हम सभी मित्रगण शाम
को एक जगह मैदान में बैठे थे. यह एक कैंपस की खुली जगह है जहाँ छोटे बच्चे क्रिकेट
भी खेल लेते हैं और दुर्गा पूजा के समय एक समारोह भी हो जाता है. एक दो बूँद झींसी
गिर रही थी. बादल जमकर छाये थे पर वर्षा नहीं के बराबर हुई. बल्कि जो पानी गिरा
भाप बन कर उड़ गया और वातावरण में ऊमस व्याप्त हो गया. मॉनसून पर ही चर्चा चल रही
थी. अचानक एक मित्र ने कहा- यार इधर एक भी बड़ा पेड़ नहीं है. छोटे छोटे पौधे तो हैं
पर बड़ा पेड़ नहीं है. इसी शहर के दुसरे इलाके में अच्छी वर्षा हो गई पर हमारे इलाके
में आकर उड़ गई. दरअसल बड़े पेड़ ही बादलों को अपनी और आकर्षित करते हैं. तभी वर्षा
होती है. हमने भी देखा है पहाड़ों पर जहाँ बड़े बड़े वृक्ष के घनघोर जंगल हैं, हमेशा
अच्छी वर्षा हो जाती है. उधर बादल पहाड़ों, पेड़ों से अठखेलियाँ करते हुए बरस जाते
हैं. ये बादल सड़कों पर भी बिखड़े रहते हैं, पर्यटक ऐसी जगहों पर जाने के लिए, लुत्फ़
उठाने के लिए लालायित रहते हैं. हालाँकि वहां भी वे सभी सुविधा चाहते हैं,
फलस्वरूप वहां भी पहाड़ो और जंगलों को काटकर सड़कें, होटल, लॉज आदि बनाये जा रहे हैं
और बस्तियां बसती जा रही है. इस प्रकार प्रकृति का क्षरण तो वहां भी हो ही रहा है.
पर अभी भी पर्याप्त जंगल और पहाड़ हैं.
जैसे जी हम विकसित
हो रहे हैं, कंक्रीट के जंगलों से घिरते जा रहे हैं. वर्षा कम होती जा रही है.
वर्षा होती भी है तो पानी जमीन के अन्दर नहीं जा पाता है. नालों नदियों से होता
हुआ समुद्र माँ चला जाता है. फलस्वरूप पानी की कमी से पूरा देश त्राहिमाम कर रहा है.
भूगर्भ जल का स्तर लगातार नीचे जा रहा है. इस संकट से सबसे ज्यादा चेन्नई जूझ रहा
है. वहां टैंकर से सीमित मात्रा में पानी लोगों तक पहुँचाया जा रहा है. लोग घंटों
कतार में लगकर अपने लिए पानी जुटा पाते हैं, वह भी सीमित मात्रा में.
इस बार केरल में भी
मानसून देर से आया पूरे भारत में भी देर से आने और कम वर्षा होने की भविष्यवाणी की
जा रही है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार- मानसून
के गुजरात पहुंचने के साथ ही सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात में मूसलाधार बारिश हुई
है. उसने बताया कि राज्य के अन्य जिलों में भी बारिश हुई है. एसईओसी से प्राप्त
आंकड़ों के अनुसार, पिछले 24
घंटों में,
बुधवार सुबह तक 30
तालुका में 25
मिलीमीटर से ज्यादा बारिश हुई है. इनमें से ज्यादातर
तालुका सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात क्षेत्र में हैं.
वहीं
देश के पश्चिमी और पूर्वी भाग में कई इलाकों में बारिश हुई लेकिन उत्तरी इलाकों
में गर्मी का प्रकोप जारी है. गोवा के दूरदराज के इलाकों में भारी बारिश हुई. इसके
अलावा पश्विम बंगाल और सिक्किम में भी खूब बादल बरसे. दिल्ली में अधिकतम तापमान 41 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया. मौसम विभाग के अनुसार
अगले दो चार दिन मौसम के ऐसे ही बने रहने की संभावना है और रविवार को बारिश होने
के आसार हैं. पश्चिमी राजस्थान में हल्की से मध्यम बारिश हुई और इससे गर्मी के
प्रकोप को झेल रहे लोगों को राहत मिली. बीकानेर में पारा 43.5 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया.
उत्तर प्रदेश में कई जगह बारिश होने का अनुमान है.
राज्य में प्रयागराज सबसे गर्म रहा. यहां पर तापमान सामान्य से छह डिग्री अधिक
होकर 42.3 डिग्री
सेल्सियस पर आ गया. जम्मू भी गर्म हवाओं की चपेट में रहा. यहां पारा सामान्य से
चार डिग्री अधिक होकर 41.6 डिग्री
सेल्सियस पर आ गया. चंडीगढ़ में अधिकतम तापमान 38.7
डिग्री सेल्सियस रहा. पंजाब के अमृतसर में अधिकतम
तापमान 41.5 डिग्री
सेल्सियस दर्ज किया गया. हिमाचल प्रदेश का ऊना प्रदेश में सर्वाधिक गर्म रहा. यहां
पर पारा 39.4 डिग्री
सेल्सियस दर्ज किया गया जबकि शिमला में तापमान 26.3
डिग्री सेल्सियस रहा.
बिहार की राजधानी पटना सहित राज्य के कई हिस्सों में
पिछले 24 घंटे
में हुई हल्की बारिश के बाद तापमान में गिरावट दर्ज की गई है. पटना तथा आसपास के
हिस्सों में आंशिक बादल छाए हुए हैं. पटना का गुरुवार को न्यूनतम तापमान 26.0 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया.
मौसम विभाग ने अपने पूर्वानुमान में बताया है कि राज्य के कई हिस्सों में अगले
एक-दो दिनों में हल्की बारिश हो सकती है, लेकिन
झमाझम बारिश के लिए लोगों को जुलाई का ही इंतजार करना होगा. इस दौरान, राज्य के अधिकांश हस्सों में हल्के बादल छाए रहेंगे.
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल सहित राज्य के कई अन्य
हिस्सों में हल्के बादल छाने से ऊमस का असर बढ़ गया है. राज्य के निमांड-मालवा
अंचल सहित अन्य हिस्सों में मानसून दस्तक दे चुका है. बीते 24 घंटों के दौरान कई हिस्सों में बारिश हुई. वहीं
गुरुवार की सुबह से हल्के बादल छाए हुए हैं, गर्मी
का असर कम है मगर उमस परेशान करने वाली है. मौसम विभाग के अनुसार, आगामी 24 घंटों
में राज्य के कई हिस्सों में बादल बरस सकते हैं.
राज्य के मौसम में बदलाव का क्रम बना हुआ है.
झाड़खंड प्रदेश हालाँकि जंगल और पहाड़ों से घिरा है,
पर इस बार मानसून की देरी से किसानों के साथ आमजन भी गर्मी से परेशान हैं. झाड़खंड में इस
साल जून में सामान्य से 55 फीसदी कम बारिश हुई है। राज्य में मानसून
के अचानक कमजोर होने से अभी ज्यादा बारिश के आसार भी नहीं हैं। ऐसे में राज्य में
सूखे के खतरे की आशंका बढ़ गई है। जानकारी के अनुसार से देर से मानसून आने के कारण
पूरे राज्य में एक जून से अब तक केवल 62.7 मिमी बारिश
हुई है जबकि राज्य में 30 जून तक 197.5 मिलीमीटर
बारिश सामान्य रूप से होती है. पानी
की किल्लत यहाँ भी है. कल कारखाने और विकास के क्रम में कंक्रीट के जंगल हाल
फिलहाल में खूब विकसित हुए हैं.
कुछ लोग वायु तूफ़ान को भी मानसून को देर से आने में
हाथ बता रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट (दैनिक भास्कर) के अनुसार पिछले आठ से दस सालों
में लगातार मानसून देर से आ रहा है और औसत बारिश में २०% से ५०% की कमी दर्ज की गई
है. और इस कमी को पेड़ों की कमी से जोड़कर देखा जाना चाहिए. कल कारखानों के साथ शहर
और गाँव भी विकसित हो रहे हैं. लगातार पेड़ काटे जा रहे हैं और उस अनुपात में लगाये
नहीं जा रहे हैं. फलत: वर्षा की कमी, तापमान में बृद्धि, भूगर्भ जल का लगातार
गिरता स्तर, साथ ही प्रदूषित वातावरण को झेलने को हम सब मजबूर हैं.
प्रधान मंत्री श्री मोदी वैश्विक स्तर पर भी ग्लोबल
वार्मिंग और आतंकवाद को सबसे बड़ी चुनौती को व्यक्त कर चुके हैं. हम सबको मिलजुलकर
सोचना ही होगा की कैसे खाली जगहों में वृक्षारोपण कर वातावरण को प्रदूषण से बचाया
जाय. व्यक्तिगत वाहनों के बजाय पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल किया जाय. जल की
बर्बादी को रोका जाय. वर्षा जल संचयन के अधिक से अधिक उपाय किये जाएँ. अंत में कुछ
पंक्तियाँ
कुछ पादप अगर बड़े होते, धरती पर स्वयम खड़े होते.
छाया देते गर्मी में वे, फल प्राणवायु भी देते वे.
हमने ही उनको काटा है, अब ठिंगना सा कुछ नाटा है.
गर होते घने बड़े जंगल, तब होता मंगल ही मंगल
अब भी मानव तुम चेतो भी, कुछ पेड़ लगाओ अभी अभी.
कुछ पेड़ लगाओ अभी अभी.
- - जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर
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