Saturday 23 June 2018

२०१९ का मास्टर स्ट्रोक


बिनय न मानत जलधि जड़, गए तीनि दिन बीति।
बोले राम सकोप तब भय बिनु होइ न प्रीति ।।.…की तर्ज पर भाजपा समर्थित कश्मीर में पीडीपी से अपना समर्थन वापस ले लिया, इन्होने तीन दिन के बजाय तीन साल का समय लिया. कोई बात नहीं. जब जागे तभी सवेरा, अगर कुछ सकारात्मक होता है तो! क्योंकि अब और कोई उपाय नहीं रह गया है भाजपा के पास सिवाय यह कि दूसरों पर ठीकरा फोड़ सके. अभीतक उनका निशाना कांग्रेस और सत्तर साल रहा है आज भी है. पधान मंत्री मोदी भी हर मौके पर कांग्रेस और एक खास परिवार को कोसने से कभी बाज नहीं आते चाहे कोई भी मौका क्यों न हो. मध्य प्रदेश के राजगढ़ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे आज चार हज़ार करोड़ रुपये की मोहनपुरा सिंचाई परियोजना के लोकार्पण के साथ-साथ पानी की तीन बड़ी परियोजनाओं की शुरुआत करने का अवसर मिला है. उन्‍होंने कांग्रेस का नाम लिए बगैर कहा कि यह इस देश का दुर्भाग्‍य है कि एक परिवार को महिमा मंडन करने के चक्‍कर में अनेक सपूतों के बलिदान और योगदान को नजरअंदाज कर दिया गया.
वहीं जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर बीजेपी ने जम्मू में बड़ी रैली की जिसे अमित शाह ने संबोधित किया. अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस बताए कि उनकी पार्टी और लश्कर में क्या संबंध है क्योंकि कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद का बयान आते ही लश्कर ने उसका समर्थन कर दिया. कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद के बयान को लश्कर-ए-तैयबा समर्थन देता है, क्या राहुल गांधी  जी बताएंगे कि कांग्रेस और लश्कर की ये फ्रिक्वेंसी मैच कैसे कर रही है. अमित शाह ने कहा कि राहुल गांधी में अगर गैरत है तो वो अपने नेताओं से सवाल पूछें. अपने दो नेताओं के बयान पर राहुल गांधी माफी मांगे, लेकिन मुझे यकीन है कि वो माफी नहीं मानेंगे. कांग्रेस जितना भी षड्यंत्र कर ले कश्मीर भारत से कभी अलग नहीं होगा,ये हमारा प्रण है. बीजेपी ने समर्थन वापस लिया और सरकार गिर गई. ये दिखाता है कि हमें सत्ता नहीं जम्मू-कश्मीर के विकास की चिंता है. कश्मीर में हालत ऐसे हुए कि शांति बहाल नहीं हो पाई और जवान औरंगजेब और पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या की गईविकास का संतुलन महबूबा सरकार में बिगड़ गया और जम्मू-लद्दाख से पीडीपी सरकार ने भेदभाव किया.
जम्मू - कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने हाल में कहा था कि सुरक्षा बल घाटी में आतंकवादियों से ज्यादा नागरिकों को मार रहे हैं. वहीं सोज ने अपनी आगामी किताब में पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति मुशर्रफ के विचारों का कथित तौर पर समर्थन किया है कि अगर कश्मीरियों को मौका दिया जाए तो वे स्वतंत्रता का विकल्प चुनेंगे.
