Sunday, 5 May 2019

फनी तूफ़ान : प्राकृतिक आपदा और इंसान


यूं तो प्राकृतिक आपदा के सामने हम हमेशा से बौने साबित होते रहे हैं. प्रकृति से हम हमेशा लड़ते भी रहे हैं कभी हमने उसे अपने अनुकूल बनाया है तो कभी एक क्षण में हमारे सब किये कराये पर पानी फेर देता है. वैसे प्रकृति और मनुष्य के साथ अन्य जीव जंतुओं का पुराना नाता रहा है और आगे भी रहेगा. वैसे तो समुद्री किनारों पर तूफ़ान आटे ही रहते हैं, कुछ कम खतरनाक होते है कुछ भयंकर होते है. २६ दिसंबर २०१४ को इंडोनेसिया में जो सुनामी आई थी उससे भारत सहित कई देशों को काफी नुकसान झेलना पड़ा था. यह सुनामी भूकंप के कारण आई थी जिसका तब कोई पूर्व अंदाजा नहीं था. उस समय 10 से १५ हजार लोगों की मौत भी हुई थी और भयंकर तबाही का मंजर देखना पड़ा था. इस बार फनी के बारे में मौसम विभाग ने पूर्व अनुमान लगा लिया था, इसलिए काफी लोगों की जान बचाई जा सकी. इसके लिए, स्थानीय प्रशासन, राज्य सरकारें और केंद्र सरकार के साथ ताल-मेल के अलावा NDRF, नेवी के जवान, और अन्य सामजिक और राजनीतिक संस्थाएं धन्यवाद के पात्र हैं. हालाँकि उड़ीसा और आन्ध्र प्रदेश को तबाह करता हुआ यह तूफ़ान बंगाल सहित  पूर्वोत्तर राज्यों तक पहुँच गया है. झाद्खन में भी इसका असर देखा गया पर पूर्व सूचना और सावधानी से कम से कम नुकसान झेलना पड़ा. इसे सतर्कता और पूर्व तैयारी की उपलब्धि भी मान सकते हैं. भारत के इस सफल प्रयास की सराहना यूनाइटेड नेशन ने भी की है. अब हम भी दूसरे विकसित देशों की श्रेणी में आ गए हैं, ऐसा भी कह सकते हैं.
चक्रवाती तूफान 'फनी' को लेकर झारखंड के कई जिलों में हाई अलर्ट की घोषणा की गयी थी. आपदा प्रबंधन विभाग के संयुक्‍त सचिव मनीष कुमार ने प्रभावित जिले के उपायुक्‍त और विभिन्‍न विभागों के सचिव को पत्र भेजकर चक्रवात से अलर्ट किया था. पत्र में बताया गया था कि झारखंड के कई जिलों में तीन मई को शाम 5:30 बजे से 4 मई शाम 5:30 बजे तक चक्रवाती तूफान का असर रहेगा. कहा गया था कि पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला खरसावां, रांची, गिरिडीह, बोकारो, धनबाद, देवघर, जामताड़ा, दुमका, साहेबगंज, पाकुड़ और गोड्डा जिले में इस च‍क्रवाती तूफान का असर रहेगा. इस जिलों में आपदा प्रबंधन की टीम को सतर्क कर दिया गया था. साथ ही तीन और चार मई को सभी सरकारी और प्राइवेट स्‍कूलों को बंद रखने का निर्देश दिया गया था. झाड़खंड में ज्यादा नुकसान नहीं हुआ और अब जनजीवन सामान्य हो चला है.
फानी तूफान से भुवनेश्वर शहर के अंदर कई प्रमुख बिल्डिंगों को भी नुकसान पहुंचा. इस तूफान में  10 लोगों की मौत हो गई और करीब 160 लोग घायल हुए. फानी के खतरे को ध्यान में रखते हुए ओडिशा में करीब 10 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया था. भुवनेश्वर से सभी उड़ानें रद्द कर दी गई थी. वहीं रेलवे ने 200 से ज्यादा ट्रेनें रद्द कर दी थी. अब धीरे धीरे स्थिति सामान्य हो रही है. सरकारें हर संभव प्रयास कर रही हैं.
ओडिशा के पुरी में तबाही मचाने के बाद अब तूफान फनी बंगाल में भी कुछ नुकसान पहुँचाया है, और पूर्वोत्तर की तरफ बढ़ा. जिसके चलते यहां तेज हवाओं के साथ बारिश हुई. तेज हवाओं से कई जगह पेड़ गिरने की भी खबर है. फिलहाल किसी भी तरह के नुकसान की जानकारी नहीं हैं. और अब मौसम विभाग के प्रमुख ने कहा- भारत में फानी चक्रवातीय तूफान कमजोर हो गया है.
चक्रवातीय तूफान फानी के समुद्री तट से टकराने से पूर्व, ONGC ने बंगाल की खाड़ी में स्थित अपने साइट से लगभग 500 स्टाफ को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट कर दिया था. PM मोदी ने दिल्ली में फानी तूफान की तैयारियों का जायजा लेने के लिए हाई लेवल बैठक की. मीटिंग में कैबिनेट सेक्रेटरी, प्रिंसिपल सेक्रेटरी मौजूद रहे. साथ ही मौसम विभाग, NDRF के वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में शामिल हुए.
तू'फानी' खतराः कैबिनेट सचिव ने की तैयारियों की समीक्षा
कैबिनेट सचिव पी.के. सिन्हा ने चक्रवाती तूफान "फानी" से पैदा होने वाले हालातों से निपटने के लिए संबंधित राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों और एजेंसियों की तैयारियों की समीक्षा कर ली थी. आगे भी नुकसान के साथ पुनर्वास की समीक्षा और क्रियान्वयन जारी रहेगा ही.
राज्य और केंद्रीय एजेंसियों की तैयारियों की समीक्षा करते हुए, कैबिनेट सचिव ने निर्देश दिया कि चक्रवाती तूफान के रास्ते में आने वाले क्षेत्रों से लोगों को निकालने और उनके भोजन, पीने के पानी और दवाओं आदि की पर्याप्त मात्रा में आवश्यक आपूर्ति बनाए रखने के लिए सभी जरूरी उपाय किए जाएं. ओडिशा सरकार के अनुसार लगभग 900 साइक्लोन शेल्टर तैयार किए गए हैं, और आपातकालीन भोजन वितरण के लिए राज्य में दो हेलीकॉप्टरों को तैनात किया गया है. कैबिनेट सचिव ने रक्षा मंत्रालय को ओडिशा सरकार की आवश्यकताओं को पूरा करने का निर्देश दिया है.
नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने भी कहा था, “हम चक्रवात के लिए तैयार हैं. विशाखापत्तनम में पूर्वी नौसेना कमान तैयार है, सभी जरूरी इंतजाम किए गए हैं. आंध्र प्रदेश और ओडिशा राज्य के बीच समन्वय के साथ हम चक्रवात की चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं. .... और उन्होंने और उनकी टीम ने तन-मन से काम किया.
इस तरह प्राकृतिक आपदाएं आती हैं, आगे भी आती रहेंगी, पर विपत्ति में धैर्य नहीं खोना चाहिए, सरकार और प्रशासन के आदेशों का पालन करना चाहिए. हर प्रकार के नुकसान की पूरी भरपाई कभी संभव नहीं हो सकती. हमें पुन: अपने काम में जुट जाना चाहिए, और ईश्वर के साथ सरकार का भी धन्यवाद व्यक्त करना चाहिए कि हम सुरक्षित हैं. परीक्षाएं, प्रतियोगितायें, चुनाव प्रचार एवं अन्य जरूरी काम फिर हो जायेंगे. बस यही कहना चाहिए – जान बची तो लाखो पाए. जिन्दगी हमें जीना सिखाती है और हर प्रकार के खतरों से जूझना सिखाती है. सोचिए, NDRF, सेना और पुलिस प्रशासन की टीम के बारे में जो हर खतरों से खेलकर हमारी जान माल की रक्षा करते हैं. आज की तकनीक, मौसम विभाग की सही भविष्यवाणी और सूचना तंत्र भी बहुत हद तक सहायक हुए हैं, ऐसी आपदाओं से निपटने में. तूफ़ान की भयंकरता के बारे में क्या कहा जाय, झोपड़ियों की कौन कहे, भवन निर्माण में लगे बड़े बड़े क्रेन भी धराशायी हो गए. भुवनेश्वर का रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डा को भी काफी नुकसान हुआ है. अच्छी बात यही हुई है कि इस बार काफी लोगों की जान बचाई जा सकी. प्रकृति से हम हैं और प्रकृति का दोहन भी हम दिन रात कर रहे हैं. हमें एक प्रकृति की रक्षा करनी ही होगी, ताकि वह हमें मदद देती रहे. अक्सर हमारा देश कभी भयंकर सूखा, अतिबृष्टि, अनाबृष्टि, बाढ़-सुखाड़, तो कभी भूकंप आदि के झटके झेलता रहता है. हम सबको मिलकर प्रकृति की रक्षा करनी ही होगी. पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश इन पंचभूतों के बारे में आदिकाल से बताया जाता रहा है. हम सब इनकी पूजा भी करते हैं. असली पूजा वही होगी, जब हम प्रकृति का सदुपयोग करेंगे, अतिदोहन करेंगे. इनकी रक्षा करेंगे ताकि भविष्य में भी हमारे उपयोग के लायक रहे.
वेदों का उद्घोष है अथर्ववेद में कहा गया है कि 'माता भूमि':, पुत्रो अहं पृथिव्या:। ... यजुर्वेद में भी कहा गया है- नमो मात्रे पृथिव्ये, नमो मात्रे पृथिव्या:। ... ऐसा नहीं है कि हमारे पूर्वज पृथ्वी के प्रति मात्र अंधश्रद्धा ही रखते थे, बल्कि धरती से मिलने वाली तमाम सुविधाओं के बारे में भी उन्हें भरपूर जानकारी थी… हमें भी है पर हम आजकल पृथ्वी को बचने का बहुत कम प्रयास कर रहे हैं.  
बस दृढ़ संकल्प, और जागरूकता की जरूरत है, हम सबकुछ कर सकते हैं.  
-      --जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर.

Sunday, 17 March 2019

आम आदमी के ‘पोस्टर बॉय’ मनोहर पर्रिकर को भावभीनी श्रद्धांजलि!


13 दिसंबर 1955 को गोवा के मापुसा में एक मध्यमवर्गीय परिवार मे जन्मे मनोहर गोपालकृष्ण प्रभु पर्रिकर ने सामान्य परिवेश से निकलर आईआईटी मुंबई से शिक्षित होने से लेकर गोवा के मुख्यमंत्री, रक्षा मंत्री और फिर गोवा के मुख्यमंत्री के तौर पर 17 मार्च 2019 को शाम में आखिरी सांस ली. पर्रिकर की जिंदगी एक आम आदमी के पोस्टर बॉय बनने की कहानी की जबरदस्त मिसाल है. गोवा के इस दिग्गज राजनेता को राष्ट्रीय राजनीति में भी उनकी सादगी और जीवटता के लिए याद किया जाता है आगे भी याद किया जाता रहेगा. अग्नाशय के कैंसर की दुर्गम लड़ाई से लड़ते हुए उन्होंने आखिरी सांस ली. जीवन के आखिरी वक्त तक वह सक्रिय रहे और कैंसर से लड़ते हुए मुख्यमंत्री के दायित्व निभाते रहे. गोवा की राजनीति से निकलकर राष्ट्रीय राजनीति में पर्रिकर रक्षा मंत्री के तौर पर शामिल हुए. रक्षा मंत्री रहने के दौरान देश के दूर-दराज के इलाकों में भी लोग उनकी सादगी के कारण उन्हें बेहद पसंद करते थे. आधी बांह के ट्रेडमार्क शर्ट-पैंट, चश्मे और सिंपल घड़ी में नजर आनेवाले पर्रिकर की सादगी, लेकिन तकनीक और विज्ञान के लिए दिलचस्पी ने उन्हें देशभर के युवाओं का फैन बना दिया. 
मनोहर पर्रिकर की पत्नी की भी 2001 में कैंसर से लड़ते हुए मौत हो गई थी. उस वक्त पर्रिकर गोवा के सीएम भी थे. हालांकि, इस निजी त्रासदी से ऊबरकर न सिर्फ उन्होंने बतौर सीएम अपना दायित्व निभाया, बल्कि दोनों युवा बेटों की परवरिश भी शानदार तरीके से अकेले ही की.
मनोहर पर्रिकर को देश में राजनीति के भविष्य के संकेतों को समझनेवाले के तौर पर भी देखा जाएगा. 2013 में पर्रिकर बीजेपी के पहले अग्रणी नेताओं में से थे जिन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी का नाम उस वक्त बीजेपी के पीएम कैंडिडेट के तौर पर आगे किया था. गोवा में बीजेपी की सत्ता में वापसी कराने और गठबंधन के साथ सरकार चलाने के लिए भी बीजेपी आलाकमान ने पर्रिकर पर ही भरोसा किया. 2017 में गोवा चुनाव के बाद बीजेपी के पास बहुमत नहीं था, लेकिन पर्रिकर दिल्ली से गोवा पहुंचे और आखिरकार जोड़तोड़ के बाद सरकार बनाने में कामयाब रहे. 
संघ के एक अनुशासित कार्यकर्ता पर्रिकर का आरएसएस से जुड़ाव उनके बचपन के दिनों में ही हो गया था जो बाद में और मजबूत होता गया. आईआईटी-बॉम्बे में पढ़ाई के दौरान भी उनका संघ से नाता रहा. आईआईटी-बॉम्बे में पोस्ट ग्रैजुएशन की पढ़ाई बीच में छोड़कर जब गोवा वापस आ गए तो पर्रिकर संघचालक के तौर पर अपनी सेवा देते रहे. बाद में संघ ने उनको राजनीति में उतारने का फैसला किया.
राजनीति में करियर -पर्रिकर की राजनीतिक शुरुआत मजबूत तो नहीं रही लेकिन बाद में उनका राजनीतिक कद मजबूत होता गया. 1988 में संघ ने पर्रिकर को पार्टी में भेजने का फैसला किया. 1991 में बीजेपी ने उनसे उत्तरी गोवा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने को कहा. उस समय बीजेपी की राज्य की राजनीति में मौजूदगी न के बराबर थी. लोकसभा के पहले चुनाव में उनको करीब 25,000 वोट पड़े. इससे पार्टी का उत्साह बढ़ा और उनको सक्रिय राजनीति में लाने का फैसला किया. आयुष मंत्री और उत्तरी गोवा के सांसद श्रीपद नाईक ने कहा -  '1991 में जब मैं पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष था तो उनको महासचिव बनाया गया.तीन साल के अंदर ही पर्रिकर मंझे हुए राजनीतिज्ञ बन गए और बाद में पणजी विधानसभा सीट से निर्वाचित हुए. मापुसा के रहने वाले पर्रिकर ने 1994 में कांग्रेस की सीट पर अपना परचम लहरा दिया. तब से पणजी की सीट बीजेपी का मजबूत गढ़ रही. साल 1994 बीजेपी और पर्रिकर के लिए कई मायनों में ऐतिहासिक था. उसी साल बीजेपी का चार विधायकों के साथ गोवा विधानसभा में प्रवेश हुआ. पणजी के वह पहले विधायक थे जिन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाले योद्धा के तौर पर गोवा के राजनीतिक इतिहास को नए सिरे से लिखा. नाईक बताते हैं, 'पर्रिकर की फायरब्रैंड शख्सियत, विधानसभा में सत्ताधारी पक्ष पर हावी होने का आत्मविश्वास और उनके घपले का पर्दाफाश करने की हिम्मत ने लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता को बढ़ाया.'
सोशल इंजिनियरिंग के माहिर- पर्रिकर सोशल इंजिनियरिंग के माहिर थे. उन्होंने जाति और धर्म से ऊपर उठकर एक लकीर खींच दी. संघ से विरासत में मिली सादगी और अनुशासन को उन्होंने बरकरार रखा लेकिन जब राजनीतिक समीकरण की बात आई तो व्यावहारिक कदम उठाया. नामांकन पर्चा दाखिल करने से पहले आशीर्वाद लेने के लिए चर्च जाना हो या फिर राज्य के कैथोलिक समुदाय के बीच पैठ बनाना हो, पर्रिकर ने आरएसएस कार्यकर्ता की छवि से बाहर निकलने के लिए अपने आईआईटियन टैग और बौद्धिक प्रतिभा का इस्तेमाल किया. उनके अंदर विरोधियों की चाल को पहले ही भांप लेने और उनको मात देने की अद्भुत प्रतिभा थी. उन्होंने अपनी इन प्रतिभाओं के बल पर जल्द ही पूरे राज्य में बीजेपी को स्थापित कर दिया. उन्होंने राज्य की राजनीति को अच्छी तरह से भांप लिया. राज्य में 27 फीसदी क्रिस्चन आबादी थी. उन्होंने चर्च से शीघ्र खाई को पाटा और ऐसा रुख अपनाया जो पार्टी के विचार के विपरीत था. उन्होंने अपने ढंग से अल्पसंख्यकों, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग को खुश करने के लिए काम किया. वह 'सबका साथ, सबका विकास' के असल पुरोधा थे. संघ के मनपसंद होने के साथ-साथ उन्होंने अल्पसंख्यकों के बीच भी अच्छी पैठ बनाई. 2012 के राज्य विधानसभा चुनाव में जब पार्टी को अपने दम पर 40 सदस्यों वाली विधानसभा में 21 सीटों के साथ बहुमत मिला तो करीब एक तिहाई विधायक अल्पसंख्यक समुदाय से थे. उनके काफी करीबी और पार्टी के लिए साथ काम करने वाले पार्टी के अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया, 'उनकी शैक्षिक योग्यताएं, भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद करने की हिम्मत और राज्य के विकास के लिए एक विजन ने पार्टी को मजबूत होने में मदद की.'
इसलिए जब 2000 में वह 44 साल की कम उम्र में देश के पहले आईआईटियन मुख्यमंत्री बने तो गोवा के बहुत से लोगों को कोई आश्चर्य नहीं हुआ. वह जब मुख्यमंत्री बने तो सरकार चलाने का कोई अनुभव नहीं था. लेकिना फाइलों और समस्याओं के अध्ययन में गहरी दिलचस्पी और लोगों की नब्ज पकड़ने की उनकी प्रतिभा ने उनकी मदद की.
सादगी से बढ़ी लोकप्रियता - मुख्यमंत्री बनने के बाद भी पर्रिकर नहीं बदले जिससे वह जनमानस के चहेते बन गए. उनकी लोकप्रियता न सिर्फ राज्य बल्कि देशभर में फैल गई. उनकी पोशाक साधारण होती थी और हमेशा उनके पैरों में ट्रेडमार्क चप्पल ने उनके व्यक्तित्व को बुलंद किया. उन्होंने अपनी आधिकारिक कार में बत्ती लगाने की परंपरा को न कहा, अपनी आधिकारिक गाड़ी में ड्राइवर के बगल में बैठना शुरू किया, गोवा को राज्य का दर्जा मिलने के बाद लोगों की पहुंच में रहने वाले मुख्यमंत्री बने, नई-नई योजनाएं शुरू कीं और भ्रष्ट राजनीतिज्ञों को गिरफ्तार करने की साहस एवं ताकत दिखाई. इससे उनकी लोकप्रियता का ग्राफ और बढ़ता चला गया.
उनके निधन पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राहुल गाँधी सहित तमाम लोगों ने शोक जताया - राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को उन्हें असाधारण नेता और सच्चा देशभक्त बताया. इसके साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह सहित तमाम नेताओं ने भी पर्रिकर के निधन पर शोक जताया है. फरवरी 2018 से बीमार चल रहे पर्रिकर का स्वास्थ्य पिछले दो दिन में काफी बिगड़ गया था. रविवार शाम उन्होंने अपने निजी आवास पर अंतिम सांस ली. राष्ट्रपति कोविंद ने ट्वीट किया, ‘‘गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के निधन की सूचना पाकर शोकाकुल हूं.’’ उन्होंने कहा कि सार्वजनिक जीवन में वह ईमानदारी और समर्पण के मिसाल हैं और गोवा तथा भारत की जनता के लिए उनके काम को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, ‘‘मनोहर पर्रिकर बेमिसाल नेता थे. एक सच्चे देशभक्त और असाधारण प्रशासक थे, सभी उनका सम्मान करते थे. देश के प्रति उनकी निस्वार्थ सेवा पीढ़ियों तक याद रखी जाएगी. उनके निधन से बहुत दुखी हूं. उनके परिवार और समर्थकों के प्रति संवेदनाएं. शांति.’’
राजनीतिक हस्तियों के साथ ही साथ पूरा देश शोकाकुल है. उनके निधन पर राष्ट्रीय शोक की घोषणा सरकार द्वारा की गयी है. हम सब उनके व्यक्तित्व को नमन करते हुए श्रद्धांजलि व्यक्त करते हैं. साथ ही यह कामना करते हैं कि ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें. वैसे सच्ची श्रंद्धांजलि तो तभी होगी जब दूसरे राजनीतिक लोग उनका अनुकरण करेंगे. उनकी सादगी और ईमानदारी का अनुसरण करते हुए निर्विवादित नेता का ख़िताब उनके बाद किसे मिलता है, यह देखनेवाली बात होगी! वैसे त्रिपुरा के माकपा नेता और निवर्तमान मुख्य मंत्री माणिक सरकार भी सादगी के प्रतीक हैं, जिन्हें प्रधान मंत्री मोदी ने सार्वजनिक रूप से आदर और सम्मान दिया था.
-      - जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर  

Sunday, 24 February 2019

किसान सम्मान निधि योजना का शुभारम्भ और प्रयागराज के महाकुम्भ में डुबकी


प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को गोरखपुर की खाद फैक्ट्री से पूर्वांचल के किसानों को भी खाद-पानीदेने का काम किया. तो यहीं से पूरे देश के किसानों के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत किया. इस योजना में वह एक साथ देश के 12 करोड़ किसानों के खाते में सीधा 2000 रुपये भेजने की योजना का शुभारम्भ किया. यूपी में छोटी जोत के करीब 50 फीसदी किसानों वाले पूर्वांचल में वह किसानों से सीधा संवाद भी किया साथ ही देश के विभिन्न भागों के किसानों से भी तकनीक के जरिये सीधा बात किया. बीजेपी की योजना है कि लोकसभा चुनाव से पहले वह किसानों के घर-घर तक जाकर बता सके कि वह किसानों के लिए कितना फिक्रमंद है. साथ ही आज 10,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का शिलान्यास और अनावरण किया गया है, जिनमे किसानों के साथ पूर्वांचल के लोगों के कल्याण की भावना जुड़ी हुई है.
पूर्वांचल, जिसकी जिम्मेवारी कांग्रेस की नवनियुक्त महासचिव प्रियंका गाँधी को दी गयी है .... वहां पर विभिन्न परियोजनाओं का शुरुआत कर के अपना मास्टर स्ट्रोक कार्ड खेल लिया है. निस्संदेह इसका लाभ आगामी चुनाव में मोदी जी को मिलनेवाला है. जुलाई, 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही दोबारा खोलने के लिए इस खाद फैक्ट्री की नींव रखी थी. यह खाद फैक्ट्री 1990-91 में बंद हो गई थी. इस फैक्ट्री के बंद होने से किसानों को तो नुकसान हुआ ही, फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूर बेरोजगार हो गए थे. इसके बाद से यह फैक्ट्री पूर्वांचल की सियासत के लिए एक बड़ा मुद्दा बन गई थी. मोदी ने इसका शिलान्यास कर किसानों और युवाओं में एक आश जगा दी थी. अब ढाई साल बाद मोदी फिर से उसी उम्मीद को और आगे बढ़ा रहे हैं. सीएम योगी आदित्यनाथ ने बताया कि यह खाद फैक्ट्री 2020 तक शुरू हो जाएगी. इसके बाद यहां से खाद का उत्पादन शुरू हो जाएगा. फैक्ट्री शुरू होने से युवाओं को रोजगार मिलने के साथ खाद उत्पादन के जरिए किसानों को भी सीधा फायदा होगा. दरअसल, गोरखपुर और आसपास के किसान छोटी जोत के हैं. अभी तक वह धान और गेंहू की फसल पर ज्यादा केंद्रित हैं. उपजाऊ जमीन और पानी की उपलब्धता के बावजूद उन्हें फसल का ज्यादा फायदा नहीं मिल पाता है. केंद्र सरकार ने कृषि दूरदर्शन के साथ ऑनलाइन और टेलीफोन से सहायता शुरू की है, जिसके जरिए वह मौसम और मिट्टी के अनुसार फसलों में बदलाव कर सकते हैं. 
पिछली बार पांच राज्यों के चुनाव के समय विपक्ष के नेता राहुल गाँधी ने किसानो के कर्ज माफी की घोषणा की, उसका तत्काल लाभ चुनाव परिणाम के रूप में मिला और क्रमश: छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस सत्ता में वापस लौटी. तब से ही भाजपा नेतृत्व या कहें कि प्रधान मंत्री श्री मोदी किसानों के लिए तत्काल कुछ करने की योजना बना रहे थे और उसका ऐलान बजट घोषणा में ही कर दिया था. छोटे और मंझोले किसानों को हर साल ६००० आर्थिक सहायता देने की घोषणा कर दी जिसे दिसंबर से ही लागू भी कर दिया गया है. ६००० रुपये तीन किश्तों में किसानों को उनके खाते में दे दी जायेगी. इसकी पहली किश्त यानी दो हजार रुपये देने की शुरुआत २४ फरवरी से ही हो गयी है. करीब १२ लाख किसानों को इसके लाभ मिलने हैं और सबकी सूची युद्धस्तर पर तैयार की जा रही है. अभी जो सूची तैयार की गयी है, उनमे काफी खामियां भी है, उसे फिर से दुरुस्त करने की कोशिश भी की जा रही है. फिर भी कम से कम एक करोड़ एक लाख किसानों को यह राशि मिलने जा रही है. आचार संहिता लागू होने से पहले अगर ज्यादा से ज्यादा किसानों को इसका लाभ मिल जाता है, तो किसानों को तो फायदा होगा ही, भाजपा सरकार को भी तत्काल फायदा होनेवाला है, जिसका आत्म विश्वास प्रधान मंत्री ने अपने ‘मन की बात’ में कर दी है कि अगला ‘मन की बात’ वे मई की आखिरी रविवार को करेंगे जब वे देश के फिर से प्रधान मंत्री चुन लिए जायेंगे.
पुलवामा हमले के बाद देश एक जुट हुआ है और वह इसका बदला चाहता है. सरकार और सेना भी अपने अपने तरीके से जवाब दे रही है. जहाँ आतंकी हमले के मास्टर माइंड अब्दुल रशीद गाजी को १०० घंटे के अन्दर मार गिराया जाता है. साथ ही पाकिस्तान के साथ व्यापारिक समझौते पर भी कड़े कदम उठाए जा रहे हैं. अब पाकिस्तान को सिन्धु जल समझौते पर भी पुनर्विचार कर पानी रोकने की भी कार्रवाई कर सकती है. जबकि यह भी कहा जा रहा है, इसकी योजना पहले से तैयार थी. इस हमले के बाद भारत को कूटनीतिक स्तर पर भी अन्तराष्ट्रीय समुदाय सहित अमेरिका का भी समर्थन प्राप्त हुआ है. पाकिस्तान अलग-थलग जरूर हुआ है, पर उसे मदद करनेवाले भी कई देश हैं. आतंकवादियों पर लगाम और उनका पूर्णत: खात्मा जरूरी है.
सबसे बड़ी बात – प्रयागराज के संगम में डुबकी के बाद प्रधान मंत्री ने पूजा अर्चना की और स्वच्छाग्राहियों/सफाई-कर्मचारियों को खुद पैर धोकर, उसके पैरों को पोंछकर और उन्हें साल ओढ़ाकर सम्मानित किया. ऐसा बहुत कम होता है, जब किसी देश के प्रधान मंत्री ने सफाई कर्मियों को इस प्रकार से सम्मानित किया हो ... निश्चित ही यह उन सभी सफाई कर्मियों के लिए गर्व की बात है. इस साल का अर्ध कुम्भ का आयोजन पिछले सालों के आयोजनों से अलग था. सफाई व्यवस्था के अलावा सुरक्षा व्यवस्था भी चुश्त-दुरुश्त थी, ऐसा सभी कह रहे हैं. विदेशों से भी काफी मेहमान आये और कुम्भ के व्यवस्था की सराहना की है.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रविवार(२४ फरवरी) को प्रयागराज पहुंचे और यहां आयोजित कुम्भ मेले में शामिल होते हुए उन्होंने त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाई. गंगा स्नान के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूजा-अर्चना भी की. इसके बाद पीएम ने पांच स्वच्छाग्रहियों (तीन पुरुष, दो महिलाओं) यानी सफाईकर्मियों के पैर धोक, उनका आशीर्वाद लिया. सफाई कर्मचारियों के पैर धोकर पीएम मोदी ने उनके पैर पोछे और उन्हें एक शॉल भी भेंट की. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे उनका हालचाल भी जाना और कुंभ में स्वच्छता की व्यवस्था को देखते हुए उन्हें धन्यवाद दिया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में स्वच्छता के मिशन को लगातार आगे ले जाने की कवायद में जुटे रहे हैं. उन्होंने महात्मा गांधी के जन्मदिन के मौके पर 2 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की थी. इस मिशन का शुभारंभ उन्होंने महात्मा गांधी की समाधि राजघाट से किया था. यह अभियान दो भागों में बंटा हुआ है, स्वच्छ भारत अभियान (ग्रामीण) का जिम्मा पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय का है और स्वच्छ भारत अभियान (शहरी) की जिम्मेदारी शहरी एवं विकास मंत्रालय के पास है. 
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा, 'कुंभ के कर्मयोगियों में साफ सफाई कर रहे स्वच्छाग्रही भी शामिल हैं, जिन्होंने अपने प्रयासों से कुंभ के विशाल क्षेत्र में हो रही साफ सफाई को दुनिया में चर्चा का विषय बना दिया है, हर व्यक्ति के जीवन में अनेक ऐसे पल आते हैं, जो अविस्मरणीय होते हैं. आज ऐसा ही एक पल मेरे जीवन में आया है, जिन स्वच्छाग्रहियों के पैर मैंने धोए हैं, वह पल जीवनभर मेरे साथ रहेगा.' बता दें कि इन कर्मचारियों की स्वच्छ कुंभ में अहम भूमिका रही है. प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, कुम्भ २०१९  मेले में अभी तक 20 करोड़ 54 लाख लोग स्नान कर चुके हैं.    
एक दबी हुई आवाज, लेकिन सफाई कर्मियों की तरफ से जरूर उठी कि हमलोगों को स्थायी किया जाय. हम यही काम आगे भी करते रहेंगे. अब यह तो आगे का वक्त बताएगा कि इन्हें स्थायी किया जायेगा या नहीं क्योंकि सफाई कर्मी हर जगह अस्थायी रूप से निविदा पर ही काम करते हैं. जबकि वे हमारे जीवन के अभिन्न अंग हैं.
-       --जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर