Friday, 20 June 2014

बरसाती बादल आ ही गए,

बरसाती बादल आ ही गए, ठंढक थोड़ी पहुंचा ही गए.
तपती धरती, झुलसाते पवन, ऊमस की थी घनघोर घुटन,
खाने पीने का होश नहीं, 'बिजली कट' और बढ़ाते चुभन
अब अम्बर को देख जरा, बिजली की चमक दिखला ही गए... बरसाती बादल आ ही गए,

सरकारें आती जाती है, बिजली भी आती जाती है,
वादों और सपनों की झोली,जनता को ही दिखलाती है
पर एक नियंता ऐसा भी, बस चमत्कार दिखला ही गए... बरसाती बादल आ ही गए,

अंकुरे अवनि से सस्य सुंड, खेतों में दिखते कृषक मुण्ड.
व्याकुल जो थे उस गर्मी में, पशुओं के देखो सजग झुण्ड,
चहुओर बजी अब शहनाई, कजरी के बोल सुना ही गए... बरसाती बादल आ ही गए,

2 comments:

  1. सरकारें आती जाती है, बिजली भी आती जाती है,
    वादों और सपनों की झोली,जनता को ही दिखलाती है
    पर एक नियंता ऐसा भी, बस चमत्कार दिखला ही गए... बरसाती बादल आ ही गए,
    एकदम बढ़िया

    ReplyDelete
  2. हार्दिक आभार आदरणीय योगी जी!

    ReplyDelete