Wednesday 2 October 2013

रघुपति राघव राजाराम....

रघुपति राघव राजाराम,
पतित पावन सीताराम
सीताराम सीताराम,
भज प्यारे तू सीताराम
ईश्वर अल्लाह तेरो नाम,
सब को सन्मति दे भगवान
सबसे पहले इस गीत को १२ मार्च १९३० को दांडी मार्च करते हुए पंडित विष्णु दिगंबर पलुस्कर द्वारा गाँधी जी और उनके सहयोगियों के साथ गाया गया! इसे बापू के प्रिय भजन में भी शामिल किया. इस गाने में हिन्दू मुस्लिम एकता के सन्देश में पूरे भारत को पिरोया गया…
उसके बाद ‘जय रघुनन्दन जय सियाराम, जानकी वल्लभ सीता राम के रूप में फिल्म ‘भरत मिलाप’ में १९४२ में गाया गया. उसके बाद १९५४ में फिल्म जागृति में ‘दे दी हमें आजादी बिना खड्ग बिना ढाल, रघुपति राघव राजा राम’ के रूप में गाया गया. १९७० में पूरब और पच्छिम में यह धुन बजा, १९९८ में ‘कुछ कुछ होता है’ में, लगे रहो मुन्ना भाई में भी में भी इस गीत को जगह मिली और प्रकाश झा के ‘सत्याग्रह’ के बाद, अब लेटेस्ट कृष-३ में ह्रितिक रोशन और प्रियंका चोपड़ा के साथ थिरकते हुए इसके स्वरूप को बिलकुल ही बदल दिया गया जैसे ‘ओम शांति ओम’ में शाहरुख़ खान ने ‘ओम शांति’ ‘ओम’ का मजाक उड़ाया.
वन्दे मातरम को सर्वप्रथम १८८२ आनंदमठ में बंकिम चन्द्र चट्टोपद्ध्याय ने लिखा और रविन्द्र नाथ टैगोर १८९६ में कलकता के कांग्रेस अधिवेसन में गाया. इस गीत को सभी स्वतंत्रत सेनानियों ने अपनाया और आज भी हम वन्दे मातरम में देश भक्ति का भाव ही पाते हैं. बीच बीच में कुछ धार्मिक संगठनो द्वारा इसका विरोध अवश्य हुआ पर बॉलीवुड के प्रख्यात संगीतकार ए. आर. रहमान ने स्वतंत्रता दिवस के ५० वें वर्ष गाँठ पर १५ अगस्त १९९७ को इसे अपने सुर के साथ लता जी को भी मिला लिया. इस एल्बम के ऑडियो वीडियो को खूब पसंद किया गया और दूरदर्शन ने इसे खूब दिखाया/प्रचारित किया
आब आइये कुछ और भक्ति भाव के धरोहरों की चर्चा करें – हनुमान चालीसा सबको पता है और पूजा करते समय के अलावा हम सभी विपत्ति में घिरते वक्त इसे अवश्य गाते हैं/याद करते हैं.
हनुमान चालीसा के बाद और भी बहुत सारे धार्मिक चालीसा का अवतरण हुआ जैसे शिव चालीसा, दुर्गा चालीसा, शनि चालीसा, साईं चालीसा आदि आदि…
धार्मिक चालीसा के बाद राजनीतिक या प्रख्यात व्यक्तियों के ऊपर चालीसा भी बनाये गए जैसे लालू चालीसा, नितीश चालीसा, अमिताभ चालीसा आदि… आदि…
कुछ व्यंग्यकारों ने ‘पत्नी चालीसा’ और ‘मच्छर चालीसा’ आदि भी बनाये अभी तत्काल में ‘मोदी चालीसा’ का अवतरण हो गया है
समय की मांग के अनुसार हम सभी बदलते हैं और उगते हुए सूर्य की तरह ही उभरते हुए लोगों के सम्मान में हम सभी गुणग्राही लोग गुण ग्रहण करते ही हैं…. हो सकता है नेहरू चालीसा, इंदिरा चालीसा, राजीव चालीसा, सोनिया चालीसा और अब राहुल चालीसा भी बन जाय तो हमें आश्चर्य नहीं करना चाहिए!
“समय समय सुन्दर सबै रूप कुरूप न कोय! जित जेती रूचि रुचै तित तेती तित होय.” और “सब दिन होत न एक समाना” सभी को याद रखना चाहिए.
हे राम ! जय श्री राम! रघुपति राघव राजाराम!
जवाहर लाल सिंह

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