और रामनवमी का त्योहार आस्था के साथ, श्रद्धापूर्ण, उल्लास के वातावरण में लगभग शांतिपूर्ण संपन्न हो गया. यह झाड़खंड वासियों और जमशेदपुर वासियों के लिए खुशी की खबर है. रामनवमी पर्व को जमशेदपुर में ‘रायट पर्व’ के रूप में भी परिभाषित किया जाता रहा है, क्योंकि १९७९ में रामनवमी के दिन ही झंडा जुलूश के दौरान भीषण साम्प्रदायिक दंगा हो गया था. तब से हर साल कुछ न कुछ अनिष्ट होने की संभावना बनी रहती है. शांति-पसंद लोग कभी दंगा नहीं चाहते, नहीं प्रशासन दंगा का धब्बा देखना चाहती है. पर कुछ शरारती तत्व हर समुदाय में होते हैं, जिन्हें अपनी रोटी सेंकनी होती है, राजनीति चमकानी होती है.
यूं तो रामनवमी भगवान राम के जन्म और माँ दुर्गा के नौवें रूप की आखिरी पूजा से संपन्न माना जाता है. रामनवमी के दिन मंदिरों में, पूजा स्थलों में भगवान् राम का जन्मोत्सव मनाया जाता है. बिहार और झाड़खंड में श्रीराम के परम भक्त श्री हनुमान जी के ध्वज की स्थापना कर उनका पूजन-वंदन किया जाता है. माँ दुर्गा और और बजरंगबली दोनों शक्ति के प्रतीक हैं, इसलिए उनके भक्त अपनी शक्ति का प्रदर्शन, आस्था और बिश्वास के साथ करते हैं. जमशेदपुर में सन १९२२ ई. से ही कई अखाड़ों के अंतर्गत महावीर हनुमान जी का ध्वज का आरोहन करते हैं और उनके ध्वज के साथ जुलूस में एक साथ चलते हुए, अपनी शक्ति का प्रदर्शन लाठी, भाले, तीर, तलवार, और अब चाकू के साथ आधुनिक हथियार के साथ विभिन्न करतब दिखलाते हुए करते हैं. इनके करतब को देखने के लिए श्रद्धालु सड़कों के किनारे जमा होते हैं.
१९७९ में इसी जुलूस को एक खास सम्प्रदाय के आराधना स्थल के सामने काफी देर तक प्रदर्शन किया गया. सभी भक्त अपने करतब दिखलाने में इतने मशगूल हो गए कि उन्हें समय का पता ही न चला और एकाध पत्थर के टुकड़े भीड़ पर आ गिरे. दंगा के लिए इससे ज्यादा और क्या चाहिए. दोनों तरफ से खूफ पत्थरबाजी हुई. फिर हथियार भी चमक उठे. देखते ही देखते खून बहने लगे और माहौल अति संवेदनशील हो गया. फिर भगदड़, कर्फ्यू और शान्ति ….. उस साल के बाद से इस जुलूस के दिन में प्रशासन की तरफ से परिवर्तन कर दिया गया. अब झंडा का जुलूस नवमी के बजाय दशमी को निकलने लगा. उस दिन शुबह से ही चाक चौबंद ब्यवस्था होने लगी. भीड़ को नियंत्रण करने के लिए जगह जगह बैरिकेड लगाये जाने लगे. वाहनों की नो इंट्री भी लागू हो गयी. सभी ब्यावसायिक संस्थान को बंद कर आकस्मिक सेवाओं को चालू रक्खा गया. अपराधियों को धड़-पकड़ के साथ दोनों समुदायों के बीच शांति समितियां बनाकर, विशिष्ट जनों को बुलाकर विशेष हिदायतें और निर्देश दिए गए ताकि माहौल शांति और सद्भावपूर्ण बना रहे.
परिणाम स्वरुप अब तो दूसरे समुदाय के लोग भी इस भयंकर गर्मी में शरबत पानी लेकर खड़े दिखते हैं और भक्त जनों की प्यास को शांत करने का हर संभव प्रयास करते हैं. इस साल लगभग १७५ अखाड़ों का प्रदर्शन हुआ. मध्याह्न तीन बजे से शुरू हुआ कार्यक्रम देर रात लगभग १२ बजे तक चला. विभिन्न अखाड़ा समितियों ने भव्य शोभायात्राएं निकालीं. शक्ति, सामंजस्य और सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में धवज को निश्चित मार्ग से घुमाते हुए पास की नदी स्वर्णरेखा या खरकाई में विसर्जित कर दिया गया. प्रशासन की चुस्त ब्यवस्था ने कुछ भी अनिष्ट होने से बचा लिया. टाटा के कमांड एरिया में भूमिगत केबल के माध्यम बिजली की निर्बाध आपूर्ति की ब्यवस्था रखी गयी. पर गैर टाटा क्षेत्र में चूंकि ओवरहेड नंगे तारों से बिजली की आपूर्ति होती है, और ऊंचे ऊंचे झंडे से नंगे तारों का स्पर्श के चलते कोई भयंकर दुर्घटना न हो जाए इसके लिए दोपहर तीन बजे से रात्रि डेढ़ बजे तक विद्युत आपूर्ति बाधित कर रक्खी गयी. पूर्व में भयकर हादसे हो चुके हैं इसलिए इस भयंकर गर्मी में जबकि पारा ४५.१ डिग्री तक पहुँच गया था, लोगो जो अपने घर में थे गर्मी को बर्दाश्त कर रहे थे या जेनेरेटर/इन्वर्टर के सहारे काम चला रहे थे. इतना तो बर्दाश्त करना ही चाहिए लोगों को … जहाँ राम और हनुमान भक्त भयंकर गर्मी में अपने खून और पसीने सुखा रहे थे, वहीं थोड़ी गर्मी तो आम जनता को बर्दाश्त करनी ही चाहिए. आपको बैरीकेडिंग की वजह से अगर अपने कार्यस्थल या हॉस्पिटल वगैरह भी जाने में थोड़ी असुविधा हुई होगी, तो भी भगवान और प्रशासन का आभार व्यक्त करना चाहिए. कहीं-कहीं पर थोड़ा बहुत अवरोध हुआ भी तो प्रशासन की मुस्तैदी ने उसे हल कर लिया. आपको प्रशासन को धन्यवाद करना चाहिए कि नहीं! अगर कहीं कुछ दुर्घटनाएं हो जाती तब तो आप प्रशासन को जमकर गालियाँ देते, मीडिया वाले भी कैमरा लेकर फ़ौरन पहुँच जाते और आँखों देखा हाल या सीधा प्रसारण ही करने लगते…
अब आइये हजारीबाग और बोकारो चलते हैं…
झारखंड के हजारीबाग जिले के केरेडारी थाना क्षेत्र स्थित टुंडा चौक से एक धार्मिक जुलूस के गुजरने के दौरान पांडू गांव में शुक्रवार शाम चार बजे दो गुटों में झड़प हो गयी. घटना में मो मोजिब नामक व्यक्ति की मौत हो गयी. दोनों ओर से जम कर पत्थरबाजी हुई. दोनों गुट के दर्जनों लोग घायल हो गये. इनमें पांच की हालत अत्यंत गंभीर बतायी जा रही है. उपद्रवियों ने 10 से अधिक घरों व दुकानों में आग लगा दी गयी. तीन हाइवा को भी आग के हवाले कर दिया. तीनों हाइवा पूर्व मुखिया के घर के पास खड़े थे. जुलूस में शामिल वाहनों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया. वहीं, बोकारो के माराफारी थाना क्षेत्र स्थित सिवनडीह में भी धार्मिक जुलूस के मार्ग को लेकर दो गुटों में जम कर पत्थरबाजी हुई. घटना में दो दर्जन भर से अधिक लोग घायल हो गये. बोकारो के डी सी राय महिमापत रे को भी चोटें आयी हैं. आक्रोशित लोगों ने ट्रक, मिनी ट्रक और एक कार में आग लगा दी.
