Saturday, 21 March 2015

क्रिकेट का जूनून और भारत



भारत में क्रिकेट खेल को राष्ट्रधर्म की तरह देखा जाता है. क्रिकेट की दुनियां में भारत, पाकिस्तान, बांग्ला देश, श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया, साउथ अफ्रीका, इंग्लॅण्ड, आयरलैंड, न्यूजीलैंड, अफगानिस्तान, स्कॉटलैंड, वेस्ट-इंडीज, जिम्बाब्वे, यु. ए. ई. आदि का प्रमुख नाम है. इन देशों की टीमें ही इस बार विश्व कप में भाग ले रही हैं. किकेट का जितना कवरेज और जूनून भारत के साथ पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश, और श्रीलंका में देखा जाता है शायद उतना दूसरे देशों में नहीं – यह मेरा आकलन है. यहां के लोग जूनून की हद तक क्रिकेट मैच देखते हैं और अपने अपने देश के जीत की कामना भी करते है. अपने देश के टीम को जीतने पर जिस प्रकार खिलाडियों को सर पे चढ़ाते हैं, हार के बाद उसी तरह का गुस्सा/आक्रोश भी दिखाते हैं. कभी कभी वे लोग टी. वी. सेट तोड़ कर भी अपना आक्रोश प्रकट करते हैं, जो कहीं से भी जायज नहीं है. क्रिकेट डिप्लोमेसी के भी कई रूप देखने को मिले हैं. भारत पाकिस्तान के बीच सम्बद्ध सुधारने की दिशा में भी इसे अपनाया गया है. आपको याद होगा कि भारत के प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह और पाकिस्तान के प्रधान मंत्री युसूफ रजा गिलानी दोनों ने एक साथ बैठकर २०११ का क्रिकेट मैच मोहली में देखा था. इसे भारत और पाकिस्तान के बीच सम्बन्ध सुधारने की दिशा में एक कदम बताया जा रहा था.इस बार भी भारत और पाकिस्तान के साथ पहला मैच १५ फरवरी को था और वर्तमान प्रधान मंत्री नवाज शरीफ को शुभकामना भी दी थी और क्रिकेट डिप्लोमैसी की तरफ एक कदम बढ़ाने की कोशिश की थी. अरविन्द केजरीवाल दिल्ली के सी एम के रूप में पहले की गयी घोषणा के अनुसार १५ फरवरी को शपथ लेने वाले थे पर भारत पाकिस्तान के साथ उसी दिन मैच होने के कारण उन्होंने (अरविन्द केजरीवाल ने) अपना शपथ ग्रहण समारोह १४ फरवरी को रक्खा था ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग रामलीला मैदान में जुट सकें.
मुझे तो लगता है कि इतना इंटरेस्ट वर्तमान प्रधान मंत्री के भाषण में भी नहीं होता होगा जितना क्रिकेट मैच में होता है. अब भारत और बंगला देश के बीच जो क्वार्टर फाइनल मैच हुआ उस दिन सड़कें सूनी थी, बाजार खाली थे. लोग बिना ब्रश किये, बिना नहाये शुबह से ही टी वी के सामने चिपक कर बैठ गए थे. हर समाचार चैनेल मैच पर ही परिचर्चा दिखा रहे थे. उस दिन कहीं कोई खबर नहीं थी न तो कही कोई चोरी-डकैती या दुष्कर्म की वारदात हुई, नहीं आतंकी हमला हुआ. भारत पाकिस्तान की सीमा पर भी शांति बनी रही. यहाँ तक कि जनता एक्सप्रेस भी दुर्घटना करने के लिए एक दिन रुकी रही, दूसरे दिन ही दुर्घटना ग्रस्त हुई और दूसरे दिन ही जम्मू कश्मीर में आतंकवादी घुसपैठ की कोशिश हुई. कुछ हमारे जवान शहीद हुए और कुछ आतंकवादी मारे गए. उधर बंगला देश के हारने पर आईसीसी प्रेसिडेंट मुस्तफा कमाल ने भी इस बात की आशंका जताई कि क्वॉर्टर फाइनल मं भारत को फायदा पहुंचाने के लिए गलत अम्पायरिंग का सहारा लिया गया. बंगला देश की पीएम शेख हसीना ने यहां तक कह दिया कि अगर अंपायरिंग में एक भी गलती न हुई होती तो भारतीय टीम बांग्लादेश को नहीं हरा पाती. कमाल ने कहा था कि अम्पायरिंग ने एक के बाद एक सारे फैसले बांग्लादेश के खिलाफ सुनाए. कमाल बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष हैं.
आईसीसी ने हालांकि कमाल के इस बयान पर सख्त आपत्ति जताई और कहा कि उन्हें सोच-समझकर बयान देना चाहिए था. आईसीसी के सीईओ डेव रिचर्ड्सन ने यहां तक कह दिया कि मुस्तफा कमाल का बयान काफी दुर्भाग्यपूर्ण था.
पत्रकार रवीश kumar लिखते हैं – 40 साल का किसान राम नारायण कहाँ हार मानने वाला था. साल दर साल फ़सलें बर्बाद होती रहीं, तब भी उसने खेती नहीं छोड़ी. नुक़सान की भरपाई के लिए तीन बीघा खेत बेच दिया. तब भी खेती नहीं छोड़ सका. बँटाई पर ज़मीन लेकर फिर खेती की. इस बार मौसम ने उसकी उम्मीदों पर हमला कर दिया. चालीस साल का राम नारायण आज फिर खेत पर गया. जिस दिन भारत जीत गया, उसी दिन राम नारायण अपना क्वार्टर फ़ाइनल हार गया. उसने फाँसी लगा ली. कानपुर के प्रतापपुर गाँव की यह ख़बर मेरे सैंकड़ों ई-मेल के बोझ से दबकर एक और मौत मर गई. पर लगता है कि राम नारायण ने टीवी नहीं देखा होगा, जिसमें नेता बोल रहे थे कि भूमि अधिग्रहण बिल से किसानों का विकास होगा और मुआवज़े के एलान से राहत पहुँचेगी. श्रद्धांजलि! – रवीश कुमार
अकसर कहा जाता है कि पड़ोसी देशों से संबंध सुधारने के लिए उनके साथ क्रिकेट का खेल जारी रहना चाहिए। पर इस खेल में पर्दे के पीछे चल रहा खेल कहीं दो पड़ोसी देशों के संबंध में जहर न घोल दे….विश्व-कप के क्वार्टर-फाइनल में भारत ने बांग्लादेश को हराया तो आईसीसी के चेयरमैन मुस्तफा कमाल ने अंपायरिंग को अत्यंत खराब बताते हुए कहा कि भारत को जिताने की नीयत से अंपायरिंग की गयी। ऐसा लग रहा था कि अंपायर मन में कुछ रखकर मैदान में उतरे हैं। क्रिकेट को नियंत्रित करने वाली विश्व की सबसे बड़ी कुर्सी पर बैठे व्यक्ति का ये बयान आये तो हारने वाली टीम के देश में बवाल मचना स्वाभाविक है, ये बवाल तेज होता जा रहा है।
कई बार पहले भी ऐसी बातें आ चुकी हैं कि क्रिकेट में फिक्सिंग का रोग बहुत ऊपर तक पहुंच चुका है। भारत से होने वाली जबरजस्त कमाई से चूंकि दुनिया के अन्य तमाम क्रिकेट बोर्ड और खिलाड़ी भी लाभान्वित होते रहे हैं, इस कारण ज्यादातर लोग चुप्पी साधे रहते हैं.
आईसीसी के चेयरमैन के बयान से क्या अब इस बात पर भी गौर करने का समय आ गया है कि फिक्सिंग की इस बीमारी से विश्व-कप भी अछूता नहीं बच पाया है. ये बीमारी यदि है, तो कहीं ये दो पड़ोसी देशो के संबंधों में जहर न घोल दे!
क्या क्रिकेट सचमुच सारी समस्यायों का हल है? अगर क्रिकेट मैच होता रहे तो लोग अपनी सारी समस्यायों को भूल बस क्रिकेट मैच ही देखते रहेंगे. १२ हजार महीने की नौकरी करने वाला राम पदारथ क्रिकेट के सट्टे में महीने भर की कमाई हार गया. पिछली बार उसने आठ हजार जीते थे, इसलिए इस बार पूरी सैलरी दाँव पर लगा गया. क्रिकेट में सटोरिये खूब सट्टे लगाते हैं और करोड़ों के वारे न्यारे होते हैं. अब फ़िल्मी कलाकार अमिताभ बच्चन से लेकर रणबीर कपूर तक क्रिकेट की कमेंट्री कर अपनी फिल्मों का प्रोमोसन करते हैं. शिल्पा सेट्टी, प्रीती जिंटा, शाहरुख़ खान, जूही चावला, आदि फ़िल्मी आर्टिस्ट और सुब्रत राय, विजय माल्या. मुकेश अम्बानी आदि आईपीएल में पैसा लगाने लगे हैं. क्रिकेट प्लेयर की बोली करोड़ों में लगाई जा रही है. आखिर कितनी कमाई होती है इस क्रिकेट मैच से.
भारतीय टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी भले ही अपनी कॉलेज की पढाई पूरी न की हो पर उससे क्या फायदा होता, जो आज क्रिकेट में हो रहा है. युवराज सिंह जिसने पिछले विश्व कप में भारत को जिताने के लिए कैंसर से लड़ गया था, इस बार विश्व कप के टीम चयन नहीं होने से नाराज था और आईपीएल के लिए १६ करोड़ में बिक गया. सबसे महंगे और दुर्लभ सितारे होते हैं, ये क्रिकेट प्लेयर. इन पर युवतियां जान छिड़कती हैं. इनकी शादियाँ क्रिकेट के मैदान में ही तय हो जाती है.
मैं अपने गली मुहल्ले में बच्चों, नौजवानों को क्रिकेट खेलते देखता हूँ, तो उनमे मुझे धोनी, सौरभ तिवारी, विराट कोहली, युवराज सिंह, सुरेश रैना नजर आते हैं. भगवान उन सभी बच्चों का भविष्य उज्जवल करें और देश भी आगे और आगे बढ़ता जाय! बार बार विश्व विजेता बने. बस दो कदम की दूरी पर है विश्व कप …हम सभी बड़ी बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं आखिर तीसरी बार हम जीत पाएंगे न विश्व कप!
- जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर.

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