‘केशव’ जिनके साथ है! जीत
उन्ही के हाथ है!
यहाँ ‘केशव’ को बृहत् अर्थ
में लिया जाय!
केशव मतलब भगवान
कृष्ण और जनता जनार्दन!
मोदी जी ने जनता के दिल में जगह बनायी है! जनता को उनसे ढेरों
उम्मीदें हैं. उनका अथक परिश्रम काबिले तारीफ है! अमित शाह का राजनीतिक प्रबंधन और
जमीनी स्तर पर तैयारी भी पार्टी के लिए सकारात्मक सिद्ध हुई है. जनता की नब्ज
पकड़ने में ये लोग महारत हासिल कर लिए हैं. टिकट बंटवारे से लेकर जमीनी स्तर पर
कार्यकर्ताओं की फ़ौज, प्रखर और मुखर प्रवक्ताओं के साथ, स्वयम के
वक्तृत्त्व कला से सभी विरोधियों को चारे खाने चित्त कर दिए. जनता जिस भाषा को
समझती है उसी की भाषा में संवाद कर अपनी लोकप्रियता ऐसी सुरक्षित कर ली है कि अच्छे-अच्छे
नेता उनकी तारीफ में कसीदे काढ़ने लगे हैं. मीडिया और पत्रकार विरादरी भी उनकी छवि
को जनता के बीच में उजागर करती रही है. सबसे बड़ी बात यह रही कि जिसने भी इनपर
भद्दे कमेंट किये उसे भी स्वीकार कर जनता के दिल में जगह बना ली. कुछ नीतियां जो
जनता और गरीबों के हित में रही वह है जन-धन खाता, उज्ज्वला योजना, मुद्रा योजना, स्वच्छ भारत अभियान, यहाँ तक कि
नोटबंदी को भी आम जनता ने सकारात्मक तरीके से लिया. थोड़ी तकलीफ हुई पर यह सफाई भी
जरूरी थी. इसका दूसरा प्रभाव यह भी हुआ कि विरोधियों का छिपा हुआ धन मिट्टी के
बराबर हो गया. आदरणीय मोदी जी और उनकी पूरी टीम बधाई की पात्र है! साथ ही
उम्मीद है कि वे सबका साथ और सबका विकास करेंगे!
जैसा आशातीत परिणाम उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की जनता ने
दिया है, इसे लोकतंत्र की ही जीत कही जा सकती है. मणिपुर
और गोवा में भी भाजपा की सरकारें बनने जा रही है. एक पंजाब को छोड़कर बाकी जगह
भाजपा विजयी हुई है. भारत में लोकतंत्र की जड़ें गहरी है इसे नकारा नहीं जा सकता!
मीडिया के कैमरे के अनुसार उत्तर प्रदेश के दूरस्थ गाँव बिहार के गांवों से भी
पिछड़े लग रहे थे. मतलब विकास गांवों तक नहीं पहुँचा है. गरीब के वोट ही निर्णायक
होते हैं और गरीबों में एक उम्मीद है कि मोदी जी उनके लिए कुछ कर रहे हैं. नोटबंदी
को भी काफी लोगों ने सकारात्मक रूप में लिया. राष्ट्र धर्म और देश भक्ति भी
सर्वोपरि है यह भी एक भावनात्मक मुद्दा है. देश हैं तो हम हैं !
आम आदमी पार्टी और अरविन्द केजरीवाल की टीम को अभी और मिहनत
करने की जरूरत है. बेबुनियाद दोषारोपण, जबकि आरोपित पार्टी आपसे अधिक ताकतवाला है, इससे बचना होगा.
उनके अपने घर के या टीम के कई नेताओं के दुष्कर्म उजागर हुए, जिससे उनकी छवि को
धक्का लगा. कुछ भावनात्मक मुद्दे पर उनके बयान से उनकी छवि देशद्रोही या देश
विरोधी की बन गयी. दिल्ली में चाहकर भी वे बहुत कुछ नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि
उनके अधिकार सीमित हैं. पंजाब में सरकार बनाने का सपना चूर-चूर हो गया. गोवा में
खाता भी नहीं खुला. टीम वर्क और समर्पित कार्यकर्ताओं की फ़ौज के साथ मनी मैनेजमेंट
भी उतना ही जरूरी है. कुछ धनाढ्य वर्ग और वकीलों को भी साथ में रखना पड़ेगा, तभी
आगे बढ़ पाएंगे नहीं तो दिल्ली में सिमट कर रह जायेंगे.
नीतीश कुमार बहुत ही सधी हुई जबान बोलते हैं. अपना काम
चुपचाप करते हैं. अभी उनके साथ ज्यादा जनसमर्थन नहीं है, पर सही मायनों में उनका
काम बोलता है जो पिछले कार्यकाल में उन्होंने पूरे किये हैं. बीच-बीच में मोदी जी
के अच्छे क़दमों की तारीफ भी करते रहते हैं. सधे हुए नेता की पहचान यही होती है.