लोगों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस की ओर से लाठी चार्ज किया गया. आंसू गैस भी छोड़ी गयी. दोनों गुट के लोगों ने करीब तीन घंटे तक उत्पात मचाया. घटना में कुछ पत्रकारों को भी चोट लगी है. पुलिस ने चार थाना क्षेत्र (सेक्टर 12, माराफारी, बालीडीह और बीएस सिटी) में कर्फ्यू लगा दी है. पुलिस दोनों जगहों पर गश्त कर रही है. अतिरिक्त फोर्स तैनात कर दी गयी है. हजारीबाग के एसपी अखिलेश झा ने दोनों गुट के लोगों के साथ बैठक की. मामले को सुलझाने का प्रयास किया जा रहा है. विभिन्न जगहों पर शांति समिति की बैठक करायी जा रही है. बोकारो में भी एसपी घटनास्थल पर कैंप कर रहे हैं. स्थिति नियंत्रण में है. घायलों को इलाज कराया जा रहा है. कम पुलिस बल रहने के कारण तथा वरीय अधिकारियों के आदेश के अभाव में दोनों पक्षों में जम कर हंगामा हुआ व पत्थरबाजी भी हुई, पर पुलिस ने संयम नहीं खोया. पत्थरबाजी में पुलिस को पीछे हटना पड़ा. पुलिस बाइक सवारों पर भी अंकुश नहीं लगा सकी. आक्रोशित भीड़ किसी की नहीं सुन रही थी. माहौल बिगड़ने के बाद भी पुलिस बातचीत से मामला सुलझाना चाहती थी, लेकिन भीड़ डीसी-एसपी सहित किसी अधिकारी को सुन ही नहीं रही थी. विधायक बिरंची नारायण ने भी लोगों को समझाने का प्रयास किया. जैसे-जैसे समय बीतता गया, स्थिति तनावपूर्ण होती गयी. दोनों पक्षों के लोग दहशत फैलाने में लगे रहे. डीसी ने कर्फ्यू की घोषणा रामनवमी संपन्न हो जाने के बाद रात्रि नौ बजे की है. रात्रि नौ बजे तक राम मंदिर पहुंचने वाले सारे जुलूस अपने गंतव्य की ओर रवाना हो चुके थे. डीसी के अनुसार कर्फ्यू के दौरान कोई भी व्यक्ति अपने घर से बाहर नहीं निकल सकता है. कर्फ्यू शनिवार की शाम तक जारी रही. स्थिति के अनुसार आगे का फैसला लिया जायेगा. दोनों पक्षों ने लगभग तीन घंटे तक जम कर उत्पात मचाया गया, लेकिन प्रशासन द्वारा भीड़ हटाने के लिए निषेधाज्ञा नहीं लगाया गया. घटनास्थल पर बोकारो डीसी राय महिमापत रे व एसपी वाइएस रमेश सहित अन्य प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी डटे रहे व दिशा-निर्देश देते रहे.
बोकारो बुद्धिजीवियों का शहर है. कुछ असामाजिक तत्वों ने जुलूस के दौरान अशांति फैलाने का प्रयास किया. उनका मंसूबा विफल रहा. बोकारो में शांतिपूर्ण व सौहार्द्रपूर्ण माहौल में रामनवमी मनी. इसके लिए बोकारो की जनता को बधाई. बिरंची नारायण, विधायक, बोकारो.
माहौल खराब करने की कोशिश में लगे असामाजिक तत्वों को कंट्रोल करने के लिए पुलिस को थोड़ा बल प्रयोग करना पड़ा. रामनवमी जुलूस पूर्व निर्धारित रास्ते से ही निकाला गया. हल्का बल प्रयोग करने के बाद फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है. कोई अप्रिय घटना न घटे इसके लिए भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गयी है. चलिए अब खुश रहिये और एक बार जोर से बोलिए जय बजरंगबली ! जय श्री राम !
- जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर
यूं तो रामनवमी भगवान राम के जन्म और माँ दुर्गा के नौवें रूप की आखिरी पूजा से संपन्न माना जाता है. रामनवमी के दिन मंदिरों में, पूजा स्थलों में भगवान् राम का जन्मोत्सव मनाया जाता है. बिहार और झाड़खंड में श्रीराम के परम भक्त श्री हनुमान जी के ध्वज की स्थापना कर उनका पूजन-वंदन किया जाता है. माँ दुर्गा और और बजरंगबली दोनों शक्ति के प्रतीक हैं, इसलिए उनके भक्त अपनी शक्ति का प्रदर्शन, आस्था और बिश्वास के साथ करते हैं. जमशेदपुर में सन १९२२ ई. से ही कई अखाड़ों के अंतर्गत महावीर हनुमान जी का ध्वज का आरोहन करते हैं और उनके ध्वज के साथ जुलूस में एक साथ चलते हुए, अपनी शक्ति का प्रदर्शन लाठी, भाले, तीर, तलवार, और अब चाकू के साथ आधुनिक हथियार के साथ विभिन्न करतब दिखलाते हुए करते हैं. इनके करतब को देखने के लिए श्रद्धालु सड़कों के किनारे जमा होते हैं.
१९७९ में इसी जुलूस को एक खास सम्प्रदाय के आराधना स्थल के सामने काफी देर तक प्रदर्शन किया गया. सभी भक्त अपने करतब दिखलाने में इतने मशगूल हो गए कि उन्हें समय का पता ही न चला और एकाध पत्थर के टुकड़े भीड़ पर आ गिरे. दंगा के लिए इससे ज्यादा और क्या चाहिए. दोनों तरफ से खूफ पत्थरबाजी हुई. फिर हथियार भी चमक उठे. देखते ही देखते खून बहने लगे और माहौल अति संवेदनशील हो गया. फिर भगदड़, कर्फ्यू और शान्ति ….. उस साल के बाद से इस जुलूस के दिन में प्रशासन की तरफ से परिवर्तन कर दिया गया. अब झंडा का जुलूस नवमी के बजाय दशमी को निकलने लगा. उस दिन शुबह से ही चाक चौबंद ब्यवस्था होने लगी. भीड़ को नियंत्रण करने के लिए जगह जगह बैरिकेड लगाये जाने लगे. वाहनों की नो इंट्री भी लागू हो गयी. सभी ब्यावसायिक संस्थान को बंद कर आकस्मिक सेवाओं को चालू रक्खा गया. अपराधियों को धड़-पकड़ के साथ दोनों समुदायों के बीच शांति समितियां बनाकर, विशिष्ट जनों को बुलाकर विशेष हिदायतें और निर्देश दिए गए ताकि माहौल शांति और सद्भावपूर्ण बना रहे.
परिणाम स्वरुप अब तो दूसरे समुदाय के लोग भी इस भयंकर गर्मी में शरबत पानी लेकर खड़े दिखते हैं और भक्त जनों की प्यास को शांत करने का हर संभव प्रयास करते हैं. इस साल लगभग १७५ अखाड़ों का प्रदर्शन हुआ. मध्याह्न तीन बजे से शुरू हुआ कार्यक्रम देर रात लगभग १२ बजे तक चला. विभिन्न अखाड़ा समितियों ने भव्य शोभायात्राएं निकालीं. शक्ति, सामंजस्य और सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में धवज को निश्चित मार्ग से घुमाते हुए पास की नदी स्वर्णरेखा या खरकाई में विसर्जित कर दिया गया. प्रशासन की चुस्त ब्यवस्था ने कुछ भी अनिष्ट होने से बचा लिया. टाटा के कमांड एरिया में भूमिगत केबल के माध्यम बिजली की निर्बाध आपूर्ति की ब्यवस्था रखी गयी. पर गैर टाटा क्षेत्र में चूंकि ओवरहेड नंगे तारों से बिजली की आपूर्ति होती है, और ऊंचे ऊंचे झंडे से नंगे तारों का स्पर्श के चलते कोई भयंकर दुर्घटना न हो जाए इसके लिए दोपहर तीन बजे से रात्रि डेढ़ बजे तक विद्युत आपूर्ति बाधित कर रक्खी गयी. पूर्व में भयकर हादसे हो चुके हैं इसलिए इस भयंकर गर्मी में जबकि पारा ४५.१ डिग्री तक पहुँच गया था, लोगो जो अपने घर में थे गर्मी को बर्दाश्त कर रहे थे या जेनेरेटर/इन्वर्टर के सहारे काम चला रहे थे. इतना तो बर्दाश्त करना ही चाहिए लोगों को … जहाँ राम और हनुमान भक्त भयंकर गर्मी में अपने खून और पसीने सुखा रहे थे, वहीं थोड़ी गर्मी तो आम जनता को बर्दाश्त करनी ही चाहिए. आपको बैरीकेडिंग की वजह से अगर अपने कार्यस्थल या हॉस्पिटल वगैरह भी जाने में थोड़ी असुविधा हुई होगी, तो भी भगवान और प्रशासन का आभार व्यक्त करना चाहिए. कहीं-कहीं पर थोड़ा बहुत अवरोध हुआ भी तो प्रशासन की मुस्तैदी ने उसे हल कर लिया. आपको प्रशासन को धन्यवाद करना चाहिए कि नहीं! अगर कहीं कुछ दुर्घटनाएं हो जाती तब तो आप प्रशासन को जमकर गालियाँ देते, मीडिया वाले भी कैमरा लेकर फ़ौरन पहुँच जाते और आँखों देखा हाल या सीधा प्रसारण ही करने लगते…
अब आइये हजारीबाग और बोकारो चलते हैं…
झारखंड के हजारीबाग जिले के केरेडारी थाना क्षेत्र स्थित टुंडा चौक से एक धार्मिक जुलूस के गुजरने के दौरान पांडू गांव में शुक्रवार शाम चार बजे दो गुटों में झड़प हो गयी. घटना में मो मोजिब नामक व्यक्ति की मौत हो गयी. दोनों ओर से जम कर पत्थरबाजी हुई. दोनों गुट के दर्जनों लोग घायल हो गये. इनमें पांच की हालत अत्यंत गंभीर बतायी जा रही है. उपद्रवियों ने 10 से अधिक घरों व दुकानों में आग लगा दी गयी. तीन हाइवा को भी आग के हवाले कर दिया. तीनों हाइवा पूर्व मुखिया के घर के पास खड़े थे. जुलूस में शामिल वाहनों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया. वहीं, बोकारो के माराफारी थाना क्षेत्र स्थित सिवनडीह में भी धार्मिक जुलूस के मार्ग को लेकर दो गुटों में जम कर पत्थरबाजी हुई. घटना में दो दर्जन भर से अधिक लोग घायल हो गये. बोकारो के डी सी राय महिमापत रे को भी चोटें आयी हैं. आक्रोशित लोगों ने ट्रक, मिनी ट्रक और एक कार में आग लगा दी.
लोगों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस की ओर से लाठी चार्ज किया गया. आंसू गैस भी छोड़ी गयी. दोनों गुट के लोगों ने करीब तीन घंटे तक उत्पात मचाया. घटना में कुछ पत्रकारों को भी चोट लगी है. पुलिस ने चार थाना क्षेत्र (सेक्टर 12, माराफारी, बालीडीह और बीएस सिटी) में कर्फ्यू लगा दी है. पुलिस दोनों जगहों पर गश्त कर रही है. अतिरिक्त फोर्स तैनात कर दी गयी है. हजारीबाग के एसपी अखिलेश झा ने दोनों गुट के लोगों के साथ बैठक की. मामले को सुलझाने का प्रयास किया जा रहा है. विभिन्न जगहों पर शांति समिति की बैठक करायी जा रही है. बोकारो में भी एसपी घटनास्थल पर कैंप कर रहे हैं. स्थिति नियंत्रण में है. घायलों को इलाज कराया जा रहा है. कम पुलिस बल रहने के कारण तथा वरीय अधिकारियों के आदेश के अभाव में दोनों पक्षों में जम कर हंगामा हुआ व पत्थरबाजी भी हुई, पर पुलिस ने संयम नहीं खोया. पत्थरबाजी में पुलिस को पीछे हटना पड़ा. पुलिस बाइक सवारों पर भी अंकुश नहीं लगा सकी. आक्रोशित भीड़ किसी की नहीं सुन रही थी. माहौल बिगड़ने के बाद भी पुलिस बातचीत से मामला सुलझाना चाहती थी, लेकिन भीड़ डीसी-एसपी सहित किसी अधिकारी को सुन ही नहीं रही थी. विधायक बिरंची नारायण ने भी लोगों को समझाने का प्रयास किया. जैसे-जैसे समय बीतता गया, स्थिति तनावपूर्ण होती गयी. दोनों पक्षों के लोग दहशत फैलाने में लगे रहे. डीसी ने कर्फ्यू की घोषणा रामनवमी संपन्न हो जाने के बाद रात्रि नौ बजे की है. रात्रि नौ बजे तक राम मंदिर पहुंचने वाले सारे जुलूस अपने गंतव्य की ओर रवाना हो चुके थे. डीसी के अनुसार कर्फ्यू के दौरान कोई भी व्यक्ति अपने घर से बाहर नहीं निकल सकता है. कर्फ्यू शनिवार की शाम तक जारी रही. स्थिति के अनुसार आगे का फैसला लिया जायेगा. दोनों पक्षों ने लगभग तीन घंटे तक जम कर उत्पात मचाया गया, लेकिन प्रशासन द्वारा भीड़ हटाने के लिए निषेधाज्ञा नहीं लगाया गया. घटनास्थल पर बोकारो डीसी राय महिमापत रे व एसपी वाइएस रमेश सहित अन्य प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी डटे रहे व दिशा-निर्देश देते रहे.
बोकारो बुद्धिजीवियों का शहर है. कुछ असामाजिक तत्वों ने जुलूस के दौरान अशांति फैलाने का प्रयास किया. उनका मंसूबा विफल रहा. बोकारो में शांतिपूर्ण व सौहार्द्रपूर्ण माहौल में रामनवमी मनी. इसके लिए बोकारो की जनता को बधाई. बिरंची नारायण, विधायक, बोकारो.
माहौल खराब करने की कोशिश में लगे असामाजिक तत्वों को कंट्रोल करने के लिए पुलिस को थोड़ा बल प्रयोग करना पड़ा. रामनवमी जुलूस पूर्व निर्धारित रास्ते से ही निकाला गया. हल्का बल प्रयोग करने के बाद फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है. कोई अप्रिय घटना न घटे इसके लिए भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गयी है. चलिए अब खुश रहिये और एक बार जोर से बोलिए जय बजरंगबली ! जय श्री राम !
- जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर
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