टाटा स्टील के कर्मचारी से झाड़खंड के नए मुख्य मंत्री बने रघुबर दास का सियासी सफर बेहद दिलचस्प रहा है। साल 1995 में जब भाजपा ने जमशेदपुर (पूर्व) विधानसभा सीट से उन्हें टिकट दिया था तो कई लोगों ने पार्टी के फैसले पर सवाल उठाए। सियासी मैदान में उनके खिलाफ कांग्रेस के दिग्गज नेता के पी सिंह और भाजपा के बागी दीनानाथ पांडेय थे। फिर भी सभी को चौंकाते हुए रघुबर दास ने जीत का परचम लहराया। साल 2000 के विधानसभा चुनाव में रघुवर दास ने एक बार फिर के पी सिंह को 47,963 मतों से शिकस्त देकर अपनी राजनीतिक कौशल का परिचय दिया।
मूल रूप से रघुबर दास बोईरडीह, राजनंदगाँव, छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं, हालांकि उनका जन्म 3 मई, 1955 को जमशेदपुर में हुआ। चार बार विधायक रह चुके रघुबर दास 30 दिसंबर 2009 से 29 मई 2010 तक उपमुख्युमंत्री रह चुके हैं।
पूर्वी जमशेदपुर विधानसभा सीट से विधायक रघुबर दास को अमित शाह की टीम का हिस्सा माना जाता है। बतौर भाजपा संगठन कार्यकर्ता वे कई प्रदेशों में भाजपा की जीत में अहम भूमिका निभा चुके हैं। चुनाव नतीजे आने के बाद उन्होंने पत्रकारों से कहा था, ‘मेरा नाम रघुबर दास है और मैं हमेशा जनता का दास बनकर रहूंगा।’ मोदीजी के शब्दों में कहें तो आपका सेवक !
बतौर भाजपा संगठनकर्ता वे कई प्रदेशों में भाजपा की जीत में अहम भूमिका निभा चुके हैं. रघुवर दास भाजपा के कद्दावर नेताओं में जरूर गिने जाते हैं, लेकिन उनका आरएसएस या अन्य सहयोगी संगठनों से कोई सीधा संबंध नहीं है. दास के मुख्यमंत्री बनाये जाने में इसे भी एक रोड़ा माना जा रहा था. रघुबर दास 1974 के छात्र आंदोलन के समय समाजवादी छात्र संगठनों के संपर्क में रहे. उसके बाद भाजपा का दामन थामने के बाद पार्टी ने उन्हें कई जिम्मेवारियां दी, जिसको उन्हों ने बखूबी निभाया. रघुबर दास का विवादों से भी नाता रहा है. झारखंड विधानसभा की एक समिति ने अपनी जांच में माना था कि दास ने अपने पद का इस्तेामाल करते हुए एक प्राइवेट फर्म को लाभ पहुंचाने की कोशिश की. उस वक्त अर्जुन मुंडा सरकार में दास शहरी विकास मंत्री थे.
झारखंड की राजनीति में एक धारणा को हमेशा बल मिला कि यहां का सीएम कोई आदिवासी ही होगा. इस मिथक को तोड़ते हुए दास के नाम पर मुहर लगाकर भाजपा ने दास को आदिवासियों और गैर आदिवासियों के बीच एक सेतु का काम करने की जिम्मेावारी भी दी है.
टाटा स्टील के एक कर्मचारी का आज राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में चुना जाना झारखंड के राजनीति के कई सवालों का जवाब है.
