अगर हो सके तो
फाड़ दो उन पन्नों को
जिसपर लिखी हो
इंसानियत,
मासूमियत, आदमीयत,
नेकनीयत,
अगर हो सके तो
फाड़ दो उन पन्नों को
जिए पर लिखा हो दर्द,
चीख, पुकार, रुदन और
क्रंदन!
अगर हो सके तो
फाड़ दो उन पन्नों को
जिसपर लिखा हो शांति,
मर्यादा, अच्छा, बुरा,
धर्म और जेहाद
अगर हो सके तो
फाड़ दो उन पन्नों को
जिसपर लिखा हो आन,
बान, शान और
तालिबान!
-
जवाहर
No comments:
Post a Comment