Sunday, 10 February 2019

उत्तर में ओलावृष्टि, पूरब में धींगा-मुश्ती


अभी अन्ना जी ने अनशन शुरू ही किया था पर मीडिया या जनता ने उनपर ध्यान बहुत कम दिया. बेचारे को राज्य के मुख्यमंत्री के आश्वासन मात्र से ही अनशन समाप्त करना पड़ा. उधर बंगाल में सीबीआई पहुँचती है पश्चिम बंगाल के पुलिस कमिश्नर को गिरफ्तार करने और खुद कोलकत्ता पुलिस के हाथों गिरफ्तार हो जाती है जिसका समर्थन करते हुए प्रदेश की जुझारू मुख्य मंत्री पुलिस कमिश्नर के साथ धरने पर भी बैठ जाती है. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुँचता है और न्यायसंगत फैसला सुनाता ही जिसे केंद्र सरकार और राज्यसरकार दोनों अपनी अपनी-अपनी जीत बता रहे हैं.
अभी यह मामला शांत भी नहीं पड़ा था कि रोबर्ट वाड्रा को पूछताछ के लिए ED के पास जाना पड़ता है. पूछताछ का क्रम अभी जारी है कब तक रहेगा वह भी अनिश्चित है... पर इन मामलों का भरपूर राजनीतिक इस्तेमाल भी हो रहा है. भले ही इसका मतलब जनता या मीडिया जो भी निकाले पर पक्ष और विपक्ष इसे भुनाने की भरपूर कोशिश करेंगे. हाँ अखिलेश और मायावती भला कैसे छूट सकते हैं. इन दोनों पर भी सीबीआई पहले से लगी है ऊपर से सुप्रीम कोर्ट ने मायावती को सरकारी फण्ड से खुद की और पार्टी के चुनाव चिह्न हाथियों की मूर्ति के नरमन में हुए खर्च को वापस करने को कह रही है. मतलब भयकर सर्दी में भी राजनीतिक माहौल काफी गर्म है.
प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी हर स्थिति को अपने पाले में लाने कि लिए, उसे भुनाने के माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं. वे कब किस बात को किस धारा में मोड़ देंगे वह भी पूरे आत्म-विश्वास के साथ कि जनता तत्काल मंत्रमुग्ध तो हो ही जाती है. फिलहाल उनकी टक्कर का वक्ता भारत क्या पूरे विश्व में मिलना दुर्लभ है. संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद धन्यवाद प्रस्ताव पर अपने पौने दो घंटे का पूरा-पूरा इस्तेमाल किया और विपक्ष को हर मुद्दे पर आड़े हाथों लिया. उनका काम ही है सबको अपने हाथों में ले लेना और उसका श्रेय भी खुद से ले लेना ... चाहे गधे से प्रेरणा वाली बात हो हो या चाय पर चर्चा या फिर ‘नीच’ शब्द का इस्तेमाल ... या फिर उल्टा चोर चौकीदार को डांटे? चाय का रिश्ता भी बंगाल की जलपाईगुड़ी में जोड़ ही दिया.
इस तरह के राजनीतिक खेल अभी जारी हैं और जारी रहेंगे. उधर राफेल पर नित नए खुलासे हो रहे हैं तो इधर सीबीआई के अंतरिम डायरेक्टर नागेश्वर राव इन दिनों मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं. अभी हाल ही में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का अवमानना नोटिस भी झेलना पड़ा है. सुप्रीम कोर्ट ने राव को बिहार में आश्रयगृह मामलों की जांच कर रहे सीबीआई के मुख्य अधिकारी ए के शर्मा का तबादला किए जाने पर सख्त रुख अपनाते हुए अवमानना का नोटिस दिया है. अदालत ने उन्हें 12 फरवरी को कोर्ट में पेश होने को कहा है. कोर्ट ने कहा कि यह सरासर अवमानना का मामला है, इसके लिए छोड़ा नहीं जाएगा, अब भगवान ही तुम्हें बचा सकता है. मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने शीर्ष अदालत के दो आदेशों के उल्लंघन को गंभीरता से लिया. न्यायालय की अनुमति के बगैर ही सीबीआई के संयुक्त निदेशक शर्मा का तबादला सीआरपीएफ में किए जाने के मामले में नागेश्वर राव को अवमानना नोटिस जारी किया था.
उसके बाद सीबीआई के अंतरिम डायरेक्टर रह चुके नागेश्वर राव और उनकी पत्नी के ठिकानों पर शुक्रवार की शाम कोलकाता पुलिस ने छापेमारी की. इस बीच नागेश्वर राव ने प्रेस रिलिज जारी करते हुए दावा किया है कि जिस कंपनी में पुलिस ने छापमारी की है, उस कंपनी से उनका कोई वास्ता नहीं है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर गुरूवार को बड़ा हमला बोला है. ममता ने सवाल करते हुए कहा- रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से लेकर केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) तक सभी उन्हें (पीएम को) क्यों बाय-बाय बोल रहे हैं?
तृणमूल सुप्रीमो ने आगे कहा- अगर आप पंगा लोगे, तो मैं चंगा बन जाऊंगी.
ममता बनर्जी ने आगे कहा – "वह (पीएम) भारत के बारे में नहीं जानते हैं. वे यहां तक सिर्फ गोधरा और अन्य दंगों के बाद पहुंचे हैं. वह रफाल के मास्टर हैं. वह नोटबंदी के मास्टर हैं... वह भ्रष्टाचार के मास्टर हैं." ... "वह हमसे डर गए हैं क्योंकि हम एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं. मैं कभी डरी नहीं, हमेशा अपने रास्ते के लिए संघर्ष किया. मैनें हमेशा मां-माटी-मानुष का आदर किया है. यह दुर्भाग्य है कि पैसे की ताकत के बल पर वह प्रधानमंत्री बन गए."
गौरतलब है कि इससे पहले पश्चिम बंगाल के पुलिस कमिश्नर के घर पर सीबीआई की टीम के पहुंचने के बाद से केन्द्र और राज्य सरकार की तल्खी और बढ़ गई है. उस घटना के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद धरने पर बैठ गई थी. उधर, ज्यों-ज्यों लोकसभा चुनाव का समय पास आ रहा है पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस और केन्द्र सरकार की अगुवाई करनेवाली बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप और बढ़ गया है. इससे पहले, ममता बनर्जी सरकार ने राज्य में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की रथ यात्रा की भी इजाजत नहीं दी थी. उन्होंने ये दलील दी कि इससे राज्य में कानून व्यवस्था खराब हो सकती है.
पश्चिम बंगाल से ही जलपाईगुड़ी में पीएम मोदी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जलपाईगुड़ी से अब रेल और हवाई सेवा की कनेक्टिविटी मजबूत हो जाएगी. उन्होंने कहा कि यहां के लोगों का जीवन आसान बनाने के लिए सरकार लगातार काम कर रही है. इसके साथ ही सालों पुरानी मांग हाईकोर्ट बेंच का उद्घाटन किया गया है. आज जो बेंच यहां के लोगों को मिली उसे कलकत्ता हाइकोर्ट ने उसे 20 साल पहले ही मंजूरी दी थी लेकिन यह सपना आज पूरा हुआ है. पीएम ने कहा कि कांग्रेस, टीएमसी और वामपंथी सरकारें जनहित के लिए नहीं सोचती हैं. पीएम मोदी ने जलपाईगुड़ी में आई जनता से कहा, 'आप चाय उगाने वाले हैं और हम चाय बनाने वाले हैं. पता नहीं 'दीदी' (ममता) को चायवालों से क्या दिक्कत है'. उन्होंने कहा कि टीएमसी सरकार ने  माटी को बदनाम कर दिया गया  है और मानुष को मजबूर कर दिया है. उत्तर पश्चिम बंगाल टी, टूरिज्म और टिंबर के लिए जाना जाता है. लेकिन सरकारों की वजह से यहां विकास नहीं हो पाया. पीएम ने कहा चाय के बागानों में काम करने वाले मजदूरों के बैंक खाते खुलवाए गए हैं और इस बार के बजट में मजदूरों और चाय के बागानों में काम करने वाले  लोगों को लिए पेंशन की व्यवस्था की गई है जिसमें 3 हजार रुपये प्रति माह दिए जाएंगे. 
पीएम मोदी ने कहा कि जो त्रिपुरा में हुआ वह पश्चिम बंगाल में भी होने वाला है. त्रिपुरा में बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने लाल झंडा उखाड़ दिया अब वहां सुख-शांति के सूरज उग आया है. पीएम मोदी ने कहा देश के इतिहास में पहली बार है जब आम जनता को लूटने वालों के पक्ष में कोई मुख्यमंत्री धरना देकर बैठ जाए. चिटफंड पीड़ितों से मैं वादा करता हूं कि पाई-पाई का हिसाब लिया जाएगा.
प्रधान मंत्री अपने सरकार की उपलब्धियों और विपक्ष की खामियों को हर मौके पर भुनाते रहते हैं. मीडिया उनके हर भाषण को लाइव दिखाता भी है जिसका जनमानस पर असर होना स्वाभाविक ही है. सबसे ज्यादा असर तो किसानों के खातों जानेवाले पैंसों का पड़ेगा. गरीबों को मिले उनके मकान का असर पड़ेगा. उज्ज्वला और सौभाग्य योजना का असर तो पड़ेगा ही... अब बेरोजगारी और व्यापारी के नुक्सान का क्या होगा? यह तो वही जनता बताएगी. पर चुनेगी किसे अभी भी प्रश्न चिह्न है. कोई भी राजनीतिक पार्टी पूरी तरह स्वच्छ हो, कहना मुश्किल है. रहे सहे में से ही चुनाव करना है. जाति-धर्म का मुद्दा भी चलेगा ही हर हाल में. वैसे राम मंदिर का मुद्दा तो फिलहाल ठंढे बस्ते में डाल दिया गया है. मोदी अपने ढंग से ही चुनाव लड़ना जानते हैं. यह बात अलग है कि पिछले चुनाव में तीन राज्यों में हार चुके है... हो सकता है उस समय स्थानीय मुद्दे और राज्य सरकारों के incumbency फैक्टर रहे होंगे. केंद्र सरकार का incumbency फैक्टर और राफेल का कितना असर होता है, यह तो जनता ही बताएगी.
कुल मिलाकर शीत लहर और राजनीति की लहर में बाजी कौन मारता है देखना बाकी है. बस जनता को जागरूक रहना है अपने हक़ के लिए. कोई भी सरकार हो जनता को सुख सुविधा, रोटी, कपड़ा और मकान के साथ शिक्षा और स्वास्थ्य पर भी ध्यान दे. रोजगार या कमाई के साधन अत्यावश्यक है ताकि नौजवानों को उनकी काबिलियत के अनुसार काम और दाम मिले. किसानों को उनकी उपज का भी उचित दाम मिले और खेती करने के साधन सुलभ हों. कोई भी आदमी कितना भी कमा ले, खायेगा वही जो किसान खेतों में उपजायेगा. इसके अलावा विभिन्न प्रकार कि औद्योगिक इकाइयों के लिए भी कच्चे माल इसी धरती से उपजते हैं और उपजानेवाले किसान ही होते हैं. इस देश का दुर्भाग्य है कि किसानों को उनकी फसल के उचित दाम नहीं मिलते, उनको बाजार से कृषि के लिए या अपने लिए, बाजारों से सभी महंगे उत्पाद खरीदने होते हैं. इसलिए छोटे किसानों और मजदूरों पर ध्यान देना आवश्यक है, चाहे जिसकी भी सरकार हो. जय हिन्द! जय भारत! जय जवान! जय किसान! जय माँ शारदे! वसंत-पंचमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ!
-         --  जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर   

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