मोदी सरकार का पहला बजट संसद में पेश किया गया. लोग इसे ‘उम्मीदों का बजट’ कह रहे हैं. बजट में लगभग हर वर्ग का ध्यान रक्खा गया है. किसानों, महिलाओं, मध्यमवर्ग के साथ साथ उद्योगपतियों का भी ख्याल रक्खा गया है. बकौल वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली – “मैंने चुन-चुन कर सबको कुछ न कुछ दिया है”. रक्षा में और बीमा क्षेत्र में FDI की सीमा को बढ़ाकर ४९% कर दिया है, जिससे देश में रोजगार बढ़ने की संभावना बढ़ेगी और सामान भी सस्ते में उपलब्ध होंगे ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है.
बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए, सड़क, एवं गंगा में परिवहन की योजना के साथ बिजली बनानेवाली कंपनियों को दस साल तक टैक्स में छूट के साथ, अल्ट्रा मेगा सोलर पावर प्रोजेक्ट लगाने का ऐलान सबको भानेवाला है. हर गाँव में बिजली, यातायात और संचार के साधनों के विकास से जहाँ गाँव से शहरों का पलायन रुकेगा, वही १०० स्मार्ट सिटी बनाने का सपना भी कम लुभावना नहीं दीखता.
महिलाओं की लिए सुरक्षा और ‘बेटी बचाओ, बेटी बढ़ाओ योजना भी काबिले तारीफ है, बशर्ते कि इनपर भरपूर अमल किया जाय. निर्भया फंड का लेखा-जोखा कुछ है या नहीं, यह भी बताना चाहिए था. किसानों की खेती में उत्पादकता बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है. हर क्षेत्र की मिट्टी की जांच कराई जायेगी और उसकी उर्वराशक्ति के अनुसार फसलें लगाई जायेगी. साथ ही नए कृषि अनुसन्धान के लिए पूसा के तर्ज पर दो बड़े भारतीय कृषि अनुसन्धान केंद्र और चार नए कृषि विश्वविद्यालयों की स्थापना की घोषणा भी सराहनीय है. किसानों को सस्ते दर(७%) पर ऋण, किसान विकास पत्र को फिर से शुरू किये जाने, और किसानो के लिए एक विशेष टी वी चैनेल के शुरू किये जाने की योजना मनोहारी है. नरेंद्र मोदी के सपने को साकार करने के लिए वित्त मंत्री ने हर संभव प्रयास किये हैं. अनाज भण्डारण, एवं कृषि उत्पादों की ढुलाई, उचित बाजार आदि की ब्यवस्था निश्चित ही क्रांतिकारी है, अगर इसे सही रूप से क्रियान्वित किया जाय.
शिक्षा के विकास के लिए पांच नए आई आई टी, पांच नए आई आई एम और चार नए AIMS के स्थापना की घोषणा सपने जैसा ही है. इन सब के लिए धन और संकल्प शक्ति कहाँ से आयेगी, पता नहीं, पर सपने तो सुन्दर हैं ही.
PPP यानी पब्लिक, प्राइवेट पार्टनरशिप के द्वारा धन जुटाने की प्रक्रिया पहले से भी जारी है, इसके अच्छे नतीजे मिल भी रहे हैं, भुगतान भले ही आम आदमी को करना पड़ता है.
‘नमामि गंगे’ के नाम से राष्ट्रीय गंगा संरक्षण मिशन के लिए २०३७ करोड़ का आवंटन बहुत ज्यादा नहीं कहा जायेगा, इससे पहले भी गंगा की सफाई पर करोड़ों के वारे-न्यारे हुए हैं नतीजा कुछ भी नहीं. गंगा दिन प्रतिदिन मैली होती गयी है. पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की नदियों को जोड़ने की महत्वाकांक्षा को भी आगे बढ़ाने का जिक्र किया गया है.
२०२२ तक सबको अपना घर का सपना भी कम सुहावना नहीं लगता है, इससे रियल एस्टेट क्षेत्र में आई गिरावट को सम्हालने की चेष्टा की गयी है. घर खरीदने में आयकर में मिली छूट लोगों को लुभाएगी. पिछली एन डी ए की सरकार में वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने भी इसमे छूट दी थी, जिसका लाभ अब तक लोग उठा रहे हैं. गावों और कस्बों में भी शुद्ध पेय जल की ब्यवस्था के लिए ३६०० करोड़ रुपये के साथ ग्रामीण पेय जल योजना की शुरुआत बहुत अच्छी है.
महंगाई और काले धन पर वित्त मंत्री मौन हैं और प्रधान मंत्री भी. उनकी सरकार आने के बाद महंगाई बढ़ती ही जा रही है. कहीं कोई रोक-टोक नहीं है. न तो कोई बड़े जमाखोर पकडे गए, नहीं कोई कारवाई हुई. मीटिंग्स जरूर हुई और मंत्रियों ने कह दिया – महंगाई नहीं बढ़ी. श्री गिरिराज सिंह के यहाँ से १.१४ करोड़ नगद की चोरी और बरामदगी वाला किस्सा भी बड़ा रोचक है. अब इस पर जांच चलेगी और लीपा-पोती की जायेगी, यह भी जग जाहिर है. सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी पर तो मुक़दमा हो चुका है. अदालती कार्रवाई जारी है. क्या ये भी सहारा श्री सुब्रत राय की तरह जेल जायेंगे. आसाराम बापू का क्या होनेवाला है. उनके विरुद्ध गवाही देने वाला तो इस दुनिया को अलविदा कह चुका है.
अगर बाजार जाकर देखें तो हर चीज के दाम बढे हैं और पैकेट के वजन कम कर दिए गए हैं, जिन पर ग्राहक बहुत कम ध्यान देता है. ऊपर से सरकारी आंकड़ों के अनुसार महंगाई बढ़ने की दर में कमी हुई है …ये आंकडे क्या कहते हैं – सुषमा स्वराज को कांग्रेस के शासन में समझ में नहीं आते थे, अब समझ में आने लगे हैं शायद?
कुछ चीजों पर टैक्स घटाकर दाम कम करने की कोशिश की गयी है, तो कुछ विलासिता और नशीली चीजों के दाम बढ़ाये गए है, जो अच्छा ही है. परिणाम क्या हुआ कि अभी से ही तम्बाकू और पान मसाले की कालाबाजारी चालू हो गयी और सस्ते होनेवाले सामान तो तब सस्ते होंगे, जब नया स्टॉक आयेगा.
कांग्रेस के अनुसार यह उसी के बजट का विस्तार है तो कांग्रेस और भाजपा की नीति में कोई खास परिवर्तन नहीं ही दीखता है. जब वे विपक्ष में थे तो FDI का विरोध कर रहे थे अब उन्हें यह जरूरी लगता है. वे भी अर्थ ब्यवस्था को ठीक कर रहे थे, ये भी वही कर रहे हैं. कुछ नामों का हेर-फेर है. महात्मा गाँधी, नेहरू, इंदिरा, राजीव की जगह श्री दीनदयाल उपाध्याय, श्यामाप्रसाद मुखर्जी, पंडित मदन मोहन मालवीय और लोकनायक जयप्रकाश के नाम उजागर हुए हैं. इनके नाम कुछ योजनाओं के साथ जोड़े गए हैं. ये सभी कांग्रेस का विरोध वाले नेता रहे हैं. सरदार वल्लभ भाई पटेल की एकता की मूर्ती के लिए २०० करोड़ रुपये की अलग से ब्यवस्था की गयी है. ये जवाहर लाल नेहरू के प्रतिद्वंद्वी थे.
करीब बीस योजनायें जिनमे बेटी बचाओ, बेटी बढ़ाओ, और गाँव में शहरी सुविधा भी शामिल है, के लिए १०० करोड़ समान रूप से आवंटित की गयी है. कश्मीरी पंडितों की वापसी के लिए ५०० करोड़ की ब्यवस्था की गयी है. कुछ राज्यों में आगामी चुनाव को देखते हुए शायद ज्यादा कड़वी दवा देने की कोशिश से परहेज किया गया है. जहाँ जरूरत है, वहीं टैक्स बढाया गया है.
रेल भाड़ा बृद्धि कांग्रेसी सरकार का था, उसे ज्यों का त्यों लागू कर दिया गया. पर खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत लोगों को अनाज मुहैया करने की योजना का क्या हुआ, जिक्र नहीं है. जन वितरण प्रणाली को बेहतर बनाने की बात सभी सरकारें करती रही है, पर इनमे कितना भ्रष्टाचार होता है, इन्हें रोकने में कोई भी अभी तक सफल नहीं हुआ है. रामविलास पासवान से भी ज्यादा उम्मीद रखना बेमानी होगी, क्योंकि वे तो मानते हैं कि मीडिया की वजह से महंगाई बढ़ी है. यह बात भी वे मीडिया के माध्यम से ही कहते हैं.
बजट के दौरान प्रधान मंत्री चिंतन की मुद्रा में दिखे …शायद वे कुछ नए शब्द सोच रहे थे.
उनके अनुसार आम बजट मरणासन्न पडी अर्थब्यवस्था के लिए संजीवनी है. यह बजट भारत को विकास की नई ऊँचाइयों तक ले जानेवाला है. गरीबों और दबे कुचले तबकों के लिए यह आशा की किरण है.
बजट के बाद अमरीका की बेताबी बढ़ी है, कभी नरेंद्र मोदी को वीजा देने से इंकार करने वाला अमरीका मोदी को निमंत्रण देने आ पहुंचा. ओबामा ने सितम्बर में मिलने के लिए बुलाया है, देखना यह होगा कि अमेरिका की दिलचश्पी किस क्षेत्र में निवेश की है. क्या वह रक्षा उपकरणों के निर्माण में विनिवेश करेगा या फिर हमारे लिए जासूसी कर खतरे का कारण बनेगा. वैसे भी वह भाजपा की जासूसी पहले कर चुका है, जिससे भाजपा वाले नाराज भी थे.
मिलाजुकर सभी घोषणाएँ अच्छी हैं, अगर वे नेक नीयत से धरातल पर उतरें. वित्त मंत्री कहते है, यह तो शुरुआत है, आगे और बातें होंगी, जिससे देश और देशवासी का विकास निश्चित होगा. हम सभी यही तो चाहते हैं. जय हिन्द !
जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर
बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए, सड़क, एवं गंगा में परिवहन की योजना के साथ बिजली बनानेवाली कंपनियों को दस साल तक टैक्स में छूट के साथ, अल्ट्रा मेगा सोलर पावर प्रोजेक्ट लगाने का ऐलान सबको भानेवाला है. हर गाँव में बिजली, यातायात और संचार के साधनों के विकास से जहाँ गाँव से शहरों का पलायन रुकेगा, वही १०० स्मार्ट सिटी बनाने का सपना भी कम लुभावना नहीं दीखता.
महिलाओं की लिए सुरक्षा और ‘बेटी बचाओ, बेटी बढ़ाओ योजना भी काबिले तारीफ है, बशर्ते कि इनपर भरपूर अमल किया जाय. निर्भया फंड का लेखा-जोखा कुछ है या नहीं, यह भी बताना चाहिए था. किसानों की खेती में उत्पादकता बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है. हर क्षेत्र की मिट्टी की जांच कराई जायेगी और उसकी उर्वराशक्ति के अनुसार फसलें लगाई जायेगी. साथ ही नए कृषि अनुसन्धान के लिए पूसा के तर्ज पर दो बड़े भारतीय कृषि अनुसन्धान केंद्र और चार नए कृषि विश्वविद्यालयों की स्थापना की घोषणा भी सराहनीय है. किसानों को सस्ते दर(७%) पर ऋण, किसान विकास पत्र को फिर से शुरू किये जाने, और किसानो के लिए एक विशेष टी वी चैनेल के शुरू किये जाने की योजना मनोहारी है. नरेंद्र मोदी के सपने को साकार करने के लिए वित्त मंत्री ने हर संभव प्रयास किये हैं. अनाज भण्डारण, एवं कृषि उत्पादों की ढुलाई, उचित बाजार आदि की ब्यवस्था निश्चित ही क्रांतिकारी है, अगर इसे सही रूप से क्रियान्वित किया जाय.
शिक्षा के विकास के लिए पांच नए आई आई टी, पांच नए आई आई एम और चार नए AIMS के स्थापना की घोषणा सपने जैसा ही है. इन सब के लिए धन और संकल्प शक्ति कहाँ से आयेगी, पता नहीं, पर सपने तो सुन्दर हैं ही.
PPP यानी पब्लिक, प्राइवेट पार्टनरशिप के द्वारा धन जुटाने की प्रक्रिया पहले से भी जारी है, इसके अच्छे नतीजे मिल भी रहे हैं, भुगतान भले ही आम आदमी को करना पड़ता है.
‘नमामि गंगे’ के नाम से राष्ट्रीय गंगा संरक्षण मिशन के लिए २०३७ करोड़ का आवंटन बहुत ज्यादा नहीं कहा जायेगा, इससे पहले भी गंगा की सफाई पर करोड़ों के वारे-न्यारे हुए हैं नतीजा कुछ भी नहीं. गंगा दिन प्रतिदिन मैली होती गयी है. पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की नदियों को जोड़ने की महत्वाकांक्षा को भी आगे बढ़ाने का जिक्र किया गया है.
२०२२ तक सबको अपना घर का सपना भी कम सुहावना नहीं लगता है, इससे रियल एस्टेट क्षेत्र में आई गिरावट को सम्हालने की चेष्टा की गयी है. घर खरीदने में आयकर में मिली छूट लोगों को लुभाएगी. पिछली एन डी ए की सरकार में वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने भी इसमे छूट दी थी, जिसका लाभ अब तक लोग उठा रहे हैं. गावों और कस्बों में भी शुद्ध पेय जल की ब्यवस्था के लिए ३६०० करोड़ रुपये के साथ ग्रामीण पेय जल योजना की शुरुआत बहुत अच्छी है.
महंगाई और काले धन पर वित्त मंत्री मौन हैं और प्रधान मंत्री भी. उनकी सरकार आने के बाद महंगाई बढ़ती ही जा रही है. कहीं कोई रोक-टोक नहीं है. न तो कोई बड़े जमाखोर पकडे गए, नहीं कोई कारवाई हुई. मीटिंग्स जरूर हुई और मंत्रियों ने कह दिया – महंगाई नहीं बढ़ी. श्री गिरिराज सिंह के यहाँ से १.१४ करोड़ नगद की चोरी और बरामदगी वाला किस्सा भी बड़ा रोचक है. अब इस पर जांच चलेगी और लीपा-पोती की जायेगी, यह भी जग जाहिर है. सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी पर तो मुक़दमा हो चुका है. अदालती कार्रवाई जारी है. क्या ये भी सहारा श्री सुब्रत राय की तरह जेल जायेंगे. आसाराम बापू का क्या होनेवाला है. उनके विरुद्ध गवाही देने वाला तो इस दुनिया को अलविदा कह चुका है.
अगर बाजार जाकर देखें तो हर चीज के दाम बढे हैं और पैकेट के वजन कम कर दिए गए हैं, जिन पर ग्राहक बहुत कम ध्यान देता है. ऊपर से सरकारी आंकड़ों के अनुसार महंगाई बढ़ने की दर में कमी हुई है …ये आंकडे क्या कहते हैं – सुषमा स्वराज को कांग्रेस के शासन में समझ में नहीं आते थे, अब समझ में आने लगे हैं शायद?
कुछ चीजों पर टैक्स घटाकर दाम कम करने की कोशिश की गयी है, तो कुछ विलासिता और नशीली चीजों के दाम बढ़ाये गए है, जो अच्छा ही है. परिणाम क्या हुआ कि अभी से ही तम्बाकू और पान मसाले की कालाबाजारी चालू हो गयी और सस्ते होनेवाले सामान तो तब सस्ते होंगे, जब नया स्टॉक आयेगा.
कांग्रेस के अनुसार यह उसी के बजट का विस्तार है तो कांग्रेस और भाजपा की नीति में कोई खास परिवर्तन नहीं ही दीखता है. जब वे विपक्ष में थे तो FDI का विरोध कर रहे थे अब उन्हें यह जरूरी लगता है. वे भी अर्थ ब्यवस्था को ठीक कर रहे थे, ये भी वही कर रहे हैं. कुछ नामों का हेर-फेर है. महात्मा गाँधी, नेहरू, इंदिरा, राजीव की जगह श्री दीनदयाल उपाध्याय, श्यामाप्रसाद मुखर्जी, पंडित मदन मोहन मालवीय और लोकनायक जयप्रकाश के नाम उजागर हुए हैं. इनके नाम कुछ योजनाओं के साथ जोड़े गए हैं. ये सभी कांग्रेस का विरोध वाले नेता रहे हैं. सरदार वल्लभ भाई पटेल की एकता की मूर्ती के लिए २०० करोड़ रुपये की अलग से ब्यवस्था की गयी है. ये जवाहर लाल नेहरू के प्रतिद्वंद्वी थे.
करीब बीस योजनायें जिनमे बेटी बचाओ, बेटी बढ़ाओ, और गाँव में शहरी सुविधा भी शामिल है, के लिए १०० करोड़ समान रूप से आवंटित की गयी है. कश्मीरी पंडितों की वापसी के लिए ५०० करोड़ की ब्यवस्था की गयी है. कुछ राज्यों में आगामी चुनाव को देखते हुए शायद ज्यादा कड़वी दवा देने की कोशिश से परहेज किया गया है. जहाँ जरूरत है, वहीं टैक्स बढाया गया है.
रेल भाड़ा बृद्धि कांग्रेसी सरकार का था, उसे ज्यों का त्यों लागू कर दिया गया. पर खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत लोगों को अनाज मुहैया करने की योजना का क्या हुआ, जिक्र नहीं है. जन वितरण प्रणाली को बेहतर बनाने की बात सभी सरकारें करती रही है, पर इनमे कितना भ्रष्टाचार होता है, इन्हें रोकने में कोई भी अभी तक सफल नहीं हुआ है. रामविलास पासवान से भी ज्यादा उम्मीद रखना बेमानी होगी, क्योंकि वे तो मानते हैं कि मीडिया की वजह से महंगाई बढ़ी है. यह बात भी वे मीडिया के माध्यम से ही कहते हैं.
बजट के दौरान प्रधान मंत्री चिंतन की मुद्रा में दिखे …शायद वे कुछ नए शब्द सोच रहे थे.
उनके अनुसार आम बजट मरणासन्न पडी अर्थब्यवस्था के लिए संजीवनी है. यह बजट भारत को विकास की नई ऊँचाइयों तक ले जानेवाला है. गरीबों और दबे कुचले तबकों के लिए यह आशा की किरण है.
बजट के बाद अमरीका की बेताबी बढ़ी है, कभी नरेंद्र मोदी को वीजा देने से इंकार करने वाला अमरीका मोदी को निमंत्रण देने आ पहुंचा. ओबामा ने सितम्बर में मिलने के लिए बुलाया है, देखना यह होगा कि अमेरिका की दिलचश्पी किस क्षेत्र में निवेश की है. क्या वह रक्षा उपकरणों के निर्माण में विनिवेश करेगा या फिर हमारे लिए जासूसी कर खतरे का कारण बनेगा. वैसे भी वह भाजपा की जासूसी पहले कर चुका है, जिससे भाजपा वाले नाराज भी थे.
मिलाजुकर सभी घोषणाएँ अच्छी हैं, अगर वे नेक नीयत से धरातल पर उतरें. वित्त मंत्री कहते है, यह तो शुरुआत है, आगे और बातें होंगी, जिससे देश और देशवासी का विकास निश्चित होगा. हम सभी यही तो चाहते हैं. जय हिन्द !
जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर
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