प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को गोरखपुर की खाद फैक्ट्री से पूर्वांचल के किसानों को भी ‘खाद-पानी’ देने का काम किया. तो यहीं से पूरे देश के किसानों के लिए प्रधानमंत्री किसान
सम्मान निधि योजना की शुरुआत किया. इस योजना में वह एक साथ देश के 12 करोड़ किसानों के खाते में सीधा 2000 रुपये भेजने की योजना
का शुभारम्भ किया. यूपी में छोटी जोत के करीब 50 फीसदी किसानों वाले पूर्वांचल में वह किसानों से सीधा संवाद भी किया साथ ही
देश के विभिन्न भागों के किसानों से भी तकनीक के जरिये सीधा बात किया. बीजेपी की
योजना है कि लोकसभा चुनाव से पहले वह किसानों के घर-घर तक जाकर बता सके कि वह किसानों के लिए कितना
फिक्रमंद है. साथ ही आज 10,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का शिलान्यास और अनावरण किया गया है, जिनमे किसानों
के साथ पूर्वांचल के लोगों के कल्याण की भावना जुड़ी हुई है.
पूर्वांचल, जिसकी
जिम्मेवारी कांग्रेस की नवनियुक्त महासचिव प्रियंका गाँधी को दी गयी है .... वहां
पर विभिन्न परियोजनाओं का शुरुआत कर के अपना मास्टर स्ट्रोक कार्ड खेल लिया है.
निस्संदेह इसका लाभ आगामी चुनाव में मोदी जी को मिलनेवाला है. जुलाई,
2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी ने ही दोबारा खोलने के लिए इस खाद फैक्ट्री की नींव रखी थी. यह खाद फैक्ट्री 1990-91 में बंद हो गई थी. इस फैक्ट्री के बंद होने से किसानों को तो नुकसान हुआ ही, फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूर बेरोजगार हो गए थे. इसके बाद से यह फैक्ट्री
पूर्वांचल की सियासत के लिए एक बड़ा मुद्दा बन गई थी. मोदी ने इसका शिलान्यास कर
किसानों और युवाओं में एक आश जगा दी थी. अब ढाई साल बाद मोदी फिर से उसी उम्मीद को
और आगे बढ़ा रहे हैं. सीएम योगी आदित्यनाथ ने बताया कि यह खाद फैक्ट्री 2020 तक शुरू हो जाएगी. इसके बाद यहां से खाद का उत्पादन शुरू हो जाएगा. फैक्ट्री
शुरू होने से युवाओं को रोजगार मिलने के साथ खाद उत्पादन के जरिए किसानों को भी
सीधा फायदा होगा. दरअसल,
गोरखपुर और आसपास के किसान छोटी जोत के हैं. अभी तक
वह धान और गेंहू की फसल पर ज्यादा केंद्रित हैं. उपजाऊ जमीन और पानी की उपलब्धता
के बावजूद उन्हें फसल का ज्यादा फायदा नहीं मिल पाता है. केंद्र सरकार ने कृषि दूरदर्शन
के साथ ऑनलाइन और टेलीफोन से सहायता शुरू की है, जिसके जरिए वह मौसम और मिट्टी के अनुसार फसलों में बदलाव कर सकते हैं.
पिछली बार पांच राज्यों के चुनाव के समय विपक्ष के नेता राहुल गाँधी ने किसानो
के कर्ज माफी की घोषणा की, उसका तत्काल लाभ चुनाव परिणाम के रूप में मिला और
क्रमश: छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस सत्ता में वापस लौटी. तब
से ही भाजपा नेतृत्व या कहें कि प्रधान मंत्री श्री मोदी किसानों के लिए तत्काल
कुछ करने की योजना बना रहे थे और उसका ऐलान बजट घोषणा में ही कर दिया था. छोटे और
मंझोले किसानों को हर साल ६००० आर्थिक सहायता देने की घोषणा कर दी जिसे दिसंबर से
ही लागू भी कर दिया गया है. ६००० रुपये तीन किश्तों में किसानों को उनके खाते में
दे दी जायेगी. इसकी पहली किश्त यानी दो हजार रुपये देने की शुरुआत २४ फरवरी से ही
हो गयी है. करीब १२ लाख किसानों को इसके लाभ मिलने हैं और सबकी सूची युद्धस्तर पर
तैयार की जा रही है. अभी जो सूची तैयार की गयी है, उनमे काफी खामियां भी है, उसे
फिर से दुरुस्त करने की कोशिश भी की जा रही है. फिर भी कम से कम एक करोड़ एक लाख
किसानों को यह राशि मिलने जा रही है. आचार संहिता लागू होने से पहले अगर ज्यादा से
ज्यादा किसानों को इसका लाभ मिल जाता है, तो किसानों को तो फायदा होगा ही, भाजपा
सरकार को भी तत्काल फायदा होनेवाला है, जिसका आत्म विश्वास प्रधान मंत्री ने अपने ‘मन
की बात’ में कर दी है कि अगला ‘मन की बात’ वे मई की आखिरी रविवार को करेंगे जब वे
देश के फिर से प्रधान मंत्री चुन लिए जायेंगे.
पुलवामा हमले के बाद देश एक जुट हुआ है और वह इसका बदला चाहता है. सरकार और
सेना भी अपने अपने तरीके से जवाब दे रही है. जहाँ आतंकी हमले के मास्टर माइंड
अब्दुल रशीद गाजी को १०० घंटे के अन्दर मार गिराया जाता है. साथ ही पाकिस्तान के
साथ व्यापारिक समझौते पर भी कड़े कदम उठाए जा रहे हैं. अब पाकिस्तान को सिन्धु जल
समझौते पर भी पुनर्विचार कर पानी रोकने की भी कार्रवाई कर सकती है. जबकि यह भी कहा
जा रहा है, इसकी योजना पहले से तैयार थी. इस हमले के बाद भारत को कूटनीतिक स्तर पर
भी अन्तराष्ट्रीय समुदाय सहित अमेरिका का भी समर्थन प्राप्त हुआ है. पाकिस्तान अलग-थलग
जरूर हुआ है, पर उसे मदद करनेवाले भी कई देश हैं. आतंकवादियों पर लगाम और उनका
पूर्णत: खात्मा जरूरी है.
सबसे बड़ी बात – प्रयागराज के संगम में डुबकी के बाद प्रधान मंत्री ने पूजा अर्चना की और
स्वच्छाग्राहियों/सफाई-कर्मचारियों को खुद पैर धोकर, उसके पैरों को पोंछकर और
उन्हें साल ओढ़ाकर सम्मानित किया. ऐसा बहुत कम होता है, जब किसी देश के प्रधान
मंत्री ने सफाई कर्मियों को इस प्रकार से सम्मानित किया हो ... निश्चित ही यह उन
सभी सफाई कर्मियों के लिए गर्व की बात है. इस साल का अर्ध कुम्भ का आयोजन पिछले
सालों के आयोजनों से अलग था. सफाई व्यवस्था के अलावा सुरक्षा व्यवस्था भी चुश्त-दुरुश्त
थी, ऐसा सभी कह रहे हैं. विदेशों से भी काफी मेहमान आये और कुम्भ के व्यवस्था की
सराहना की है.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रविवार(२४ फरवरी) को प्रयागराज
पहुंचे और यहां आयोजित कुम्भ मेले में शामिल
होते हुए उन्होंने त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाई. गंगा स्नान के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूजा-अर्चना भी की. इसके बाद पीएम ने पांच स्वच्छाग्रहियों (तीन पुरुष, दो महिलाओं) यानी
सफाईकर्मियों के पैर धोकर, उनका आशीर्वाद लिया. सफाई कर्मचारियों के
पैर धोकर पीएम मोदी ने उनके पैर पोछे और उन्हें एक शॉल भी भेंट की. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे उनका हालचाल भी जाना और कुंभ में
स्वच्छता की व्यवस्था को देखते हुए उन्हें धन्यवाद दिया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में स्वच्छता
के मिशन को लगातार आगे ले जाने की कवायद में जुटे रहे हैं. उन्होंने महात्मा गांधी के जन्मदिन के मौके पर 2 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत
अभियान की शुरुआत की थी. इस मिशन का शुभारंभ
उन्होंने महात्मा गांधी की समाधि राजघाट से किया था. यह अभियान दो भागों में बंटा हुआ है, स्वच्छ भारत अभियान
(ग्रामीण) का जिम्मा पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय का है और स्वच्छ भारत अभियान
(शहरी) की जिम्मेदारी शहरी एवं विकास मंत्रालय के पास है.
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा, 'कुंभ के कर्मयोगियों में साफ सफाई कर रहे स्वच्छाग्रही भी शामिल हैं, जिन्होंने अपने
प्रयासों से कुंभ के विशाल क्षेत्र में हो रही साफ सफाई को दुनिया में चर्चा का
विषय बना दिया है, हर व्यक्ति के जीवन में अनेक ऐसे पल आते हैं, जो अविस्मरणीय होते
हैं. आज ऐसा ही एक पल मेरे जीवन में आया है, जिन स्वच्छाग्रहियों
के पैर मैंने धोए हैं, वह पल जीवनभर मेरे साथ रहेगा.' बता दें कि इन कर्मचारियों की स्वच्छ कुंभ
में अहम भूमिका रही है. प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, कुम्भ २०१९ मेले में अभी तक
20 करोड़ 54 लाख लोग स्नान कर चुके हैं.
एक दबी हुई आवाज, लेकिन सफाई कर्मियों की तरफ से जरूर उठी कि हमलोगों को
स्थायी किया जाय. हम यही काम आगे भी करते रहेंगे. अब यह तो आगे का वक्त बताएगा कि
इन्हें स्थायी किया जायेगा या नहीं क्योंकि सफाई कर्मी हर जगह अस्थायी रूप से
निविदा पर ही काम करते हैं. जबकि वे हमारे जीवन के अभिन्न अंग हैं.
- --जवाहर लाल
सिंह, जमशेदपुर
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