रनर
हिमा दास द्वारा वर्ल्ड अंडर 20 चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल
जीतने के बाद हर तरफ से उन्हें बधाई संदेश मिल रहे हैं. पी एम मोदी ने शुक्रवार को हिमा को बधाई
देने के बाद शनिवार को उनकी रेस से जुड़ा विडियो भी शेयर किया. पीएम ने अपनी पोस्ट में लिखा, 'हिमा की जीत के कभी न भूलनेवाले पल. जीतने के बाद जिस
तरीके से वह तिरंगे को खोज रही थीं और फिर राष्ट्रगान के वक्त उनका भावुक होना
मेरे दिल को छू गया. इस विडियो को देखकर कौन ऐसा भारतीय होगा जिसकी आंखों में खुशी
के आंसू नहीं होंगे! हिमा को बधाई देते हुए पीएम ने लिखा था, ‘भारत को ऐथलीट हिमा दास पर गर्व है जिन्होंने विश्व अंडर 20
चैंपियनशिप में ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीता. इस उपलब्धि से आने वाले समय में
युवा खिलाड़ियों को प्रेरणा मिलेगी.’
पीएम मोदी से पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने
शुक्रवार को यह विडियो शेयर करते हुए हिमा को बधाई दी थी. उन्होंने लिखा था,
‘मैं उनकी उपलब्धि को सलाम करता हूं और इस ऐतिहासिक जीत पर उन्हें बधाई देता
हूं.’
एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड जीतकर इतिहास रचने वाली हिमा दास देश के लिए अब रोल मॉडल बनी हैं, लेकिन उनका गांव पहले से उनका फैन है. असम के छोटे से गांव ढिंग में रहनेवाले हिमा के पड़ोसी की मानें तो रेकॉर्ड तोड़ने से पहले वह बुराई के खिलाफ आवाज उठाकर अपने गांव में मौजूद शराब की दुकानों को भी 'तोड़' चुकी हैं. महज 18 साल की हिमा ने अंडर-20 वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 400 मीटर दौड़ में गोल्ड मेडल जीता है. वह महिला और पुरुष दोनों ही वर्गों में ट्रैक इवेंट में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय भी बन गई हैं. हिमा के पड़ोसी ने बताया वह सिर्फ वर्ल्ड क्लास की ऐथलीट नहीं हैं, बल्कि वह अपने आसपास हो रही बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाना भी जानती हैं. पड़ोसी ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि उनके गांव में शराब की दुकानें थीं, जिन्हें हिमा ने लोगों के साथ मिलकर ध्वस्त करवाया था. पड़ोसी ने बताया, 'वह लड़की कुछ भी कर सकती है. वह गलत के खिलाफ बोलने से नहीं डरती. वह हमारे और देश के लिए रोल मॉडल बन चुकी है.' वहां के लोग हिमा को 'ढिंग ऐक्सप्रेस' कहते हैं.
एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड जीतकर इतिहास रचने वाली हिमा दास देश के लिए अब रोल मॉडल बनी हैं, लेकिन उनका गांव पहले से उनका फैन है. असम के छोटे से गांव ढिंग में रहनेवाले हिमा के पड़ोसी की मानें तो रेकॉर्ड तोड़ने से पहले वह बुराई के खिलाफ आवाज उठाकर अपने गांव में मौजूद शराब की दुकानों को भी 'तोड़' चुकी हैं. महज 18 साल की हिमा ने अंडर-20 वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 400 मीटर दौड़ में गोल्ड मेडल जीता है. वह महिला और पुरुष दोनों ही वर्गों में ट्रैक इवेंट में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय भी बन गई हैं. हिमा के पड़ोसी ने बताया वह सिर्फ वर्ल्ड क्लास की ऐथलीट नहीं हैं, बल्कि वह अपने आसपास हो रही बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाना भी जानती हैं. पड़ोसी ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि उनके गांव में शराब की दुकानें थीं, जिन्हें हिमा ने लोगों के साथ मिलकर ध्वस्त करवाया था. पड़ोसी ने बताया, 'वह लड़की कुछ भी कर सकती है. वह गलत के खिलाफ बोलने से नहीं डरती. वह हमारे और देश के लिए रोल मॉडल बन चुकी है.' वहां के लोग हिमा को 'ढिंग ऐक्सप्रेस' कहते हैं.
हिमा ने महज दो साल पहले ही रेसिंग ट्रैक पर कदम रखा
था. उससे पहले उन्हें अच्छे जूते भी नसीब नहीं थे. परिवार में 6
बच्चों में सबसे छोटी हिमा पहले लड़कों के साथ पिता के धान के खेतों में
फुटबॉल खेलती थीं. सस्ते स्पाइक्स पहनकर जब इंटर डिस्ट्रिक्ट की 100
और 200 मीटर रेस में हिमा ने गोल्ड जीता तो कोच निपुन दास भी
हैरान रह गए. वह हिमा को गांव से 140 किमी दूर गुवाहाटी ले
आए, जहां उन्हें इंटरनैशनल स्टैंडर्ड के स्पाइक्स पहनने
को मिले. इसके बाद हिमा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. हिमा का जन्म असम के नौगांव जिले के एक छोटे से गांव कांदुलिमारी के किसान
परिवार में हुआ. पिता रंजीत दास के पास महज दो बीघा जमीन है जबकि मां जुनाली घरेलू
महिला हैं. जमीन का यह छोटा-सा टुकड़ा ही दास परिवार के छह सदस्यों की रोजी-रोटी का जरिया है. पिता अपनी बेटी पर पहले से गर्व
करते थे, जो अब और बढ़ गया है.
ऐथलेटिक्स
ट्रैक इवेंट में देश को पहली बार गोल्ड दिलाकर इतिहास रचने वाली हिमा दास की कहानी
किसी फिल्मी स्टोरी से कम नहीं है. 18 साल की
हिमा ने महज दो साल पहले ही रेसिंग ट्रैक पर कदम रखा था. उससे पहले उन्हें अच्छे
जूते भी नसीब नहीं थे. असम के छोटे से गांव ढिंग की रहने वाली हिमा के लिए इस
मुकाम तक पहुंचना आसान नहीं था. परिवार में 6 बच्चों
में सबसे छोटी हिमा पहले लड़कों के साथ पिता के धान के खेतों में फुटबॉल खेलती थीं.
स्थानीय कोच ने
ऐथलेटिक्स में हाथ आजमाने की सलाह दी. पैसों की कमी ऐसी कि हिमा के पास अच्छे जूते
तक नहीं थे. सस्ते स्पाइक्स पहनकर जब इंटर डिस्ट्रिक्ट की 100 और 200 मीटर रेस में हिमा ने गोल्ड
जीता तो कोच निपुन दास भी हैरान रह गए. वह हिमा को गांव से 140 किमी दूर गुवाहाटी ले आए, जहां उन्हें इंटरनैशनल
स्टैंडर्ड के स्पाइक्स पहनने को मिले. इसके बाद हिमा ने
पीछे मुड़कर नहीं देखा. गुरुवार को हिमा ने अंडर-20 वर्ल्ड ऐथलेटिक्स चैंपियनशिप की 400 मीटर दौड़ में गोल्ड मेडल अपने नाम किया. खास बात यह कि इस दौड़ के 35वें सेकंड तक हिमा टॉप थ्री
में भी नहीं थीं, लेकिन बाद में ऐसी रफ्तार पकड़ी कि सभी को पीछे छोड़ दिया. जब राष्ट्रगान बजा
तो हिना की आंखों से आंसू छलक पड़े.
जीतकर यह बोलीं -'मैं अपने परिवार की हालत जानती हूं कि हमने किस तरह से संघर्ष किए हैं. लेकिन
ईश्वर के पास सभी के लिए कुछ न कुछ होता है. मैं पॉजिटिव सोच रखती हूं और जिंदगी
में आगे के बारे में सोचती हूं. मैं अपने माता-पिता और देश के लिए कुछ करना चाहती हूं. मेरा अब तक
सफर एक सपने की तरह रहा है. मैं अब वर्ल्ड जूनियर चैंपियन हूं.' फिनलैंड में आई ए ए एफ वर्ल्ड अंडर -20 ऐथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर देश के लिए इतिहास रचने वाली 18
साल की हिमा दास ने इन्हीं शब्दों के साथ अपनी खुशी बयां की. वह महिला और
पुरुष दोनों ही वर्गों में ट्रैक इवेंट में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय भी
बन गई हैं. वह अब नीरज चोपड़ा के क्लब में शामिल हो गई हैं,
जिन्होंने 2016 में पोलैंड में आईएएएफ वर्ल्ड
अंडर-20 चैंपियनशिप में जैवलिन
थ्रो में गोल्ड मेडल जीता था.
भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) ने आईएएफ वर्ल्ड अंडर -20 ऐथलेटिक्स चैंपियनशिप में महिलाओं की 400 मीटर स्पर्धा में स्वर्ण पदक
जीतने वाली हिमा दास की अंग्रेजी का मजाक उड़ाने पर
शुक्रवार को उनसे माफी मांगी. हिमा ने गुरुवार को फिनलैंड में आईएएफ वर्ल्ड अंडर-20 चैंपियनशिप में महिलाओं की 400 मीटर स्पर्धा में स्वर्ण जीतकर
नया इतिहास रचा है. चैंपियनशिप में महिलाओं की 400 मीटर स्पर्धा में सेमीफाइनल में
हिमा की जीत के बाद एएफआई ने ट्विटर पर एक विडियो पोस्ट किया था जिसमें उन्होंने
लिखा था कि हिमा में अंग्रेजी बोलने की क्षमता सीमित है. एएफआई ने बुधवार को
ट्विटर पर कहा था, 'पहली जीत के बाद मीडिया से
बातचीत करते हुए हिमा की अंग्रेजी उतनी अच्छी नहीं थी, लेकिन उन्होंने अच्छी कोशिश की.
हमें आप पर गर्व है. फाइनल में बेहतर प्रयास करें.'
एएफआई ने शुक्रवार को
अब अपने इस ट्वीट पर सफाई देते हुए कहा कि उनका मकसद हिमा की अंग्रेजी का मजाक
उड़ाना नहीं था. एएफआई ने कहा, 'हम सभी भारतीयों से माफी चाहते हैं. हमारे एक ट्वीट से आपको चोट पहुंची हैं.
हमारा असली मकसद यह दिखाना था कि हमारे धावक, मैदान के बाहर और अंदर किसी भी
मुश्किल परिस्थिति से घबराते नहीं हैं. जो लोग गुस्साए हुए हैं उनसे एक बार फिर
माफी मांगते हैं. जय हिंद.'
महिलाओं का सम्मान कीजिये, उनका उनका हक़ दीजिये:
महिलाओं का सम्मान कीजिये, उनका उनका हक़ दीजिये:
हमारे देश की महिलाएं, हर क्षेत्र में अच्छा कर रही हैं. तीरंदाज दीपिका
कुमारी ने हाल ही में विश्व कप का
गोल्ड मैडल हासिल किया. यह भी बहुत साधारण परिवार से आती है, जिसे टाटा स्टील ने
अपने यहाँ नौकरी देकर उसे तीरंदाजी की सारी सुविधाएँ मुहैया कराई. वहीं जिमनास्ट
दीपा कर्मकार चोट से उबरकर करीब दो साल बाद एफआईजी जिम्नास्टिक्स
वर्ल्ड चैलेंज कप की वाल्ट स्पर्धा में गोल्ड पदक जीता है. बॉक्सिंग में मेरी कॉम ने CWG में गोल्ड मैडल अपने नाम किया, तो कुस्ती में साक्षी
मालिक ने ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर भारत का नाम रोशन किया. हमारे देश की
महिलाएं हर प्रकार के खोलों में हिस्सा लेकर नाम कमा रही है. यहाँ तक कि क्रिकेट,
कबड्डी जैसे खेलों में भी भारत का नाम रोशन कर रही है. खेल के अलावा अब सेना,
पुलिस, सिविल सर्विस, स्वास्थ्य सेवा हर जगह उनकी दमदार उपस्थिति है. कम से कम अब
तो उनका सम्मान करिए और उनका हक़ दीजिये. जुल्म से बचाइए. जब होगा नारी शक्ति का सम्मान,
तभी बनेगा हमारा देश महान !
जयहिंद!
- - जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर
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