वैसे भी भाजपा पर इस बार गैर-आदिवासी मुख्यमंत्री बनाने का नैतिक दबाव था। सूबे में 32 फीसदी आबादी आदिवासियों की है। ऐसे में ओबीसी (तेली) से आने वाले रघुबर दास आदिवासी और अन्य समुदायों के बीच सेतु का काम करेंगे।
गौरतलब है कि 81 सदस्यीीय विधानसभा में भाजपा ने 37 सीटें जीती, जबकि उसकी सहयोगी ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (आजसू) पांच सीटें जीतने में कामयाब रही। इस तरह गठबंधन को सरकार बनाने लायक आंकड़े मिल गए। वहीं झामुमो को 19, झाविमो को 8, कांग्रेस को 6 और अन्ये को 6 सीटें मिली।
अब आइये कुछ और बातें जानते हैं श्री रघुबर दास के सम्बन्ध में- 1.रघुबर दास प्रदेश के पहले गैर आदिवासी मुख्यमंत्री होंगे. जमशेदपुर पूर्व सीट से उन्होंने लगातार पांचवी बार जीत हासिल की है. 2.59 साल के रघुबर दास ने जमशेदपुर कोऑपरेटिव कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई की. 3. पढ़ाई खत्म कर उन्होंने जमशेदपुर स्थित भारत की महत्वपूर्ण टाटा स्टील कंपनी में साधारण कर्मचारी के रूप में कई साल काम किया. 4. इसके बाद जेपी आंदोलन से जुड़े और फिर जनसंघ में शामिल हुए. 5. 1986 में टाटा स्टील कंपनी के एक मामले ने उनके जीवन को नया मोड़ दिया. 6.टाटा कंपनी में 86 बस्तियों को मालिकाना हक दिलाने के मामले में ली गई पहल से वे चर्चा में आए. उनकी उपलब्धि ये रही कि जिन 86 बस्तियां पर पहले टाटा का नियंत्रण था, वे सरकार के अधीन आ गईं. 7. झारखंड विधानसभा की कई कमिटियों के सभापति रह चुके रघुबर दास विधायी कार्यों के अनुभव के मामले में भी धनी हैं. 8. पार्टी के भीतर मुखर नेता की छवि होने के कारण उन्हें काफी पसंद किया जाता है. 9.इसके अलावा झारखंड वैश्य समुदाय में भी रघुबर दास खासे लोकप्रिय हैं. 10. जहां तक उनके परिवार की बात है तो पत्नी का नाम रुक्मिणी देवी है. वे गृहिणी हैं. एक बेटा, ललित दास और एक बेटी रेणु हैं. पिता : स्व. चवन राम.
राजनीतिक गतिविधि : छात्र जीवन से ही सक्रिय राजनीति की सेवा का माध्यम बनाया। छात्र संघर्ष समिति के संयोजक की भूमिका निभाते हुए जमशेदपुर में विश्वविद्यालय स्थापना के आंदोलन में भाग लिया। -लोकनायक जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति आंदोलन का जमशेदपुर में नेतृत्व किया। फलत: गया जेल में रखे गये। वहां इनकी मुलाकात प्रदेश के कई शीर्ष नेताओं से हुई। श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा देश में लगाये गये आपातकाल में भी उन्होंने जेल की यात्रा की। -1977 में श्री दास जनता पार्टी के सदस्य बने। -1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना के साथ ही इन्होंने सक्रिय राजनीति की शुरूआत की। मुंबई में हुए भाजपा के प्रथम राष्ट्रीय अधिवेशन में 1980 में भाग लिया। -जमशेदपुर में सीतारामडेरा भाजपा मंडल के अध्यक्ष बनाये गये। फिर महानगर जमशेदपुर के महामंत्री व तत्पश्चात उपाध्यक्ष बनाये गये।
भाजपा का नेतृत्व : 2005 में विधानसभा क्षेत्र का चुनाव होने के पूर्व श्री दास को 2004-05 में झारखंड प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष मनोनीत किया गया। इनके नेतृत्व में झारखंड विधानसभा चुनाव लड़ा गया और भाजपा राज्य में 30 सीटों पर विजय हासिल कर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। वर्ष 2009 के चुनाव के पूर्व इन्हें दोबारा भाजपा अध्यक्ष का दायित्व सौंपा गया। 16 अगस्त 2014 को अमित शाह की अध्यक्षता में गठित भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में इन्हें उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया।
