आज है दो अक्टूबर का दिन,
आज का दिन है बड़ा महान
आज है दो
अक्टूबर का दिन, आज का दिन है बड़ा महान
आज के दिन दो
फूल खिले हैं, जिससे महंका हिंदुस्तान!
नाम एक का बापू गाँधी, और एक लाल बहादुर है,
एक का नारा अमन दूसरा जय जवान जय किसान!
बापू जिसने मानवता का दुनिया को सन्देश दिया
बागडोर भारत की सम्हालो नेहरु को आदेश दिया,
लाल बहादुर जिसने हमको गर्व से जीना सिखलाया
सच पूछो तो गीता का अध्याय उसी ने दोहराया
जय जवान जय किसान !
१९६८ में बने परिवार फिल्म का गीत
जिसे लता मंगेशकर ने गाया था, हम सब बचपन में सुना करते थे, आज भी प्रासंगिक है.
दोनों महापुरुषों के बारे में जितनी भी चर्चा की जाय, जितना भी लिखा जाय, वह
कम है.
फिर भी इस अवसर पर उन्हें याद करना भी जरूरी है.
महात्मा गाँधी जिन्होंने भारत को अंग्रेजों से आजाद कराया और राष्ट्रपिता
कहलाये. वहीं लाल बहादुर शास्त्री ने गरीब परिवार में जन्म लेकर बड़ी मुश्किल से
शिक्षा ग्रहण किया और देश के दूसरे प्रधान मंत्री बनकर ‘गुदड़ी के लाल’
कहलाये.
लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1904 में उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था.
वह गांधी जी के विचारों और जीवनशैली से बेहद प्रेरित थे. उन्होने गांधी जी के
असहयोग आंदोलन के समय देश सेवा का व्रत लिया था और देश की राजनीति में कूद पड़े थे.
लाल बहादुर शास्त्री जाति से श्रीवास्तव(कायस्थ) थे, लेकिन उन्होने अपने नाम के
साथ अपना उपनाम लगाना छोड़ दिया था क्योंकि वह जाति-प्रथा के घोर विरोधी थे. उनके
नाम के साथ जुड़ा 'शास्त्री' काशी विद्यापीठ द्वारा दी गई उपाधि है. प्रधानमंत्री के रूप में उन्होने 2 साल तक काम किया. उनका प्रधानमंत्रित्व
काल 9 जून 1964 से 11जनवरी 1966 तक रहा. उनके प्रधानमंत्रित्व काल में देश में भीषण मंदी का दौर था. देश के कई
हिस्सों में भयानक अकाल पड़ा था. उस समय शास्त्री जी ने देश के सभी लोगों को खाना
मिल सके इसके लिए सभी देशवासियों से हफ्ते में 1 दिन उपवास व्रत रखने की अपील की थी और
लोगों ने उसे सहर्ष स्वीकार किया था. शास्त्री जी की मृत्यु यूएसएसआर के ताशकंद
में हुई थी. ताशकंद की सरकार के मुताबिक शास्त्री जी की मौत दिल का दौरा पड़ने की वजह से
हुई थी पर उनकी मौत का कारण हमेशा संदिग्ध रहा. उनकी मृत्यु 11 जनवरी 1966 में हुई थी. यह खबर रेडियो पर जब आयी थी,
मेरे अग्रज भ्राता ने सुनकर रेडियो बंद कर दिया था. उस दिन पूरे गाँव में शोक का
माहौल रहा था. गाँव के लोगों के आग्रह पर जिन्हें नवीनतम समाचार जानने की उत्सुकता
रहती थी, मेरे भ्राता बीच-बीच में रेडियो चालू कर देते थे. उस दिन पूरे दिन भर रेडियो पर शोकधुन ही बजता रहा. मानो
रेडियो भी रो रहा हो. पूरा गांव रो रहा था. ... ऐसे रच-बस गए थे वे, जनता के
दिलो-दिमाग में. खेत में काम करनेवाले किसान-मजदूर दालान में, गलियों में आकर बैठ
गए थे. सभी के चेहरे पर उदासी थी. वे उस समय देश के प्रधानमंत्री थे. सच कहा जाय
तो उन्होंने अपने देश के लिए बलिदान दिया.
गांधी जी से केवल भारतीय ही प्रभावित
नहीं थे बल्कि विदेशों में भी गांधी जी के आदर्शों को माना जाता रहा है. स्थिति
साफ है कि गांधी जी आज पूरी दुनिया के लिए एक आदर्श व्यक्तित्व है, जिनके बताये
रास्तों पर चलकर ही इंसान तरक्की करना चाहता है क्योंकि उन्हीं के रास्ते इंसान को
भटकने से बचाते हैं. इसलिए तो आज एक बार फिर से पूरा हिंदु्स्तान गा रहा है कि ऐनक
पहने, लाठी पकड़े चलते थे वो शान से...जालिम कांपे थर-थर थर-थर लेके उनका नाम रे...बंदे में था दम, वंदे मातरम। भारत मां के इन दो महान सपूतों को हम
सभी श्रद्धापूर्वक सर नवाते हैं.
महात्मा गाँधी में अन्य गुणों में एक और
बहुत बड़ा गुण था स्वच्छता के प्रति जागरूकता. वे भारत के प्रमुख शहरों, तीर्थ
स्थलों की गंदगी से बहुत दुखी थे. उन्होंने स्वच्छता के प्रति भी जन-आन्दोलन की
शुरुआत की थी. उनके अनुसार स्वतंत्रता से ज्यादा महत्वपूर्ण है स्वच्छता. उसी जन-आन्दोलन
को वर्तमान प्रधान मंत्री श्री मोदी आगे बढ़ा रहे हैं. उन्होंने आज से दो
साल पहले इस स्वच्छ भारत मिशन जन-आन्दोलन की शुरुआत लोगों को शपथ दिलाकर की
थी. उन्होंने खुले में शौच से छुटकारे के लिए हर गांव, शहरों, कस्बों में शौचालय बनाने के लिए लोगों को प्रेरित
किया, विभिन्न विज्ञापनों के माध्यम से लोगों को जागरूक किया और सरकारी, अर्ध-सरकारी,
गैर-सरकारी संस्थाओं के माध्यम से स्वच्छता आन्दोलन को आगे बढ़ाया है. उन्होंने खुद
से झाड़ू उठाकर इसकी शुरुआत की और उसके बाद अनेकों गणमान्य आज भी इस आन्दोलन को आगे
बढ़ा रहे हैं. बहुत सारे मीडिया घराने भी इस पुनीत कार्य को आगे बढ़ाने में योगदान
कर रहे हैं. निश्चित तौर पर जागरूकता बढ़ी है, फिर भी अभी बहुत काम बाकी है. थोड़ी
सी बारिश में जब शहर की नालियां जाम हो जाती हैं, सड़कों पर पानी जमा हो जाता है
तभी सफाई अभियान की कलई खुलती नजर आती है. हम सब जहाँ रहते हैं, जहाँ कार्य करते
हैं, उन सभी जगहों को साफ़ रखने में हमारा कितना योगदान होता है, यह आकलन हमें अपने
आपको खुद से करने की जरूरत है.
जनांदोलन की शुरुआत अपने घर से ही होती
है. अपने घर को हम अपना समझते हैं, उसे साफ़ रखने में कोई कसर नहीं छोड़ते. पर हमारे
घर के सामने की सड़क, गलियां, नालियां शहर, गाँव और यह पूरा देश हमारा है, यह अहसास
हम सबके अन्दर होना जरूरी है. तन के साथ मन का साफ़ रहना जरूरी है. उसके लिए भी हम
योग ध्यान आदि करते हैं ताकि हम विभिन्न प्रकार के गंदे विचारों से भी दूर रहें हम
दूसरों को कष्ट न पहुंचाएं. यथासंभव दूसरों को मदद करने का हरसंभव प्रयास करें.
अभी त्योहारों का मौसम है. सभी त्योहारों के मूल में स्वच्छता मुख्य रूप से शामिल
रहता है. त्योहार मनाने से पहले हम सफाई सुथराई करते हैं. नए नए परिधान पहनते हैं.
पर यह भाव त्योहार के अंत तक रहना चाहिए. अक्सर हम देखते हैं त्योहार के बाद त्योहार
स्थल पर गंदगी और कचड़े का ढेर जमा हो जाता है. इसपर भी ध्यान रखने के आवश्यकता है.
आजतक टी वी चैनेल के ‘सो सॉरी’ कार्यक्रम में मेरा नाम जोकर के तर्ज पर मोदी जी को राजकपूर के रोल में दिखाया गया है जो लोगों को सफाई का सन्देश दे रहे हैं.
ए भाई जरा साफ़ तो रखो, सड़क ही नहीं गलियां भी
कस्बें ही नहीं बस्तियां भी, ए भाई ....
तो समझ गए न आप भी ! पूरी सफाई! व्यक्तिगत भी और राष्ट्रीय भी. राष्ट्रीय सफाई
अभियान भी चल ही रहा है, सीमा पर, सीमा पार और सभी संवेदनशील स्थानों पर...आप भी
नजर रक्खें अगल-बगल, आसपास चौकन्नी निगाहों से ... ताकि हमारा देश साफ़ सुथरा रह
सके! जयहिंद! जय भारत! जय जवान! जय किसान! जय विज्ञान!
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जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर
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