Monday, 30 January 2017

पांच राज्यों के चुनाव!

पांच राज्यों में चुनाव का ऐलान हो गया है. इसके साथ ही गृह मंत्रालय ने भी सुरक्षा के मद्देनजर कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. चुनाव में सुरक्षा इंतजामों के लिए 850 अर्धसैनिक बलों की कंपनियां भेजी जाएंगी. जिन राज्यों में पहले चुनाव होंगे, वहां फोर्स पहले जाएगी. उसके बाद आगे चुनाव होने वाले इलाकों में फोर्स को भेजा जाएगा. गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि चुनाव आयोग ने जब तारीख तय कर ली है, तो हम अपनी तरफ से सुरक्षा और कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए हम जो भी संभव है, करेंगे.
इससे पहले चुनाव आयोग की घोषणा के अनुसार गोवा, पंजाब और उत्तराखंड में एक-एक चरण में, मणिपुर में दो चरण और उत्तर प्रदेश सात चरणों में मतदान होगा. गोवा और पंजाब में चार फरवरी को वोट डाले जाएंगे, जबकि उत्तराखंड में 15 फरवरी को मतदान होगा. गोवा में विधानसभा की 40, पंजाब में 117 और उत्तराखंड में 70 सीटें हैं।
मणिपुर में दो चरणों में मतदान होंगे, जिनमें से पहले चरण का मतदान चार मार्च को और दूसरे चरण का आठ मार्च को होगा. राज्य में विधानसभा की 60 सीटें हैं. उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 403 सीटों के लिए सात चरणों में मतदान होंगे. पहले चरण का मतदान 11 फरवरी, दूसरे चरण का 15 फरवरी, तीसरे चरण का 19 फरवरी, चौथे चरण का 23 फरवरी, पांचवें चरण का 27 फरवरी, छठे चरण का 4 मार्च को और सातवें और अंतिम चरण का मतदान 8 मार्च को होगा. 11 मार्च को एक साथ सभी राज्यों की मतगणना होगी.
पांच राज्यों में चुनाव की घोषणा के साथ सभी राजनीतिक दलों में हलचल होना स्वाभाविक है. नोटबंदी की मार से कमोबेश सभी परेशान हुए हैं. कुछ लोगों की नौकरियां गयी, कुछ के मुनाफे कम हुए तो किसी का काला धन बाहर आ गया. किसी ने इसी मौके का नाजायज फायदा भी उठाया. लोगों के पास नगदी की कमी तो है ही अब राजनीतिक दलों के पास भी खर्च करने को पर्याप्त रकम का अभाव है. अगर कोई चोरी छुपे कुछ इधर उधर कर भी रहा है तो चुनाव आयोग उसपर पैनी नजर रख रहा है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार – चुनाव आयोग द्वारा नियुक्त निगरानी एवं खर्च निगरानी दल ने पांच चुनावी राज्यों में 96 करोड़ रूपए से अधिक नकदी, 25.22 करोड़ रूपए की कीमत की 14.27 लाख लीटर शराब और 19.83 करोड़ की कीमत के 4,700 किलोग्राम से अधिक नशीले पदार्थ जब्त किए हैं. आधिकारिक आकड़ों के अनुसार इस माह की शुरूआत में चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा के बाद से अभी तक उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 87.67 करोड़ रूपए जब्त किए गए. इसके अलावा पंजाब में 6.60 करोड़, गोवा में 1.27 करोड़ रपये, उत्तराखंड में 47.06 लाख और मणिपुर में 8.13 लाख रूपए जब्त किए गए.
इन राज्यों में मतदाताओं को लुभाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले अन्य अवैध प्रलोभन जैसे 25.22 करोड़ रूपए कीमत की 14.27 लाख लीटर शराब चुनाव आयोग द्वारा नियुक्त निगरानी एवं खर्च निगरानी दल ने जब्त की है. शराब भी उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 8.01 लाख लीटर शराब जब्त की गई है जिसकी कीमत 20.62 करोड़ रूपए है. वहीं गोवा में 15.14 लाख की कीमत की बीयर और अन्य नशीले पेय जल जब्त किए गए हैं. मादक पदार्थ रोधी एजेंसी और पुलिस दल ने सबसे अधिक पंजाब में 19.83 करोड़ रूपए के 4,774 किलोग्राम नशीले पदार्थ जब्त किए है।
पंजाब के चुनाव का तो मुद्दा ही नशाखोरी और उससे उबरने का है साथ ही नवयुवकों को रोजगार देने का भी मामला है. बेरोजगार लोग ही नशे के शिकार हैं और नशे के गिरफ्त में आकर गैरकानूनी काम भी करते हैं. वहां के दूर दराज के लोगों में चुनाव के प्रति बहुत ज्यादा रूचि भी नजर नहीं आ रही. अधिकांश लोगों का कहना है, रोजगार नहीं है, कारखाने बंद पड़े है. खेतों की फसल का भी उचित दाम नहीं मिलता ..लोग तो परेशान हैं ही. अगर लोगों के पास 20 हजार रुपये महीने की भी नौकरी हो तो कोई क्यों सस्ते दाम पर या मुफ्त का राशन लेना चाहेगा. मतलब कि लोग वर्तमान भाजपा और अकाली दल के बादल सरकार से खपा हैं और परिवर्तन चाहते हैं. कांग्रेस को भी वे लोग देख चुके हैं. नयी पार्टी आम आदमी पार्टी से लोग आश लगाये बैठे हैं, शायद यह कुछ नया कर दे. आम आदमी पार्टी में राजनीतिक व्यक्ति कम और नए नौजवान लोगों को ही ज्यादातर उम्मीदवार बनाया गया है ताकि वे लोग कुछ नया कर के दिखावें. केजरीवाल भी उत्साहित हैं और पूर्ण बहुमत का दावा कर रहे हैं. अमित शाह भी यह मान चुके हैं कि पंजाब में कड़ी टक्कर है. फिर भी जबतक मतदान हो नहीं जाता कुछ भी कहना मुश्किल है.
सबसे रोमांचक चुनाव यु पी में होनेवाला है … यहाँ अखिलेश की समाजवादी पार्टी और राहुल की कांगेस में गठबंधन हो गया है और यह गठबंधन मोदी जी की भाजपा को जबरदस्त टक्कर देने के मूड में हैं. दोनों नौजवान(अखिलेश और राहुल) हो सकता है, नौजवानों का दिल जीतने में सक्षम हो. वैसे काफी लोग अखिलेश के काम से संतुष्ट नजर आते हैं, पर कानून ब्यवस्था के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे ख़राब स्थिति में है. लूट, हत्या, बलात्कार, दंगे वहां की आम बात हो गयी है. उधर भाजपा अपने ही अंतर्विरोधों और अंतर्कलह से जूझ रही है, क्योंकि टिकटों का सही बटवारा नहीं हुआ है, ऐसा भाजपा के नेता ही कह रहे हैं. दूसरी-दूसरी पार्टी से आए लोगों को महत्व दिया जा रहा है और स्थानीय कार्यकर्ताओं/नेताओं को नजरअंदाज किया जा रहा है. योगी आदित्यनाथ को ज्यादा महत्व नहीं देने के कारण उनके समर्थक हिन्दू युवा वाहिनी अलग से उम्मीदवार उतारने जा रही है, जिसका सीधा नुकसान भाजपा को ही होगा. योगी आदित्यनाथ यु पी के मुख्यमंत्री पद के दावेदार भी बताये जाते थे. मायावती अपने वोट बैंक लेकर आश्वस्त है, तो टक्कर त्रिकोणीय होने के संभावना है. ओपिनियन पोल में भी किसी को बहुमत मिलते हुए नहीं दिखाया जा रहा है तब परिणाम रोमांचक जरूर होगा और किसकी सरकार बनेगी वह तो ११ मार्च को मतगणना के बाद ही पता चलेगा.
गोवा में भाजपा की सरकार है और वहां के प्रभारी भूतपूर्व मुख्य मंत्री और वर्तमान रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को बनाया गया है. पर्रिकर की छवि अच्छी है लेकिन अभी वे केंद्र सरकार में मंत्री हैं. वहां से वे वापस गोवा के मुख्य मंत्री बनने तो नहीं आ रहे हैं इसलिए वहां भी आम आदमी पार्टी के साथ ही टक्कर होनेवाली है. उत्तराखंड में भाजपा और कांग्रेस के बीच टक्कर है. मणिपुर में भी कांग्रेस बड़ी पार्टी बनकर उभर सकती है और किसी तरह बहुमत का जुगाड़ कर सरकार बना सकती है ऐसा लोगों का अनुमान है.
उठापटक तो होगी ही. इधर हर पार्टी अपने चुनाव घोषणा-पत्र में लुभावने वादे कर रही है जिसपर से लोगों को भरोसा उठता जा रहा है. काम धरातल पर हो तो नजर आते हैं. भाजपा में मोदी नाम केवलम के आधार पर ही नैया पार लगनेवाली है. श्री मोदी और अमित शाह की जोड़ी ही मुख्य रणनीतिकार और चुनाव प्रचारक हैं. बाकी तो मोदी-मोदी का ही जाप करते हैं. इधर नोटबंदी के बाद जो लोग परेशान हुए है उससे लोग नाराज चल रहे हैं और मोदी जी भी नोटबंदी के फायदे अब नहीं बतला रहे हैं. उनका पुराना भाषण ही चलता रहता है जिसे सुनते-सुनते आदमी थक सा गया है. देश का मामला अलग था. अभी राज्यों में स्थानीय मुद्दे भी होते हैं. फिर भी जनता ही निर्णायक रोल अदा करती है. काले धन की कमी की वजह से हो सकता है, खरीद-फरोख्त कम हो जिससे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की अधिकतम संभावना है. ऐसे में जनता का ही फैसला सर्वोपरि है. जनता और आम नागरिक भी जागरूक हुआ है इसीलिए जनता जरूर बुद्धिमानी से अपने मत का इस्तेमाल करेगी और करना भी चाहिए क्योंकि जिन्हें वह चुनती है वही अगले पांच साल के लिए भाग्य विधाता बन जाते हैं.
तबतक हम सभी इन्तजार करते हैं कैसी हवा बनती है और क्या होनेवाला है!
- जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर

1 comment:

  1. लिंक करने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय हर्षवर्धन जी!

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