Wednesday 21 August 2019

सकारात्मक सोच से धनात्मक उर्जा


एक व्यंग्य
सकारात्मक सोच से धनात्मक उर्जा (positive energy) मिलती है, ऐसा मैंने किसी महापुरुष या संत के मुख से सुना था. तब से मेरी सोच सकारात्मक होने लगी है! और हर चीज के सकारात्मक पहलू के बारे में सोचने लगा हूँ.
अभी हाल ही में मैंने कई मंदिरों के दर्शन किए! मंदिर में स्थापित भगवान और देवी/ देवताओं की आराधना की. जहाँ कहीं भी धार्मिक स्थान दिख जाते हैं, सर अपने आप झुक जाता है. समूह में प्रात: भ्रमण करते-करते जब हम थक जाते हैं, माँ काली के मंदिर में जाकर शीश झुका आते हैं. शक्ति स्वरूपा माँ काली के सामने शीश झुकाते ही शक्ति का संचार होने लगता है और हम फिर कई चक्कर अबाध रूप से लगा लेते हैं.
प्राकृतिक वातावरण में सैर करने/प्रकृति के सूक्ष्म अवलोकन से भी शरीर और आत्मा में नई उर्जा का संचार होता है और हम तरोताजा महसूस करते हैं. काफी लोग स्वास्थ्य लाभ के लिए भी प्राकृतिक वातावरण की शरण लेते हैं.
भजन गाने/सुनने, रामचरित मानस का पाठ करने से, हनुमान चालीसा पाठ करने से, गीता पाठ करने से भी नया आत्मिक बल प्राप्त होता है.
किसी की आप किसी भी तरीके से मदद पहुंचाते हैं तो आपको स्वान्तः सुखाय का आनंद प्राप्त होता है और आप धनात्मक उर्जा प्राप्त करते हैं. किसी की मदद न सही, आपके द्वारा किसी को कष्ट न पहुंचे – यह भी एक प्रकार का स्वान्तः सुखाय ही है. परोपकाराय पुण्याय पापाय परपीडनम – महर्षि वेदव्यास ने भी कहा है.
इन्हें या तो सुनी सुनाई बात कह सकते हैं या खुद अनुभव कर सकते हैं. पर एक चीज आजकल स्वयंसिद्ध होती जा रही है जैसे भक्ति का जुनून अगर आप में हो तो आप कुछ भी कर गुजर सकते हैं. जैसे जय श्री राम बोलने मात्र से ही किसी का खून कर देने तक की शक्ति प्राप्त हो जाती है और तथाकथित भक्तों का समर्थन भी हासिल हो जाता है जो उसे जायज भी ठहराने लगते हैं. जय श्री राम कहने मात्र से ही आप राम भक्त और देश भक्त भी हो जाते हैं. जय श्रीराम का नारा पतित-पावनी गंगा की तरह है जिसमे डुबकी लगाते ही आपके सारे पाप धुल जाते हैं.
उसी तरह गोरक्षा का संकल्प(गोपालन नहीं) ही आपको उर्जावान बनाता है. जैसे ही आप संकल्प करते हैं गोमाता कामधेनु बन जाती है और तब आप जो चाहे कर सकते हैं. महर्षि वशिष्ट की भांति विश्वामित्र मुनि की सेना को भी परास्त कर सकते हैं. इसके बाद एक और नारा है भारत माता की जय! और वन्दे मातरम! ये दोनों नारे देश भक्ति सिखाती है और देश की रक्षा के लिए तो हर देश भक्त नागरिक शीश कटाने को तैयार ही रहता है. 
अगर आप यह सब नहीं कर सकते तो भी एक और उपाय है आपके लिए – वह है अपने विरोधियों को जीभर कर गाली देने से भी आपके अन्दर जबरदस्त उर्जा का संचार होता है. यह विरोधी आपका पड़ोसी देश पाकिस्तान भी हो सकता है या विरोधी पार्टी का नेता भी ...
आप दिन भर पाकिस्तान को गाली दीजिए या गाली देते समय तुलसी की माला के सहारे गिनते भी जाइए, एक माला दो माला या १०८ माला गाली दीजिए, और अन्दर से महसूस कीजिए कितनी उर्जा पैदा होती है. बहुत सारे बुजुर्ग जो प्रात: भ्रमण में चार-पांच चक्कर लगाने के बाद थक जाते हैं इसी पाकिस्तान के सहारे 10 चक्कर में भी नहीं थकते. फिर नेहरु गांधी परिवार के सातों पुश्त तो है ही असीम उर्जा का भण्डार! हाँ गांधी से याद आया. आजकल तो ऐसे-ऐसे विडियो आ गए है जिनमे महात्मा गाँधी को घोर हिंसक साबित किया गया है और नाथूराम गोडसे को महात्मा दधीचि. अब तो महात्मा नाथूराम गोडसे- ‘आधुनिक भारत के दधीचि’ को सम्मानित करते हुए कवि सम्मलेन भी आयोजित किये जाने लगे हैं. कहीं-कहीं पर गोडसे भगवान को अवतरित होते दिखाया जाने लगा है और वे फिर से महात्मा गाँधी के पुतले को गोली मारते हैं ताकि गाँधी की आत्मा और गांधी समर्थकों को अधिक से अधिक कष्ट पहुंचा सकें.
मैं तो अब मानने लगा हूँ कि कुंठित अर्थशास्त्री जो ख़राब आर्थिक स्थिति का रोना रो रहे हैं उन सबको उपर्युक्त सकरात्मक उर्जा का प्रयोग करना ही चाहिए ताकि देश की आर्थिक स्थिति में भी पंख लग जाए. सभी उद्योगपतियों को अपने परिसर में कर्मचारियों के साथ ‘जय श्री राम’ से लेकर ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ का कम से कम ३६ घंटे का अखंड जाप करवाना चाहिए, फिर देखिए मंदी की जगह विकास कैसे बुलेट ट्रेन की स्पीड से दौड़ने लगेगा. बीच-बीच में कार रैली, मोटर साइकिल रैली भी आयोजित करते रहना चाहिए और कर्नाटक के बागी विधायकों के जैसे ११ करोड़ की रोल्स रॉयस फैंटम VIII लग्जरी कार गाड़ी खरीद कर दौड़ लगानी चाहिए ताकि ऑटो सेक्टर की मंदी को रोका जा सके.
एक और बात- पूरे देश में एक देश- एक कानून, के साथ एक पार्टी पर भी बल देना चाहिए. बेकार का विपक्ष अड़ंगा लगाता है संसद का समय बर्बाद करता है. एक पार्टी रहेगी तो बार-बार चुनाव करने के झंझट से भी छुटकारा मिलेगा और कर द्वारा अर्जित जनता के पैसे का अपव्यय भी रुकेगा. फिर झूठ-मूठ का आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय आदि संस्थाओं को विरोधी पार्टियों के ऊपर लगाने की तोहमत नहीं उठानी पड़ेगी. मैंने अपनी समझ के अनुसार राय रक्खी है. बाकी तो हमारे शीर्षस्थ और मध्यस्थ नेता खुद ही समझदार हैं, उन्हें भला हम क्या ज्ञान दे सकते हैं.
जय श्री राम! वन्दे मातरम! भारत माता की जय! पाकिस्तान मुर्दाबाद! कांग्रेस मुक्त नया भारत! या भारत का भी कुछ नया नामकरण करने की जरूरत हो तो उस नए नाम के भारत की भी जय!       
मेरा दिल हमेशा सकारात्मक सोचता है. आपलोगों के विचार कुछ अलग हट के हो सकते हैं. उसमे भला मुझे क्यों आपत्ति होगी. यही तो एक स्वतंत्रता मिली है हम सबको. हमलोग अपनी अपनी बात कह सकते हैं, लिख सकते हैं. जयहिंद!
आज इतना ही .......
-       -  जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर.

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