मध्य प्रदेश के
मंदसौर में दरिंदगी की शिकार हुई सात साल की मासूम बच्ची जिन्दगी और मौत से जूझ
रही है। वहीँ देशभर में बच्ची के साथ ऐसी हैवानियत करने वाले दरिंदे को फांसी पर
लटकाने की मांग तेज हो गयी है। इसी बीच दरिंदे की हैवानियत का शिकार हुई बच्ची ने
अपनी माँ से भावुक अपील की है।
अभी भी बच्ची की
हालात इतनी नाजुक और दर्दनाक है कि आँख खुलने पर वह चीखने लगती है। इंदौर के एमवाई
हॉस्पिटल में जिंदगी और मौत से जूझ रही है। दर्द को सहन नहीं कर पा रही है।
हैवानियत की शिकार मासूम के शरीर पर डॉक्टरों द्वारा लगाई जा रही एक-एक सुई से वह तड़प उठती है और अपनी मां से
कहती है 'मां मुझे ठीक कर दो या मार डालो'। वहीँ बच्ची की स्थिति पर डॉक्टरों का कहना है कि ऑपरेशन सफल रहा है लेकिन
अभी बच्ची की हालत ठीक नहीं है।
डर और जख्मों के कारण बच्ची को रिकवर करने में 15-20 दिन का समय लग सकता है। वहीँ इस हैवानियत के खिलाफ़ लोग सडकों पर उतर आये हैं।
देशभर में बच्ची के दरिंदे को फांसी देने की मांग उठ रही है। इस मामले में पुलिस
ने सीसीटीवी फुटेज एक आधार पर इरफ़ान और आसिफ मेवाती नाम के दो आरोपी गिरफ्तार किये
हैं।
मध्य प्रदेश के
मंदसौर में सात साल की बच्ची के साथ हैवानियत की सारी हदें पार करते हुए रेप की
घटना को अंजाम दिया गया है। इसे दूसरी निर्भया या मंदसौर की निर्भया से भी जाना जा
रहा है. दरिन्दगी का हद इसलिए भी और बड़ा है क्योंकि यह घटना 7 साल की बच्ची के साथ
हुआ है. जिसके बाद बच्ची को इन्दौर के एम वाई अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
भारतीय राजनीति का
स्तर इतना गिर गया है कि अब 'गिरना' शब्द भी राजनीति के आगे शर्मिंदा होने लगा है। दरअसल मंदसौर में सात साल की
बच्ची से दरिंदगी के बाद पूरे देश में उबाल है, लेकिन घटिया राजनीति का नमूना के रूप में यह भी आया है – बीजेपी के नेताओं को
यहाँ भी राजनीति के साथ साथ अपने पद को गौरवान्वित करने का मौका नजर आ है। देश के
कथित तौर पर स्वघोषित महिला सुरक्षा का दावा करने वाली बीजेपी पार्टी के एक नेता
ने मंदसौर रेप पीड़िता के परिवार से शर्मनाक बात बोली है। जिसके बाद लोगों का
बीजेपी नेता के खिलाफ गुस्सा भड़का हुआ है। कहा जा रहा है कि बीजेपी विधायक(सुदर्शन
गुप्ता) और सांसद(सुधीर गुप्ता) की गंदी और अमर्यादित करतूत के बाद उनका वहां
विरोध भी हुआ. इनता ही नहीं खबरों में दावा किया जा रहा है उनको धक्कामुक्की का भी
सामना करना पड़ा है?
दरअसल भाजपा के सांसद और विधायक अस्पताल में बच्ची को देखने जाते हैं और
विधायक जी पीड़िता के परिजन से यह कहते है कि आपकी बच्ची का हाल जानने के लिए ही
विशेष कर के सांसद महोदय आये हैं. आप इनका स्वागत करिए. पीड़िता के पिता हाथ
जोड़े खड़े हैं. इस करतूत को भी मीडिया ने जोर-शोर से उठाया और सांसद और विधायक से
माफी की मांग कर दी. बाद में ऐसी खबर आई कि विधायक ने माफी मांग ली है इसके अलावा
कांग्रेस सहित हर राजनीतिक दल ने इस नृशंश
घटना की निंदा करते हुए कठोर से कठोर सजा की मांग कर दी है. वहीं हमारे देश में
बच्चियों और महिलाओं की सुरक्षा का सवाल मुंह बाए खड़ा है. कितने भी कानून बना दिए
जाएँ, जबतक उनपर ठीक से अमल नहीं होगा, सरकारें सुरक्षा मुहैया नहीं करायेगी,
अदालतें सही समय पर कार्रवाई नहीं करेगी, जबतक सजा का डर दुष्कर्मी के मन में नहीं
आएगा, घटना में कमी की उम्मीद बेमानी है.
इस तरह की घटना का नस्लीय, या धार्मिक रूप देना भी गलत है. बच्ची, महिला,
चाहे वह किसी वर्ग से हो शिकार बनती है और तत्काल मीडिया के जोर पर आवाज तो उठती
है, फिर शांत हो जाती है या राजनीति होने लगती है.
उधर मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पहले दिन से ही फ़ास्ट
ट्रैक द्वारा अपराधियों के लिए फंसी की सजा की मांग कर दी है. उधर मुस्लिम समुदाय
ने भी इस घटना से मर्माहत होते हुए आरोपी की फांसी की सजा की मांग के साथ यह भी
ऐलान कर दिया कि इसे किसी भी मुस्लिम कब्रिस्तान में दफनाने की जगह नहीं दी
जानी चाहिए. कोई भी मुस्लिम वकील आरोपी के बचाव में मुक़दमा नहीं लडेगा. पूरा
देश इस क्रूर निर्भया काण्ड की निंदा करते हुए सड़क पर इकठ्ठा होकर न्याय की मांग
कर रहा है. सोसल मीडिया भी काफी सक्रिय है और दरिंदों की कड़ी से कड़ी सजा की मांग
कर रहा है. सचमुच घटना विचलित कर देने वाली है. वैसे तो निर्भया काण्ड के बाद भी
देश में इस तरह की घटनाओं में कोई कमी नहीं नजर आ रही पर 7 साल की बच्ची के साथ इस
तरह की दरिन्दगी से पूरे देश का हर वर्ग दुखी और विचलित है.
कुछ दिन पहले खूंटी के पास भी कुछ किशोरियों का अपहरण कर उसके साथ भी घृणित और
दुर्दांत हरकतें की गयी थी. छानबीन, जांच पड़ताल जारी है. दोषियों को कब सजा
मिलेगी, लोग भूल जायेंगे. मामला कठुआ का हो या मंदसौर का. उत्तर प्रदेश या झाड़खंड
का शिकार तो हमारी बेटियां ही हो रही है. हमें राजनीतिक स्तर से ऊपर हटकर सामाजिक
रूप से भी कुछ करने की जरूरत है. क्यों हो रही हैं ऐसी घटनाएँ? इसपर बहस के बजाय
चिंतन और मनन होना चाहिए. हमारी अपनी मानसिक स्थिति और स्तर को उन्नत और शालीन
बनाने का प्रयास करना चाहिए. बहुत सारी घटनाएँ जो अपनों के बीच होती हैं, वे
प्रकाश में भी नहीं आतीं, उनपर चर्चा होनी चाहिए. समाधान की तरफ कदम उठाये जाने
चाहिए. जो घटनाएँ आज किसी दूसरे के साथ घट रही है, हमारी बहन-बेटियों के साथ भी
घटित हो सकती है. एक तो सावधानी, पहचान और बचाव की हर संभव कोशिश होनी चाहिए और
शुरुआत तो घर से, परिवार से, समाज से ही होनी चाहिए. पोर्न फ़िल्में, वयस्क और
अश्लील फिल्मों, विज्ञापनों पर पाबंदी लगाई जानी चाहिए. यौन शिक्षा को बढ़ावा दिया
जाना चाहिए. बच्चियों को एटीएम रक्षा के गुर सिखाये जाने चाहिए और उसकी यथासंभव
मदद की जानी चाहिए.
किसी भी आरोपी का बचाव किसी भी हालत में नहीं होना चाहिए जैसा कि पिछली बार
कठुआ और उत्तर प्रदेश के ही भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर का भी कुछ दिन बचाव
किया गया था, बाद में उन्हें गिरफ्तार कर जेल में भेजा गया. वहीं पीड़िता के पिता
को थाने में पीट पीटकर मार डाला गया था.
यह सब गलत है. गलत का विरोध होना चाहिए. हाँ इतना अवश्य है कि आजकल मीडिया और सोसल
मीडिया के दबाव पर भी बहुत कुछ होता है. हमारी न्याय व्यवस्था को इसपर अवश्य सोचना
चाहिए. इस आलेख के माध्यम से मेरा सभी वर्ग के लोगों से एक अनुरोध भी होगा कि हम
सभी अपने अन्दर झांकें और इस भीषण समस्या के अंत के बारे में सोचें. किसी भी सेज
की शुरुआत अपने घर परिवार और समाज से ही होती है. अगर यह बुराई है और हमारी
बच्चियां और महिलाएं किसी भी रूप में प्रताड़ित हो रही हैं तो इसका विरोध होना
चाहिए. हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि आज महिलाएं हर क्षेत्र में अच्छा कर रही हैं
और अपने देश और समाज का नाम रोशन कर रही हैं. फिर यह एकतरफा अन्याय क्यों? अब तो
महिलाएं सेना में भर्ती होकर पत्थरबाजों से भी निपट रही है. हर रैंक में वह अपना
काम बखूबी कर रही हैं. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और महिला सशक्तिकरण का नारा केवल नारा
न हो बल्कि वह जमीन पर भी दिखे. हमें महिला सशक्तिकरण और महिला सम्मान हर हाल में
करना चाहिए. जय भारत! जय हिन्द!
- - जवाहर लाल
सिंह, जमशेदपुर
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