी भी मुश्किल परिस्थिति से घबराते नहीं हैं. जो लोग गुस्साए हुए हैं उनसे एक बार फिर माफी मांगते हैं. जय हिंद.
महिलाओं का सम्मान कीजिये, उनका उनका हक़ दीजिये:
हमारे देश की महिलाएं, हर क्षेत्र में अच्छा कर रही हैं. तीरंदाज दीपिका कुमारी ने हाल ही में विश्व कप का गोल्ड मैडल हासिल किया. यह भी बहुत साधारण परिवार से आती है, जिसे टाटा स्टील ने अपने यहाँ नौकरी देकर उसे तीरंदाजी की सारी सुविधाएँ मुहैया कराई. वहीं जिमनास्ट दीपा कर्मकार चोट से उबरकर करीब दो साल बाद एफआईजी जिम्नास्टिक्स वर्ल्ड चैलेंज कप की वाल्ट स्पर्धा में गोल्ड पदक जीता है. बॉक्सिंग में मेरी कॉम ने CWG में गोल्ड मैडल अपने नाम किया, तो कुस्ती में साक्षी मालिक ने ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर भारत का नाम रोशन किया. हमारे देश की महिलाएं हर प्रकार के खोलों में हिस्सा लेकर नाम कमा रही है. यहाँ तक कि क्रिकेट, कबड्डी जैसे खेलों में भी भारत का नाम रोशन कर रही है. खेल के अलावा अब सेना, पुलिस, सिविल सर्विस, स्वास्थ्य सेवा हर जगह उनकी दमदार उपस्थिति है. कम से कम अब तो उनका सम्मान करिए और उनका हक़ दीजिये. जुल्म से बचाइए. जब होगा नारी शक्ति का सम्मान, तभी बनेगा हमारा देश महान !
जयहिंद!
-       -  जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर