इमेज बिल्डिंग यानी छवि सुधार! जब भी हम अपनी फोटो खिंचवाते हैं, दाढ़ी जरूर
बनवाते हैं, चेहरे पर स्नो पाउडर लगाते हैं, बालों में कंघी करते हैं, आईने के सामने खड़े होकर
खुद को निहारते हैं, मुस्कुराते हैं, शरमाते
हैं, स्टूडियो वाला भी बोलता है- स्माइल प्लीज! एक दो बार
क्लिक करता है, उनमे जो अच्छा से अच्छा होता है, उसे ही प्रिंट कर हमें सौंपता है. हम उसे जरूरत के अनुसार चिपकाते हैं,
अपने प्रोफाइल पर या पासपोर्ट पर! एप्लीकेशन फॉर्म पर या सोसल
मीडिया पर! हम सभी चाहते हैं लोग हमारी शक्ल सूरत की प्रशंसा करे. शादी विवाह के
अवसर पर ऐसे सुन्दर फोटो की बड़ी आवश्यकता होती है, लड़कों के
लिए और लड़कियों के लिए तो निहायत ही जरूरी होता है. वैसे आजकल बहुत सारे ब्यूटी
पार्लर हैं जो बदसूरत को भी खूबसूरत बनाकर दिखा दे!
अब आते हैं राजनेताओं की छवि पर … प्रधान मंत्री श्री मोदी के बारे में फिर कभी उनकी छवि के आगे तो सारा विश्व नतमस्तक है…
बिहार के वर्तमान मुख्य मंत्री नितीश कुमार की छवि एक साफ़ सुथरे राज नेता की है. जनता दल से जनतादल यूनाइटेड बनाकर भाजपा के साथ गठबंधन कर सरकार बनानेवाले नितीश ने बिहार के लिए बहुत कुछ किया…सड़कें बनवाई, पुल और पुलिया बनवाई, लड़कियों की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया उसे स्कूल ड्रेस से लेकर सायकिलें भी दिलवाई. किसानों के लिए आम लोगों के लिए बहुत कुछ किया. इसलिए लगतार तीसरी बार भी जीतते रहे.
२०१४ में मोदी जी के प्रधान मंत्री पद के दावेदार के रूप में जब आधिकारिक घोषणा हो गयी तो व्यक्तिगत विरोध के चलते उन्होंने भाजपा से रिश्ता तोड़ दिया. जब लोकसभा के चुनाव में मोदी लहर के चलते जे डी यु की करारी हार हुई तो हर की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने मुख्य मंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया और जीतन राम मांझी को अपनी कुर्सी दे दी. कहना न होगा – ये सब उन्होंने अपनी छवि कायम रखने के लिए ही किया. बाद में जीतन राम मांझी को हटाकर स्वयम कुर्सी पर विराजमान हुए और हार की आशंका से लालू जी से दिल लगा बैठे. कई बार उनके बीच विचारों को लेकर दरार की ख़बरें आती रहीं. पर लालू और नीतीश समय-समय पर पाटने का भी हर सम्भव प्रयास करते रहे हैं.
इधर सिक्खों के बीच अपनी छवि सुधारने के लिए या कहें राष्ट्रीय नेता की छवि के तौर पर उभाड़ने के लिए और पटना (बिहार) को पर्यटन के लिए उपयुक्त जगह बनाने के लिए गुरु गोविन्द सिंह के ३५० वीं जयन्ती को प्रकाश पर्व के रूप में पटना में शानदार आयोजन कर डाला, जिसमे प्रधान-मंत्री तक को आकर नीतीश बाबु की प्रशंसा कर गए… बीच-बीच में वे मोदी जी से दूरी घटाने का भी प्रयास करते रहे हैं, जिसमे नोटबंदी का समर्थन भी एक कदम कहा जाएगा. बदले में प्रधान मंत्री ने बिहार में शराब-बंदी को बड़ा साहसिक और सामाजिक सुधार वाला कदम बता दिया. यह सब छवि बनाये रखने का एक तरीका ही है. ऐसा नहीं है कि बिहार में शराब पूरी तरह बंद है. बड़े लोग किसी तरह जुगाड़ कर ही लेते हैं… धड़-पकड़ भी चलती रहती है. फिर भी निम्न वर्ग के लोगों के लिए राहत ही कही जाएगी जो शराब में अपनी मिहनत की कमाई फूंकते देते थे और घर में पत्नियों बच्चों से झगड़ा करते थे.
सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था. मकर संक्रांति के दिन लालू जी के घर जाकर दही का टीका लगवा कर दही चूड़ा का भोग लगा चुके और दूसरे दिन अपने यहाँ भी दही चूड़ा भोज का आयोजन करने वाले थे जिसमे भाजपा के लोग भी आमंत्रित थे….. रंग में भंग पड़ गया. मकर संक्रांति के ही दिन पटना के NIT घाट के पास नाव दुर्घटना में २५ लोगों की मौत ने इनके ऊपर फिर से एक दाग लगा दिया. अब विरोधी और मीडिया वाले मीन-मेख निकालने लगे… प्रशासन की लापरवाही, कुब्यवस्था…और क्या क्या… उनका पुराना इतिहास भी पलटा गया, जिसमे २०१२ में मलमास मेले के समय राजगीर में भगदड़ की दुर्घटना, २०१२ में ही गंगा किनारे छठ के समय की दुर्घटना, २०१४ में गाँधी मैदान में रावण वध के समय हुए भगदड़ में हुई मौत … आदि…आदि !
बड़ी मुश्किल से छवि बनता है और अच्छी छवि पर ही दाग जल्द लगता है.
अब आते हैं राजनेताओं की छवि पर … प्रधान मंत्री श्री मोदी के बारे में फिर कभी उनकी छवि के आगे तो सारा विश्व नतमस्तक है…
बिहार के वर्तमान मुख्य मंत्री नितीश कुमार की छवि एक साफ़ सुथरे राज नेता की है. जनता दल से जनतादल यूनाइटेड बनाकर भाजपा के साथ गठबंधन कर सरकार बनानेवाले नितीश ने बिहार के लिए बहुत कुछ किया…सड़कें बनवाई, पुल और पुलिया बनवाई, लड़कियों की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया उसे स्कूल ड्रेस से लेकर सायकिलें भी दिलवाई. किसानों के लिए आम लोगों के लिए बहुत कुछ किया. इसलिए लगतार तीसरी बार भी जीतते रहे.
२०१४ में मोदी जी के प्रधान मंत्री पद के दावेदार के रूप में जब आधिकारिक घोषणा हो गयी तो व्यक्तिगत विरोध के चलते उन्होंने भाजपा से रिश्ता तोड़ दिया. जब लोकसभा के चुनाव में मोदी लहर के चलते जे डी यु की करारी हार हुई तो हर की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने मुख्य मंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया और जीतन राम मांझी को अपनी कुर्सी दे दी. कहना न होगा – ये सब उन्होंने अपनी छवि कायम रखने के लिए ही किया. बाद में जीतन राम मांझी को हटाकर स्वयम कुर्सी पर विराजमान हुए और हार की आशंका से लालू जी से दिल लगा बैठे. कई बार उनके बीच विचारों को लेकर दरार की ख़बरें आती रहीं. पर लालू और नीतीश समय-समय पर पाटने का भी हर सम्भव प्रयास करते रहे हैं.
इधर सिक्खों के बीच अपनी छवि सुधारने के लिए या कहें राष्ट्रीय नेता की छवि के तौर पर उभाड़ने के लिए और पटना (बिहार) को पर्यटन के लिए उपयुक्त जगह बनाने के लिए गुरु गोविन्द सिंह के ३५० वीं जयन्ती को प्रकाश पर्व के रूप में पटना में शानदार आयोजन कर डाला, जिसमे प्रधान-मंत्री तक को आकर नीतीश बाबु की प्रशंसा कर गए… बीच-बीच में वे मोदी जी से दूरी घटाने का भी प्रयास करते रहे हैं, जिसमे नोटबंदी का समर्थन भी एक कदम कहा जाएगा. बदले में प्रधान मंत्री ने बिहार में शराब-बंदी को बड़ा साहसिक और सामाजिक सुधार वाला कदम बता दिया. यह सब छवि बनाये रखने का एक तरीका ही है. ऐसा नहीं है कि बिहार में शराब पूरी तरह बंद है. बड़े लोग किसी तरह जुगाड़ कर ही लेते हैं… धड़-पकड़ भी चलती रहती है. फिर भी निम्न वर्ग के लोगों के लिए राहत ही कही जाएगी जो शराब में अपनी मिहनत की कमाई फूंकते देते थे और घर में पत्नियों बच्चों से झगड़ा करते थे.
सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था. मकर संक्रांति के दिन लालू जी के घर जाकर दही का टीका लगवा कर दही चूड़ा का भोग लगा चुके और दूसरे दिन अपने यहाँ भी दही चूड़ा भोज का आयोजन करने वाले थे जिसमे भाजपा के लोग भी आमंत्रित थे….. रंग में भंग पड़ गया. मकर संक्रांति के ही दिन पटना के NIT घाट के पास नाव दुर्घटना में २५ लोगों की मौत ने इनके ऊपर फिर से एक दाग लगा दिया. अब विरोधी और मीडिया वाले मीन-मेख निकालने लगे… प्रशासन की लापरवाही, कुब्यवस्था…और क्या क्या… उनका पुराना इतिहास भी पलटा गया, जिसमे २०१२ में मलमास मेले के समय राजगीर में भगदड़ की दुर्घटना, २०१२ में ही गंगा किनारे छठ के समय की दुर्घटना, २०१४ में गाँधी मैदान में रावण वध के समय हुए भगदड़ में हुई मौत … आदि…आदि !
बड़ी मुश्किल से छवि बनता है और अच्छी छवि पर ही दाग जल्द लगता है.
अब आते हैं २१ जनवरी की मानव श्रृंखला पर जिसे उन्होंने शराब बंदी और
नशामुक्ति के समर्थन में आयोजन करवाया!
शराबबंदी के समर्थन में २१ जनवरी, शनिवार को बिहार में आयोजित मानव
श्रृंखला ने विश्व रिकॉर्ड कायम कर लिया है. इस ऐतिहासिक क्षण को कैमरे में कैद
करने के लिए इसरो की ओर से तीन सैटेलाइट, चार
हेलीकॉप्टर की व्यवस्था की गयी थी. इसरो के सेटेलाइट ने शराबबंदी चिह्न व बिहार की
तसवीर भी ली. बिहार के सभी जिलों में भी ड्रोन से इस मानव श्रृंखला की तस्वीरें
लेने के इंतजामात किये गये थे. राज्य में कुल 11, 400
किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला बनायी गयी. लगभग दो करोड़ लोगों ने इसमें भाग लिया.
शनिवार की सुबह करीब 11:30 बजे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मानव श्रृंखला में शामिल होकर इस ऐतिहासिक क्षण में अपनी उपस्थिति दर्ज करायी. सबसे बड़ी बात यह है कि पूरी दुनिया में यह पहली बार ऐसा हुआ है कि समाज में व्याप्त किसी कुरीति को लेकर किसी एक राज्य के लोगों ने पूरे जोर-शोर के साथ इतनी अधिक संख्या में अपना समर्थन जाहिर करने के लिए एक मानव श्रृंखला के रूप में अपनी एकजुटता दिखायी हो.
इसके साथ ही, शराबबंदी के समर्थन में मानव श्रृंखला के आयोजन पर राज्य के कई बड़े राजनेताओं ने भी अपने बयान दिये. सत्ताधारी दल के कई नेता अपने गृह नगरों में मानव श्रृंखला में खुद को शामिल कर इसका जोरदार स्वागत भी किया. राजद के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने पहली बार अपना बयान देते हुए कहा कि मानव श्रृंखला विश्व रिकॉर्ड बनायेगी. लोग शराब से दूर रहें. वहीं, राजद के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे ने कहा कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के नेतृत्व में बिहार में आयोजित मानव श्रृंखला ने विश्व रिकॉर्ड कायम किया.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पटना का गाँधी मैदान अब तक जातियों और पार्टियों की रैली का गवाह रहा है पर शनिवार के दिन यह जाती और पार्टी से ऊपर उठकर सामाजिक और सर्वप्रिय रैली तथा मानव श्रृंखला का गवाह बना. गाँधी मैदान में बिहार का मानचित्र बनाया गया था जिसके किनारे सभी गण-मान्य और आम-लोग खड़े थे. नितीश कुमार और लालू एक दूसरे का हाथ मजबूती से पकडे और प्रफ्फुल्लित मुद्रा में नजर आये! दूसरे दल के लोग भी साथ थे इसमें किसी पार्टी का झन्डा बैनर का इस्तेमाल नहीं किया गया था. नशामुक्त बिहार लिखा हुआ टोपी, झंडे और बैनर जरूर इस्तेमाल किये गये.
शनिवार की सुबह करीब 11:30 बजे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मानव श्रृंखला में शामिल होकर इस ऐतिहासिक क्षण में अपनी उपस्थिति दर्ज करायी. सबसे बड़ी बात यह है कि पूरी दुनिया में यह पहली बार ऐसा हुआ है कि समाज में व्याप्त किसी कुरीति को लेकर किसी एक राज्य के लोगों ने पूरे जोर-शोर के साथ इतनी अधिक संख्या में अपना समर्थन जाहिर करने के लिए एक मानव श्रृंखला के रूप में अपनी एकजुटता दिखायी हो.
इसके साथ ही, शराबबंदी के समर्थन में मानव श्रृंखला के आयोजन पर राज्य के कई बड़े राजनेताओं ने भी अपने बयान दिये. सत्ताधारी दल के कई नेता अपने गृह नगरों में मानव श्रृंखला में खुद को शामिल कर इसका जोरदार स्वागत भी किया. राजद के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने पहली बार अपना बयान देते हुए कहा कि मानव श्रृंखला विश्व रिकॉर्ड बनायेगी. लोग शराब से दूर रहें. वहीं, राजद के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे ने कहा कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के नेतृत्व में बिहार में आयोजित मानव श्रृंखला ने विश्व रिकॉर्ड कायम किया.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पटना का गाँधी मैदान अब तक जातियों और पार्टियों की रैली का गवाह रहा है पर शनिवार के दिन यह जाती और पार्टी से ऊपर उठकर सामाजिक और सर्वप्रिय रैली तथा मानव श्रृंखला का गवाह बना. गाँधी मैदान में बिहार का मानचित्र बनाया गया था जिसके किनारे सभी गण-मान्य और आम-लोग खड़े थे. नितीश कुमार और लालू एक दूसरे का हाथ मजबूती से पकडे और प्रफ्फुल्लित मुद्रा में नजर आये! दूसरे दल के लोग भी साथ थे इसमें किसी पार्टी का झन्डा बैनर का इस्तेमाल नहीं किया गया था. नशामुक्त बिहार लिखा हुआ टोपी, झंडे और बैनर जरूर इस्तेमाल किये गये.
सबसे बड़ी बात यह रही कि इसमें बिना किसी दबाव के स्वमेव
स्फूर्त बच्चे, बच्चियां, महिलाएं, पुरुष और बुजुर्ग भी नजर आये! सबका उत्साह और
मनोभाव मुघ्ध कर देने वाला था. एकाध जगह कुछ बच्चे बेहोश हुए या दुर्घटना के शिकार
हुए इसके अलावा कोई बड़ी दुर्घटना की खबर नहीं आयी!
बिहार सरकार का दावा है कि शराब-बंदी के बाद से अपराध और दुर्घटनाओं
में कमी आयी है! लोगों की मिहनत की कमाई के पैसे की भी बचत हो रही है, साथ ही इससे
व्यक्तिगत और सामाजिक स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पर रहा है! इसके बाद बिहार को
पूर्ण रूप से नशामुक्त करने का भी अभियान है जिसमे- सिगरेट, खैनी, जर्दा, गुटखा,
आदि भी शामिल होगा. हम कामना करते हैं कि बिहार सरकार का यह प्रयास सफल हो और लोग
स्वत: इस बुराई से छुटकारा पायें. यह भी मोदी जी की स्वच्छता अभियान में एक कदम
होगा. सिगरेट, खैनी, पान, गुटखा आदि खानेवाले भी गंदगी फैलाते हैं. कहीं भी थूक
देते हैं. इससे इसके सेवन करनेवाले के स्वास्थ्य पर बुरा असर तो पड़ता ही है, आस-पास
के लोग भी इसके शिकार होते हैं.
बिहार के छवि काफी दिनों से ख़राब थी, नीतीश ने काफी हद तक
इसे सुधारने का हर संभव प्रयास किया है. आगे भी वे करेंगे, ऐसी उम्मीद है साथ ही उनके
राष्ट्रीय नेता की छवि भी आकार लेती हुई नजर आ रही है. मोदी जी गुजरात को मॉडल
राज्य बनाकर ही राष्ट्रीय नेतृत्व में उभरे थे. उनके टक्कर का नेता अभी कोई दिख
नहीं रहा. राजनीति संभावनाओं का खेल भी है. कभी भी कुछ भी संभव है! एक बार जय
बिहार के साथ! जय भारत!
- जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर.
हार्दिक आभार आदरणीय!
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