विपक्ष आज बहुत ही कमजोर और बंटा हुआ है. सही लोकतंत्र के लिए एक मजबूत विपक्ष का
भी उतना ही महत्त्व है जितना सत्तापक्ष का.
विपक्षी दलों को एक बार फिर से आत्म मंथन करना होगा.
सपा का पारिवारिक झगड़ा सड़क पर आना. राहुल का साथ, राज्य में कानून
ब्यवस्था की गिरती हुई स्थिति एक जाति विशेष और परिवार को विशेष तरजीह देने से
मुलायम और अखिलेश की छवि ख़राब हुई. मायावती और मुलायम के पारंपरिक वोट बैंक में भी
भाजपा की सेंध लग गयी और लोगों ने जाति धर्म से ऊपर उठाकर मोदी जी को स्वीकारा. जनता
जिस पर भरोसा करती है दिल खोलकर करती है और जिस पर से भरोसा टूट जाता है उसे कहीं
का नहीं छोडती. राष्ट्रीय मुद्दे और धार्मिक मुद्दे के सामने सभी मुद्दे गौण हो
जाते हैं.
भाजपा का सोशल इंजीनियरिंग, सबको साथ लेकर
चलने की कोशिश, हिन्दू मतों को एकजुट करना, हर मुद्दे को
अच्छी तरह अपने हक़ में भुनाना, कारगर सिद्ध हुआ. बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि इस बार
हमें 2014 से भी बड़ा समर्थन मिला है और देश का गरीब
नोटबंदी के फैसले पर बीजेपी के साथ है. अमित शाह ने कहा कि नरेंद्र मोदी आजादी के
बाद सर्वाधिक लोकप्रिय नेता बनकर उभरे हैं. कांग्रेस नेता चिदंबरम ने भी मोदी को
सर्वाधिक लोकप्रिय नेता माना है. बीजेपी की विजय यात्रा हिमाचल, गुजरात होते हुए
पूर्व और दक्षिण में भी पहुंचेगी.
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत के
बाद बीजेपी हेडक्वार्टर में आयोजित अभिनंदन समारोह में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा
कि लोकतंत्र में चुनाव सिर्फ सरकार बनाने के लिए नहीं होते हैं, बल्कि यह
लोकशिक्षण का माध्यम भी है. उन्होंने कहा कि अकल्पनीय भारी मतदान के बाद अकल्पनीय
भारी विजय होता है, यह पोलिटिकल पंडितों के लिए विचार करने को
मजबूर करता है. भावनात्मक मुद्दों के अलावा विकास एक कठिन चुनावी मुद्दा होता है.
पिछले 50 सालों में विभिन्न राजनीतिक दल इस मुद्दे से
कतराते रहे हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि चुनाव में कौन जीता, कौन हारा, मैं इस दायरे में
सोचने वालों में से नहीं हूं. चुनाव का नतीजा हमारे लिए जनता जनार्दन का पवित्र
आदेश होता है. जीत के फल के बाद और अधिक नम्र होना हमारी जिम्मेदारी है.
पीएम मोदी ने कहा, मैं देश की
गरीबों की शक्ति को पहचान पाता हूं और राष्ट्र के निर्माण में गरीबों को जितना
ज्यादा अवसर मिलेगा, देश उतना प्रगति करेगा. गरीब को अगर काम का
अवसर मिला, तो वह देश के लिए ज्यादा काम करके दिखाएगा.
मध्यम वर्ग का बोझ कम होना चाहिए. एक बार गरीब के अंदर खुद का बोझ उठाने की क्षमता
आ जाएगी, तब मध्यम वर्ग का बोझ कम हो जाएगा. प्रधानमंत्री
मोदी ने पांचों राज्यों की जनता का धन्यवाद देते हुए कहा कि जिन्होंने वोट दिया
भाजपा की सरकार उनकी भी है, जिन्होंने नहीं दिया उनकी
भी है. इसलिए वोट दिया कि नहीं दिया यह कोई मायने नहीं रखता. उन्होंने अपने
बारे में कहा कि मैं ऐसा पीएम हूं, जिससे पूछा जाता
है कि इतनी मेहनत क्यों करते हो. इससे बड़ा जीवन का सौभाग्य क्या हो सकता है.
विनम्रता के एक उदाहरण और देखिए कि उन्होंने अपने सभी
नेताओं कार्यकर्ताओं को होली का त्योहार मनाने के लिए दो तीन दिनों का समय दे दिया.
उत्तर प्रदेश में मुख्य मंत्री पद के दावेदारों को भी शांत भाव से रहने के लिए समय
दे दिया और अब १६ तारीख को मुख्यमंत्री के चुनाव के लिए समय निर्धारित कर दिया तब
तक अखिलेश भी कुर्सी का लाभ ले लें ... इसे भी एक प्रकार के विनम्रता ही कही जा
सकती है.
अंत में एक बार फिर से मोदी जी और उनकी टीम को बधाई और
भारतीय लोकतंत्र की जय! सभी मित्रों को होली की हार्दिक शुभकामनाएं ! जय हिन्द!
- जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर (१२.०३.२०१७)
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