अमित शाह ने कहा कि 70 सालों में जो नहीं हुआ वो मोदी सरकार के राज में जम्मू और लद्दाख के लिए किया गया. हालांकि जम्मू के एम्स का काम पीडीपी सरकार ने अटका दिया. अगर हम जम्मू और लद्दाख के विकास का काम क्यों नहीं हुआ इसका जवाब पीडीपी से मांगते हैं तो क्या ये गलत है, राज्य के विकास के बारे में महबूबा सरकार से सवाल मांगते हैं तो क्या ये गलत है? एनसी-पीडीपी सरकारों ने शासन किया लेकिन जम्मू-कश्मीर का विकास नहीं किया. जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए मोदी सरकार ने फंड दिया लेकिन इसका इस्तेमाल नहीं किया गया. जम्मू को स्मार्ट सिटी घोषित किया लेकिन इसका डीपीआर आज तक नहीं बना. बीजेपी चाहती थी कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का समान विकास हो लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. आतंक के खिलाफ हमारी सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति है. हम चाहते हैं कि जिस तरह दिल्ली, बंगाल ,बेंगलुरू, गुजरात का युवा अपने भविष्य के सपने देखता है और उसे साकार करता था जम्मू-कश्मीर का युवा भी ऐसा कर सके. राज्य में अब राज्यपाल शासन लगा है, पाक शरणार्थियों के लिए दिए गए 15 हजार करोड़ खर्च नहीं हुए. हम जल्द से जल्द पाक शरणार्थियों तक मुआवजे की रकम पहुंचाएंगे-
बीजेपी के पीडीपी नीत गठबंधन सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद शाह का यह जम्मू कश्मीर का पहला दौरा था. राज्य में फिलहाल राज्यपाल शासन लागू है. इस दौरे को लेकर बीजेपी कार्यकर्ताओं में उत्साह है, लेकिन साथ ही इस दौरे की टाइमिंग को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं, क्योंकि अमित शाह का यह दौरा बीजेपी के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि वाले दिन हुआ. डॉ श्यामा प्रसाद ने जम्मू कश्मीर के भारत में पूर्ण विलय के लिए श्रीनगर की एक जेल में प्राणों की आहूति दी थी. अब उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर अमित शाह का जम्मू आने का मतलब साफ़ है कि अब बीजेपी अपने कोर मुद्दों पर वापस लौटेगी. बीजेपी यह मान रही है कि अमित शाह का यह दौरा ना केवल पार्टी कार्यकर्ताओं में नई जान फूंकेगा बल्कि इसी दौरे के साथ राज्य में लोकसभा और राज्य के चुनावी की तैयारी शुरू हो जाएगी. यह रैली इसलिए भी ख़ास कही जायेगी क्योंकि इस बार उसी दिन हुए प्रधानमंत्री के भाषण को काफी सारे चैनलों ने लाइव नहीं दिखाया पर अमित शाह के संबोधन को लाइव दिखाया.
जैसा कि हम सभी जानते हैं, डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई 1901 में कोलकाता में हुआ था. वह भारतीय जनसंघ (अब बीजेपी) के संस्थापक थे. इन्होंने साल 1929 में राजनीति की शुरूआत की थी. वह बंगाल विधान परिषद में चुने गए थे. श्यामा प्रसाद मुखर्जी साल 1947 में पंडित जवाहर लाल नेहरु की कैबिनेट में भी शामिल हुए थे. हालाकिं तीन साल बाद साल 1950 में उन्होंने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद उन्होंने साल 1951 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गोलवलकर के कहने पर भारतीय जनसंघ की स्थापना की थी. साल 1952 के चुनाव में जनसंघ के तीन सांसद चुने गए. श्यामा प्रसाद मुखर्जी भारत की अखंडता और कश्मीर का भारत में विलय के समर्थक थे. मुखर्जी जम्मू-कश्मीर में धार 370 हटाने का विरोध करते रहे. हालाँकि अमित शाह ने अपने भाषण एक बार भी धारा ३७० का जिक्र नहीं किया.
उधर योगगुरु बाबा रामदेव उसी दिन हरिद्वार से सीधे लंदन पहुँच गए योग सिखाने और योग सिखाते सिखाते जो इंटरव्यू उन्होंने ABP न्यूज़ को दिया वह भी अपने आप में मायने रखता है. वहां बाबा ने अपने खास अंदाज में जहाँ महागठबंधन के सभी नेताओं, राहुल, अखिलेश, तेजस्वी, चन्द्रबाबू नायडू, ममता के साथ नीतीश की भी प्रशंसा कर डाली... वहीं पर उन्होंने मोदी जी को योग के साथ युद्ध(योगपूर्वक युद्ध) का भी मन्त्र दे दिया.
उनका कहना है कि कश्मीर में ठीक समय पर महबूबा के साथ सम्बन्ध विच्छेद हुआ है, अब मोदी जी को कुछ काम तेजी से करने होंगे. उन्होंने बड़ी बेबाकी से कहा – अब मोदी जी को कुछ काम बड़ी तेजी से करने होंगे.
एक तो आतंकवाद का का खात्मा- जिसके भी हाथ में पाकिस्तान या ISIS का झंडा दिखे, या जो कोई भी तिरंगा को जलाए, उसे सीधे गोली मार दो. दूसरा POK पर भारत का कब्ज़ा और तीसरा बलूचिस्तान को पाकिस्तान से अलग करा दें. अगर यह कम तेजी से होता है तो मोदी जी को २०१९ में कोई भी महागठबंधन हो या प्रलय ही क्यों न हो जाय; उन्हें २०१९ में पी एम बनाने से कोई भी नहीं रोक सकता. साथ ही उन्होंने कुछ योजनाओं पर तेजी से काम करने की चेतावानी भी दे डाली. गंगा सफाई से लेकर अन्य मुद्दों पर मोदी जी ने जो कहा है उसे जमीन पर होते दिखना चाहिए. यानी जो भी घोषणायें हैं, उनपर अमल भी उसी रफ़्तार से होनी चाहिए, जो कि अब तक नहीं हुआ है.
अब यह तो समय ही बताएगा कि अमित शाह और श्री नरेंद्र मोदी कौन सा चाल कब चलते हैं, ताकि वे २०१९ में पुन: सत्तारूढ़ हो सकें. महागठबंधन कबतक बनेगा और उसका नेता कौन होगा? सीट बंटवारा कैसे होगा? सबके अपने-अपने स्वार्थ हैं. शरद पवार और केजरीवाल किस करवट बैठते हैं, उद्धव ठाकरे किस गठबंधन के सात अपना हाथ मिलाते हैं यह सब अभी भविष्य के गर्भ में छुपा पड़ा है. अमित शाह और नरेंद्र मोदी पर जितना भी आरोप ये विपक्षी पार्टियाँ लगा ले, जबतक जनता को ये समझाने में कामयाब नहीं होंगे, कुछ फलाफल निकलनेवाला नहीं है.
चाहे जो भी हो राष्ट्र और राष्ट्र की जनता सर्वोपरि है. फैसला वही होना चाहिए जो राष्ट्र और जनता के हित में हो. नौजवानों को रोजगार मिले, किसान मजदूर को उनका हक़ मिले. गरीबों के साथ न्याय हो. महिला और दलितों पर जुल्म न हो. यही तो असली मुद्दा है, चाहे सरकारें जिसकी हो. जनता का भला होना चाहिए. सबका विकास होगा तभी तो सबका साथ होगा. क्या कहेंगे आपलोग?
जय हिन्द! जय भारत !
-      - जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर.

Friday 8 June 2018

जिसका डर था वही हुआ – शर्मिष्ठा


ढेर सारी आशंकाओं, अपेक्षाओं, आपत्ति और पूर्वाग्रहों के बावजूद आखिर पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी साहब ने नागपुर के संघ कार्यालय के आमंत्रण को स्वीकारते हुए, वहां पहुँच गए और उन्होंने वही कहा जो उन्हें कहना चाहिए था. पर भाजपा की आईटी सेल को क्या कहा जाय जो हर भलेमानुष की तस्वीर से छेड़छाड़ कर से मनचाहा रूप दे देते हैं. मीडिया में दोनों चित्र उपलब्ध है एक जो वास्तविक है और दूसरा फोटोशोप के द्वारा एडिटेड है. पूर्व राष्ट्रपति की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी को यही डर था और हुआ भी वही ! आखिर भाजपा और आरएसएस की मीडिया सेल चाहती क्या है? क्या सभी लोग उसी के अनुसार चलेंगे? जो नहीं चलेंगे उसे भी वे मजबूर कर देंगे?   
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नागपुर में कहा है कि अगर हम राष्ट्रीयता को असहिष्णुता के रूप में परिभाषित करने की कोशिश करेंगे तो हमारी पहचान धुंधली हो जाएगी क्योंकि यह बहुलवाद का उत्सव मनाने वाली भूमि है. वे बृहस्पतिवार(7 जून) को यहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संघ शिक्षा वर्ग (तृतीय वर्ष) के समापन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. कांग्रेसियों के जबरदस्त विरोध के बीच इस कार्यक्रम में पहुंचे वरिष्ठ राजनेता मुखर्जी ने कहा कि राष्ट्र, राष्ट्रवाद और राष्ट्रीयता एक दूसरे में गुथे हुए हैं. इन्हें अलग-अलग करके नहीं देखा जा सकता है. हमारा समाज शुरू से ही खुला था और सिल्क रूट से पूरी दुनिया से जुड़ा था. यही नहीं, यूरोप से बहुत पहले ही हम राष्ट्र के रूप में स्थापित हो चुके थे और हमारा राष्ट्रवाद उनकी तरह संकुचित नहीं था. यूरोपीय राष्ट्रवाद साझा दुश्मन की अवधारणा पर आधारित है, लेकिन वसुधैव कुटुंबकमकी विचारधारा वाले भारत ने पूरी दुनिया को अपना परिवार माना. प्राचीन काल में भारत आने वाले सभी यात्रियों ने इसकी प्रशासनिक दक्षता, ढांचागत सुविधा और व्यवस्थित शहरों की तारीफ की है.
मुखर्जी ने कहा कि इस देश में इतनी विविधता है कि कई बार हैरानी होती है. यहां 122 भाषाएं हैं, 1600 से ज्यादा बोलियां हैं, सात मुख्य धर्म हैं और तीन जातीय समूह हैं लेकिन यही विविधता ही हमारी असली ताकत है. यह हमें पूरी दुनिया में विशिष्ट बनाता है. हमारी राष्ट्रीयता किसी धर्म या जाति से बंधी हुई नहीं है. हम सहनशीलता, सम्मान और अनेकता के कारण खुद को ताकतवर महसूस करते हैं. हम अपने इस बहुलवाद का उत्सव मनाते हैं.
समाज और देश को आगे ले जाने के लिए बातचीत बहुत जरूरी है. बिना संवाद के लोकतंत्र नहीं चल सकता है. हमें बांटने वाले विचारों की पहचान करनी होगी. हो सकता है कि हम दूसरों से सहमत हो और नहीं भी हों लेकिन किसी भी सूरत में विचारों की विविधता और बहुलता को नहीं नकार सकते हैं.
खुशहाली सूचकांक में पीछे क्यों – श्री प्रणव मुखर्जी ने सवाल उठाया कि आर्थिक मोर्चे पर शानदार उपलब्धियां हासिल करने के बावजूद खुशहाली सूचकांक (हैपीनेस इंडेक्स) में हम 133वें नंबर पर क्यों हैं. इस मामले में प्रगति करने के लिए हमें कौटिल्य को याद करना चाहिए, जिनका एक संदेश संसद के गेट नंबर छह पर लिखा है. इसमें कहा गया है कि जनता की खुशी में ही राजा की खुशी है. अब हमें शांति, सौहार्द्र और खुशी फैलाने के लिए संघर्ष करना चाहिए
नागपुर में भाषण के कुछ ही घंटे बाद सोशल मीडिया पर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की संघ नेताओं की तरह सैल्यूट करती तस्वीर जारी हो गई. प्रणब की बेटी शर्मिष्ठा ने इसे भाजपा की करतूत बताया है. शर्मिष्ठा ने कहा कि देखिए मुझे जिसका डर था और जिसके लिए मैंने अपने पिता को चेताया था, वही हो रहा है. अभी कुछ घंटे भी नहीं बीते हैं और भाजपा-संघ के डर्टी ट्रिक्स विभाग ने जोर-शोर से काम शुरू कर दिया है.  
बता दें कि नागपुर स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मुख्यालय में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के संबोधन से एक दिन पहले उनकी बेटी और कांग्रेस नेता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने पिता के कार्यक्रम में शामिल होने के फैसले को अनुचित ठहराया था. शर्मिष्ठा ने कहा था कि संघ मुख्यालय में उनका संबोधन भुला दिया जाएगा लेकिन इससे जुड़ीं तस्वीरें बनी रहेंगी. उन्होंने कहा था कि संघ का न्योता स्वीकार कर पूर्व राष्ट्रपति ने भाजपा और संघ को झूठी कहानियां गढ़ने का मौका दे दिया है.
शर्मिष्ठा ने ट्वीट कर कहा था कि पूर्व राष्ट्रपति जल्द ही समझ जाएंगे कि भाजपा की गंदी चालबाजी कैसे काम करती है. संघ कभी नहीं मानेगा कि अपने (प्रणब के) भाषण में आप इसके विचारों की सराहना कर रहे हैं. शर्मिष्ठा का यह बयान उन खबरों के बाद आया, जिनमें कहा गया है कि प्रणब मुखर्जी चाहते हैं कि शर्मिष्ठा मालदा (पश्चिम बंगाल) से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े. हालांकि भाजपा में शामिल होने की अफवाहों को खारिज करते हुए शर्मिष्ठा ने कहा कि वह कांग्रेस छोड़ने के बजाय राजनीति से संन्यास लेना पसंद करेंगी.  
कांग्रेस छोड़ने की अफवाह को बकवास बताते हुए शर्मिष्ठा ने ट्वीट किया है, ‘पहाड़ों में खूबसूरत सूर्यास्त का आनंद लेने के बीच भाजपा में मेरे शामिल होने की अटकलें मेरे लिए टॉरपिडोकी तरह हैं. इस दुनिया में कहीं भी सुकून और शांति नहीं मिल सकती है क्या?'
अब इस खबर को सभी मीडिया विशेषज्ञ अपने अपने अपने ढंग से आँक रहे हैं. विश्लेषित कर रहे हैं. हालाँकि संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी अच्छी ही बात कही कि भारत में जन्मे हर कोई भारतीय है और उसका सम्मान और रक्षा होनी ही चाहिए. आरएसएस के बारे में मुझे ज्यादा नहीं मालूम, कुछ लोग इसे समाजक संगठन बतलाते हैं तो कुछ इसे राजनीति में दखलंदाजी भी मानते हैं. आरएसएस का संगठन हर स्तर पर क्रियाशील है और लोगों की मदद भी करता है. पर इसकी आड़ में अन्य सहयोगी संगठन जो हिंसा फैलाते रहते हैं, वे मुझे पसंद नहीं है.
भाजपा और नरेंद्र मोदी का सत्ता में रहना कितना जरूरी है, इसका प्रमाण हाल के क्रियाकलापों से चलता है. मोदी जी जो कभी मुस्लिम की गोल टोपी पहने से इनकार कर चुके थे अब हरे रंग की चादर ओढ़े मस्जिद में कलमा पढ़ते नजर आने लगे हैं. राजनाथ सिंह गोल टोपी पहनकर मस्जिद में मत्था टेकते दीख रहे हैं. यह मुस्लिम तुष्टिकरण नहीं है? इसे कहते हैं सबका साथ सबका विकास! कुछ दिन पहले दलित के घर भोजन करने का भी नाटक चला था. पर दलितों को न्याय कब मिलेगा? किसानों को उनकी फसल की उचित कीमत कब मिलेगी? नौजवानों को रोजगार कब मिलेगा? भ्रष्टाचार मिट गया क्या? भ्रष्टाचार के बारे में शिकायत करनेवाले को ही पुलिस गिरफ्तार कर ले रही है, उत्तर प्रदेश में? क्या ऐसे ही भ्रष्टाचार का खात्मा होगा? मोदी जी टी वी पर अनेक योजनाओं की घोषणा और  प्रचार-प्रसार करते हैं. समाचार पत्र सरकार के विज्ञापनों से भरे रहते है पर जमीन पर वह काम दीखता नहीं. चाहे मुद्रा योजना हो या या स्टार्टअप - सबमे बैंक वाले साधारण लोगों को ऋण देने में आना-कानी करते हैं पर नामदार लोगों को ऋण देकर भूल जाते हैं.
चार साल बीत चुके हैं. मोदी जी की उपलब्धि के नाम पर कुछ ख़ास है नहीं तो अब मोदी जी की हत्या की साजिश की अफवाह फैलाई जा रही है. यह सच है कि उच्च पदस्थ लोगों की सुरक्षा चाक चौबंद होनी चाहिए पर उसे अफवाह की तरह फैलाकर भेड़िया आया! भेड़िया आया! चिल्लाने से अगर सचमुच का भेड़िया आ गया तो? हमें नहीं भूलना चाहिए कि महात्मा गाँधी से लेकर इंदिरा गाँधी और राजीव गाँधी की हत्या नृशंश तरीके से हो चुकी है. महत्वपूर्ण लोगों के साथ-साथ आम लोगों की भी जान माल की रक्षा होनी चाहिए. जीने का अधिकार हर किसी को है.
अंत में मेरा आग्रह होगा सभी मित्रों, पाठकों, राजनेताओं, स्वयंसेवी सगठनों से कि वे सरकार के कमियों को देखें और दिखाएँ. ऐसा भी नहीं है कि पिछले ६०-६५ साल में कुछ नहीं हुआ. पिछले चार सालों में भी कुछ-कुछ हो रहा है, पर जितना बोला गया था और आज भी बोला जा रहा है, उतना नहीं हुआ है. बहुत कुछ बाकी है. गंगा के साथ अन्य नदियों को भी निर्मल करना. सबको पीने के लिए स्वच्छ पानी मुहैया करना. किसानों और मजदूरों को उनका हक़ दिलाना. सबको शिक्षा और सबको स्वास्थ्य, यह सरकार की प्राथमिकता में होनी चाहिए. तभी होगा सबका साथ सबका विकास! – जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर.