Wednesday, 19 October 2016

मोदी का असर दिखने लगा है

भारत में उरी हमले में भारतीय सेना के १८ जवानों की शहादत के बाद पूरे देश में एक प्रतिक्रियात्मक माहौल बन गया था और सभी भारतीय मोदी सरकार को घेरने और और पकिस्तान को जवाब देने की बात करने लगे थे उसके बाद मोदी सरकार के देख रेख में भारतीय सेना ने पाक अधिकृत कश्मीर में घुंसकर आतंकवादियों और उनके कैंप को निशाना बनाया जिसे ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ का नाम दिया गया भारत के इस रक्षात्मक कार्रवाई को विश्व के अधिकांश देशों ने समर्थन किया चाइना ने अगर विरोध किया तो उसके खिलाफ भी भारत में एक अलग माहौल बन गया और चीनी उत्पाद का बहिष्कार करने का फैसला हो गया अब चीन भी धीरे-धीरे रास्ते पर आ रहा है फ्रांस, अमेरिका और रूस ने भी भारत के इस रक्षात्मक कदम का समर्थन किया इसके साथ ही नवम्बर में इस्लामाबाद में होनेवाले सार्क सम्मलेन का जिस तरह से भारत सहित सभी देशों ने बहिष्कार किया, पाकिस्तान बिलकुल अलग-थलग पड़ा गया यहाँ तक कि पाकिस्तान के अन्दर से भी आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठने लगी
उधर गोवा में हुए ब्रिक्स सम्मलेन में भी आतंकवाद का मुद्दा जोर-शोर से छाया रहा और सभी पांच देशों ब्राजील, रूस, भारत, चीन, और दक्षिण अमेरिका ने आतंवाद को खात्मे के लिए संकल्प भी लिया और सभी ने एक स्वर से आवाज बुलंद की है और तो और ब्रिक्स में भारत सहित कुल पांच देश हैं और शनिवार(१५.१०.१६) को रात डिनर के मौके पर सभी मेहमानों पर मोदी जैकेट का जादू छाया दिखा १५ अक्टूबर की रात डिनर के दौरान पीएम मोदी तो अपने अंदाज में थे ही बाकि चारों मेहमानों पर भी मोदी जैकेट का जादू छाया हुआ था पुतिन ब्लू जैकेट में थे तो शी जिन पिंग लाल रंग के मोदी जैकेट में जंच रहे थे जैकब जुमा और माइकल टेमर पर भी मोदी जैकेट खूब फब रहा था डिनर लेने से पहले मोदी और चारों मेहमानों ने ओडिशा के कलाकार सुदर्शन पटनायक की बनाई गई रेत की कलाकृति भी देखी मेजबान मोदी मेहमानों को पांचों देशों की विरासत के बारे में बताते दिखे इसके बाद ब्रिक्स के बॉस का फोटो सेशन हुआ और फिर मोदी जैकेट में जम रहे मेहमान ड़िनर की टेबल की ओर चले गए
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय बैठक की विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने ट्वीट कर यह जानकारी दी ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी का पानी रोकने के बाद दोनों देशों के रिश्ते तल्ख थे इस मुद्दे के बाद दोनों देशों के नेताओं की यह पहली मुलाकात है चीन ने तिब्बत में अपनी एक पनबिजली परियोजना के लिए ब्रह्मपुत्र नदी की एक सहायक नदी का पानी रोक दिया है चीन का कहना है कि वो इससे बिजली पैदा करेगा, पानी का इस्तेमाल सिंचाई के लिए करेगा और साथ ही इससे बाढ़ पर क़ाबू पाने में मदद मिलेगी चीन ने इस पनबिजली परियोजना पर वर्ष 2014 में काम शुरू किया था, जिसे वर्ष 2019 तक पूरा करना है
उरी हमले के लिए भारत ने  पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) को जिम्मेदार ठहराया था नरेंद्र मोदी ने चीन के प्रेसिडेंट से १५ अक्टूबर  को मुलाकात की। दोनों नेताओं के बीच बातचीत में आतंकवाद का मुद्दा अहम रहा। इस दौरान मोदी ने जिनपिंग से कहा कि आतंकवाद के मुद्दे पर मतभेद की गुंजाइश नहीं है। बाद में मोदी ने ट्वीट कर कहा- 'जिनपिंग के साथ मीटिंग फायदेमंद रही।अजहर को बैन करने को लेकर चीन से जारी रहेगी बातचीत...
भारत के विदेश विभाग के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने बताया, 'दोनों नेताओं ने आतंकवाद पर अहम चर्चा की और इस बात पर राजी हुए कि इससे मुकाबले के लिए साझा कोशिशें बढ़ाने की जरूरत है।' 'पीएम मोदी ने जिनपिंग से कहा कि दोनों ही देश आतंकवाद के शिकार हैं और इससे पूरे रीजन में मुश्किल खड़ी हो सकती है।' चीनी प्रेसिडेंट ने कहा कि दोनों देशों को सिक्युरिटी डायलॉग और पार्टनरशिप को मजबूत करना चाहिए। दोनों देशों के बीच की समानताएं हमारे मतभेदों को कम कर सकती हैं।'
आतंकवाद से निपटने के लिए कॉम्प्रिहेंसिव कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल टेररिज्म (सीसीआईटी) पर यूनाइटेड नेशन्स में जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए भारत ब्रिक्स देशों के बीच एकता की पुरजोर वकालत कर सकता है। सीसीआईटी की पहल भारत की ओर से की गई थी, लेकिन यूएन के मेंबर्स के बीच आतंकवाद की परिभाषा को लेकर मतभेद के कारण यह फंसा पड़ा है। आतंकवाद से मुकाबले के लिए भारत ब्रिक्स देशों के बीच ज्यादा सहयोग पर जोर दे सकता है।
हालाँकि ब्रिक्स के समापन के समय ऐसा लगा कि चीन और रूस भारत के रुख का पूरा पूरा समर्थन नहीं कर पाए और चीन पाकिस्तान की ही तरफदारी करता रहा। फिर भी मोदी जी चीन को छोदानेवालों में से नहीं हैं। भारत में चीनी वस्तुओं का बहिष्कार का असर दिखने लगा है। सभी राष्ट्रों को अपने हित का भी ख्याल रखना पड़ता है। पर भारत के अन्दर  राष्ट्रवाद और देश भक्ति को बल मिला है, जिसे हर वर्ग के लोगों ने एक सुर से स्वीकार किया है।
उधर अमेरिका में  रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि वह भारतीयों और हिन्दुओं का बेहद सम्मान करते हैं वे शानदार उद्यमी होते हैं... आतंकवाद से निपटने की अपनी नीति को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा- हम चरम परीक्षण करके आतंकवाद से लड़ेंगे (मुस्लिम जगत में) कुछ ऐसा चल रहा है जो सकारात्मक ताकत नहीं है ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान टकराव पर भी बोला लेकिन इस बाबत कोई भी संकेत देने से इंकार कर दिया कि यदि वह सत्ता में आए तो उनका प्रशासनिक झुकाव किस ओर रहेगा उन्होंने कहा- भारत और पाकिस्तान के बीच काफी ज्यादा टकराव हैं. अभी हाल ही में (यूरी हमला)... कई लोग मारे गए... आशा करता हूं कि सबकुछ ठीक हो जाएगा..
ट्रंप के आतंकवाद के हिंदू पीड़ितों के लिए न्यूजर्सी में आयोजित एक चैरिटी समारोह में भारतीय अमेरिकियों को संबोधित करने पहुंचे थे. रिपब्लिकन हिंदू कोलिशन (आरएचसी) ने इस समारोह को आयोजित किया है ट्रंप ने समारोह में शामिल होने की पुष्टि करते हुए पिछले महीने एक लघु वीडियो संदेश में कहा था कि हिंदू समुदाय ने विश्व की सभ्यता एवं अमेरिकी संस्कृति में शानदार योगदान दिया है
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा- भारत के लिए मेरे मन में बेहद सम्मान है. भारत में, मैं दरअसल, रियल एस्टेट में नौकरियां बढ़ते हुए देख रहा हूं... यह एक शानदार देश है अमेरिका में ट्रंप के प्रचार को जिन चुनिंदा अल्पसंख्यक समुदायों की ओर से उल्लेखनीय समर्थन मिल रहा है, उनमें भारतीय अमेरिकी भी शामिल हैं
उन्होंने कहा- कट्टरपंथी इस्लामी आतंकवाद के बाबत हमें काफी ज्यादा सतर्क होना होगा . हम दुनिया के ऐसे हिस्सों पर विशेष गौर करेंगे आरएचसी के संस्थापक एवं अध्यक्ष शलभ शाल्लीकुमार ने पिछले दिनों कहा था, ‘यह इतिहास बन रहा है अमेरिका के राष्ट्रपति पद के चुनाव के इतिहास में कभी ऐसा नहीं हुआ कि किसी उम्मीदवार ने किसी हिंदू समारोह में शिरकत की हो इतना ही नहीं डॉनल्ड ट्रंप ने कहा वो राष्ट्रपति बनने के बाद मोदी की तरह काम करना चाहते हैं ट्रंप ने कहा कि नौकरशाही में मोदी जिस तरह भारत में बदलाव ला रहे हैं उसी तरह के बदलाव की जरूरत अमेरिका में भी है. ट्रंप ने पीएम मोदी की तारीफ करते हुए उन्हें महान नेता बताया. ट्रंप ने कहा, ‘भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है. भारत और अमेरिका सहज तौर पर एक दूसरे के सहयोगी हैं. मेरी सरकार बनी तो हमारी दोस्ती और बेहतर होगी बल्कि मैं ये कहना चाहता हूं कि हम बेस्ट फ्रेंड बन जाएंगे. मैं पीएम मोदी के साथ मिलकर काम करने के लिए उत्सुक हूं. मोदी ऊर्जा से भरे हुए हैं और वो भारत की अफसरशाही में बदलाव करने में लगे हुए हैं वो एक शानदार शख्स हैं मोदी ने टैक्स सिस्टम को आसान किया है भारत 7 फीसद की रफ्तार से विकास कर रहा है. ये शानदार है, हमारी अर्थव्यवस्था बिल्कुल भी आगे नहीं बढ़ रही है
कट्टरपंथी इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत ने जिस तरह अमेरिका का साथ दिया है हम उसकी सराहना करते हैं भारत ने आतंकवाद और सीमा पार से होने वाली हिंसा की बर्बरता को झेला है मुंबई वो शहर जिसे मैं जानता हूं और पसंद करता हूं वहां आतंकी हमला हुआ मुंबई और संसद पर हुआ आतंकी हमला बेहद वीभत्स और डरावना था. हम कट्टरपंथी इस्लामिक आतंकवाद को हराएंगे
अमेरिका के राष्ट्रपति पद के चुनाव में रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने आतंकवाद के हिंदू पीड़ितों के लिए न्यूजर्सी में आयोजित एक चैरिटी समारोह में भारतीय-अमरिकियों को संबोधित करते हुए ये सब बाते कहीं उस कार्यक्रम को रिपब्लिकन हिंदू कोलिशन(आरएचसी) ने आयोजित किया। यहाँ भी ट्रंप को भारतीयों को लुभाने की एक कोशिश हो सकती है जबकि ताजा सर्वेक्षण में हिलेरी आगे नजर आ रही हैं.  
निचोड़ यही है कि मोदी का दबदबा विश्व स्तर पर बढ़ा है और अधिकांश देशों का झुकाव भारत और मोदी की तरफ हुआ है इसे मोदी की अंतररास्ट्रीय स्तर पर सफलता के रूप में देखा जा सकता है अब विश्वगुरु बनने की राह पर भारत चल चुका है भारत के अन्दर मोदी के समर्थक बढ़ रहे हैं चाहे डर से या राष्ट्र भक्ति के नाम पर जय हिन्द! जय भारत!

-    जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर

Saturday, 8 October 2016

सर्जिकल स्ट्राइक (सेना की बड़ी कामयाबी)

"अपि स्वर्णमयी लङ्का न मे लक्ष्मण रोचते। जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी॥"
"लंका पर विजय हासिल करने के बाद मर्यादा पुरुषोत्तम राम अपने छोटे भाई लक्ष्म से कहा: - यह सोने की लंका मुझे किसी तरह से प्रभावित नहीं कर रही है माँ और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़ कर है।"
अभी नवरात्रि का त्योहार चल रहा है और विजयादशमी भी ११ अक्टूबर को हर्षोल्लास से मनाई जायेगी. विजया दशमी के दिन ही श्री राम ने माँ दुर्गे की आराधना करते हुए रावण को उसके ही देश लंका की रणभूमि में मार गिराया था. लंका पर विजय उनका उद्देश्य नहीं था. उनका उद्देश्य दुराचारी रावण और उसके सहयोगियों का विनाश था. इसीलिये उन्होंने सोने की लंका रावण के ही भाई विभीषण को सौंप दी और खुद माता सीता और अपने सभी सहयोगियों के साथ अयोध्या वापस लौट गए. वैसे रामायण में भी हनुमान जी द्वारा लंका जलाकर सुरक्षित लौट आने को भी काफी लोगों ने सर्जिकल स्ट्राइक का पहला उदाहरण माना है.
हमारे प्रधानमंत्री श्री मोदी भी नवरात्र व्रत करते हैं. उन्हें धर्मकार्यों में गंभीर आस्था है, साथ ही अपने वतन और वतन के वासियों से भी भरपूर प्यार है. वे चाहते हैं भारत दुनिया के प्रगतिशील राष्ट्रों की श्रेणी में हो. इसके लिए वे जी-जान से मिहनत भी कर रहे हैं. उन्होंने खा भी है कि उन्हें परायी जमीन नहीं चाहिए. अपनी भारतभूमि सर्वश्रेष्ट है. पर कुछ लोग और कुछ आतंकवादी संगठन उनके रास्ते में रोड़ा अटकाना चाहते हैं. कुछ आतंकवादी घटनाओं से देश में असुरक्षा की स्थिति पैदा करने का बार-बार प्रयास किया जाता रहा है. इसका जवाब देना उचित भी था. और जवाब के रूप में आया ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ .....
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी थल सेना के डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल रणवीर सिंह ने 29 सिंतबर को पूरी दुनिया के सामने यह ऐलान किया कि सेना का यह अभियान इस पर केन्द्रित था कि आतंकवादी किसी भी सूरत में अपने मंसूबों में कामयाब न हो पाएं भारतीय सेना ने सर्जिकल हमले करते हुए पाकिस्तान में आतंकवादियों की घुसपैठ की कोशिशों को नाकाम कर दिया..आतंकवादियों के खिलाफ इस अभियान के दौरान आतंकवादियों को तो नुकसान पहुंचाया ही गया साथ ही उनको समर्थन देने वालों को भी बख्शा नहीं गया है. आतंकवादियों को निष्क्रिय करने के उद्देश्य से इस काम को अंजाम दिया गया. इसे आगे जारी रखने की कोई योजना नहीं है.''
यह तब का बयान था डीजीएमओ का. आगे यह और होगा या नहीं यह निर्भर करता है कि पाकिस्तान के आतंकवादी क्या रुख अपनाते हैं और हमारी केंद्र सरकार का अगला निर्देश क्या होता है. भारत की 11 लाख की थल सेना जो भी ऑपरेशन करती है उसका प्रमुख डायरेक्टर जनरल मिलेट्री ऑपरेशन (DGMO) होता है. इसमें कोई दो राय नहीं है कि सेना के पास सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत हैं. जितनी जानकारी मीडिया के द्वारा उपलब्ध है उस वक्त सेटेलाइट, यूएवी और कमांडो के हेलमेट में थर्मल इमेजिंग और नाइट विजन कैमरे से वीडियो और तस्वीरें ली गई हैं. इन तस्वीरों और वीडियो को सेना के आला अधिकारियों के साथ सरकार के सुरक्षा से जुड़े अधिकारियों ने भी देखा है. सूत्रों की मानें तो सेना ने पूरे ऑपरेशन पर केन्द्रित 90 मिनट के वीडियो फुटेज बतौर सबूत सरकार को दे भी दिए हैं. ऐसा भी नहीं है कि सेना ने पहली बार एलओसी पार जाकर सर्जिकल स्ट्राइक किया हो. पहले भी सेना छोटे स्तर पर ऐसी कार्रवाई को अंजाम देती रही है, लेकिन पहली बार इतने बड़े स्तर पर और डंके की चोट पर इसका ऐलान किया गया है.
सेना के सूत्रों की मानें तो सेना इस ऑपरेशन से जुड़े वीडियो या चित्र रिलीज करने के पक्ष में नहीं है, वजह है इससे जुड़ी जानकारी सार्वजनिक होते ही सारी जानकारी दुश्मनों को मिल जाएगी. मसलन कमांडो ने किस जगह से एलओसी पार की, लांचिंग पैड तक कैसे पहुंचे, हेलमेट में कौन-कौन से डिवाइस लगे थे, कौन-कौन से हथियार लिए हुए थे कमांडो. और तो और जवानों की पहचान सबके सामने आ जाएगी जो शायद राजनीतिक तौर पर तो सही हो सकता है लेकिन रणनीतिक तौर पर तो कतई सही नहीं ठहराया जा सकता. इसे अगर सबके सामने लाया जाता है तो न सिर्फ हमारे ऑपरेशन करने के तरीके दुश्मन जान जाएगा बल्कि भविष्य में इसका इस्तेमाल बखूबी हमारी सेना के खिलाफ भी कर सकता है. सेना से जुड़े लोग बता रहे हैं कि क्या दुनिया में कही भी ऐसे ऑपरेशन होते हैं, उसके सबूत सामने आते हैं क्या? अमेरिका ने दुनिया के सबसे बड़े आतंकी ओसामा बिन लादेन को मारा लेकिन आज तक उसकी न तो ऑपरेशनल डिटेल्स आई और न ही कोई तस्वीर. बस एक तस्वीर आई जिसमें व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति इस ऑपरेशन को टीवी पर देख रहे हैं. तो फिर हमारी सेना को अपनी राजनीति की रोटियां सेंकने के लिए क्यों घसीटा जा रहा है? वैसे भी पाकिस्तान तो क्या कोई भी देश यह कैसे स्वीकार कर सकता है कि उसके घर में घुसकर उसकी पिटाई की गई है! यदि वह स्वीकार कर लेता है तो यह बात भी ससबूत स्पष्ट हो जाएगी कि वह आतंकियों की पनाहगाह है इसलिए उसके सामने तो यहां कुआं और वहां खाई वाली स्थिति है. यही कारण है कि वह इसे पुरजोर तरीके से झूठा साबित करने में जुटा है. तो क्या हमारे कुछ नेता पाकिस्तान की संतुष्टि के लिए सर्जिकल आपरेशन के सबूत मांग रहे हैं या उन्हें भी अपनी सेना-सरकार पर भरोसा नहीं है? हो सकता है कि सरकार विपक्ष के नेताओं और कुछ वरिष्ठ पत्रकारों को इस ऑपरेशन से जुड़े कुछ चुनिंदा वीडियो और तस्वीरें दिखाए, लेकिन इस बारे में अभी तक अंतिम फैसला नही लिया गया है.
दुःख की बात तो यह है कि राजनीतिक गुणा-भाग के चक्कर में उस भारतीय सेना की विश्वसनीयता को कटघरे में खड़ा किया जा रहा है, जो देश में बाढ़ से लेकर तूफान तक और विदेश में युद्ध से लेकर आपदा के दौरान तक भारतीय लोगों के प्राणों की रक्षा के लिए बेझिझक अपने प्राण न्यौछावर करने में एक मिनट के लिए भी पीछे नहीं हटती. जहां तक कश्मीर में उस पर पत्थर फेंकने वाले और फिंकवाने वाले भी जब बाढ़ की विकरालता की चपेट में आते हैं तो वह बिना भेदभाव के उनके प्राण बचाकर अपने आदर्श को और भी मजबूती से स्थापित कर दिखाती है. न तो देश की आम जनता में और न ही दुनिया में इस सर्जिकल ऑपरेशन को लेकर किसी तरह का संदेह है. अब जरा उन लोगों की बात कर लेते हैं जो इस ऑपरेशन का सबूत मांग रहे हैं. इनमें सबसे प्रमुख हैं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जिन्होंने अपने वीडियो में सीधे तौर पर तो नहीं लेकिन इशारों में तो सवाल उठा ही दिए हैं. केजरीवाल और राहुल गाँधी अभी अपरिपक्व नेता हैं और अपनी बातों से सदा विवादों में घिरे रहते हैं. कुछ लोग उनपर आपत्तिजनक प्रहार भी करते हैं, जो मेरी नजर में राजनीति और सोसल मीडिया का गिरता हुआ स्तर को जाहिर करता है.  केजरीवाल के बाद, अपनी आदत से मजबूर कुछ कांग्रेसी नेता भी सवाल उठा रहे हैं, लेकिन अच्छी बात है कि कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी के प्रवक्ताओं ने ही ऐसे लोगों को आइना दिखाते हुए स्पष्ट कर दिया है  कि देश की सेना पर उन्हें भरोसा है. फिर भी बाद में जब भाजपा इस सर्जिकल स्ट्राइक का राजनीतिक इस्तेमाल कर पोस्टरों में दिखलाने लगी तो राहुल ने उन्हें सेना के खून की दलाली से विभूषित कर दिया. यह भी एक राष्ट्रीय स्तर के नेता के लिए मार्यादित नहीं कहा जा सकता. 
मेरा मानना है कि अभी जरूरत यह है कि पूरा देश न केवल एकजुट रहे, बल्कि एकजुट दिखे भी. क्योंकि राजनीति करने के लिए तो और भी मौके मिलेंगे, परन्तु सेना की छवि को हमने अपने चंद फायदे के लिए धूमिल कर दिया तो उसे सुधारने-संवारने में सालों लग जाएंगे. नेता तो अपनी करतूतों से जनता का विश्वास लगभग खो ही चुके हैं, लेकिन कम-से-कम सेना को तो अपनी राजनीति का मैदान न बनाएं. यह बात पक्ष-विपक्ष दोनों पर लागू होती हैं. सूत्रों के अनुसार प्रधान मंत्री भी अपने सभी मंत्रियों और सहयोगियों को इसपर सोच समझ कर बोलने और बयानबाजी से बचने की सलाह दी है. पर राजनीति तो ऐसी ही है कि  तू डाल डाल मैं पात पात !
अंत में मैं माँ दुर्गा से प्रार्थना करता हूँ कि हमें शक्ति के साथ सद्बुद्धि भी प्रदान करें. शक्ति का संयमित प्रयोग हो और अति उत्साह में दुस्साहस से बचने में हमारी मदद करें ! माँ दुर्गा ने भी महिषासुर का मर्दन किया और पृथ्वी को उसके दुश्चक्र से बचाया. उन्हें आदिशक्ति भी कहा जाता है, उनके कई रूप हैं और हमसभी उनके हर रूप की आराधना करते हैं. अंतिम दिन यानी महानवमी के दिन कुंवारी कन्याओं को पूजाकर उन्हें भी दुर्गाशक्ति की तरह बनाने की कमाना करते हैं. आज जरूरत है कि हर बेटी दुर्गा के रूप में अपने को प्रतिष्ठित करे और आतताइयों से लोहा लेने के लिए तैयार रहे. हम भी माँ, बेटी, बहन, पत्नी आदि सभी नारी-शक्ति के रूपों को उचित सम्मान और अधिकार दें!  
सभी पाठकों को विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
जय माता दी! जय माँ दुर्गे! जय भारत माता! वन्दे मातरम!

-    जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर.  

Sunday, 2 October 2016

आज है दो अक्टूबर का दिन

आज है दो अक्टूबर का दिन, आज का दिन है बड़ा महान
आज है दो अक्टूबर का दिन, आज का दिन है बड़ा महान
आज के दिन दो फूल खिले हैं, जिससे महंका हिंदुस्तान!
नाम एक का बापू गाँधी, और एक लाल बहादुर है,
एक का नारा अमन दूसरा जय जवान जय किसान!
बापू जिसने मानवता का दुनिया को सन्देश दिया
बागडोर भारत की सम्हालो नेहरु को आदेश दिया,
लाल बहादुर जिसने हमको गर्व से जीना सिखलाया
सच पूछो तो गीता का अध्याय उसी ने दोहराया
जय जवान जय किसान !
१९६८  में बने परिवार फिल्म का गीत जिसे लता मंगेशकर ने गाया था, हम सब बचपन में सुना करते थे, आज भी प्रासंगिक है.
दोनों महापुरुषों के बारे में जितनी भी चर्चा की जाय, जितना भी लिखा जाय, वह कम है.
फिर भी इस अवसर पर उन्हें याद करना भी जरूरी है.
महात्मा गाँधी जिन्होंने भारत को अंग्रेजों से आजाद कराया और राष्ट्रपिता कहलाये. वहीं लाल बहादुर शास्त्री ने गरीब परिवार में जन्म लेकर बड़ी मुश्किल से शिक्षा ग्रहण किया और देश के दूसरे प्रधान मंत्री बनकर ‘गुदड़ी के लाल’ कहलाये.
लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1904 में उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था. वह गांधी जी के विचारों और जीवनशैली से बेहद प्रेरित थे. उन्होने गांधी जी के असहयोग आंदोलन के समय देश सेवा का व्रत लिया था और देश की राजनीति में कूद पड़े थे. लाल बहादुर शास्त्री जाति से श्रीवास्तव(कायस्थ) थे, लेकिन उन्होने अपने नाम के साथ अपना उपनाम लगाना छोड़ दिया था क्योंकि वह जाति-प्रथा के घोर विरोधी थे. उनके नाम के साथ जुड़ा 'शास्त्री' काशी विद्यापीठ द्वारा दी गई उपाधि है. प्रधानमंत्री के रूप में उन्होने 2 साल तक काम किया. उनका प्रधानमंत्रित्व काल 9 जून 1964 से 11जनवरी 1966 तक रहा. उनके प्रधानमंत्रित्व काल में देश में भीषण मंदी का दौर था. देश के कई हिस्सों में भयानक अकाल पड़ा था. उस समय शास्त्री जी ने देश के सभी लोगों को खाना मिल सके इसके लिए सभी देशवासियों से हफ्ते में 1 दिन उपवास व्रत रखने की अपील की थी और लोगों ने उसे सहर्ष स्वीकार किया था. शास्त्री जी की मृत्यु यूएसएसआर के ताशकंद में हुई थी. ताशकंद की सरकार के मुताबिक शास्त्री जी की मौत दिल का दौरा पड़ने की वजह से हुई थी पर उनकी मौत का कारण हमेशा संदिग्ध रहा. उनकी मृत्यु 11 जनवरी 1966 में हुई थी. यह खबर रेडियो पर जब आयी थी, मेरे अग्रज भ्राता ने सुनकर रेडियो बंद कर दिया था. उस दिन पूरे गाँव में शोक का माहौल रहा था. गाँव के लोगों के आग्रह पर जिन्हें नवीनतम समाचार जानने की उत्सुकता रहती थी, मेरे भ्राता बीच-बीच में रेडियो चालू कर देते थे. उस दिन पूरे  दिन भर रेडियो पर शोकधुन ही बजता रहा. मानो रेडियो भी रो रहा हो. पूरा गांव रो रहा था. ... ऐसे रच-बस गए थे वे, जनता के दिलो-दिमाग में. खेत में काम करनेवाले किसान-मजदूर दालान में, गलियों में आकर बैठ गए थे. सभी के चेहरे पर उदासी थी. वे उस समय देश के प्रधानमंत्री थे. सच कहा जाय तो उन्होंने अपने देश के लिए बलिदान दिया.
गांधी जी से केवल भारतीय ही प्रभावित नहीं थे बल्कि विदेशों में भी गांधी जी के आदर्शों को माना जाता रहा है. स्थिति साफ है कि गांधी जी आज पूरी दुनिया के लिए एक आदर्श व्यक्तित्व है, जिनके बताये रास्तों पर चलकर ही इंसान तरक्की करना चाहता है क्योंकि उन्हीं के रास्ते इंसान को भटकने से बचाते हैं. इसलिए तो आज एक बार फिर से पूरा हिंदु्स्तान गा रहा है कि ऐनक पहने, लाठी पकड़े चलते थे वो शान से...जालिम कांपे थर-थर थर-थर लेके उनका नाम रे...बंदे में था दम, वंदे मातरम। भारत मां के इन दो महान सपूतों को हम सभी श्रद्धापूर्वक सर नवाते हैं.
महात्मा गाँधी में अन्य गुणों में एक और बहुत बड़ा गुण था स्वच्छता के प्रति जागरूकता. वे भारत के प्रमुख शहरों, तीर्थ स्थलों की गंदगी से बहुत दुखी थे. उन्होंने स्वच्छता के प्रति भी जन-आन्दोलन की शुरुआत की थी. उनके अनुसार स्वतंत्रता से ज्यादा महत्वपूर्ण है स्वच्छता. उसी जन-आन्दोलन को वर्तमान प्रधान मंत्री श्री मोदी आगे बढ़ा रहे हैं. उन्होंने आज से दो साल पहले इस स्वच्छ भारत मिशन जन-आन्दोलन की शुरुआत लोगों को शपथ दिलाकर की थी. उन्होंने खुले में शौच से छुटकारे के लिए हर गांव, शहरों, कस्बों  में शौचालय बनाने के लिए लोगों को प्रेरित किया, विभिन्न विज्ञापनों के माध्यम से लोगों को जागरूक किया और सरकारी, अर्ध-सरकारी, गैर-सरकारी संस्थाओं के माध्यम से स्वच्छता आन्दोलन को आगे बढ़ाया है. उन्होंने खुद से झाड़ू उठाकर इसकी शुरुआत की और उसके बाद अनेकों गणमान्य आज भी इस आन्दोलन को आगे बढ़ा रहे हैं. बहुत सारे मीडिया घराने भी इस पुनीत कार्य को आगे बढ़ाने में योगदान कर रहे हैं. निश्चित तौर पर जागरूकता बढ़ी है, फिर भी अभी बहुत काम बाकी है. थोड़ी सी बारिश में जब शहर की नालियां जाम हो जाती हैं, सड़कों पर पानी जमा हो जाता है तभी सफाई अभियान की कलई खुलती नजर आती है. हम सब जहाँ रहते हैं, जहाँ कार्य करते हैं, उन सभी जगहों को साफ़ रखने में हमारा कितना योगदान होता है, यह आकलन हमें अपने आपको खुद से करने की जरूरत है.
जनांदोलन की शुरुआत अपने घर से ही होती है. अपने घर को हम अपना समझते हैं, उसे साफ़ रखने में कोई कसर नहीं छोड़ते. पर हमारे घर के सामने की सड़क, गलियां, नालियां शहर, गाँव और यह पूरा देश हमारा है, यह अहसास हम सबके अन्दर होना जरूरी है. तन के साथ मन का साफ़ रहना जरूरी है. उसके लिए भी हम योग ध्यान आदि करते हैं ताकि हम विभिन्न प्रकार के गंदे विचारों से भी दूर रहें हम दूसरों को कष्ट न पहुंचाएं. यथासंभव दूसरों को मदद करने का हरसंभव प्रयास करें. अभी त्योहारों का मौसम है. सभी त्योहारों के मूल में स्वच्छता मुख्य रूप से शामिल रहता है. त्योहार मनाने से पहले हम सफाई सुथराई करते हैं. नए नए परिधान पहनते हैं. पर यह भाव त्योहार के अंत तक रहना चाहिए. अक्सर हम देखते हैं त्योहार के बाद त्योहार स्थल पर गंदगी और कचड़े का ढेर जमा हो जाता है. इसपर भी ध्यान रखने के आवश्यकता है.
 
आजतक टी वी चैनेल के ‘सो सॉरी’ कार्यक्रम में मेरा नाम जोकर के तर्ज पर मोदी जी को राजकपूर के रोल में दिखाया गया है जो लोगों को सफाई का सन्देश दे रहे हैं.
ए भाई जरा साफ़ तो रखो, सड़क ही नहीं गलियां भी
कस्बें ही नहीं बस्तियां भी,  ए भाई ....
तो समझ गए न आप भी ! पूरी सफाई! व्यक्तिगत भी और राष्ट्रीय भी. राष्ट्रीय सफाई अभियान भी चल ही रहा है, सीमा पर, सीमा पार और सभी संवेदनशील स्थानों पर...आप भी नजर रक्खें अगल-बगल, आसपास चौकन्नी निगाहों से ... ताकि हमारा देश साफ़ सुथरा रह सके! जयहिंद! जय भारत! जय जवान! जय किसान! जय विज्ञान! 

-    जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर