Sunday, 30 June 2019

मानसून की देरी और वर्षा की कमी से परेशानी


हम सभी मित्रगण शाम को एक जगह मैदान में बैठे थे. यह एक कैंपस की खुली जगह है जहाँ छोटे बच्चे क्रिकेट भी खेल लेते हैं और दुर्गा पूजा के समय एक समारोह भी हो जाता है. एक दो बूँद झींसी गिर रही थी. बादल जमकर छाये थे पर वर्षा नहीं के बराबर हुई. बल्कि जो पानी गिरा भाप बन कर उड़ गया और वातावरण में ऊमस व्याप्त हो गया. मॉनसून पर ही चर्चा चल रही थी. अचानक एक मित्र ने कहा- यार इधर एक भी बड़ा पेड़ नहीं है. छोटे छोटे पौधे तो हैं पर बड़ा पेड़ नहीं है. इसी शहर के दुसरे इलाके में अच्छी वर्षा हो गई पर हमारे इलाके में आकर उड़ गई. दरअसल बड़े पेड़ ही बादलों को अपनी और आकर्षित करते हैं. तभी वर्षा होती है. हमने भी देखा है पहाड़ों पर जहाँ बड़े बड़े वृक्ष के घनघोर जंगल हैं, हमेशा अच्छी वर्षा हो जाती है. उधर बादल पहाड़ों, पेड़ों से अठखेलियाँ करते हुए बरस जाते हैं. ये बादल सड़कों पर भी बिखड़े रहते हैं, पर्यटक ऐसी जगहों पर जाने के लिए, लुत्फ़ उठाने के लिए लालायित रहते हैं. हालाँकि वहां भी वे सभी सुविधा चाहते हैं, फलस्वरूप वहां भी पहाड़ो और जंगलों को काटकर सड़कें, होटल, लॉज आदि बनाये जा रहे हैं और बस्तियां बसती जा रही है. इस प्रकार प्रकृति का क्षरण तो वहां भी हो ही रहा है. पर अभी भी पर्याप्त जंगल और पहाड़ हैं.
जैसे जी हम विकसित हो रहे हैं, कंक्रीट के जंगलों से घिरते जा रहे हैं. वर्षा कम होती जा रही है. वर्षा होती भी है तो पानी जमीन के अन्दर नहीं जा पाता है. नालों नदियों से होता हुआ समुद्र माँ चला जाता है. फलस्वरूप पानी की कमी से पूरा देश त्राहिमाम कर रहा है. भूगर्भ जल का स्तर लगातार नीचे जा रहा है. इस संकट से सबसे ज्यादा चेन्नई जूझ रहा है. वहां टैंकर से सीमित मात्रा में पानी लोगों तक पहुँचाया जा रहा है. लोग घंटों कतार में लगकर अपने लिए पानी जुटा पाते हैं, वह भी सीमित मात्रा में.  
इस बार केरल में भी मानसून देर से आया पूरे भारत में भी देर से आने और कम वर्षा होने की भविष्यवाणी की जा रही है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार- मानसून के गुजरात पहुंचने के साथ ही सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात में मूसलाधार बारिश हुई है. उसने बताया कि राज्य के अन्य जिलों में भी बारिश हुई है. एसईओसी से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, पिछले 24 घंटों में, बुधवार सुबह तक 30 तालुका में 25 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश हुई है. इनमें से ज्यादातर तालुका सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात क्षेत्र में हैं.
वहीं देश के पश्चिमी और पूर्वी भाग में कई इलाकों में बारिश हुई लेकिन उत्तरी इलाकों में गर्मी का प्रकोप जारी है. गोवा के दूरदराज के इलाकों में भारी बारिश हुई. इसके अलावा पश्विम बंगाल और सिक्किम में भी खूब बादल बरसे. दिल्ली में अधिकतम तापमान 41 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया. मौसम विभाग के अनुसार अगले दो चार दिन मौसम के ऐसे ही बने रहने की संभावना है और रविवार को बारिश होने के आसार हैं. पश्चिमी राजस्थान में हल्की से मध्यम बारिश हुई और इससे गर्मी के प्रकोप को झेल रहे लोगों को राहत मिली. बीकानेर में पारा 43.5 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया. 
उत्तर प्रदेश में कई जगह बारिश होने का अनुमान है. राज्य में प्रयागराज सबसे गर्म रहा. यहां पर तापमान सामान्य से छह डिग्री अधिक होकर 42.3 डिग्री सेल्सियस पर आ गया. जम्मू भी गर्म हवाओं की चपेट में रहा. यहां पारा सामान्य से चार डिग्री अधिक होकर 41.6 डिग्री सेल्सियस पर आ गया. चंडीगढ़ में अधिकतम तापमान 38.7 डिग्री सेल्सियस रहा. पंजाब के अमृतसर में अधिकतम तापमान 41.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. हिमाचल प्रदेश का ऊना प्रदेश में सर्वाधिक गर्म रहा. यहां पर पारा 39.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जबकि शिमला में तापमान 26.3 डिग्री सेल्सियस रहा.
बिहार की राजधानी पटना सहित राज्य के कई हिस्सों में पिछले 24 घंटे में हुई हल्की बारिश के बाद तापमान में गिरावट दर्ज की गई है. पटना तथा आसपास के हिस्सों में आंशिक बादल छाए हुए हैं. पटना का गुरुवार को न्यूनतम तापमान 26.0 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. मौसम विभाग ने अपने पूर्वानुमान में बताया है कि राज्य के कई हिस्सों में अगले एक-दो दिनों में हल्की बारिश हो सकती है, लेकिन झमाझम बारिश के लिए लोगों को जुलाई का ही इंतजार करना होगा. इस दौरान, राज्य के अधिकांश हस्सों में हल्के बादल छाए रहेंगे. 
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल सहित राज्य के कई अन्य हिस्सों में हल्के बादल छाने से ऊमस का असर बढ़ गया है. राज्य के निमांड-मालवा अंचल सहित अन्य हिस्सों में मानसून दस्तक दे चुका है. बीते 24 घंटों के दौरान कई हिस्सों में बारिश हुई. वहीं गुरुवार की सुबह से हल्के बादल छाए हुए हैं, गर्मी का असर कम है मगर उमस परेशान करने वाली है. मौसम विभाग के अनुसार, आगामी 24 घंटों में राज्य के कई हिस्सों में बादल बरस सकते हैं.  
राज्य के मौसम में बदलाव का क्रम बना हुआ है.
झाड़खंड प्रदेश हालाँकि जंगल और पहाड़ों से घिरा है, पर इस बार मानसून की देरी से किसानों के साथ आमजन भी गर्मी से परेशान हैं. झाड़खंड में इस साल जून में सामान्य से 55 फीसदी कम बारिश हुई है। राज्य में मानसून के अचानक कमजोर होने से अभी ज्यादा बारिश के आसार भी नहीं हैं। ऐसे में राज्य में सूखे के खतरे की आशंका बढ़ गई है। जानकारी के अनुसार से देर से मानसून आने के कारण पूरे राज्य में एक जून से अब तक केवल 62.7 मिमी बारिश हुई है जबकि राज्य में 30 जून तक 197.5 मिलीमीटर बारिश सामान्य रूप से होती है. पानी की किल्लत यहाँ भी है. कल कारखाने और विकास के क्रम में कंक्रीट के जंगल हाल फिलहाल में खूब विकसित हुए हैं.
कुछ लोग वायु तूफ़ान को भी मानसून को देर से आने में हाथ बता रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट (दैनिक भास्कर) के अनुसार पिछले आठ से दस सालों में लगातार मानसून देर से आ रहा है और औसत बारिश में २०% से ५०% की कमी दर्ज की गई है. और इस कमी को पेड़ों की कमी से जोड़कर देखा जाना चाहिए. कल कारखानों के साथ शहर और गाँव भी विकसित हो रहे हैं. लगातार पेड़ काटे जा रहे हैं और उस अनुपात में लगाये नहीं जा रहे हैं. फलत: वर्षा की कमी, तापमान में बृद्धि, भूगर्भ जल का लगातार गिरता स्तर, साथ ही प्रदूषित वातावरण को झेलने को हम सब मजबूर हैं.
प्रधान मंत्री श्री मोदी वैश्विक स्तर पर भी ग्लोबल वार्मिंग और आतंकवाद को सबसे बड़ी चुनौती को व्यक्त कर चुके हैं. हम सबको मिलजुलकर सोचना ही होगा की कैसे खाली जगहों में वृक्षारोपण कर वातावरण को प्रदूषण से बचाया जाय. व्यक्तिगत वाहनों के बजाय पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल किया जाय. जल की बर्बादी को रोका जाय. वर्षा जल संचयन के अधिक से अधिक उपाय किये जाएँ. अंत में कुछ पंक्तियाँ
कुछ पादप अगर बड़े होते, धरती पर स्वयम खड़े होते.
छाया देते गर्मी में वे, फल प्राणवायु भी देते वे.
हमने ही उनको काटा है, अब ठिंगना सा कुछ नाटा है.
गर होते घने बड़े जंगल, तब होता मंगल ही मंगल
अब भी मानव तुम चेतो भी, कुछ पेड़ लगाओ अभी अभी.
कुछ पेड़ लगाओ अभी अभी.
-      - जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर

Saturday, 22 June 2019

मेघालय की राजधानी शिलॉंग – पर्यटन के लिए बेहतर


मेघालय यानी ‘मेघों का आलय’ ‘मेघों का घर’. जंगल और पहाड़ों के बीच बसा मेघालय बड़ा ही रमणीक है. गर्मी की छुट्टियों में सपरिवार वहां जाना और विभिन्न प्राकृतिक दृश्यों का अवलोकन करना स्वयं को आनंदित कर देता है. यहाँ के झरने, गुफाएं, घाटियाँ, पहाड़ों पर बने साफ़ सुथरे मकान, पर्वतों की ऊँचाइयाँ, मन को मोहित करती हैं तो विभिन्न प्रकार के पेड़ पौधे से परिपूरित, मेघालय में वानस्पतिक जडी बूटियों की भी भरमार है. यहाँ के वातावरण में फूलों की खुशबू, वनस्पतियों की आभा, झरनों और झीलों की कलकल निनाद सबकुछ आपको आकर्षित करती है. आप यहाँ खूब जोर-जोर से सांस लेकर अपने फेफड़े को ताजी हवा से भर सकते हैं. यहाँ के लजीज व्यंजन और ताजे पके फल खाकर भी अपने स्वास्थ्य को सुगढ़ बना सकते हैं.
यहाँ की सड़कें जो पहाड़ों को काटकर बड़े ही अच्छे ढंग से बनाई गई है, अच्छी और रख-रखाव से व्यवस्थित है. यहाँ के लोग बड़े ही अनुशासित और नियम को पालन करनेवाले हैं. गाड़ियों की कतारें लग जाती हैं, पर सभी लोग अपने ‘लेन’ में ही रहते हैं. गाड़ियाँ धीरे-धीरे ही सही पर आगे बढ़ती जातीं हैं. बिना ट्रैफिक पुलिस के भी लोग यातायात नियमों का पालन करते हैं. सफाई के लिए मशहूर भारत-बांग्लादेश सीमा पर बसा मेघालय का मावलिननोंग 2003 से लगातार एशिया का सबसे स्वच्छ गांव बना हुआ है . डीएनए की एक ख़बर के मुताबिक मेघालय के ईस्ट-खासी हिल जिले में बसे इस गांव की आबादी महज 500 है. यहाँ बांस के बने सीढीनुमा मचान है जहाँ से आप बंगला देश के सीमावर्ती क्षेत्र देख सकते हैं. बांस के मचान पर चढ़ना भी एक रोमांच का अनुभव देता है. सफाई के प्रति यहाँ के लोग जागरूक हैं न खुद गन्दा करते हैं न गन्दा करने देते हैं. सैलानियों को भी यहाँ बताया जाता है, हर जगह कूड़ा कचड़ा न फेंकें. कूड़ा कचड़ा फेंकने के लिए जगह-जगह कूड़ेदान बने हुए हैं. शौचालय की भी जगह-जगह उचित व्यवस्था है.
इसके अलावा कुछ और भी दर्शनीय स्थान हैं जिनकी सूची आपको गूगल पर मिल जायेगी. मैं कुछ स्थानों के बारे में यहाँ चर्चा भर कर रहा हूँ.
१.      डबल डेकर लिविंग रूट ब्रिज – बरगद के साथ अन्य जंगली पेड़ों के जड़ इस प्रकार आपस में गुंथे हुए हैं, प्रकृति के साथ मनुष्य की भी कारीगरी ही कही जायेगी कि इस रूट ब्रिज से होकर आप झरना नुमा नदी को पार कर सकते हैं. हालाँकि वहां के लोग ज्यादा देर पुल पर ठहरने से मना करते हैं. वहां तक पहुँचने के लिए पत्थर की ही सीढ़ियाँ बनी हुई है. आप कल कल बहती हुई पहाड़ी नदी को देख कर आनंदित महसूस करेंगे.
२.      नोह्कलिकाई वाटर फॉल – चेरापूंजी से करीब ७ किलोमीटर दूर नोह्कलिकाई फॉल भारत का ५वाँ सबसे ऊंचा वाटर फॉल है. इस वाटर फाल के पीछे एक कहानी है. कहते हैं कि का लिकाई नाम की एक महिला जिसने अपने पति की मौत के बाद दूसरी शादी की. पहले पति से उसकी एक बेटी थी. का लिकाई अपनी बेटी से बहुत प्यार करती थी. दूसरे पति को यह पसंद नहीं था. एक दिन लिकाई किसी काम से बहार गई हुई थी. उसके दुसरे पति ने उसकी बेटी की हत्या कर उसके टुकड़े को भोजन में डालकर पका दिया. लिकाई लौटी तो उसे घर में बेटी की उंगली मिली जिससे पूरा मामला खुला. कहते हैं कि  इसके बाद लिकाई ने इसी वॉटरफॉल में कूदकर अपनी जान दे दी. उसके बाद से ही इस फॉल का नाम नोह्कलिकाई फॉल पड़ गया. ‘खासी’ भाषा में ‘नोह’ का मतलब कूदना होता है.
३.      एलिफैंट फॉल – यह शिलोंग शहर से करीब १२ किलोमीटर दूर है. इसकी ख़ूबसूरती भी देखते ही बनती है. इसका असली नाम का शैद लाई पटेंग खोशी यानी तीन हिस्से वाला फॉल है. बाद में अंग्रेजों ने इसका नाम बदलकर एलीफैंट फॉल रख दिया. इस फॉल के पास एक पत्थर है जो हाथी जैसा दीखता था. हालाँकि १८९७ में आये भूकंप में वो पत्थर नष्ट हो गया, लेकिन फॉल का नाम नहीं बदला गया.
४.      स्वीट फॉल – शिलोंग में स्थित स्वीट फॉल इस शहर का सबसे खूबसूरत वाटर फॉल माना जाता है. लेकिन स्थानीय लोगों का मानना है की सबसे ज्यादा खुदखुशी और मौत की घटनाएँ इसी वाटर फॉल में हुई है.
५.      कामाख्या देवी मंदिर – असम की राजधानी गुवाहाटी में स्थित माँ कामाख्या देवी का मंदिर नीलाचल पहाड़ियों पर है. कामख्या देवी का मंदिर ५१ शक्ति पीठों में से एक है. पौराणिक कथा के अनुसार अम्बुवाची पर्व के दौरान माँ भगवती रजस्वला होती हैं और और माँ भगवती के गर्भ गृह स्थित महामुद्रा(योनि-तीर्थ) से निरंतर तीन दिनों तक जल प्रवाह के स्थान से रक्त प्रवाहित होता है. दरअसल हमारा पारिवारिक कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य माँ कामाख्या देवी का दर्शन ही था. ३१ मई के दिन हमलोग सभी सुबह ही मंदिर के प्रांगण पहुँच गए थे. वी आई पी दर्शन के सारे टिकट बिक चुके थे. डिफेन्स कोटे वाले चल रहे थे. चुनाव के बाद और गर्मी की छुट्टियों की वजह से काफी लोग यहाँ दर्शन हेतु पधार रहे थे. इसलिए हमलोगों को सामान्य कतार में ही लगना पड़ा जिसमे काफी भीड़ थी. दर्शन करने में सुबह से शाम हो गए. हालाँकि वहां कतार में भी बैठने की ब्यवस्था थी. चाय, फल आदि ले सकते थे. पंखे, कूलर और ए सी के साथ भजन और धार्मिक सीरियल भी हाल में लगे टी वी पर दिखलाये जा रहे थे. शाम की गोधूलि वेला में दर्शन और जल स्पर्श रोमांच के साथ आस्था से परिपूर्ण लगा. उसके बाद हमलोगों ने वहीं पर खाना खाया. दूसरे दिन ही हम लोग चेरापूंजी (अब सोहरा) के लिए रवाना हुए.
६.      जयन्ती माता का मंदिर – जयन्ती शक्तिपीठ भी ५१ शक्तिपीठों में से एक है. पुराणों के अनुसार जहाँ सती के अंग के टुकड़े, वस्त्र या आभूषण गिरे थे, वहां वहां शक्तिपीठ अस्तित्व में आये. मेघालय तीन पहाड़ों गारो, कहसी, और जयंतिया पर बसा हुआ है. जयंतिया पहाडी पर ही जयन्ती शक्तिपीठ है, जहाँ सती के वाम जांघ का निपट हुआ था. यह शक्ति पीठ शिलोंग से ५३ किलोमीटर दूर जयंतिया पर्वत के बाउर भाग ग्राम में स्थित है. यहाँ की सती जयंती और शिव क्रम्दीश्वर हैं. यहाँ हम नहीं जा सके.
७.      शिलोंग पीक – समुद्र तल से करीब १९०० मीटर ऊंची शिलोंग पीक शिलोंग की सबसे ऊंची चोटी है. यहाँ से आप पूरे शहर का नजारा देख सकते हैं. यहाँ के लोगों का मानना है कि उनके देवता ली शिलोंग इस पर्वत पर रहते हैं. यहाँ से वह पूरे शहर पर नजर रखते हैं और लोगों को हर मुसीबत से बचाते हैं. शिलोंग पीक के शानदार व्यू पॉइंट के अलावा यहाँ इंडियन एयर फोर्स का रडार भी स्थापित है.
इन सबके अलावा और भी बहुत कुछ जैसे, गुफाएं, झरने, जंगल, पहाड़ और इन सबके बीच सभी सुविधाओं से लैस रिसोर्ट के अलावा काफी गेस्ट हाउसेस और होटल हैं. कहा जाता है कि यहाँ के लोग बहुत कम बीमार पड़ते हैं. शुद्ध और प्राकृतिक वातावरण में रहने के अलावा ये लोग काफी मिहनती भी हैं. ये लोग पर्यटकों को कुछ बेचकर अपनी जीविका चलाते हैं. ये भीख नहीं माँगते और अपने आप में ईमानदार हैं. अब बाहरी लोगों का भी वहां दखल हो गया है. यहाँ अभी भी मातृसत्ता चलती है.
– जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर

बुद्धा स्मृति पार्क, पटना


बिहार की राजधानी पटना बहुत सारे मामलों में कुछ खास है. यहाँ रेलवे स्टेशन पर जैसे ही उतरेंगे आपको बहुत ही खूबसूरत और ऊंचा श्री महावीर हनुमान मंदिर मिलेगा. वहां आपको लिखा हुआ दिख जाएगा- प्रबिसि नगर कीजे सब काजा। हृदयँ राखि कोसलपुर राजा॥.
इस प्राचीन हनुमान मंदिर का जीर्णोद्धार और पुनर्निर्माण उस १९८०-८५ में तत्कालीन पटना पुलिस के पुलिस अधीक्षक श्री किशोर कुणाल के संरक्षण में हुआ था. अभी भी वे महावीर मंदिर न्यास समिति के अध्यक्ष हैं. इस मंदिर में दर्शन हेतु हर समय भीड़ रहती है.
पटना रेलवे जंक्शन के पास ही 22 एकड़ ज़मीन पर 125 करोड़ रुपए की लागत से बना बुद्ध स्मृति उद्यान है। इसके मध्य में 200 फ़ीट ऊँचा एक स्तूप बनाया गया है। इसमें छह देशों से लाए गए बुद्ध अस्थि अवशेष' की मंजुषाएं रखी गई हैं। २७ मई 2010  को बुद्ध पूर्णिमा के दिन के दिन तिब्बतियों के धर्मगुरु दलाई लामा ने इसे जनता को समर्पित किया। उन्होंने इसके अन्दर स्थापित स्तूप को पाटलिपुत्र करुणा स्तूप’ का नाम दिया। यह दुनिया भर के बौद्ध पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। यह उद्यान बांकीपुर जेल परिसर के जगह पर ही बनाया गया है जब बांकीपुर जेल को बेउर जेल में स्थानांतरित कर दिया गया. इस उद्यान को विकसित करने में नीतीश कुमार का महत्वपूर्ण रोल है. उन्होंने ही इसके उद्घाटन के समय दलाईलामा को आमंत्रित किया और उनके हाथों बोधिवृक्ष का पौधा भी लगवाया. एक पौधा बोधगया का है और दूसरा श्रीलंका से मंगवाया गया था. दोनों बोधिवृक्ष के बीच में भगवान बुद्ध की प्रतिमा स्थापित है.
पार्क में मेडिटेशन सेंटर, पार्क ऑफ मेमोरी, म्यूजियम, लेजर शो, बोधि ट्री, लाइब्रेरी और बांकीपुर जेल के अवशेष के अलग-अलग खंड हैं। विपश्यना मेडिटेशन सेंटर विशेष आकर्षण है। बुद्ध म्यूजियम खूबसूरत गुफानुमा बनाया गया है। यह सहसा बराबर की गुफाओं की याद दिलाता है। इसमें बुद्ध और बौद्ध धर्म से जुड़ी वस्तुओं का प्रदर्शन किया गया है।
बुध्द स्मृति पार्क को बिहार सरकार द्वारा विकसित किया गया है, वहीं इस पार्क का उद्धाटन तिब्बत के धार्मिक गुरु 14वें दलाई लामा के द्धारा 27 मई, साल 2010 में बुध्द की 2554 वीं जयंती के मौके पर किया गया था, वहीं इस पार्क के उद्दघाटन के मौके पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार भी मौजूद थे। इस भव्य और आर्कषक पार्क की डिजाइन आर्किटेक्ट विक्रम द्वारा तैयार की गई थी। वहीं पिछले कुछ सालों में बुद्धा मेमोरियल पार्क महात्मा बुध्द के जीवन और उनके उपदेशों के बारे में समझने के लिए एक आधुनिक उत्कृष्ट पार्क के रुप में उभरा है। यह सभी धर्म और जाति के लोगों के लिए एक अच्छा धार्मिक पर्यटक स्थल है, जहां के मनोरम वातावरण में लोगों को सुख-शांति का अनुभव होता है। आपको बता दें कि बुध्द स्मृति पार्क के परिसर में 200 फीट ऊंची पाटलिपुत्र करुणा स्तूप, आनंद बोधि वृक्ष, लाइब्रेरी, म्यूजियम, मेडिटेशन सेंटर, स्मृति बाग और भगवान बुध्द की प्रतिमा बनी हुई है, जिसे देखने दूर-दूर से लोग आते हैं, बुद्धा मेमोरियल पार्क परिसर में बनी इस सभी इमारतों के बारे में हम आपको नीचे बता रहे हैं
पाटलिपुत्र करुणा स्तूप’ – इस भव्य बुध्द स्मृति पार्कके बीच में बनी 200 फीट ऊंचाई वाली यह स्तूप यहां की सबसे प्रमुख संरचना है। गोल आकार की इस पाटलिपुत्र करुणा स्तूप का निर्माण, परंपरा और आधुनिकता का एक सुखद मिश्रण है। यह स्तूप शाक्यमुनि बुध्द के पवित्र अवशेषों को पता लगाने वाला मुख्य स्तूप है। वहीं इस स्तूप के परिक्रमा के लिए एंबुलेटरी रास्ता है, जो इस स्तूप के सबसे ऊंचाई तक ले जाने में पर्यटकों की मदद करता है। आपको बता दें कि इस स्तूप में बुध्द की 6 देशों से लाई गए अस्थि अवशेष की मंजुषाएं भी रखी गई हैं। बुध्द के अवशेष स्तूप की कांच की वातानुकूलित संरचना के अंदर सुरक्षित तरीके से रखे गए हैं, जिसे आसानी से पर्यटकों द्धारा देखा जा सकता है। यहाँ बैठकर आप ध्यान भी लगा सकते हैं. जापान, म्यांमार, साउथ कोरिया, तिब्बत, श्री लंका, थाइलैंड से लाए गए पवित्र अवशेष भी यहां पर्यटकों द्धारा देखे जा सकते हैं। वहीं इस 200 फीट ऊंचाई वाली पाटलिपुत्र करुणा स्तूपको पर्यटकों द्धारा खूब पसंद किया जाता है, यह स्तूप इस पार्क का मुख्य आकर्षण है।
मेडिटेशन सेंटर (ध्यान केन्द्र) पटना के इस भव्य बुध्द स्मृति पार्क के मेडिटेशन सेंटर में 60 वातानुकूलित कक्ष हैं, हर कक्ष में इस तरह खिड़की बनाई गई है, जहां से पाटिलपुत्र करुणा स्तूप दिखाई देती है। आपको बता दें कि इस भव्य बुद्धा मेमोरियल पार्क में मेडिटेशन सेंटर बनाने का आइडिया विश्व धरोहर नालंदा के प्राचीन महाविहार के मठों से लिया गया है। बुद्धि स्मृति पार्क के इस मेडिटेशन सेंटर में एक लाइब्रेरी है, जिसमें एक बड़े ऑडियो-विजुलअल हॉल के साथ-साथ बौद्ध धर्म की कई किताबें भी रखी गईं हैं।
म्यूजियम पटना में स्थित इस भव्य बुद्धा मेमोरियल पार्क का अन्य आर्कषण म्यूजियम की बिल्डिंग भी हैं। आपको बता दें कि म्यूजियम बिल्डिंग का मुक्त प्रवाह रुप भारत की प्राचीन गुफा के मठों से लिया गया है। इसमें भगवान बुध्द के जीवन चक्र को 3-डी मॉडल, ऑडियो-विज़ुअल माध्यम और मल्टीमीडिया प्रेजेंटेशन के जरिए दिखाया जाता है। इस म्यूजियम की अद्भुत और शानदार ब्लडिंग का उद्घाटन 13 दिसंबर, साल 2013 में भूटान की राजकुमारी आशी केसांग, वांगमो, वांगचुक ने किया था।
स्मृति बाग बुद्धा मेमोरियल पार्क परिसर का एक अन्य आर्कषण स्मृति पार्क भी है, जो कि खुली जगह में बना हुआ है, इसमें कई अलग-अलग देशों के विशिष्ट और उत्कृष्ट स्तूप हैं, वहीं प्रत्येक स्तूप को विशेष तरीके से डिजाइन किया गया है, जिसकी सुंदरता देखते ही बनती है। यह पार्क इतना विशाल है कि, इसमें एक साथ करीब 5 हजार लोग बैठ सकते हैं। स्मृति बाग, बिहार से लेकर दुनिया के कई क्षेत्रों में बौद्ध धर्म के फैलाव का प्रतीक माना जाता है।
बोधि वृक्ष बिहार के इस मुख्य पर्यटन स्थल बुध्द स्मृति पार्क में पवित्र बोधी वृक्ष भी लगाए गए हैं, जिन्हें महामेघवन अनुराधापुरा, श्रीलंका और बोधगया से लाया गया है। आपको बता दें कि बोधगया से लाया गया बोधी वृक्ष को तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा के द्धारा २७ मई 2010 में लगाया गया है।
बुध्द स्मृति पार्क में अनूठा लेजर शो पटना जंक्शन स्टेशन के पास स्थित इस बुध्द स्मृति पार्क में दिखाया जाने वाला लेजर शो पर्यटकों के बीच काफी मशहूर है। इस लेजर शो में बिहार के गौरवशाली इतिहास, रामायण और महाभारत के समय के महापुरुषों को देखा जा सकता है। महात्मा बुध्द, मगध सम्राज्य, महावीर, विदेशी बौद्ध बिक्षुओं की नालंदा बिहार यात्रा, अशोक का स्वर्ण काल, वीर कुंवर सिंह द्धारा अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध, महान वैज्ञानिक आर्यभट्ट के द्धारा विज्ञान में योगदान, चंपारण युद्ध समेत भारत की आजादी के बाद की सभी झलकियां इस लेजर शो के द्धारा यहां आने वाले आगुंतकों को दिखाई जाती है। यह लेजर शो शाम के वक्त ७ बजे से शुरू होता है, जिसे लोगों द्धारा खूब सराहा भी जाता है। लेज़र शो के फव्वारे के सामने घास से आच्छादित भूमि है जो ऊंची गैलरीनुमा बनी हुई है. यही पर जमीन पर बैठकर लोग लेज़र शो देखते हैं और बिहार के इतिहास पुराण से परिचित होते है साथ ही मनोरंजक संगीत के कार्यक्रम भी चलते रहते है.
आपको बता दें कि पटना के मुख्य पर्यटन स्थलों में से एक इस बुद्धा मेमोरियल पार्क में जापान, म्यांमार, श्रीलंका, साउथ कोरिया, थाइलैंड और भारत जैसे देशों से हर साल हजारों के संख्या पर्यटक यहां सुख, शांति और ज्ञान की प्राप्त के लिए आते हैं।
पटना जंक्शन रेलवे स्टेशन के पास होने की वजह से यह ख़ास लोकप्रिय है. अगर आप पटना जंक्शन पर किसी ट्रेन का इन्तजार कर रहे हैं और आपके पास दो घंटे का भी समय बचा है तो आप एक साथ महावीर हनुमान मंदिर के साथ बुद्ध स्मृति उद्यान का भी भ्रमण कर सकते हैं. भीड़ भाड़ की जगह में यह पाकृतिक वातावरण प्रदान करता है और आपको स्वच्छ हवा में सांस लेने से स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करता है. अगर आप ध्यान लगते हैं तो मानसिक शांति भी मिलती है. – जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर.