Saturday, 15 April 2017

विश्वास के विश्वास को ठेस

आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्‍वास का तकरीबन 13 मिनट का वीडियो वायरल हो रहा है. उसमें उन्‍होंने राष्‍ट्रवाद के नाम पर देश के प्रधानमंत्री से लेकर दिल्‍ली में आप सरकार के कथित भ्रष्‍टाचार के मामले पर अरविंद केजरीवाल तक को घेरा है. हम भारत के लोग (we the nation) नामक इस वीडियो सोशल मीडिया पर छाने लगा है. इस वीडियो में अपनी बात शुरू कहते हुए भारतीय नागरिक की हैसियत से जनता से की गई अपील में कुमार विश्‍वास ने वीडियो की शुरुआत में ही सवालिया लहजे में कहा कि पिछले दिनों से एक वीडियो उनको बेचैन कर रहा है कि जम्‍मू-कश्‍मीर में हो रहे उपचुनाव को संपन्‍न कराने के लिए गए जवानों को वहां के शोहदे परेशान कर रहे हैं. वे जवान सशस्‍त्र हैं लेकिन उनके पैरों में तथाकथित कानून की बेडि़यां जकड़ी हैं...इस पर तंज कसते हुए कुमार विश्‍वास ने कहा कि ऐसा कैसे संभव है कि जिस पार्टी की सरकार केंद्र और राज्‍य दोनों जगहों पर हैं, वहां पर भारत मां के किसी जवान के साथ ऐसी हरकत हो रही है...उन्‍होंने श्रीनगर में महज छह फीसद मतदान पर भी सवाल करते हुए कहा कि इसके दो ही कारण दिखते हैं कि या तो लोगों को भय है या भरोसा नहीं है.
इसके साथ ही लोगों से भी सवालिया निशान करते हुए पूछा, ''क्‍या हम इस देश में कुछ देर के लिए अपनी-अपनी पार्टी और अपने-अपने नेताओं की चापलूसी और घेरे से बाहर आकर सोच सकते हैं...क्‍या हम यह सवाल कर सकते हैं कि राज्‍य और केंद्र में एक जैसी सरकार होने के बाद भी...सारी शक्ति होने के बाद भी एक लफंगा हिंदुस्‍तान के बेटे पर हाथ कैसे उठा देता है...हम अपने-अपने रहनुमाओं पर फिदा हैं...मोदी-मोदी, अरविंद-अरविंद, राहुल-राहुल...हमें पता नहीं हैं कि मोदी, अरविंद, राहुल, योगी सिर्फ 5, 10 या अधिक से अधिक 25 साल के लिए हैं लेकिन देश का इतिहास 5000 साल पुराना है...हमारे बाद भी हजारों वर्ष तक बना रहेगा...''
इसके साथ ही उन्‍होंने वीडियो में भ्रष्‍टाचार के मुद्दे पर अरविंद केजरीवाल सरकार को घेरते हुए कहा, ''अगर आप भ्रष्‍टाचार से मुक्ति के नाम पर सरकार बनाएंगे और फिर भ्रष्‍टाचार में अपने ही लोगों के लिप्‍त पाए जाने पर मौन रहेंगे तो लोग सवाल पूछेंगे ही...''
भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को पाकिस्‍तान में फांसी की सजा के मसले पर कुमार विश्‍वास ने कहा कि पाकिस्‍तान के भारत के एक बेटे को पकड़ लिया है और हम संसद और सड़क पर हंगामा कर रहे हैं. उन्‍होंने सवाल करते हुए कहा, ''हम अमेरिका से उम्‍मीद में हैं कि वह पाकिस्‍तान को आतंकवादी देश घोषित कर दे लेकिन क्‍या भारत ने उसे आतंकी देश घोषित कर दिया...''
इस विडियो में कुमार विश्वास ने दुष्यंत कुमार से लेकर कई जाने माने शायरों की शायरी भी प्रस्तुत की है और आवाम से प्रश्न किया है कि क्या हमारे अन्दर देश भक्ति का जज्बा बाकी है कि नहीं? अगर बाकी है तो क्यों न हम सब मिलकर लालकिले के बाद लाल चौक पर तिरंगा लहराएँ जो पाकिस्तान को भी भली-भांति दिखलाई दे. कश्मीरियों को भी विश्वास में लें और उसे अपना साथी बनायें. वे सेना के जवानों के दर्द की बात भी उठाते हैं और राष्ट्रवादी सरकार से उम्मीद करते हैं कि यथोचित कार्रवाई होनी चाहिए. वे अंत में अपने आपको आम नागरिक के साथ साथ एक छोटे से (कवि) चंदबरदाई भी कहना चाहते हैं और पृथ्वीराजों और चन्द्रगुप्तों को ललकारते हुए कहते हैं कि अब भी जागो और देश के नागरिकों में विश्वास पैदा करो.
पूरा विडियो से मुझे जो समझ में आया वह कुछ इस प्रकार है - कुमार विश्वास बहुत दुखी हैं, मायूस हैं. हाल के आम आदमी पार्टी के प्रदर्शन पर वे आहत हैं. पंजाब में आंशिक सफलता, गोवा में भारी असफलता और अंत में राजौरी गार्डन की विफलता ने उन्हें झकझोर दिया है. केजरीवाल पर भी निशाना इसलिए साध रहे हैं कि केजरीवाल इधर निरंकुश होते जा रहे हैं शायद! कुमार विश्वास से भी सलाह मशविरा नहीं करते हैं जबकि वे आम आदमी पार्टी के संस्थापक और कार्यकारिणी समिति के सदस्य और संयोजक भी हैं. पार्टी के प्रदर्शन से वे नाखुश हैं और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ी गयी अन्ना आन्दोलन की लड़ाई को कुंद होते देख विचलित हैं. यह भी सही है कि वे वर्तमान केंद्र सरकार के प्रतिद्वंद्वी हैं इसलिए भी वर्तमान भाजपा सरकार की कार्यशैली से नाराज है और बीच-बीच में खींच-तान करते रहते हैं, पर उसके विकल्प में उभरने वाली ‘आम आदमी पार्टी’ के प्रदर्शन पर भी संतुष्ट नहीं हैं.
केजरीवाल सीधा और खरा बोलते हैं, पर अपनी बात को सही साबित नहीं कर पाते. प्रधान मंत्री और उनके मंत्रियों पर आरोप तो लगाते रहते हैं पर अदालतों में साबित नहीं कर पाते. दिल्ली में चाहे वे जो कर रहे हों, पर सारी जनता को एक साथ खुश रखना संभव नहीं है शायद, इसीलिए उनका जनधार खिसक रहा है. उनके कार्यकर्ता भी जनता से दूर होते जा रहे हैं शायद! केंद्र सरकार और दिल्ली के उप राज्यपाल केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की जड़ खोदने में कोई कसर बाकी नहीं रखना चाहते. ऐसे में जहाँ टीम भावना से काम होना चाहिए था वहीं केजरीवाल अपने ही टीम के लोगों के एक-एक कर बाहर करते जा रहे हैं. आम आदमी पार्टी से बाहर जानेवाला व्यक्ति आम आदमी पार्टी का दुश्मन बन जाता है और भाजपा कांग्रेस आदि पार्टियाँ उनका इस्तेमाल भी भली-भाँति करना जानती है. कांग्रेस और भाजपा एक दूसरे की प्रतिद्वंद्वी है पर आम आदमी के खिलाफ दोनों एक हो जाती हैं. राजौरी गार्डन से भाजपा अपनी जीत से उतनी खुश नहीं थी जितनी कि आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार के जमानत जब्त होने से. कांग्रेस भी दूसरे नम्बर पर अपने को पाकर खुश हो रही थी और केजरीवाल की ही बुराई कर रही थी.
अब देखना यह है कि कुमार विश्वास के इस विडियो से केजरीवाल विश्वास के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हैं या अपनी टीम में सुधार का प्रयास करते हैं. विश्वास के खिलाफ कार्रवाई आत्मघाती कदम होगा केजरीवाल के लिए, पर विश्वास की बातों पर ध्यान देकर टीम में सुधार का हर संभव प्रयास करना ही हितकर होगा. दिल्ली में सरकार के सही काम-काज करने और पंजाब में सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभाने में ही असली सफलता है. नकारात्मकता शायद लोगों को पसंद नहीं आती. अगर केजरीवाल ने सचमुच जनता के हित में काम किया है तो MCD में उन्हें सफलता मिलेगी अन्यथा जनता पर छोड़ दें. जनता क्या चाहती हैं, यह भी तो पता चले. EVM की शिकायत भी तभी उचित है जब कोई ठोस प्रमाण हो अन्यथा छीछालेदर करवाने से क्या फायदा ?
कुमार विश्वास को भी अपनी बात को अरविन्द और मनीष सिसोदिया से सीधा रखना चाहिए, क्योंकि वे उनके अच्छे मित्र भी हैं. कुमार विश्वास एक विद्वान कवि के साथ प्रखर वक्ता भी हैं. इनका साथ अरविन्द केजरीवाल को भूलकर भी नहीं छोड़नी चाहिए बल्कि इनकी बातों पर मनन करनी चाहिए. देश सबसे ऊपर है यह सभी जानते हैं. देश प्रेम का  जज्बा अभी अधिकांश लोगों में कायम है. देश है तो हम हैं. इसलिए देश सर्वोपरि होना भी चाहिए पर देश का मतलब भौगोलिक भूभाग नहीं हो सकता ... भूभाग के नागरिक मिलकर ही देश का निर्माण करते हैं. उम्मीद है हमारा देश जिसके कर्णधार मोदी जैसे नेता हैं अभी सही दिशा में जाने के प्रयास में है, यह कदम आगे बढ़ता रहना चाहिए. विपक्ष का काम है कि वह सही कदम में सकरात्मक सहयोग दे और गलत में विरोध करे. तभी होगी सच्चे लोकतंत्र की अवधारणा और सबका समुचित विकास! जय हिन्द! जय भारत!

-    जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर    

Saturday, 8 April 2017

पत्रकारिता के जज्बे को सलाम!

दर्शकों को रोज़ाना देश-दुनिया की खबरों से वाकिफ कराने वाली छत्तीसगढ़ के एक प्राइवेट न्यूज चैनल की 28 वर्षीय एंकर की जिंदगी में उस समय दुखों का पहाड़ टूट पड़ा जब उन्‍हें अपने पति की एक सड़क हादसे में दर्दनाक मौत की खबर मिली. उससे भी दुखद बात यह रही कि इस हादसे की ब्रेकिंग न्‍यूज खुद उन्‍हें ही पढ़नी पड़ी. एंकर के इस अदम्‍य साहस और कर्तव्‍यनिष्‍ठा की लोग भूरि-भूरि प्रशंसा कर रहे हैं और उनके साहस को सलाम कर रहे हैं. उनके साथ बीती इस दर्दनाक घटना को लेकर लोग दुख भी जता रहे हैं. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने भी सुप्रीत कौर के पति हर्षद गावड़े के निधन पर दुख जताया है.
उक्‍त मामला शनिवार की सुबह का है, जब प्राइवेट न्यूज चैनल IBC-24 पर लाइव न्यूज बुलेटिन के प्रसारण के दौरान न्यूज एंकर सुप्रीत कौर खबरें पढ़ रही थीं. इसी दौरान एक सड़क दुर्घटना की ब्रेकिंग न्यूज आई. एंकर सुप्रीत कौर को रिपोर्टर से बातचीत के दौरान ही अंदेशा हो गया कि इस हादसे में मरने वालों में उनके पति भी शामिल हैं. इस बेहद मुश्किल वक्त में भी सुप्रीत ने खुद को संभाले रखा और वे न्यूज बुलेटिन पढ़ती रहीं. सुप्रीत ने रिपोर्टर से बात करते हुए दर्शकों को हादसे की विस्तृत जानकारी भी दी.
दरअसल, राष्‍ट्रीय राजमार्ग- 353 पर लहरौद के पास एक ट्रक और रेनॉ डस्टर के बीच टक्‍कर हुई थी. इस हादसे में कार में सवार पांच से तीन लोगों की मौत हो गई. मृतकों में एंकर के पति भी शामिल थे. हादसे में घायल अन्‍य दो लोगों को उपचार के लिए पिथौरा स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया.
दर्शकों को हादसे की पूरी जानकारी मुहैया कराने के बाद भी सुप्रीत ने पूरा न्‍यूज बुलेटिन पढ़ा. इसके बाद वह स्टूडियो से बाहर आईं और फूट-फूटकर रोने लगीं और दुर्घटनास्थल के लिए रवाना हो गईं.
सुप्रीत के एक सहकर्मी ने कहा, 'सुप्रीत बहुत बहादुर हैं. पूरी टीम को उनके काम पर गर्व है, लेकिन आज जो हुआ उससे हम सब स्तब्ध हैं'. उनके एक और सहकर्मी ने जानकारी देते हुए बताया कि सुप्रीत को ब्रेकिंग न्‍यूज पढ़ते ही यह अंदेशा हो गया था कि यह दुर्घटना उनके पति के साथ हुई है. बुलेटिन खत्‍म करने के बाद उन्‍होंने स्टूडियो से बाहर निकलते ही अपने रिश्‍तेदारों को फोन मिलाने शुरू कर दिए थे.' उसने आगे बताया कि, हम सभी को उनके पति की मौत की खबर पहले ही मिल चुकी थी, लेकिन हममें से किसी की हिम्‍मत नहीं हुई कि उन्‍हें यह बता सकें.
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने ट्वीट कर सुप्रीत कौर के जज्बे को सलाम किया, जिन्होंने इस दुखद घड़ी में भी साहस के साथ अपना कर्तव्य निभाया. ट्विटर पर अन्‍य लोग भी अपनी प्रतिक्रिया में उनके साहस को सलाम कर रहे हैं और उनके पति की मृत्‍यु पर शोक जाहिर रहे हैं...
सुप्रीत पिछले 9 साल से इस चैनल में न्यूज एंकर के तौर पर कार्यरत हैं. वह मूल रूप से भिलाई की रहने वाली हैं. सालभर पहले ही उनकी शादी हर्षद गावडे़ से हुई थी.
पत्रकार अमिताभ श्रीवास्तव लिखते हैं, ''पत्रकारों को गाली देने वालों को इस महिला एंकर सुप्रीत कौर की कहानी से शायद कुछ सबक मिले, जिन्होंने पेशेवर ज़िम्मेदारी की मिसाल कायम करते हुए एक सड़क हादसे में अपने पति की मौत की खबर को भी अपनी भावनाओं पर काबू पाते हुए सहज ढंग से पढ़ा.''
रोहित ने फेसबुक पर लिखा, ''सुप्रीत कौर के जज़्बे को सलाम करते हैं. भगवान ऐसे वक्त में सुप्रीत को शक्ति दे.''
सुप्रीत कौर के अपने पेशे के प्रति जज्बे को जितनी प्रशंशा की जाय कम है!
सुप्रीत कौर के साथ जरा दूसरी महिला पत्रकारों की भी चर्चा कर लें.
अंजना ओम कश्यप जो वर्तमान में आजतक की एंकर हैं काफी बोल्ड और साहसी हैं. लाइव रिपोर्टिंग के साथ साथ भीड़ भाड़ पर नियंत्रण रखते हुए कई बार परेशानियों से गुजरती हैं पर हिम्मत नहीं हारती. उन्होंने महिला और पुरुष में भेदभाव की लड़ाई अपने घर से ही और बचपन से ही लड़ती आई है. इसका खुलाशा उन्होंने हाल ही में एक साक्षात्कार में बतलाया था. मनपसंद की खबर न बताने पर इन्हें सोसल मीडिया में भी कई बार अभद्रता का शिकार होना पड़ता है. ‘आजतक’ के ‘थर्ड डिग्री’ कार्यक्रम में भी काफी बोल्ड अंदाज में कड़े सवाल करती थीं. कश्मीर की बर्फबारी में भी इन्हें मैंने फ़िल्मी अंदाज में लाइव रिपोर्टिंग करते हुए देखा है. समाजवादी पार्टी की हार के बाद जब अंजना शिवपाल यादव के पास हाल चाल पूछने गयी थी तब शिवपाल यादव के भद्दे कमेन्ट को भी बखूबी बर्दाश्त कर गयी थी. अंजना आरा बिहार में जन्मी और रांची में पढ़ी-बढी है. इनके अलावा श्वेता सिंह तथा अन्य कई महिला रिपोर्टर आजतक चैनेल पर हैं जो हर क्षेत्र में अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाती हैं और दर्शकों के दिल में जगह बना पाती हैं. श्वेता सिंह का एक कार्यक्रम ईश्वर एक खोज बहुत ही लोकप्रिय हुआ है. यह भी पटना बिहार की हैं.  
NDTV छोड़ चुकी बरखा दत्त काफी चर्चित नाम है, जो कई बार विवादों में भी घिरी हैं पर रिपोर्टिंग और लाइव कवरेज का जज्बा काबिले तारीफ़ ही कही जायेगी. कारगिल युद्द के समय सैनिक बंकर से रिपोर्टिंग का साहसिक प्रयास एक यादगार है. इसके अलावा अन्य विषम परिस्थितियों की कवरेज से भी वह नहीं घबरातीं.  NDTV की ही सिक्ता देव और निधि कुलपति की रिपोर्टिंग का अंदाज आकर्षित करता है.
ABP न्यूज़ में भी काफी महिला रिपोर्टर हैं जो हर परिस्थिति में एंकरिंग और लाइव रिपोर्टिंग करती हैं. कुछ नाम जो मुझे याद आ रहे हैं उनमे हैं नेहा पन्त, रूमाना, विनीता जादव, सरोज सिंह, चित्रा त्रिपाठी आदि ऐसी है जो हर सम-बिषम परिस्थितियों में रिपोर्टिंग करती हैं जिन्हें अक्सर मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.
आपलोगों को याद होगा अगस्त २०१३ का मामला जब मुंबई के पास बंद पड़े शक्ति मिल में रिपोर्टिंग के दौरान एक महिला रिपोर्टर, जिसका सामूहिक बलात्कार हुआ था.... और भी कई ऐसे मामले हैं जहाँ महिला पत्रकारों को मुसीबतों का सामना करना पड़ता है तो कहीं पर पेशे से जुड़े अनावश्यक समझौते करने पड़ते हैं.
महिला पत्रकारों की श्रेणी में और भी कई नाम है जिनका नाम हम सभी आदर के साथ लेते हैं वे हैं मृणाल पाण्डे, तवलीन सिंह, शोभा डे, नीरजा चौधरी, आदि आदि!
महिलाओं के बारे में ऐसी धारणा है कि वे मिहनती और सहनशील होती हैं, पुरुषों के साथ महिलाओं से भी खुलकर बात कर सच निकलवा लेती हैं. ज्यादातर मामलों में यह भ्रष्ट नहीं होतीं.(अपवाद हर जगह होते हैं)... सरकार और समाज को चाहिए कि पत्रकारों को सुरक्षा प्रदान करें. उन्हें सच कहने से न रोकें क्योंकि वही लोग लोकतंत्र के चौथे खम्भे के रूप में विराजमान हैं जो सरकार के साथ साथ विरोधियों को भी कटघरे में खड़ा करते हैं. महिला सुरक्षा की बात आज हर जगह हो हो रही हैं उन्हें सुरक्षित अपना काम करने दें. उनके सामने अपनी परेशानियाँ खुल कर रक्खें... ताकि वे हमारी आपकी बात को सरकार और जनता तक पहुंचा सकें.  लोकतंत्र में इनकी अपनी अलग महत्ता है और इनका सम्मान करना हम सबका कर्तव्य है. यह भी ख्याल रखना चाहिए कि वे भी हमारी आप की तरह मनुष्य हैं जिनकी अपनी भावनाएं और विचार होते हैं, उनके भी अपने दुःख सुख होते हैं. हर परिस्थिति में वे अपना काम करते हैं. मैंने कई बार कहा है – रिपोर्टिंग का काम बहुत कठिन है. हर बाढ़, तूफ़ान, सूखा, गर्मी, आदि प्राकृतिक विपदाओं के साथ मानव जनित दुर्घटनाओं का भी लाइव रिपोर्टिंग करते/करती हैं. अभी हाल ही में रामनवमी का त्योहार बड़े उत्साह और उल्लास के साथ जमशेदपुर में भी मनाया गया. आमलोगों को थोड़ी परेशानी अवश्य हुई पर ये पत्रकार सारे करतब/करिश्मे को कवर करते रहे और रिपोर्ट अख़बारों और टी वी में देते रहे. एक बार मन से उन्हें याद ही कर लें. जय हिन्द! वन्दे मातरम ! जय श्री राम!
-    -  जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर.


Sunday, 2 April 2017

चैत्र मास और श्री रामनवमी

पौराणिक कथाओं के अनुसार चैत्र शुक्ल नवमी के दिन भगवान राम का अवतार (जन्म) हुआ था.
तुलसीदास जी लिखते हैं,
नौमी तिथि मधुमास पुनीता, शुकल पच्छ अभिजीत हरि प्रीता.
मध्य दिवस अति धूप न घामा, प्रकटे अखिल लोक विश्रामा.
संवत १६३१ के, रामनवमी के दिन ही गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस की रचना प्रारम्भ की थी, जो दो वर्ष, सात महीने, छब्बीस दिन के बाद, संवत १६३३ के मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष में राम विवाह के दिन पूरी हुई थी. राम नवमी के दिन पूरे देश में राम जन्म के उपलक्ष्य में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं. पूरे उत्तर भारत में भगवान राम की झांकियां निकाली जाती है तो पूर्वांचल, बिहार, झारखण्ड आदि जगहों में हनुमान जयन्ती मनाई जाती है. रामनवमी के दिन महावीर जी का ध्वज यानी झंडा विधिपूर्वक स्थापित किया जाता है. जहाँ पूजा स्थल निर्धारित है वहाँ स्थापित ध्वज को छोड़ दिया जाता है और पूरे साल वहाँ हनुमान जी की पूजा की जाती है.
आजकल शहरों, या गाँवों में भी दूसरे दिन यानी दशमी के दिन महावीर जी के विशाल ध्वज को शोभायात्रा के साथ मुख्य सड़कों, चौराहों पर घुमाया जाता है. ध्वज को लेकर चलने वाले अनेक हाथ होते है, और पूरा जन समुदाय जुलूश की शक्ल में पीछे पीछे चलता है. हनुमान जी चूंकि शौर्य के प्रतीक हैं, इसलिए उनके पीछे जन समुदाय अपने विभिन्न बहादुरी के करतब दिखलाते हैं. बोलो बोलो बजरंगबली की जय! के घोष से पूरा वातावरण उल्लासमय बन जाता है. वीर हनुमान के भक्त, हिन्दू जन समुदाय अपनी श्रद्धा को अर्पित करते हुए, नजदीक के नदी तालाब तक जाते हैं, और वहाँ पर झंडा को पवित्र जल से शांत कर अपने अपने घरों को लौट जाते हैं. यह है आदर्श स्थिति जिसे हम सभी को पालन करना चाहिए.
पर आजकल तो आप सभी जानते है, कोई भी धार्मिक अनुष्ठान में श्रद्धा कम दिखावा ज्यादा होने लगा है, वर्चस्व का दिखावा भी इन्ही आयोजनों में दिख जाता है. एक समूह, दूसरे समूह से बढ़ चढ़ कर दिखलाने की कोशिश करता है. हमारा झंडा पहले या आगे होना चाहिए. झंडे के बांस की ऊंचाई से, झंडे के वृहत आकार से भी वर्चस्व साबित किया जाता है. इनके अलावा एक और भावना आजकल के माहौल में देखने को मिलती है, अगर रास्ते में किसी अन्य समुदाय/पंथ/धर्म का स्थल हो तो वहाँ हमारी ताकत ज्यादा दिखनी चाहिए. दूसरे पंथ वाले भी इसी फ़िराक में रहते हैं कि इसमें विघ्न कैसे उपस्थित की जाय. एकाध पत्थर ही तो काफी होते हैं, वातावरण को विषाक्त बनाए के लिए! एक पत्थर गिरा नहीं कि पूरा जन समुदाय आन्दोलित हो उठता है और जो नहीं होना चाहिए वही हो जाता है. कुछेक शहरों में रामनवमी को राईट पर्वके रूप में भी बड़ा संवेदनशील माना जाता है. यह पर्व, खासकर झंडा विसर्जन शांति रूप से संपन्न हो जाय तो आम जन और प्रशासन भी चैन की सांस लेता है. इसलिए अधिकाँश शहरों में इस पर्व के आयोजन के पहले ही आयोजन समितियों के साथ, प्रशासन मिलकर शांति समिति बनाता है और यह आयोजन कैसे शांतिपूर्ण संपन्न हो जाय, इसके लिए बैठकें आयोजित की जाती है. इन बैठकों में प्रशासन के लोग और शहर या गाँव के गणमान्य लोग अपनी सिरकत करते है.
चूंकि, गर्मी का वातावरण रहता है, इसलिए बहुत सारी संस्थाएं झंडा के जुलूश के रास्ते में, ठंढे पानी, शरबत, शीतल पेय आदि की ब्यवस्था करते हैं. यह भी अपनी श्रद्धा भावना व्यक्त करने का एक अपना तरीका होता है. किसी भी धर्म के पर्व त्योहार आपसी मेल जोल, भाईचारे को बढ़ाने के उद्देश्य को लेकर ही बनाया गया होता है. इसलिए हम सबका यही प्रयास होना चाहिए कि भाईचारे और आपसी प्रेम को बढ़ाने में हमारा भी योगदान हो ना कि उसके विपरीत हम आचरण करें
अब हम आते है कि रामनवमी के दिन हनुमान जी की आराधना क्यों? इसमें विद्वानों का मत अलग अलग हो सकता है. मेरी समझ के अनुसार, हनुमान जी बहुत ही जल्द प्रसन्न होने वाले, शंकर भगवान के अंशावतार हैं, भगवान राम के सबसे प्रिय भक्त हनुमान जी ही हैं. इन्होने ही वानर राज सुग्रीव को भगवान से मिलाया और किष्किन्धा का राजा बनवाया, विभीषण को भी इन्होने ही लंकापति बनाने में मदद की. यहाँ तक कि गोस्वामी तुलसीदास जब श्रीराम को दर्शन कर भी पहचान नहीं कर पाए थे तो वहाँ भी हनुमान जी ने तोते का रूप धारण कर कहा था-
चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीर, तुलसीदास चन्दन घिसे तिलक देत रघुवीर.
एक बात और मैं यहाँ जोडना चाहूँगा, तमाम सावधानियों के बाद भी लगभग हर साल झंडे की लंबाई और बिजली की लटकती तारों के साथ शायद सामंजस्य नहीं बिठा पाते, इसलिए यदा कदा दुर्घटनाएं घट जाती है, जिनसे जान माल की क्षति तो होती ही है, उल्लास का माहौल संताप में बदल जाता है. आम लोगों को भी ट्राफिक में अनावश्यक परेशानी का सामना करना पड़ता है. अत: मेरा सभी श्रद्धालुओं से अनुरोध होगा कि रामनवमी में आस्था के साथ उल्लास को अवश्य समाहित करें, पर सावधानी जरूरी है. प्रेम बढ़ाये, नफरत न फैलाएं!
रामनवमी के साथ अगर हम वासंती नवरात्रि की बात करें तो इसकी शुरुआत चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ही कलश स्थापना से शुरू हो जाती है. इस साल विक्रम संवत २०७४ का प्रारम्भ २८ मार्च को हुआ है. नवरात्रि आराधना करने वाले नौ दिन तक नमक रहित फलाहार और मिष्टान्न खाकर रहते हैं और दुर्गा पाठ करते हैं. नौवें दिन कन्यापूजन के बाद व्रत की समाप्ति होती है. नौ दिन तक दुर्गा के नौ रूपों की आराधना भी विधिवत की जाती है और दसवां दिन यानी दसमी को विसर्जन! ये सभी धार्मिक अनुष्ठान हैं. दुर्भाग्य इस बात का है कि जिस कन्या का पूजन हमलोग करते हैं, उसी कन्या का आदर पूरे साल नहीं करते! समय की मांग है कि बालिकाओं और महिलाओं को उचित सम्मान के साथ सामान सामजिक दर्जा भी प्राप्त हो.
अब आते हैं प्राकृतिक और ब्यवहारिक कर्म पर. चैत्र मास तक रब्बी की फसल पक कर तैयार हो जाती है. इसे खेतों से काट कर खलिहानों तक लाया जाता है. यहाँ तैयार फसल के दानों को अलग कर उसका उचित संग्रहण या विपणन कर दिया जाता है. पंजाब में इसी समय बैशाखी मनाई जाती है और बिहार में सतुआनी सतुआनी यानी सत्तू खाने का रिवाज. सत्तू रब्बी फसल चना, जौ, मकई आदि से ही तैयार की जाती है उसे गुड़ के साथ मिला कर खाया जाता है, साथ में आम और पुदीना की चटनी ! ये सभी गर्मी से राहत देने वाले होते हैं!
चैत्र मास में ही चैता का आयोजन होता है जो बिहार और पूर्वांचल का लोक संगीत भी है. सभी लोग इसमें खुलकर साथ निभाते हैं और मनोरंजन करते हैं. चैत्र महीने को खरमास भी मानते हैं, अर्थात इस महीने में शादी विवाह आदि शुभ कार्य नहीं होते. पर रामनवमी अथवा वैशाखी बाद, शादी विवाह के भी मुहूर्त निकल आते हैं और गाँव के ज्यादातर लोग इसी समय शादी विवाह करने में रूचि रखते हैं. कारण कृषि कार्यों से फुर्सत और ज्यादातर खेत खलिहान खाली रहते हैं. अमराई और बगीचे का भरपूर आनंद उठाने का माहौल होता है!
सभी पर्व त्यौहार के आयोजन का मुख्य उद्देश्य है आपसी भाईचारा, प्रेम और सौहार्द्य. अगर इन आयोजनों के द्वारा हम आपसी प्रेम और भाईचारे को बढ़ाते हैं, तो बड़ी अच्छी बात है, अन्यथा हम सभी जानते है
संयोग से हिंदूवादी राष्ट्रीय पार्टी भाजपा केंद्र के साथ कई राज्यों में सत्तारूढ़ है. इस बार उत्तर प्रदेश में अपार सफलता मिली है और योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाया गया है. योगी जी उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाना चाहते हैं जिसके लिए वे प्रथम दिन से ही प्रयासरत हैं. मोदी जी और योगी जी दोनों ही नवरात्रि में उपवास रखते हैं और शाम को फलाहार करते हैं. बहुत सारे राज्यों के मुख्य मंत्री भी योगी जी के अच्छे कार्यों की सराहना के साथ उनका अनुकरण भी करने लगे हैं. उम्मीद की जानी चाहिए कि प्रदेश के साथ देश का भी भला होगा.
जमशेदपुर में भी रामनवमी का माहौल बन गया है. हर चौक चौराहे और मुख्य मार्गों पर महावीर जी का विशालकाय झंडा लगाया गया है. शाम को झांकी के साथ जुलूश के रूप में भक्त गण अपनी श्रद्धा और आस्था का प्रदर्शन करते हैं. प्रशासन के चुस्ती और मुस्तैदी आवश्यक है ताकि अप्रिय वारदातों से बचा जाय!   
इसी आशा के साथ प्रेम से बोलिए
सियावर रामचंद्र के जय! जय श्री राम! जय माँ दुर्गे! जय जय हे बजरंगबली!

-    जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर. 

Saturday, 25 March 2017

मुख्य मंत्री योगी की प्राथमिकताएं

उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री का पद संभालने के बाद पहली बार योगी आदित्‍यनाथ गोरखपुर पहुंचे जहां उनका भव्‍य स्‍वागत किया गया. यहां लोगों को संबोधित करते हुए उन्‍होनें कहा, य‍ह नागरिक अभिनंदन मेरा नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश की 22 करोड़ जनता का अभिनंदन है जिसने भारतीय जनता पार्टी और दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता इस देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर और बीजेपी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अमित शाह की रणनीति के अंतर्गत बीजेपी को यूपी में प्रचंड बहुमत दिया है, इसके लिए मैं यूपी की 22 करोड़ जनता का अभिनंनदन करता हूं.' उन्होंने कहा कि हम सबके सामने प्रधानमंत्री और बीजेपी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष और बीजेपी के संसदीय बोर्ड ने बहुत बड़ी जिम्‍मेदारी दी है और वह जिम्‍मेदारी है कि प्रधानमंत्री के सपनों के अनुरूप एवं अन्‍य बीजेपी शासित राज्‍यों की तरह ही उत्तर प्रदेश की जनता तक भी सरकार की हर योजना का लाभ पहुंचे.”
उन्होंने कहा आगे कहा - ‘‘उत्तर प्रदेश आज केन्द्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व की सरकार की राह पर सबका साथ और सबके विकासकी राह पर चलेगा. यहां पर किसी के साथ ना जाति, ना मत, ना मजहब और ना लिंग के नाम पर किसी प्रकार का भेदभाव किया जाएगा. विकास सबका होगा लेकिन तुष्टिकरण किसी का नहीं होगा. यही आश्वासन देने के लिए मैं आपके बीच उपस्थित हुआ हूं. एक बड़ी योजना के साथ हम कार्य प्रारंभ करने वाले हैं. उत्तर प्रदेश का कोई व्यक्ति चाहे वह किसी तबके या क्षेत्र का हो, कभी भी अपने को उपेक्षित महसूस नहीं करेगा. सबको बताना चाहता हूं कि भाजपा के लोक कल्याण संकल्प पत्र में जो बातें कही हैं, हम अक्षरश: उनका अनुपालन करेंगे. सरकार उत्तर प्रदेश को देश के विकसित से विकसित प्रदेश के रूप में स्थापित करने में सफल होगी. प्रदेश में भाजपा की बड़ी विजय है लेकिन कहीं भी जोश में होश खोनेकी स्थिति नहीं आनी चाहिए. किसी को कानून हाथ में नहीं लेना चाहिए. आपके उत्साह में कहीं ऐसा ना हो उन अराजक तत्वों को अवसर मिले जो देश प्रदेश की शांति में खलल डालना चाहते हैं. युवाओं, नौजवानों, किसानों, मजदूरों, हर तबके के लिए हमारी योजना होगी. विकास के लिए मजबूती से कार्य करेंगे. लोक निर्माण विभाग के कामकाज की समीक्षा के दौरान निर्देश दिया गया है कि प्रदेश की सभी सड़कें 15 जून तक गडढा मुक्त हो जाएं. उत्तर प्रदेश सरकार की एक टीम यह पता करने के लिए छत्तीसगढ़ भेजी है कि वहां हर व्यक्ति के लिए खाद्य सुरक्षा किस तरह लागू है. वहां का एक एक गरीब किस तरह शासन की योजनाओं से लाभान्वित है. शत प्रतिशत गेहूं का क्रय करेंगे. समर्थन मूल्य किसान के खाते में डालेंगे. राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने पिछले दो साल में कई बार कहा है कि प्रदेश में अवैध बूचड़खानों को हटाओ. जो लोग मानक के अनुसार लाइसेंस लिये हैं, लाइसेंस नियमों का पालन कर रहे हैं, सरकार उन्हें नहीं छेड़ेगी लेकिन जिन्होंने एनजीटी के आदेशों का उल्लंघन किया है, अवैध रूप से गंदगी फैला रहे हैं और जन-स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, उन्हें हटाया जाएगा. भाजपा सरकार बालिकाओं और माताओं की सुरक्षा के लिए कृतसंकल्प है. प्रशासन से कहा गया है कि ऐसे तत्वों पर कडाई करें जो मनचले और शोहदे किस्म के हैं. एंटी रोमियो स्क्वाड को सक्रिय कर दिया गया है. प्रशासन से स्पष्ट करूंगा कि सहमति से साथ बैठे, बात करते या राह चलते युवक-युवती को कतई ना छेड़ा जाए लेकिन अगर भीड़ वाले स्थानों पर या स्कूलों के बाहर कोई इस प्रकार की हरकत करता है, जिससे बालिका की सुरक्षा को खतरा पैदा हो तो ऐसी स्थिति नहीं होनी चाहिए. जहां ऐसा होगा, वहां के अधिकारी उसके प्रति जवाबदेह होंगे. हमें ऐसी व्यवस्था देनी है कि रात्रि को दस या 11 बजे भी अगर कोई बालिका कहीं से आ रही है और अकेले सड़क पर चल रही है तो अपने आपको सुरक्षित महसूस कर सके. कानून का राज स्थापित करने में, भ्रष्टाचार रहित शासन देने में, उत्तर प्रदेश में हर नागरिक को सुरक्षा की गारंटी देने में, न्याय की गारंटी तथा इस कार्य को मजबूती से करने में सबके सहयोग की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि जहां भी जा रहे हैं, लोगों की समस्याएं हैं. किसानों, नौजवानों, माताओं, बहनों, व्यापारियों की समस्याएं हैं.  नौजवानों का पलायन रोकने के लिए, गांव, गरीब और किसान के लिए हम बड़ी मजबूती के साथ दिन रात एक कर पूरी तत्परता के साथ कार्य करने को संकल्पित हैं.’’
उन्होंने घोषणा की कि कैलाश मानसरोवर यात्रियों को राज्य सरकार एक लाख का अनुदान देगी। पहले यह अनुदान की राशि ५० हजार रुपये की थी.  लखनऊ, नोएडा, गाजियाबाद में से कहीं कैलाश मानसरोवर केंद्र बनेगा जहां से श्रद्धालु आगे की यात्रा बढ़ा सकेंगे।
अगर गौर से देखा जाय तो योगी जी जब से मुख्यमंत्री बने हैं उनके वक्तव्य और क्रिया कलाप में एक कर्तव्यबोध दीखता है. एंटी रोमियो स्क़्वायड के क्रियान्वयन से छात्राओं में खुशी और सुरक्षा की भावना पैदा हुई है. थानों और कार्यालयों में कार्यसंस्कृति के साथ  साफ़ सफाई का भी बोध हुआ है. लोग समय से अपने कार्यालय पहुँच रहे हैं.
सबसे महत्वपूर्ण बात या भी है कि किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज हॉस्प‍ि‍टल में गैंगरेप और एसिड अटैक पीड़िता से मिलने स्वयम  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शुक्रवार को महिला से मुलाकात करने लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचे थे. पीड़ित के सामने सुरक्षा में तैनात महिला कॉन्स्टेबल द्वारा सेल्फी लेने का मामला सामने आया है. फोटो वायरल होने के बाद तीनों महिला कांस्टेबल्स को शुक्रवार देर रात निलंबित कर दिया गया. पीड़िता पिछले आठ साल से अदालती जंग लड़ रही है. गुरुवार को लखनऊ जाती एक ट्रेन में दो पुरुषों ने उसे पकड़कर जबरदस्ती तेज़ाब पीने के लिए मजबूर कर दिया था. मुख्यमंत्री ने महिला के लिए एक लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की, और पुलिस को जल्द से जल्द महिला के आक्रमणकारियों को पकड़ने का भी आदेश दिया. घटना की जानकारी मिलते ही योगी पीड़िता का हालचाल लेने मेडिकल कॉलेज पहुंचे. उन्होंने अपर पुलिस महानिदेशक (रेलवे) गोपाल गुप्ता को बुलाकर निर्देश दिया कि आरोपियों की गिरफ्तारी सुनिश्चित हो. सीएम के निर्देश के बाद अब पुलिस ने इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. इस महिला के साथ वर्ष 2008 में रायबरेली में गैंगरेप किया गया था, और उसके पेट पर तेज़ाब फेंका गया था. तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया था, और जल्द ही मामले की सुनवाई शुरू होने जा रही है. महिला के पति का कहना है कि उनके परिवार को लगातार धमकियां मिलती रही हैं.       

तात्पर्य यह कि मुख्यमंत्री ने सबसे पहले कानून का राज्य स्थापित करने और सुशाशन लाने की कोशिश की है. यु पी कि अधिकांश जनता उनके कार्यकलापों से खुश और संतुष्ट लग रही है. किसानों के लिए सरकार बैठक बुलाने वाली है और उनकी समस्याओं के संधान की हर सम्भव कोशिश की जाएगी ऐसा कहा जा रहा है. किसी भी प्रदेश या देश का मुखिया खुद मिहनती और ईमानदार हो तो समस्याओं के समाधान की आशा बंधती है. योगी जी के पास तीन कार पहले से है, एक सांसद और समाज सेवी के रूप में गोरखपुर और उसके आसपास की समस्यायों को दूर करने के लिए अपने स्तर पर काफी प्रयास कर चुके हैं, इसीलिए जनता उन्हें बार-बार(लगतार ५ बार सांसद के रूप में) चुनती रही है. योगी और महंत के रूप में उनका आचरण शुद्ध और सात्विक है. पर दृढ संकल्पता उनकी ताकत है. आशा की जानी चाहिए कि उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाकर मानेंगे. और मोदी के बाद देश को भी आगे बढ़ाने का काम करेंगे. हमारी शुभकामनाएं उनके और उत्तर प्रदेश की जनता के साथ है. उम्मीद है कि दूसरे राज्यों के मुख्य मंत्री उनसे प्रेरणा लेंगे तभी वे अपने राज्य की जनता के दिलों में जगह बना पायेंगे 
– जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर 

Saturday, 18 March 2017

मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ (योग से राजयोग)

मोदी सरकार में बहुत कुछ पहली बार ही होता है और जो कुछ होता है चौंकानेवाला भी होता है। कुछ ऐसा ही योगी आदित्यनाथ का मुख्य मंत्री उत्तर प्रदेश के रूप में चयन में भी हुआ। पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने अपने शपथ-ग्रहण समारोह स्थल स्मृति उपवन जाकर स्वयं ही निरीक्षण किया और आवश्यक निर्देश भी दिए। एक सप्ताह तक बहुत सारे नाम मीडिया द्वारा उछाले गए। कभी राजनाथ सिंह, तो कभी स्वामी प्रसाद मौर्या तो कभी मनोज सिन्हा का भी नाम आया। मनोज सिन्हा तो ऐसे आश्वस्त लग रहे थे कि उन्होंने शुबह से ही पूजा अर्चना भी प्रारंभ कर दी। काल भैरव मंदिर से लेकर बाबा विश्वनाथ और संकटमोचन मंदिर तक माथा टेका। अपने गांव गाजीपुर के कुल देवता की भी पूजा कर ली और दिल्ली लौट गए तब तक योगी और केशव ने भी दिल्ली का रुख किया और धारा को अपने पक्ष में मोड़ने में सफल हुए। अंतत: योगी आदित्यनाथ सर्व सम्मति से मुख्य मंत्री चुने गए और उनकी सहायता हेतु दो उप मुख्य मंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य और श्री दिनेश शर्मा का नाम प्रस्तावित किया गया और उस पर भी सर्वसम्मति की मुहर लग गयी।     
उत्तर प्रदेश के 403 सीटों में से 325 बीजेपी ने जीतकर अभूतपूर्व ऐतिहासिक सफलता पाई है पर मुख्यमंत्री के चुनाव में एक सप्ताह लग गए! कई नामों की चर्चा के बाद बीजेपी विधायक दल की बैठक में योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री और केशव प्रसाद मौर्य व दिनेश शर्मा को उपमुख्यमंत्री नियुक्त किया गया केशव प्रसाद मौर्य जहां बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष हैं, वहीं दिनेश शर्मा लखनऊ के मेयर हैं 
बताया जा रहा है कि गोरखपुर से लोकसभा सांसद योगी आदित्यनाथ का नाम तब चुना गया जब आरएसएस ने मनोज सिन्हा के नाम के साथ सहमति नहीं जताई ऐसी खबर थी कि पीएम मोदी और बीजेपी प्रमुख अमित शाह ने जूनियर टेलिकॉम मंत्री मनोज सिन्हा के नाम का समर्थन किया था बेचारे मनोज सिन्हा को लगता है प्रधान मंत्री स्तर से स्वीकृति मिल गयी है तब उन्होंने बाबा विश्वनाथ की नगरी में जाकर माथा टेका पर बाबा को तो कुछ और ही मंजूर था। ‘सबहिं नचावत राम गुंसाईं’ के तौर पर जब योगी जी के नाम की मुहर लगी तो पूरा उत्तर प्रदेश ही नहीं पूरा देश शायद झूम उठा। सोशल मीडिया पर भी बधाइयों का ताँता लग गया। कविताएँ गढ़ी जाने लगी। योग से राजयोग के बीच में योगी जी की जाति भी ढूंढ निकली गयी।
महंत योगी आदित्यनाथ (जन्म नाम: अजय सिंह नेगी (बिष्ट), जन्म 5 जून 1972)  आदित्यनाथ की पहचान फायरब्रांड नेता के रूप में रही है विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा रैलियां करने वाले आदित्यनाथ पूर्वांचल के सबसे बड़े नेता माने जाते हैं भाषणों में लव जेहाद और धर्मांतरण जैसे मुद्दों को उन्होंने जोर-शोर से उठाया था बीजेपी के इस फायर ब्रांड नेता के बारे में जानें कुछ और बातें
पूर्वांचल में राजनीति चमकाने वाले योगी आदित्यनाथ का जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड (तब उत्तर प्रदेश का हिस्सा) में हुआ था सबसे दिलचस्प बात यह है कि योगी आदित्यनाथ का वास्‍तविक नाम अजय सिंह नेगी है। इनकी जाति क्षत्रिय यानी राजपूत बताई जाती है पर वे हमेशा यही कहते हैं - जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान!
राजनीति के माहिर खिलाड़ी माने जाने वाले योगी आदित्यनाथ गढ़वाल यूनिवर्सिटी से गणित में बीएससी की डिग्री हासिल कर चुके हैं जब सम्पूर्ण पूर्वी उत्तर प्रदेश जेहाद, धर्मान्तरण, नक्सली व माओवादी हिंसा, भ्रष्टाचार तथा अपराध की अराजकता में जकड़ा था, उसी समय नाथपंथ के विश्व प्रसिद्ध मठ श्री गोरक्षनाथ मंदिर गोरखपुर के पावन परिसर में शिव गोरक्ष महायोगी गोरखनाथ जी के अनुग्रह स्वरूप माघ शुक्ल 5 संवत् 2050 तदनुसार 15 फरवरी सन् 1994 की शुभ तिथि पर गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवैद्यनाथ जी महाराज ने अपने उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ जी का दीक्षाभिषेक सम्पन्न किया। योगीजी का जन्म देवाधिदेव भगवान् महादेव की उपत्यका में स्थित देव-भूमि उत्तराखण्ड में हुआ। शिव अंश की उपस्थिति ने छात्ररूपी योगी जी को शिक्षा के साथ-साथ सनातन हिन्दू धर्म की विकृतियों एवं उस पर हो रहे प्रहार से व्यथित कर दिया। प्रारब्ध की प्राप्ति से प्रेरित होकर आपने 22 वर्ष की अवस्था में सांसारिक जीवन त्यागकर संन्यास ग्रहण कर लिया। ये छात्र जीवन में विभिन्न राष्ट्रवादी आन्दोलनों से जुड़े रहे।
इन्होने संन्यासियों के प्रचलित मिथक को तोड़ा। धर्मस्थल में बैठकर आराध्य की उपासना करने के स्थान पर आराध्य के द्वारा प्रतिस्थापित सत्य एवं उनकी सन्तानों के उत्थान हेतु एक योगी की भाँति गाँव-गाँव और गली-गली निकल पड़े। सत्य के आग्रह पर देखते ही देखते शिव के उपासक की सेना चलती रही और शिव भक्तों की एक लम्बी कतार आपके साथ जुड़ती चली गयी। इस अभियान ने एक आन्दोलन का स्वरूप ग्रहण किया और हिन्दू पुनर्जागरण का इतिहास सृजित हुआ।
अपनी पीठ की परम्परा के अनुसार आपने पूर्वी उत्तर प्रदेश में व्यापक जनजागरण का अभियान चलाया। सहभोज के माध्यम से छुआछूत और अस्पृश्यता की भेदभावकारी रूढ़ियों पर जमकर प्रहार किया। वृहद् हिन्दू समाज को संगठित कर राष्ट्रवादी शक्ति के माध्यम से हजारों मतान्तरित हिन्दुओं की ससम्मान घर वापसी का कार्य किया। गोरक्षा के लिए आम जनमानस को जागरूक करके गोवंशों का संरक्षण एवं सम्वर्धन करवाया। पूर्वी उत्तर प्रदेश में सक्रिय समाज विरोधी एवं राष्ट्रविरोधी गतिविधियों पर भी प्रभावी अंकुश लगाने में आपने सफलता प्राप्त की। आपके हिन्दू पुनर्जागरण अभियान से प्रभावित होकर गाँव, देहात, शहर एवं अट्टालिकाओं में बैठे युवाओं ने इस अभियान में स्वयं को पूर्णतया समर्पित कर दिया। बहुआयामी प्रतिभा के धनी योगी जी, धर्म के साथ-साथ सामाजिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से राष्ट्र की सेवा में रत हो गये।
अपने पूज्य गुरुदेव के आदेश एवं गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की जनता की मांग पर इन्होने वर्ष 1998 में लोकसभा चुनाव लड़ा और मात्र 26 वर्ष की आयु में भारतीय संसद के सबसे युवा सांसद बने। जनता के बीच दैनिक उपस्थिति, संसदीय क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले लगभग 1500 ग्रामसभाओं में प्रतिवर्ष भ्रमण तथा हिन्दुत्व और विकास के कार्यक्रमों के कारण गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की जनता ने इन्हें वर्ष 1999, 2004 और 2009 के चुनाव में निरन्तर बढ़ते हुए मतों के अन्तर से विजयी बनाकर चार बार लोकसभा का सदस्य बनाया।
संसद में सक्रिय उपस्थिति एवं संसदीय कार्य में रुचि लेने के कारण इन्हें केन्द्र सरकार ने खाद्य एवं प्रसंस्करण उद्योग और वितरण मंत्रालय, चीनी और खाद्य तेल वितरण, ग्रामीण विकास मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी, सड़क परिवहन, पोत, नागरिक विमानन, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालयों के स्थायी समिति के सदस्य तथा गृह मंत्रालय की सलाहकार समिति, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और अलीगढ़ विश्वविद्यालय की समितियों में सदस्य के रूप में समय-समय पर नामित किया। व्यवहार कुशलता, दृढ़ता और कर्मठता से उपजी प्रबन्धन शैली शोध का विषय है। इसी अलौकिक प्रबन्धकीय शैली के कारण ये लगभग 36 शैक्षणिक एवं चिकित्सकीय संस्थाओं के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, मंत्री, प्रबन्धक या संयुक्त सचिव हैं।
उनके दो सहयोगी उप मुख्य मंत्री सहायक के रूप में काम तो करेंगे ही साथ ही संतुलित विकास के साथ संतुलित सामाजिक साझेदारी की भी मिशाल बनेंगे। उम्मीद की जानी चाहिए उपर्युक्त त्रिदेवों के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश उत्तम प्रदेश बनेगा। हमारी तरफ से इन्हें और उत्तर प्रदेश की जनता को बहुत बहुत बधाई!

-     - जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर।