Friday 1 May 2015

हे श्रमिक वर्ग तुम हो जहीन!

(मजदूर दिवस १ मई के उपलक्ष्य में श्रमिकों के प्रति उदगार)
यो तो हर ब्यक्ति जो मानसिक या शारीरिक श्रम करता है, एक तरह से श्रमिक ही है. पर श्रमिक या मजदूर कहने से कारखाने के मजदूर या खेतों के मजदूर पर ही ध्यान जाता है. दरअसल ये श्रमिक वर्ग, कुशल या अकुशल सभी मिलकर देश और समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. बिना इनके आज कोई भी सुख-सुविधा की कल्पना भी नहीं कर सकता. पर विडम्बना यही है कि यह वर्ग शुरू से ही शोषित भी रहा है. बड़े कारखानों में जो उसके अपने कर्मचारी होते हैं, उन्हें तो बहुत कुछ सुविधा प्राप्त है,पर वहीं पर ठेका पर काम कर रहे मजदूरों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. उनका अपना संगठन भी उतना मजबूत नहीं है. फिर भी उनका और सबका जो योगदान है, उसे किसी भी तरह से कमतर नहीं है. अाइए उनके हितार्थ जो मेरा उद्बोधन है उसे आत्मसात करें.
हे श्रमिक वर्ग तुम हो जहीन, तुम सोचो नित नूतन नवीन
तन मन को गर तुम मिला सको, ला सकते परिवर्तन नवीन
तुम काम नित्य ही करते हो, थोड़ा सोचा भी करते हो
कंपनी तुम्ही से चलती है, क्यों करे कोई तुम्हे तौहीन
गर काम को सुगम बनाओगे, फल उसका तुम ही पाओगे.
ब्यवसाय अगर फले फूले, लाभांश साथ तुम पाओगे.
एक बात गाँठ में बाँध ही लो, सुझाव बताना जान ही लो.
एक सही सुझाव कर सकती है, कंपनी का हित यह मान ही लो.
गुरु लघु का तुम अब भेद न कर, ग्यारह बनते एक एक होकर
ये बड़े कभी छोटे ही थे, माना सबने है एक ही स्वर
संस्था अगर बढ़ जायेगी, सम्मान तुझे दिलवाएगी,
तुम ही हो इसके मेरुदंड, बल तुमसे ही यह पायेगी.
तुम ही हो इसके मेरुदंड, बल तुमसे ही यह पायेगी.

जवाहर लाल सिंह

2 comments:

  1. शानदार अभिव्यक्ति |मजदूर दिवस की परिकल्पना और उसकु सार्थकता को व्यक्त करते सुंदर शब्द

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  2. हार्दिक आभार आदरणीय योगी जी!

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