Saturday, 14 January 2017

सेना के जवानों का दर्द!

किसी भी देश की सेना उस देश की शक्ति का अहसास करती है! सेना हमारी सीमा की रक्षा करती है. दुश्मनों के आक्रमण से बचाती है. देश में किसी प्रकार की आपदा हो हम सेना के योगदान और कर्तव्यपरायणता को नकार नहीं सकते. सेना के जवान बड़े अनुशासित होते हैं और हर विकट परिस्थिति से जूझने के लिए दिन-रात तैयार रहते हैं. हम सबने देखी-सुनी है सेना के महारत को, उसकी निष्ठा को, राष्ट्र के प्रति भक्ति को! वे हमारे आदर्श भी हैं! हमें अनुशासन का पाठ सेना का उदाहरण देकर सिखाया जाता है. देश भक्ति का आचरण भी हमें सेना का उदाहरण देकर ही सिखलाया जाता है. यहाँ तक कि JNU के कन्हैया कुमार को भी अदालत ने सेना का ही उदाहरण देकर नसीहत दी थी. फिलहाल नोटबंदी के दौरान लाइन में लगे लोगों को भी सेना का उदाहरण देकर समझाया जाता था... तुम लोग यहाँ नोट लेने के लिए लाइन में लगकर परेशानी महसूस कर रहे हो ... सीमा पर हमारे जवान को देखो, वे किन विकट परिस्थितियों में देश की रक्षा कर रहे हैं. सेना के सर्जिकल स्ट्राइक पर हम सब फूले नहीं समा रहे थे. यहाँ तक कि नोटबंदी को भी मोदी जी का भ्रष्टाचार, आतंकवाद आदि पर सर्जिकल स्ट्राइक कहा जाने लगा था. पर पिछले दिन ऐसा क्या हो गया कि एक के बाद एक विडियो आने लगे सेना या अर्ध सेना बल के जवानों की तरफ से ... कभी खाने को लेकर, अधिकारियों के भ्रस्टाचार को लेकर तो कभी ऑफिसर की तीमारदारी को लेकर...           
सर्वप्रथम खराब खाने की शिकायत को लेकर वीडियो डालने वाले जवान तेज बहादुर ने 31 दिसंबर को वीआरएस यानी वॉलेंट्री रिटायरमेंट का आवेदन दिया था, जिसे मंजूर कर लिया गया है. अब 31 जनवरी को तेजबहादुर बीएसएफ की सर्विस से रिटायर हो जाएंगे. जानकारी के मुताबिक, तेजबहादुर ने वीडियो डालने से पहले ही 31 दिसंबर को स्वैच्छिक रिटायरमेंट यानि वीआरएस के लिए आवेदन कर दिया था. फिलहाल तेजबहादुर को दूसरी यूनिट में प्लंबर का काम दिया गया है.
तेज बहादुर के वीडियो डालने के बाद बवाल मच गया है. इस मामले में गृह मंत्रालय के साथ पीएमओ ने अपनी दिलचस्पी दिखाई है. बीएसएफ ने गृह मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. तेजबहादुर के सोशल मीडिया पर वीडियो डालने के बाद बीएसएफ के अधिकारी ने उस जगह का दौरा किया था, जहां उनकी पोस्टिंग थी.
रिपोर्ट में बताया गया है कि बीएसएफ अधिकारी की जांच के दौरान उसी यूनिट के किसी अन्य जवान ने खाने की गुणवत्ता को लेकर कोई शिकायत नहीं की. सूत्रों के मुताबिक, रिपोर्ट में कहा गया है कि डॉक्टर अभी खाने की क्वालिटी और न्यूट्रीशन को लेकर जांच कर रहे हैं. बीएसएफ चार से पांच दिन में फाइनल रिपोर्ट गृह मंत्रालय को भेजेगा.
सुरक्षा बलों के जवानों की शिकायत रुक नहीं रही है. बीएसएफ और सीआरपीएफ के बाद अब एसएसबी के एक जवान ने अफसरों पर तेल और राशन बेचने का आरोप लगाया है. जवान ने कहा, ‘’बॉर्डर पर ड्यूटी करता हूं. वहां पर बहुत सारी मुश्किलें हैं. जैसे कि मोबाइल का नेटवर्क नहीं रहना. आने जाने के लिए सरकार गाड़ी तक नहीं देती.  वहां के अफसर गाड़ी का तेल भी बेच देते हैं. अफसर तेल बेचते हैं, खाने का राशन बेचते हैं इससे ज्यादा मैं क्या बोलूंगा.’’ SSB जवान ने तेज बहादुर का समर्थन किया...इस जवान ने तेज बहादुर की शिकायत को भी सही बताया है. जवान ने कहा, ‘’जली हुई रोटी और दाल जो जवान ने दिखाया है वो सच है.’’ इस जवान ने जो आरोप लगाए हैं उस पर एसएसबी ने अभी तक कुछ नहीं कहा है. एसएसबी का गठन भारत चीन युद्ध के बाद 1963 में किया गया था. इसका मकसद सीमा से लगे दूरदराज के इलाकों की सुरक्षा है.
बीएसएफ के जवान तेज बहादुर हों या सीआरपीएफ के जीत सिंह या फिर एसएसबी का जवान. इनके आरोपों ने अर्धसैनिक बलों को दी जाने वाली सुविधाओं पर बड़ा सवाल उठाया है. हालांकि तेज बहादुर का मामला पीएम मोदी के दफ्तर तक पहुंच गया है. पीएम ने गृह मंत्रालय से रिपोर्ट मांगी है. उम्मीद है कि पीएमओ के दखल के बाद अर्धसैनिक बलों की हालत सुधरे.
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जवानों की शिकायत पर सेनाध्यक्ष बिपिन रावत ने बड़ा बयान दिया है. बिपिन रावत ने जवानों से कहा है कि  सोशल मीडिया पर शिकायत जारी करने की जगह अपनी परेशानी सीधे मुझ तक पहुंचाएं. सेनाध्यक्ष बिपिन रावत ने इस बाबत कमांड हेडक्वॉर्टर पर शिकायत के बक्से रखने का निर्देश दिया है. रावत ने जवानों से कहा कि अपनी किसी भी प्रकार की शिकायत को शिकायत पेटी में ही डालें और सेना के नेतृत्व पर भरोसा रखें.
पिछले कई दिनों से सेना की जवानों ने वीडियो जारी कर अधिकारियों और सुविधाओं को लेकर शिकायत की है. इनमें सबसे पहले बीएसएफ के जवान तेज बहादुर ने खराब खाना मिलने, सीआरपीएफ के जवान जीत सिंह ने सुविधाएं न मिलने, एसएसबी के एक जवान ने अधिकारियों पर तेल और राशन बेचने और सेना के जवान यज्ञ प्रताप सिंह ने घरों में अफसरों की तरफ से निजी कार्य कराने जैसे आरोप लगाए हैं.
बीएसएफ और सीआरपीएफ के बाद अब सेना के एक जवान का वीडियो सामने आया है. ये वीडियो भी वायरल हो रहा है. जवान का नाम यज्ञ प्रताप सिंह है और वो 42 ब्रिगेड देहरादून में तैनात था. यज्ञ प्रताप ने पिछले साल 26 जून को प्रधानमंत्री कार्यालय से सेना के अधिकारियों की शिकायत की थी. जवान का आरोप है कि अधिकारी सैनिकों से घरों में सेवादारी करवाते हैं. ये शिकायत करने के बाद यज्ञ प्रताप को वहां से ट्रांसफर कर दिया गया है. जवान यज्ञ प्रताप के आरोप पर सेना का बयान आया है. सेना का कहना है कि इतनी बड़ी सेना में कुछ निजी शिकायतें मिलने से इनकार नहीं किया जा सकता. लेकिन इस जवान की शिकायत की जांच जा रही है और उसका समाधान करने की कोशिश की जा रही है. 42 ब्रिगेड की ये एक मात्र शिकायत है.
यज्ञ प्रताप की पत्नी का कहना है कि इस विडियो के बाद यज्ञ प्रताप का मोबाइल फोन जब्त कर लिया गया है ... वे भूख हड़ताल पर बैठे हैं. तेज प्रताप की पत्नी भी परेशान हैं कि तेज प्रताप के साथ कोई अनहोनी न हो जाय! यही पत्नियाँ और परिजन गौरवान्वित होकर कहती थीं कि “मेरा पति/बेटा/भाई देश के काम आया है”, जब उनके शव किसी मुठभेड़ में मरने के बाद उनके पास पहुंचते थे.
इन सबके बाद भी रक्षा मंत्री और प्रधान मंत्री चुप हैं, हालाँकि गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू बयान दे रहे हैं, वे लोकतंत्र में आवाज उठाने को तो जायज मानते हैं पर अनुशासन और सेना के मनोबल को बनाये रखने की भी बात कह रहे हैं. उम्मीद है जवानों की भी सुनी जायेगी और उनके मनोबल को टूटने नहीं दिया जाएगा.
असंतोष हर जगह होता है, हो भी सकता है, लोग अपने सीनियर से शिकायत भी करते हैं. कुछ असर नहीं होने पर ही कोई भी व्यक्ति सोसल मीडिया या अन्य मीडिया का सहारा लेता है, ऐसा मेरा मानना है. प्रधान मंत्री भी सोसल मीडिया को महत्व देते हैं. अत: सबसे उत्तम बात तो यही होगी कि जवानों की शिकायत की तरफ ध्यान दिया जाय ताकि उनका मनोबल न टूटे! आखिर सेना सही सलामत है तभी हम सभी सही सलामत हैं. सेना में विद्रोह कभी भी जायज नहीं हो सकता. हम सबों का भी कर्तव्य है कि सेना में अगर कोई कमी है तो उसे दूर करने के लिए आवाज बुलंद करें! जय जवान जय किसान का नारा हमारे पूर्व प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने दिया था. सेना के जवान और देश के जवान, कर्मचारी, किसान, मजदूर ये सभी हमारे देश की नींव हैं. दुर्भाग्य से आज किसान भी बड़ी विकट परिस्थिति में हैं. फसल ख़राब होने या उचित दाम न मिलने पर आत्महत्या को मजबूर हैं. योजनायें बनती हैं. फंड भी दी जाती है, दिक्कत है कि यह फंड उन तक नहीं पहुंचता, पहले भी आज भी... स्थिति ज्यादा उत्साहजनक नहीं है, बल्कि नोटबंदी के दौरान किसानो और दैनिक मजदूरों की हालत बदतर हुई है! उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार ज्वलंत समस्यायों को प्रमुखता से सुलझाएगी. नारों से जोश पैदा होती है. धरातल पर काम होने पर ही सबको दीखता है... जय हिन्द! जयहिंद के जवान और किसान!

-    -  जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर. 

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