हम्पी : खंडहरों का रोमांच(भग्नावशेषों की प्रेम कथा)
एक पौराणिक
गाथाओं का विलुप्त शहर, हम्पी, कभी एक शक्तिशाली साम्राज्य की
राजधानी था। आज, उसका होश उडा देने वाला भव्य प्राकृतिक दृश्य
बड़े-बड़े गोल पत्थरों का फैला हुआ दृश्य, उसकी विनाश लीला की कहानी कह रहा है. एक विलुप्तप्राय
पौराणिक, ऐतिहासिक, बलशाली और समृद्ध शहर हम्पी, जो तुंगभद्र नदी के तट पर
स्थित है, कर्नाटक के
आकर्षणों में से एक है. रानी का स्नानागार, एक शानदार कमल महल, एक शाही अश्वशाला और मंदिर जहाँ भगवान शिव और
देवी पार्वती का विवाह हुआ था, यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थली, प्रत्येक मोड़ पर ऐतिहासिक
पहलू प्रकट करती है। विनाश के बावजूद भी, हम्पी की भव्य
संरचनाएं यहाँ की अमीरी की कहानी कहती है. हम्पी का उल्लेख हिन्दू महाकाव्य रामायण
में भी मिलता है. बताया जाता है कि यह वानर राज्य किष्किन्धा की राजधानी था.
हम्पी का भव्य
स्थल, दक्षिणी भारत में
सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है. यह शक्तिशाली राज्य विजयनगर की आखिरी राजधानी थी। उसके अमीर राजकुमारों ने उत्कृष्ट मन्दिर और
महल, बनाए जिसकी
प्रशंशा 14वीं और 16वीं शताब्दियों के बीच आये पर्यटकों ने की।
बहुत बडे गोल पत्थरों के ढेरों के बीच एक अद्भुत प्राकृतिक दृश्य कई
किलोमीटर तक जगह-जगह फैला हुआ, वास्तुकला के नायाब खंडहर, पर्वतारोही, ट्रैकर(खोजी),
अन्य साहसिक कार्य करनेवाले एवं खेल प्रेमियों के लिए उत्साह एवं आकर्षण का
संवर्धन करता है. इन चट्टानों के पुराने विविध रंगों को ,
हरे भरे ताड़ के पेड़, केले के बगीचे और
धान के खेत संतुलित कर देते हैं। आज यह
शान्त नगर, भक्तों, शैलानियों, साहसिक और जोखिम भरे कार्य करनेवालों, जिज्ञाशुओं का
केंद्र बना हुआ है.
प्रमुख आकर्षण: विरुपक्ष
मन्दिर: विरुपक्ष मन्दिर, इस क्षेत्र में सबसे अधिक पुरानी संरचनाओं में से
एक है, हम्पी बाजार के
पास ही स्थित है. प्रमुख तीर्थ स्थान भगवान विरुपक्ष, भगवान शिव के एक अवतरण को समर्पित है। मन्दिर की 49मीटर(लगभग) गुम्बद या गोपुरम् के बारे में कहा
जाता है की यह 1442 का बना हुआ है और नगर के उस पार से भी दिखता है। यह हम्पी का एकमात्र मन्दिर है, जिसमे आज भी
विधिवत पूजा-आराधना की जाती है.
विट्टल मन्दिर: 16वीं शताब्दी का
विट्टल मन्दिर, इस क्षेत्र में सबसे अधिक अलङ्कृत स्मारकों में से
एक है, जो विजयनगर की सर्वोत्तम
वास्तुकला को दर्शाता है। अत्यधिक नक्काशी
की कला से अलङ्कृत किया हुआ, मन्दिर की विशिष्टता का एक शानदार नमूना, पत्थर का रथ है,
जो आँगन में खडा है। दंतकथाओं के अनुसार
यह भगवान विष्णु का रथ है जिसके पहिये कभी घूमते थे. इस मन्दिर की एक और विशेषता उसके सङ्गीत
स्तम्भ हैं, जिन्हें जब भी थपथपाया जाता है, 81 प्रकार के अलग-अलग सङ्गीत यन्त्रों की आवाजें
निकलती हैं. यह कल्याण मंडप और उत्सव मंडप जैसा संयुक्त इमारतों में से एक पूर्ण
रूप से विकसित मन्दिर है। मन्दिर परिसर
में वसंतोत्सव मंडप के साथ एक बडा पुष्करिणी है, जो पानी के विभिन्न नाले, नहरों के जाल के साथ
जुड़ा है ।
रानी का
स्नानागार : बाहर से एक निर्बाध
आयताकार संरचना जो एक अलंकृत बलुआ पत्थर के रंग के इंटीरियर को प्रकट करती है, क्वीन्स बाथ(रानी
का स्नानागार) हम्पी में उत्कृष्ट भारत-इस्लामी वास्तुकला के बेहतरीन उदाहरणों में
से एक है। कहा जाता है कि राजाओं और
रानियों के लिए बना हुआ, प्रमुख स्नान-ताल सुन्दर मेहराबों, बरामदों, खम्भों से घिरा
हुआ खिडकियों के साथ अलङ्कृत छज्जों से सुसज्जित है।
जनाना अहाता (महिला प्रांगण): दीवारों से घिरे महिलाओं के घर जनाना अहाते(महिला परिसर) के अन्दर है। एक
संरचना जो शायद प्राचीन हम्पी की शाही महिलाओं के लिए बनाई गई थी, उसके खंडहर एक
मजबूत इमारत की छवि तैयार करते हैं, इसके चारों ओर निगरानी करने वाले और हिंदू
देवताओं और देवियों की मूर्तियों के साथ एक भव्य नक्काशीदार अन्तरंग और छिछले निचले
इलाके, हालांकि उपयोग
करने योग्य स्थिति में नहीं है, प्रकाश और छाया का एक असली खेल बनाता है, क्योंकि सूर्य
पानी में प्रतिबिंबित होता हुआ, पत्थर के खंभे और छत पर एक खाका खींचता है। यहाँ एक और माना हुआ आकर्षण रानियों के लिए एक
मनोरंजन हेतु हवेली, सुन्दर कमल महल मंडप है। कमल मंडप के बारे में कहा जाता है
कि वह उस समय रानियों के लिए सुसज्जित और प्राकृतिक रूप से वातानुकूलित था.
हाथी शालाएं : जनाना परिसर के पास ही एक शानदार भवन है जिनमे
शाही हाथियों को रखा जाता था. यहाँ गुम्बज और मेहराब के छत तथा द्वारपथ के साथ 11 कक्ष हैं, जहाँ
कभी हाथियों को रखा जाता था. हर एक कक्ष में एक छोटी खुली जगह है जहाँ से महावत
प्रवेश करते थे.
नंदी प्रतिमा: भगवान शिव का वाहन, नंदी की विशालकाय प्रतिमा, हम्पी में
प्रतिष्ठित मूर्ति है। विरुपक्ष मन्दिर के
सामने, न्यूनतम-नक्काशी
की कला से पूरित, प्रतिमा, नंदी की बैठी हुई मुद्रा (अवस्था) को दर्शाती है।
हम्पी बाजार (प्राचीन वाणिज्यिक केंद्र का) के अन्त में, यह प्रतिमा खम्भी
संरचनाओं से चारों ओर से घेरी गयी है। यह हम्पी कला त्यौहार के लिए विजय उत्सव का प्रमुख स्थल है।
अनेगुंडी: प्राचीन मजबूत गाँव अनोखा अनेगुंडी जो हम्पी से
भी पुराना बताया जाता है, अपने चिर ग्रामीण परंपरा के आकर्षण को बनाए
रखता है। दन्त कथा कहती है कि हम्पी के
सामने तुंगभद्र नदी के किनारे, यह वही स्थान है जहाँ विजयनगर
साम्राज्य की सेना के हाथी रखे गये थे।
पौराणिक गाथाओं के अनुसार अनेगुंडी किश्किंधा(जो बाली और सुग्रीव का राज्य था) राज्य
का ही हिस्सा था, जिसका उल्लेख रामायण में किया गया है।
तुंगभद्र डैम: महान तुङ्गभद्र नदी के उस पार, जो कृष्णा की
उपनदी है एक बाँध बनाया गया है, यह बाँध हम्पी से लगभग २५ किलोमीटर होस्पेट के नगर के निकट
है। सुन्दर रूचिकर उद्यान और नृत्य करती हुई फव्वारों से युक्त जिन्हें रङ्गीन
प्रकाश से असाधारण रूप से प्रकाशित किया गया है, एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है।
चित्रदुर्गा: हम्पी से लगभग 150 कि.मी. दूर, बेंगलुरु और होस्पेट को जोड़नेवाली प्रमुख मार्ग
पर है, चित्रदुर्गा, उसका विशालकाय
कल्लीना कोट किला, आश्चर्यजनक सैनिक वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। इसके 19 द्वारमार्ग, 38 पिछवाड़ा प्रवेश, महल, मस्जिद, अन्नभंडार , तेल के गड्ढे, गुप्त प्रवेश द्वार, और पानी की टंकियां हैं। पहाड़ी पर किले परिसर
के अंदर चट्टानी परिवेश के बीच कई मंदिर
विस्तृत विश्लेषण (डीप डाइव): पुरातत्व संग्रहालय छोटा लेकिन महत्वपूर्ण है, हम्पी में
पुरातत्व क्षेत्र से बरामद मूर्तियों का एक शानदार संग्रह प्रदर्शित करता है। इसमें हम्पी स्थलाकृति के दो छोटे मॉडल(अनुकृति)
भी शामिल हैं, जिनमें स्मारक स्थित हैं।
बंगलोर से सडक
मार्ग द्वारा होसपेट जाने में लगभग ८ घंटे का समय लगता है. हम्पी देखने और समझाने
के लिए एक दिन का समय पर्याप्त नहीं है, फिर भी कार, ऑटो, और बैटरी से चलनेवाली
गाड़ी का सफ़र करने के बाद भी प्रौढ़ आदमी थक जाता है. स्कूली बच्चे अपनी शिक्षिकाओं
के आदेश से कतार-बद्ध होकर अनुशासित ढंग से चलते हुए भी आनंदित होते हैं.
पुरातत्व और
पर्यटन विभाग द्वारा संरक्षित संरचनाएं हमारी समृद्धि और कारीगरी की निपुणता की
गाथा कहती है. पत्थरों को तरासना, उस पर विभिन्न प्रकार की चित्रकारी करना और एक
के ऊपर एक सजाकर इस प्रकार रखना कि आज भी देखने में अनूठी लगे, निश्चित रूप से
हमारे इतिहास को अनूठा बताता है. कर्नाटक सरकार और स्थानीय लोगों की भागीदारी को
आप सराहे बिना नहीं रह सकते. प्रकृति की अनूठी विरासत जो आज हमें देखने को मिल रही
है निश्चित रूप से बचाकर रखने की आवश्यकता है.
बंगलोर से होसपेट
और होसपेट से हम्पी तक की सड़के बहुत ही अच्छी हैं. ऊपर से एक्सप्रेस वे का भी काम
चल रहा है ताकि कम से कम समय में यह दूरी तय की जा सके. आस पास के गाँव, जहाँ सिंचाई
का साधन है, फसलें हैं, नहीं तो बंजर सूखे खेत डरावने लगते हैं. उधर केले, नारियल,
सुपारी के घने जंगल भी दिखे, फूलों के बगान भी और धान, मक्के के खेत भी अपनी कहानी
सुना रहे थे. सबसे बड़ी बात लोगों की सरलता लगी और हिंदी न समझते हुए भी सहयोग करने
को उत्सुक दिखे. कुछ उद्योग धंधे एवं विंड मिल्स भी दिखाई पड़े...सुनते हैं मित्तल
और जिंदल ग्रुप इधर स्टील प्लांट लगाने को उत्सुक है. पर यहाँ पर उपलब्ध लौह अयस्क
की गुणवत्ता पर अभी सवाल खड़े हो रहे हैं. फिर भी कुछ स्पंज आयरन के कुछ कारखाने
दिखे. कर्नाटक में विकास हो रहा है और दिख भी रहा है ऐसा कह सकते हैं. - जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर.
हम्पी देखा हुआ है और जो देखने लायक जगह आपने लिखी हैं वो भी देखी है. पर किसी गाइड ने या इंटरनेट के किसी लेख में हम्पी का "पौराणिक" होना नहीं बताया गया.
ReplyDeleteआदरणीय हर्षवर्धन जी, इतिहास के प्रमाण होते हैं. पौराणिक कथाओं के प्रमाण ढूढ़ना मुश्किल है. रामायण में किष्किन्धा का वर्णन है और किष्किन्धा का यही क्षेत्र है यह मान्यता है. मैं इससे ज्यदा क्या प्रमाण दे सकता हूँ. मैंने भी ज्ञात स्रोतों के आधार पर ही लिखा है. आपकी प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार ..
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