Saturday, 24 February 2018

सदमा ही सदमा

सदमा तभी लगा जब आज के समाचार पत्र के मुख्य पृष्ठ पर खबर देखी – गिफ्ट पैक में आया बम दादी समेत दूल्हा उड़ा – ओड़िसा के बलांगीर की घटना, नववधू गंभीर रूप से घायल दूसरा सदमा तब लगा जब मैंने टी वी स्टार्ट किया – चांदनी ने दिया सदमा. श्रीदेवी की दुबई मे भांजे की शादी समारोह में ही दिल का दौरा पड़ने से निधन !
सुहावने मौसम का ऐसा मनहूस रविवार को काला रविवार ही कहा जाएगा.
हिंदी फिल्मों की जानी मानी अभिनेत्री श्रीदेवी का बीती रात(२४.०२.२०१८) दुबई में निधन हो गया. बताया जा रहा है कि दिल का दौरा पड़ने के कारण उनका निधन हुआ. श्रीदेवी के निधन की सूचना मिलते ही पूरा बॉलीवुड और उनके फैंस शोक में डूब गए. श्रीदेवी की जन्म 13 अगस्त 1963 को तमिलनाडु में हुआ था. उन्होंने बतौर बाल कलाकर अपनी फिल्मी करियर की शुरुआत की थी. उसके बाद उन्होंने भारत की पहली महिला सुपरस्टार का सफर तय किया. श्रीदेवी का बॉलीवुड में प्रवेश 1978 के फिल्म सोलहवां सावन से हुआ था, लेकिन उन्होंने वर्ष 1983 की फिल्म हिम्मतवाला से खूब सुर्खियां बटोरीं. श्रीदेवी की सदमा, नागिन,निगाहें, मिस्टर इन्डिया, चालबाज़, लम्हे, खुदा गवाह, तोहफा और जुदाई फ़िल्में हैं. श्रीदेवी को अब तक पांच फिल्मफेयर अवार्ड मिल चुका है.
श्रीदेवी ने फिल्म प्रोड्यूसर बोनी कपूर से शादी की थी. श्रीदेवी और बोनी कपूर की दो बेटियां हैं. जाह्नवी कपूर और खुशी कपूर.  श्रीदेवी के निधन पर गायक आदनान सामी ने दुख व्यक्त करते हुए लिखा कि मेरे पास कोई शब्द नहीं है..
बात उस समय है की है जब मैं भी जवान था और फ़िल्में देखा करता था. एक वरिष्ठ मित्र ने कहा एक ऐसी हीरोइन आई है जो जितेन्द्र को भी डांस में परास्त कर सकती है. तब जितेन्द्र ही ऐसे हीरो थे जो हीरोइनों के साथ जमकर डांस करते थे. ठीक उसी समय जयाप्रदा और श्रीदेवी का बॉलीवुड में अवतरण हुआ था. दोनों कई फिल्मों में एक साथ काम भी कर चुकी हैं पर कुछ फिल्मों में श्रीदेवी ने अपनी एक अलग पहचान बनाई. हिम्मतवाला से लेकर सदमा तक नागिन से लेकर मिस्टर इण्डिया में इनके किरदार गजब के हैं और इन्होने रोल ही नहीं किया बल्कि किरदार में खुद को समाहित कर दिया था.  
एक वो अभिनेत्री जो अपनी बेटी की पहली फिल्म के लिए खुद को इतना तैयार कर लिया था कि मानो यह उसकी अपनी पहली फिल्म हो लेकिन वह बेटी जाह्नवी को पर्दे पर देख पातीं नियति ने उनकी जिंदगी का ही पर्दा गिरा दिया. श्रीदेवी ने अपनी गजब की खूबसूरती, दिलकश अदाओं और दमदार अभिनय से दर्शकों पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है. भारतीय फिल्मों की मशहूर अदाकारा ने हिंदी फिल्मों के अलावा तमिल, मलयालम, तेलुगू, कन्नड़ और में भी काम किया है. अपने बेहतरीन अभिनय के कारण उनकी गिनती बेहतरीन कलाकारों में की जाती है. वह अस्सी और नब्बे के दशक में सक्रिय रहीं.
श्रीदेवी की जिंदगी से जुड़ी 15 बातें
1.    चार साल की उम्र में ही तमिल फिल्मों से पर्दे पर आनी वाली श्रीदेवी का जन्म 13 अगस्त,1963 को तमिलनाडु के एक छोटे से गांव मीनमपट्टी में हुआ था. उनके पिता का नाम अय्यपन और मां का नाम राजेश्वरी था. उनके पिता एक वकील थे. उनकी एक बहन और दो सौतेले भाई हैं. 
2.    साल 1976 तक श्रीदेवी ने कई दक्षिणी भारतीय फिल्म में बतौर बाल-कलाकर के रूप में काम किया. अभिनेत्री के रूप में 1976 में उन्होंने तमिल फिल्म 'मुंदरू मुदिची' में काम किया.
3.    श्रीदेवी को मलयालम फिल्म 'मूवी पूमबत्ता'(1971) के लिए केरला स्टेट फिल्म अवार्ड से भी सम्मानित किया गया. उन्होंने इस दौरान कई तमिल-तेलुगू और मलायलम फिल्मों में काम किया, जिसके लिए उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया. 
4.    श्रीदेवी ने हिंदी में अपने करियर की शुरुआत साल 1979 में फिल्म 'सोलवां सावन' से की थी. लेकिन उन्हें बॉलीवुड में पहचान फिल्म 'हिम्मतवाला' से मिली. इस फिल्म के बाद वह हिंदी सिनेमा की सुपरस्टार अभिनेत्रियों में शुमार हो गईं.
5.    उन्होंने अपने करियर के दौरान कई दमदार रोल किए. उन्होंने हेमा मालिनी अभिनीत फिल्म 'सीता और गीता' की रीमेक 'चालबाज' में डबल रोल निभाया. पंकज पराशर द्वारा निर्देशित फिल्म में अंजू और मंजू के किरदार से उन्होंने सभी का मन मोह लिया. 
6.    साल 1983 में फिल्म 'सदमा' में श्रीदेवी दक्षिण सिनेमा के अभिनेता कमल हासन संग नजर आईं. इस फिल्म में उनके अभिनय को देख समीक्षक भी हैरान थे. 
7.    श्रीदेवी को फिल्मों में अपने मिथुन चक्रवर्ती से प्यार हो गया. दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा, हालांकि मिथुन पहले ही शादीशुदा थे.
8.    उन दिनों दोनों का फिल्मी करियर उन दिनों ऊंचाइयों पर था और उनके प्यार के चर्चे भी आम हो गए. इन सबसे मिथुन के गृहस्थ जीवन में भूचाल लाकर रख दिया था, जिसके बाद मिथुन ने सबको अपने और श्रीदेवी के रिश्ते की सफाई दी. 
9.    इसके बाद श्रीदेवी ने 1996 में अपनी उम्र से लगभग 8 साल बड़े फिल्म निर्माता बोनी कपूर से शादी कर सबको चौंका दिया था. इनकी दो बेटियां भी हैं- जाह्नवी और खुशी कपूर. फिलहाल इनकी बड़ी बेटी पूरी तरह से बॉलीवुड में आने को तैयार है.
10. साल 1996 में निर्देशक बोनी कपूर से शादी के बाद श्रीदेवी ने फिल्मी दुनिया से अपनी दूरी बना ली थी. लेकिन इस दौरान वह कई टीवी शो में नजर आईं. श्रीदेवी ने साल 2012 में गौरी शिंदे की फिल्म 'इंग्लिश विंग्लिश' से रूपहले पर्दे पर अपनी वापसी की. 
11. हिंदी सिनेमा से कई वर्षो तक दूर रहने के बाद भी फिल्म 'इंग्लिश विंग्लिश' में उन्होंने बेहतरीन अभिनय से आलोचकों और दर्शकों को चौंका दिया था. उन्हें भारत सरकार ने साल 2013 में पद्मश्री से सम्मानित किया. इसके अलावा उन्हें 'चालबाज' (1992) और 'लम्हे' (1990) के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिल चुका है.
12.  उन्होंने 'जैसे को तैसा', 'जूली', 'सोलहवां साल', 'हिम्मतवाला', 'जस्टिस चौधरी', 'जानी दोस्त', 'कलाकार', 'सदमा', 'अक्लमंद', 'इन्कलाब', 'जाग उठा इंसान', 'नया कदम', 'मकसद'
13. 'तोहफा', 'बलिदान', 'मास्टर जी', 'सरफरोश','आखिरी रास्ता', 'भगवान दादा', 'धर्म अधिकारी', 'घर संसार', 'नगीना', 'कर्मा', 'सुहागन', 'सल्तनत', 'औलाद', 'हिम्मत और मेहनत', 'नजराना', 'जवाब हम देंगे', 'मिस्टर इंडिया', 'शेरनी', 'सोने पे सुहागा', 'चांदनी', 'गुरु', 'निगाहें', 'बंजारन', 
14. 'फरिश्ते', 'पत्थर के इंसान', 'लम्हे', 'खुदा गवाह', 'हीर रांझा', 'चंद्रमुखी', 'गुमराह', 'रूप की रानी चोरों का राजा', 'चांद का टुकड़ा', 'लाडला', 'आर्मी', 'मि. बेचारा', 'कौन सच्चा कौन झूठा', 'जुदाई', 'मिस्टर इंडिया 2' जैसी फिल्मों में काम किया.
15. श्रीदेवी ने अपने लंबे करियर में लगभग 200 फिल्मों में काम किया. इनमें 63 हिंदी, 62 तेलुगू, 58 तमिल और 21 मलयालम फिल्में शामिल हैं. 
सदमा का वह लोरी – सुरमई अंखियों में नन्हा मुन्ना एक सपना दे जा रे...तब से न जाने कितनी माताओं ने अपने बच्चे को सुलाने के लिए गाया होगा पर यह लोरी कमल हासन श्रीदेवी के लिए गाते हैं और उस समय श्रीदेवी का अल्ल्हड़पना का हर लमहा रोमांचित करता है.

कितनी अजीब बात है कि अमिताभ बच्चन ने कुछ मिनट पहले ट्वीट किया था – पता नहीं क्यों घबराहट सी हो रही है. उनकी आखिरी फिल्म ‘मॉम’ की मॉम बिना देखे ही चली गयी. अश्रुपूरित श्रद्धांजलि के साथ! भगवान उनकी आत्मा को शांति दें और उनकी दोनों बेटियों को इस सदमे से उबरने की शक्ति! – जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर.       

2 comments:

  1. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन वीर सावरकर और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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