प्रशासनिक दायित्व : 2000 में बिहार का विभाजन कर झारखंड अलग राज्य बनाया गया। झारखंड सरकार में रघुवर दास श्रम नियोजन मंत्री बनाये गये। इसके बाद अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में बनी सरकार में इन्हें भवन निर्माण विभाग का मंत्री बनाया गया। 2005 के विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में जब भाजपा के नेतृत्व में सरकार बनी तो श्री दास को वित्त, नगर विकास व वाणिज्य कर विभाग का मंत्री बनाया गया। 2009 में झारखंड में जब झामुमो और एनडीए की सरकार शिबू सोरेन के नेतृत्व में बनी तो इन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया गया तथा वित्त वाणिज्य कर, ऊर्जा, नगर विकास, आवास एवं संसदीय कार्य जैसे महत्वपूर्ण विभागों के दायित्व सौंपे गये।
१९९५ से लगातार विधायक रहे हैं…शुद्ध शाकाहारी धार्मिक प्रवृत्ति के स्वच्छ छवि वाले रघुबर दास, जमशेदपुर के लिए काफी लोकप्रिय हैं. वे एक अच्छे सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्त्ता के रूप में हमेशा लोगों के दुःख सुख में साथ रहते हैं. हर वर्गों के पर्व त्यौहार में भी अपनी सक्रियता दिखलाते हैं. चूंकि झाड़खंड बिहार का ही हिस्सा था, यहाँ रहने वाले और विभिन्न कारखानों में काम करने वाले अधिकांश मूलरूप से उत्तर बिहार या बिहार के हैं. वे होली दिवाली और छठ पूजा बड़े धूम धाम से मानते हैं. छठ पर्व में वे नदी के विभिन्न घाटों का दौरा करते हैं और शिविर लगाकर अपने कार्यकर्ताओं द्वारा और खुद भी आवश्यक मदद करतै हैं. सिद्धगोरा स्थित सूर्य मंदिर, उन्ही की पहल और प्राथमिक 10 हजार की अनुदान राशि का ही कमाल है कि आज वहां सूर्य भगवान का भव्य मंदिर सात घोड़ों के रथनुमा शैली में बना है. उसके सामने उद्यान, दो पक्के तालाब, जहाँ छठ व्रती छठ के अवसर पर भुवन-भास्कर को अर्घ्य देते हैं. अन्य दिनों में खासकर आजकल वहां वनभोज का आयोजन होता है, बच्चे विभिन्न खेल कूद प्रतियोगिता में भाग लेते हैं, नौकायन करते हैं और कभी कभी जन सभाएं भी होती है. पहले पूरा इलाका वीरान था, आज गुलजार है. पूर्वी जमशेदपुर क्षेत्र के ऐसे इलाके जहाँ टाटा कंपनी सीधे कोई सुविधा नहीं दे सकती उन इलाकों में बिजली, पानी, सड़क, एवं अन्य सुविधाएँ बहाल करने में रघुबर दास का बड़ा योगदान है, इसीलिये वे लगातार पांचवीं बार विधायक चुने गए हैं. अब पूरा झाड़खंड भी गुलजार हो, यही उम्मीद की जानी चाहिए. टाटा स्टील को लौह अयस्क और कोयला आदि कच्चा माल अपने खदानों से मिले ताकि अर्थब्यवस्था ठीक-ठाक बनी रहे. अमन और शांति का वातावरण हो…नक्सली समस्या का स्थाई हल निकले, मजदूरों का दूसरे राज्य की तरफ पलायन रुके, शिक्षा की स्थिति में सुधार में हो, …और भ्र्ष्टाचार से लड़ने का वादा तो खुद ही कर चुके हैं… इसी उम्मीद के साथ रघुबर जी को और उनके साथ शपथ ग्रहण करने वाले माननीय मंत्रियों न श्री नीलकंठ मुंडा जी, श्रीमान सी पी सिंह जी, चन्द्र प्रकाश चौधरी, और डॉ लुइस मरांडी को अनेक-अनेक शुभकामनाएं और बधाई! जय झाड़खंड! साथ में जोहार झाड़खंड भी !
- जवाहर लाल सिंह. जमशेदपुर.
मूल रूप से रघुबर दास बोईरडीह, राजनंदगाँव, छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं, हालांकि उनका जन्म 3 मई, 1955 को जमशेदपुर में हुआ। चार बार विधायक रह चुके रघुबर दास 30 दिसंबर 2009 से 29 मई 2010 तक उपमुख्युमंत्री रह चुके हैं।
पूर्वी जमशेदपुर विधानसभा सीट से विधायक रघुबर दास को अमित शाह की टीम का हिस्सा माना जाता है। बतौर भाजपा संगठन कार्यकर्ता वे कई प्रदेशों में भाजपा की जीत में अहम भूमिका निभा चुके हैं। चुनाव नतीजे आने के बाद उन्होंने पत्रकारों से कहा था, ‘मेरा नाम रघुबर दास है और मैं हमेशा जनता का दास बनकर रहूंगा।’ मोदीजी के शब्दों में कहें तो आपका सेवक !
बतौर भाजपा संगठनकर्ता वे कई प्रदेशों में भाजपा की जीत में अहम भूमिका निभा चुके हैं. रघुवर दास भाजपा के कद्दावर नेताओं में जरूर गिने जाते हैं, लेकिन उनका आरएसएस या अन्य सहयोगी संगठनों से कोई सीधा संबंध नहीं है. दास के मुख्यमंत्री बनाये जाने में इसे भी एक रोड़ा माना जा रहा था. रघुबर दास 1974 के छात्र आंदोलन के समय समाजवादी छात्र संगठनों के संपर्क में रहे. उसके बाद भाजपा का दामन थामने के बाद पार्टी ने उन्हें कई जिम्मेवारियां दी, जिसको उन्हों ने बखूबी निभाया. रघुबर दास का विवादों से भी नाता रहा है. झारखंड विधानसभा की एक समिति ने अपनी जांच में माना था कि दास ने अपने पद का इस्तेामाल करते हुए एक प्राइवेट फर्म को लाभ पहुंचाने की कोशिश की. उस वक्त अर्जुन मुंडा सरकार में दास शहरी विकास मंत्री थे.
झारखंड की राजनीति में एक धारणा को हमेशा बल मिला कि यहां का सीएम कोई आदिवासी ही होगा. इस मिथक को तोड़ते हुए दास के नाम पर मुहर लगाकर भाजपा ने दास को आदिवासियों और गैर आदिवासियों के बीच एक सेतु का काम करने की जिम्मेावारी भी दी है.
टाटा स्टील के एक कर्मचारी का आज राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में चुना जाना झारखंड के राजनीति के कई सवालों का जवाब है.
