Saturday, 17 February 2018

हीरा है, सदा के लिए!

कृषि अर्थशास्त्री देवेंद्र शर्मा ने हिसाब लगाया है कि अगर डेढ़ लाख तक का कर्ज़ा माफ कर दिया जाए तो इस 11000 करोड़ से 30 लाख किसान कर्ज़ मुक्त हो जाएंगे. डेढ़ लाख का कर्ज़ा है राम राज पर, जान देने लखनऊ आ गए, 11000 करोड़ का चूना लगाकर नीरव मोदी चले गए न्यूयार्क, उससे पहले गए स्वीटज़रलैंड जिसके बारे में कहा जाता है कि काला धन का घर है, वहीं के दावोस में जाता है और प्रधानमंत्री के साथ फोटो खींचा लेता है.
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फरवरी के प्रेस कांफ्रेंस में रविशंकर प्रसाद ने कहा कि नीरव मोदी प्रधानमंत्री के साथ नहीं गए थे, बल्कि कंफिडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) के लोग लेकर गए. मगर फाइनेंशियल एक्सप्रेस की इस खबर के मुताबिक वित्त मंत्री अरुण जेटली उस साल 100 उद्योगपतियों को लेकर दावोस गए थे. कई नाम छपे हैं, एक नाम नीरव मोदी का भी है. 16 फरवरी 2018 टाइम्स ऑफ इंडिया के सी उन्नीकृष्णन ने खबर लिखी है कि 2016 के साल में नीरव मोदी को 48 करोड़ की पेनाल्टी देनी पड़ी थी क्योंकि दिसंबर 2014 में 1000 करोड़ का हीरा दिखा कर स्मगलिंग कर रहे थे. सवाल यह है कि स्मगलिंग का मामला चलता रहा फिर भी कैसे यह शख्स वित्त मंत्री के साथ 2016 में दावोस गया. सीबीआई जांच शुरू करने जा रही थी फिर यह नीरव मोदी प्रधानमंत्री मोदी के साथ फोटो फ्रेम में मौजूद है. प्रधानमंत्री के साथ भले न गए हों मगर 1000 करोड़ का माल चोरी से बाहर भेजने वाला वित्त मंत्री के साथ दावोस जाए क्या यह ठीक है ?
नीरव मोदी न्यूयार्क के होटल में हैं. दिल्ली में उनकी दुकान पर छापा पड़ा है. लेकिन उनकी दुकान तो दुनिया के कई देशों में है. क्या वहां भी छापे पड़े हैं? मामला कई कंपनियां बनाकर हीरे के कारोबार के नाम पर पैसा इधर से उधर करने का है. साबित कुछ नहीं होगा इसी का अफसोस है क्योंकि इस खबर को खत्म करने के लिए ज़रूर कोई बड़ा ईवेंट आ रहा होगा. गोदी मीडिया ने तुरंत खबर लिखना शुरू कर दिया कि 5000 करोड़ बरामद हो गए. माल ज़ब्त हुआ है, कीमत तय होने में कई महीने से लेकर साल लग जाते हैं. लेकिन यह भी पता चल रहा है कि छापे की टीम में जवाहरात के एक्सपर्ट भी हैं, जो साथ का साथ दाम भी बता दे रहे हैं. गोदी मीडिया ने लिख दिया कि पैसा बरामद हो गया. क्या वो कागज भी बरामद हुआ, क्या उन लोगों के नाम भी बरामद हो गए जिनके साथ मिलकर ये खेल खेला गया है. नीरव मोदी का पासपोर्ट रद्द हो गया है. इस सवाल का जवाब नहीं मिला कि 1 जनवरी को कैसे अपने परिवार के साथ फरार हुआ. क्या 1 जनवरी तक जांच एजेंसी को बिल्कुल पता नहीं था कि नीरव मोदी के यहां छापे मारने की तैयारी है. 31 जनवरी की एफआईआर के पेज नंबर आठ पर साफ साफ लिखा है, जिसमें कहा गया है कि हम आपसे आग्रह करते हैं कि ऊपर दिए गए नामों के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया जाए ताकि वो देश छोड़ कर जा नहीं सके और कानून अपना काम नहीं कर पाए. तब 30 जनवरी को ही पासपोर्ट क्यों नहीं रद्द हुआ. इतने दिनों की छूट के बाद नीरव मोदी ने क्या-क्या हेराफेरी की, किस तरह से दस्तावेज गायब कर लिए होंगे, यह सब अब कभी पता नहीं चलेगा. जब 2जी घोटाले में सब बरी हो गए, जज सैनी ने कहा कि वे सुबह से शाम तक इंतज़ार करते रह गए मगर सीबीआई सबूत नहीं पेश कर सकी. अगुस्ता वेस्टलैंड हेलिकाप्टर का मामला याद होगा. इटली की अदालत में सीबीआई रिश्वतखोरी के सबूत पेश नहीं कर सकी. वहां की अदालत से आरोपी छूट गए और यहां किसी ने चर्चा नहीं की. ये है हमारी एजेंसियों का रिकार्ड. एफआईआर में सात लोगों के नाम हैं. नीरव मोदी, अमी नीरव मोदी, निशाल मोदी, मेहुल चीनुभाई चौकसी, गोकुलनाथ शेट्टी, मनोज हनुमंत खराट, डेपुटी मैनेजर पीएनबी और अन्य अज्ञात लोग, बैंक अधिकारी, पीएनबी.
आरोप है कि फर्जी तरीके से लेटर ऑफ अंडरटेकिंग जारी की गई जिसके पार्टनर नीरव मोदी, श्री निशाल मोदी, श्री अमी नीरव मोदी और श्री मेहुल चीनुभाई चौकसी हैं. 2011 से शुरू होने की बात कही जा रही है मगर एफआईआर में ही लिखा है कि 9.02.2017 को 44 लाख डॉलर और 43 लाख डॉलर से ज़्यादा की रकम की एलओयू जारी हुई. 10.2.2017 को 59 लाख डॉलर और 60 लाख डॉलर से ज़्यादा की रकम की एलओयू जारी हुई. 14.2.2017 को 58 लाख डॉलर से अधिक की रकम के दो एलओयू जारी हुए. जब यह बता ही रहे हैं कि 2011 से शुरू हुआ तो यह भी बताना चाहिए कि 2017 तक चलता रहा बल्कि 16 जनवरी 2018 तक चलाने की कोशिश हुई मगर भांडा फूट गया. इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है कि 2011 से 2017 के बीच डेढ़ सौ लेटर आफ अंडरटेकिंग जारी हुई है. यह सवाल महत्वपूर्ण हो सकता है कि घोटाला किसके राज में शुरू हुआ, क्या यह महत्वपूर्ण नहीं है कि उस पैसे का हिस्सा किस-किस के पास गया. इनके कौन-कौन करीबी हैं. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार  17 बैंक इस घोटाले की चपेट में हैं. 11,300 करोड़ के अलावा 3000 करोड़ का घोटाला हुआ है. चर्चा नीरव मोदी की ज़्यादा हो रही है मगर इस खेल का बड़ा खिलाड़ी मेहुल चौकसी भी है.
प्रधानमंत्री जिस हमारे मेहुल भाई को संबोधित कर रहे हैं ये वही मेहुल भाई हैं जो नीरव मोदी के पार्टनर हैं. इन दोनों के खिलाफ मुंबई पुलिस कमिश्नर से लेकर बंगुलुरु पुलिस कमिश्नर से लेकर वित्त मंत्रालय की सभी एजेंसियों के पास कई बार शिकायत भेजी जा चुकी थी. यह शिकायत 2013 से की जा रही थी. फिर भी यह शख्स 2015 में प्रधानमंत्री के सरकारी कार्यक्रम में उन्हीं के सामने मौजूद है. पांच लोगों ने अगर जान जोखिम में डालकर इस मामले की शिकायत न की होती तो आज इस घोटाले का इतिहास आसानी से दबा दिया जाता. ये पांच लोग वो हैं जो हर एजेंसी को लिख रहे थे, धमकियां सुन रहे थे, जिंदगी दांव पर लगाकर शिकायत कर रहे थे. अगर तब सुन लिया गया होता तो पंजाब नेशनल बैंक को 11,300 करोड़ का नुकसान न उठाना पड़ता.
शिखर जैन, वैभव खुरानिया. हरि प्रसाद, दिग्विजय सिंह जडेजा और संतोश श्रीवास्तव. इन लोगों ने खूब पत्र लिखे मगर हर जगह से निराशा हाथ लगी. बाद में खुद भी हताश होने लगे कि अब कुछ नहीं होगा. पंजाब नेशनल बैंक ने 16 जनवरी को नहीं पकड़ा होता तो यह पता ही नहीं चलता कि कुछ लोग गीतांजली कंपनी से इस्तीफा देकर इसकी लड़ाई लड़ रहे हैं. इस मामले में पहला पत्र 4 मई 2015 को दिल्ली स्थित SIFO यानी सीरीयस फ्रॉड इंवेस्टिगेशन आर्गेनाइशेन को लिखा गया. 6 मई को मुंबई पुलिस कमिश्नर और सारे ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर को लिखा गया. इसकी कॉपी वित्त मंत्रालय, कॉरपोरेट मंत्रालय, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), सीबीआई और आर्थिक अपराध शाखा दिल्ली को भी भेजी गई. 26 जुलाई 2016 को पहली बार प्रधानमंत्री कार्यालय को शिकायत की कॉपी भेजी गई. पीएमओ ने तुरंत ही इस कॉपी को रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी को पत्र भेज दिया. रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी कोरपोरेट मामले के मंत्रालय के तहत आता है. 29 जुलाई 2016 को इन लोगों ने रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी को फिर पत्र लिखा. दो महीने बाद रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी का जवाब आता है कि मामला बंद हो गया है. बिना किसी शिकायतकर्ता से बात किए रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी ने मामले को कैसे बंद कर दिया.
कब शुरू हुआ यह महत्वपूर्ण है तो यह भी महत्वपूर्ण होना चाहिए कि कब तक चलता रहा. आखिर फरवरी 2017 में आठ जाली लेटर ऑफ अंडरटेकिंग कैसे मिल गया नीरव मोदी को. प्रदर्शनी में राहुल का जाना महत्वपूर्ण है तो नीरव मोदी का प्रधानमंत्री मोदी के साथ तस्वीर खिंचाना भी महत्वपूर्ण होना चाहिए. अगर कांग्रेस बराबर बीजेपी साबित हो गया तो इसका मतलब घोटाला हुआ ही नहीं था.
प्रकाश झावड़ेकर ने एक बात कही. स्वच्छ बैंक मिशन की. इसके अनुसार 3 अक्तूबर को इस मिशन के तहत एक दिन के भीतर ब्रोकर संस्थाओं, बैंक और कंपनियों को बताना था कि उनके पास कितना लोन बाकी है. क्या सबने घोषणा की या फिर इस मिशन को बीच में ही रोक दिया गया क्योंकि इससे सबका हिसाब किताब बाहर आ जाता और पोल खुल जाता. क्या 3 अक्तबूर 2017 को एक दिन के भीतर सभी कंपनियों और बैंकों ने अपनी देनदारी यानी बकाए की घोषणा की? इस घोटाले के बाद पंजाब नेशनल बैंक का शेयर 52 सप्ताह में सबसे नीचे चला गया है. 8 हज़ार करोड़ से ज़्यादा इसके शेयरधारकों को नुकसान हो चुका है.
उपर्युक्त सारी जानकारी मीडिया रिपोर्ट पर आधारित है. अब सवाल यही है कि नीरव मोदी का कुछ होगा? या वे भी ललित मोदी और माल्या जैसे लोगों की तरह कानून को ठेंगा दिखता रहेगा. आप और हम अगर किसी भी बैंक से लोन लेने जाते हैं तो कितने प्रकार के दस्तावेज जमा करने होते हैं और बैंक हमसे वसूल भी लेता है. जो नहीं दे पाते वे आत्महत्या कर लेते हैं और बड़े लोग किस तरह सबकी आँखों में धूल झोंककर गायब हो जाते हैं. कल तक मशहूर लोग अचानक गायब हो जाते हैं और जांच एजेंसियां उन्हें ढूढ़ने का नाटक करती रहती है. कुछ छोटे मोटे लोग फंस जाते हैं और सारा खामियाजा उन्हें ही भुगतना पड़ता है जैसे कि ख़बरें हैं कुछ गिरफ्तारियां हुई है और आगे भी जारी रहेगी. आरोप प्रत्यारोप चलता रहेगा उसके बाद कुछ दिनों बाद मामला ठंढा हो जाएगा. सब पर्याप्त सबूत के अभाव में बरी हो जायेंगे और बैंक अतिरक्त शुल्क लगाकर आम आदमी से वसूल कर अपनी भरपाई करेगा या सरकार से सहायता प्राप्त कर लेगा. हमें क्या चाहिए? जय श्री राम और भारत माता की जय! वन्दे मातरम ! जय हिन्द!

– जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर. 

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