वैसे भी भाजपा पर इस बार गैर-आदिवासी मुख्यमंत्री बनाने का नैतिक दबाव था। सूबे में 32 फीसदी आबादी आदिवासियों की है। ऐसे में ओबीसी (तेली) से आने वाले रघुबर दास आदिवासी और अन्य समुदायों के बीच सेतु का काम करेंगे।
गौरतलब है कि 81 सदस्यीीय विधानसभा में भाजपा ने 37 सीटें जीती, जबकि उसकी सहयोगी ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (आजसू) पांच सीटें जीतने में कामयाब रही। इस तरह गठबंधन को सरकार बनाने लायक आंकड़े मिल गए। वहीं झामुमो को 19, झाविमो को 8, कांग्रेस को 6 और अन्ये को 6 सीटें मिली।
अब आइये कुछ और बातें जानते हैं श्री रघुबर दास के सम्बन्ध में- 1.रघुबर दास प्रदेश के पहले गैर आदिवासी मुख्यमंत्री होंगे. जमशेदपुर पूर्व सीट से उन्होंने लगातार पांचवी बार जीत हासिल की है. 2.59 साल के रघुबर दास ने जमशेदपुर कोऑपरेटिव कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई की. 3. पढ़ाई खत्म कर उन्होंने जमशेदपुर स्थित भारत की महत्वपूर्ण टाटा स्टील कंपनी में साधारण कर्मचारी के रूप में कई साल काम किया. 4. इसके बाद जेपी आंदोलन से जुड़े और फिर जनसंघ में शामिल हुए. 5. 1986 में टाटा स्टील कंपनी के एक मामले ने उनके जीवन को नया मोड़ दिया. 6.टाटा कंपनी में 86 बस्तियों को मालिकाना हक दिलाने के मामले में ली गई पहल से वे चर्चा में आए. उनकी उपलब्धि ये रही कि जिन 86 बस्तियां पर पहले टाटा का नियंत्रण था, वे सरकार के अधीन आ गईं. 7. झारखंड विधानसभा की कई कमिटियों के सभापति रह चुके रघुबर दास विधायी कार्यों के अनुभव के मामले में भी धनी हैं. 8. पार्टी के भीतर मुखर नेता की छवि होने के कारण उन्हें काफी पसंद किया जाता है. 9.इसके अलावा झारखंड वैश्य समुदाय में भी रघुबर दास खासे लोकप्रिय हैं. 10. जहां तक उनके परिवार की बात है तो पत्नी का नाम रुक्मिणी देवी है. वे गृहिणी हैं. एक बेटा, ललित दास और एक बेटी रेणु हैं. पिता : स्व. चवन राम.
राजनीतिक गतिविधि : छात्र जीवन से ही सक्रिय राजनीति की सेवा का माध्यम बनाया। छात्र संघर्ष समिति के संयोजक की भूमिका निभाते हुए जमशेदपुर में विश्वविद्यालय स्थापना के आंदोलन में भाग लिया। -लोकनायक जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति आंदोलन का जमशेदपुर में नेतृत्व किया। फलत: गया जेल में रखे गये। वहां इनकी मुलाकात प्रदेश के कई शीर्ष नेताओं से हुई। श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा देश में लगाये गये आपातकाल में भी उन्होंने जेल की यात्रा की। -1977 में श्री दास जनता पार्टी के सदस्य बने। -1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना के साथ ही इन्होंने सक्रिय राजनीति की शुरूआत की। मुंबई में हुए भाजपा के प्रथम राष्ट्रीय अधिवेशन में 1980 में भाग लिया। -जमशेदपुर में सीतारामडेरा भाजपा मंडल के अध्यक्ष बनाये गये। फिर महानगर जमशेदपुर के महामंत्री व तत्पश्चात उपाध्यक्ष बनाये गये।
भाजपा का नेतृत्व : 2005 में विधानसभा क्षेत्र का चुनाव होने के पूर्व श्री दास को 2004-05 में झारखंड प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष मनोनीत किया गया। इनके नेतृत्व में झारखंड विधानसभा चुनाव लड़ा गया और भाजपा राज्य में 30 सीटों पर विजय हासिल कर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। वर्ष 2009 के चुनाव के पूर्व इन्हें दोबारा भाजपा अध्यक्ष का दायित्व सौंपा गया। 16 अगस्त 2014 को अमित शाह की अध्यक्षता में गठित भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में इन्हें उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया।
प्रशासनिक दायित्व : 2000 में बिहार का विभाजन कर झारखंड अलग राज्य बनाया गया। झारखंड सरकार में रघुवर दास श्रम नियोजन मंत्री बनाये गये। इसके बाद अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में बनी सरकार में इन्हें भवन निर्माण विभाग का मंत्री बनाया गया। 2005 के विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में जब भाजपा के नेतृत्व में सरकार बनी तो श्री दास को वित्त, नगर विकास व वाणिज्य कर विभाग का मंत्री बनाया गया। 2009 में झारखंड में जब झामुमो और एनडीए की सरकार शिबू सोरेन के नेतृत्व में बनी तो इन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया गया तथा वित्त वाणिज्य कर, ऊर्जा, नगर विकास, आवास एवं संसदीय कार्य जैसे महत्वपूर्ण विभागों के दायित्व सौंपे गये।
१९९५ से लगातार विधायक रहे हैं…शुद्ध शाकाहारी धार्मिक प्रवृत्ति के स्वच्छ छवि वाले रघुबर दास, जमशेदपुर के लिए काफी लोकप्रिय हैं. वे एक अच्छे सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्त्ता के रूप में हमेशा लोगों के दुःख सुख में साथ रहते हैं. हर वर्गों के पर्व त्यौहार में भी अपनी सक्रियता दिखलाते हैं. चूंकि झाड़खंड बिहार का ही हिस्सा था, यहाँ रहने वाले और विभिन्न कारखानों में काम करने वाले अधिकांश मूलरूप से उत्तर बिहार या बिहार के हैं. वे होली दिवाली और छठ पूजा बड़े धूम धाम से मानते हैं. छठ पर्व में वे नदी के विभिन्न घाटों का दौरा करते हैं और शिविर लगाकर अपने कार्यकर्ताओं द्वारा और खुद भी आवश्यक मदद करतै हैं. सिद्धगोरा स्थित सूर्य मंदिर, उन्ही की पहल और प्राथमिक 10 हजार की अनुदान राशि का ही कमाल है कि आज वहां सूर्य भगवान का भव्य मंदिर सात घोड़ों के रथनुमा शैली में बना है. उसके सामने उद्यान, दो पक्के तालाब, जहाँ छठ व्रती छठ के अवसर पर भुवन-भास्कर को अर्घ्य देते हैं. अन्य दिनों में खासकर आजकल वहां वनभोज का आयोजन होता है, बच्चे विभिन्न खेल कूद प्रतियोगिता में भाग लेते हैं, नौकायन करते हैं और कभी कभी जन सभाएं भी होती है. पहले पूरा इलाका वीरान था, आज गुलजार है. पूर्वी जमशेदपुर क्षेत्र के ऐसे इलाके जहाँ टाटा कंपनी सीधे कोई सुविधा नहीं दे सकती उन इलाकों में बिजली, पानी, सड़क, एवं अन्य सुविधाएँ बहाल करने में रघुबर दास का बड़ा योगदान है, इसीलिये वे लगातार पांचवीं बार विधायक चुने गए हैं. अब पूरा झाड़खंड भी गुलजार हो, यही उम्मीद की जानी चाहिए. टाटा स्टील को लौह अयस्क और कोयला आदि कच्चा माल अपने खदानों से मिले ताकि अर्थब्यवस्था ठीक-ठाक बनी रहे. अमन और शांति का वातावरण हो…नक्सली समस्या का स्थाई हल निकले, मजदूरों का दूसरे राज्य की तरफ पलायन रुके, शिक्षा की स्थिति में सुधार में हो, …और भ्र्ष्टाचार से लड़ने का वादा तो खुद ही कर चुके हैं… इसी उम्मीद के साथ रघुबर जी को और उनके साथ शपथ ग्रहण करने वाले माननीय मंत्रियों न श्री नीलकंठ मुंडा जी, श्रीमान सी पी सिंह जी, चन्द्र प्रकाश चौधरी, और डॉ लुइस मरांडी को अनेक-अनेक शुभकामनाएं और बधाई! जय झाड़खंड! साथ में जोहार झाड़खंड भी !
- जवाहर लाल सिंह. जमशेदपुर.