प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी पहली बार अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंचे। यहां पहुंचने के बाद सबसे पहले उन्होंने लालपुर में बुनकरों के लिए ट्रेड फैसिलिटेशन सेंटर ऐंड क्राफ्ट्स म्यूजियम की आधारशिला रखी। इस मौके पर शहर के लोगों को विकास की गंगा बहाने का भरोसा दिलाते हुए मोदी ने कहा कि कहा जा रहा है कि मैं कई घोषणाएं करने वाला हूं, लेकिन मैं कहूंगा कम और काम ज्यादा करूंगा। उन्होंने कहा कि मैं आप लोगों से विचार लेकर काम करता जाऊंगा और उसके बाद उसके बारे में बताऊंगा।
इसके बाद उनका कार्यक्रम आदर्श ग्राम योजना के तहत जयापुर गांव को गोद लेने पहुंचे और वहां भी वाराणसी केजयापुर गांव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को प्रधान ‘सेवक’ के रूप में भी नजर आए। प्रधानमंत्री मोदी ने, माइक तक ठीक से नहीं पहुंच पा रहीं गांव की महिला प्रधान की मुश्किल को भांपते हुए, तुरंत सीट से उठकर खुद माइक को ठीक किया। वे किसी को भी इशारा मात्र कर सकते थे, पर नहीं उन्होंने खुद उठकर माइक को उनके मुख के पास कर दिया. इसे सब लोगों ने देखा और मीडिया ने उसे बार दिखाया और यह भी बताया कि यह हमारा प्रधान सेवक है | ग्राम प्रधान का माइक खुद ही ठीक कर यह जता दिया कि यहाँ भी उनका काम ही बोलेगा|
(इस कार्यक्रम के दौरान गांव की प्रधान दुर्गावती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत करने के लिए स्टेज पर गईं, लेकिन माइक ऊंचा होने के कारण वह अपनी बात ठीक से नहीं पहुंचा पा रही थीं।)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में जयापुर को औपचारिक रूप से सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद ले लिया है। इस मौके पर उन्होंने जयापुर को चुनने की वजह भी बताई। मोदी ने कहा कि मीडिया में पिछले कुछ दिनों से जयापुर को चुने जाने की वजह को लेकर कई काल्पनिक कथाएं चल रही हैं। उन्होंने कहा कि हकीकत यह है कि जब बीजेपी ने मुझे वाराणसी से लड़ने के लिए चुना था, तो इस गांव में संकट की खबर आई थी और इस संसदीय क्षेत्र से सबसे पहले इसी गांव का नाम मैंने सुना था।
गौरतलब है कि मोदी मीडिया में आईं उन रिपोर्टों का जिक्र कर रहे थे जिनमें कहा गया था कि जयापुर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का गढ़ है और यहां भूमिहारों और पटेल समुदाय के लोगों का बाहुल्य है। जयापुर वही गांव है जहां लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान हाइटेंशन तार से करंट उतर जाने की वजह से हड़कंप मच गया था। इसमें कुछ ग्रामीणों की जान भी चली गई थी और कुछ अन्य घायल हो गए थे। 13 अप्रैल 2014 को उन्होंने गांव के प्रधान को फोन करके हालचाल पूछा था।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मैंने इस गांव को गोद नहीं लिया है, बल्कि इस गांव ने मुझे गोद लिया है। गांवों से जो सीखने को मिलता है वो कहीं और नहीं मिलता।’ मोदी ने कहा, ‘इतने पैसे खर्च हो रहे हैं, इतनी योजनाएं चल रही हैं, फिर भी गांवों का विकास नहीं हो पा रहा, आखिर क्यों? मैंने सचिवों से कहा है कि वे गांवों में जाकर वहां की हालत को पता लगाएं कि वहां विकास क्यों नहीं हो पा रहा।‘
प्रधानमंत्री ने इस मौके पर कहा, ‘टीवी पर देख रहा हूं कि कई दिनों से जयापुर गांव चमक रहा है, सरकारी अधिकारी आ रहे हैं। गांववासी भी खुशी जता रहे हैं कि गांव साफ-सुथरा हो गया।’ इसके बाद उन्होंने गांव के लोगों से ही सवालिया अंदाज में पूछा कि क्या यह सफाई हम खुद नहीं कर सकते।
मोदी बोले, ‘मेरी कोशिश है कि हम जितने भी आगे चले जाएं, पर जिन्होंने हमें आगे भेजा है, उनको आगे बढ़ाने की भी तो कोई योजना हो।’ उन्होंने कहा कि मैंने पार्टी के लोगों और अधिकारियों से इस गांव की समस्या के बारे में पूछा है और जाहिर तौर पर इसका समाधान निकाला जाएगा, लेकिन उस बारे में मंच से नहीं कहा जा सकता है।
उन्होंने सुझाव दिया कि हमें गांव का जन्मदिन मनाना चाहिए और उसमें सबको भाग लेना चाहिए और उस मौके पर बुजुर्गों को सम्मानित करना चाहिए। इससे गांवों से जातिवाद खत्म होगा और विकास तेजी से होगा। उन्होंने बेटियों के जन्म को उत्सव की तरह मनाने को कहा। प्रधानमंत्री ने लोगों को बिना हाथ धोए कुछ नहीं खाने का संकल्प लेने को भी कहा।
बुनकरों के लिए केंद्र की आधारशिला रखते वक्त उन्होंने कहा, ‘आज में यहां अपनों के बीच आया हूं। मैं काशी के लोगों के सुख-दुख में उनके जनप्रतिनिधि के रूप में, एक सेवक के रूप में और साथी के रूप में हमेशा साथ हूं।’
बुनकरों की तारीफ करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमारे देश में कृषि क्षेत्र के बाद सबसे अधिक रोजगार देने वाला कोई क्षेत्र है तो वो टेक्सटाइल है और कम पूंजी से ज्यादा लोग अपनी आजीविका चला सकते हैं। यह ऐसा क्षेत्र है, जिसमें मजदूर और मालिक के बीच में खाई संभव ही नहीं है। खेती में भी किसान और मजदूर के बीच खाई नजर आती है। यह एक क्षेत्र ऐसा है, जहां पूरा माहौल एक परिवार की तरह होता है। न जाति होती है, न संप्रदाय, एक अपनेपन का माहौल होता है। जैसे कपड़े के तानेबाने बुने जाते हैं, वैसे ही ये बुनने वाले समाज का तानाबाना बुनते हैं।’
यह सेंटर बुनकरों और हस्तशिल्पियों की मदद के लिए बनाया जा रहा है। बुनकर के लिए बनाए जा रहा केंद्र हैंडलूम्स के लिए डिजाइन और प्रॉडक्शन के सेंटर के रूप में काम करेगा, लेकिन इससे भी अहम बात यह है कि यह छोटे बुनकरों को यहां आकर बड़े खरीदारों को अपना माल बेचने में मदद करेगा। इससे बिचौलियों के खेल पर अंकुश लग सकता है और बुनकरों की जेब में ज्यादा पैसे पहुंचेंगे। यहां की बनारसी साड़ियां दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। इसे बनाने के काम में ज्यादातर अल्पसंख्यक समुदाय के लोग जुड़े हैं। हालांकि कई ओबीसी भी बुनकरी के पेशे में हैं।
इसके बाद उनका कार्यक्रम आदर्श ग्राम योजना के तहत जयापुर गांव को गोद लेने पहुंचे और वहां भी वाराणसी केजयापुर गांव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को प्रधान ‘सेवक’ के रूप में भी नजर आए। प्रधानमंत्री मोदी ने, माइक तक ठीक से नहीं पहुंच पा रहीं गांव की महिला प्रधान की मुश्किल को भांपते हुए, तुरंत सीट से उठकर खुद माइक को ठीक किया। वे किसी को भी इशारा मात्र कर सकते थे, पर नहीं उन्होंने खुद उठकर माइक को उनके मुख के पास कर दिया. इसे सब लोगों ने देखा और मीडिया ने उसे बार दिखाया और यह भी बताया कि यह हमारा प्रधान सेवक है | ग्राम प्रधान का माइक खुद ही ठीक कर यह जता दिया कि यहाँ भी उनका काम ही बोलेगा|
(इस कार्यक्रम के दौरान गांव की प्रधान दुर्गावती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत करने के लिए स्टेज पर गईं, लेकिन माइक ऊंचा होने के कारण वह अपनी बात ठीक से नहीं पहुंचा पा रही थीं।)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में जयापुर को औपचारिक रूप से सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद ले लिया है। इस मौके पर उन्होंने जयापुर को चुनने की वजह भी बताई। मोदी ने कहा कि मीडिया में पिछले कुछ दिनों से जयापुर को चुने जाने की वजह को लेकर कई काल्पनिक कथाएं चल रही हैं। उन्होंने कहा कि हकीकत यह है कि जब बीजेपी ने मुझे वाराणसी से लड़ने के लिए चुना था, तो इस गांव में संकट की खबर आई थी और इस संसदीय क्षेत्र से सबसे पहले इसी गांव का नाम मैंने सुना था।
गौरतलब है कि मोदी मीडिया में आईं उन रिपोर्टों का जिक्र कर रहे थे जिनमें कहा गया था कि जयापुर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का गढ़ है और यहां भूमिहारों और पटेल समुदाय के लोगों का बाहुल्य है। जयापुर वही गांव है जहां लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान हाइटेंशन तार से करंट उतर जाने की वजह से हड़कंप मच गया था। इसमें कुछ ग्रामीणों की जान भी चली गई थी और कुछ अन्य घायल हो गए थे। 13 अप्रैल 2014 को उन्होंने गांव के प्रधान को फोन करके हालचाल पूछा था।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मैंने इस गांव को गोद नहीं लिया है, बल्कि इस गांव ने मुझे गोद लिया है। गांवों से जो सीखने को मिलता है वो कहीं और नहीं मिलता।’ मोदी ने कहा, ‘इतने पैसे खर्च हो रहे हैं, इतनी योजनाएं चल रही हैं, फिर भी गांवों का विकास नहीं हो पा रहा, आखिर क्यों? मैंने सचिवों से कहा है कि वे गांवों में जाकर वहां की हालत को पता लगाएं कि वहां विकास क्यों नहीं हो पा रहा।‘
प्रधानमंत्री ने इस मौके पर कहा, ‘टीवी पर देख रहा हूं कि कई दिनों से जयापुर गांव चमक रहा है, सरकारी अधिकारी आ रहे हैं। गांववासी भी खुशी जता रहे हैं कि गांव साफ-सुथरा हो गया।’ इसके बाद उन्होंने गांव के लोगों से ही सवालिया अंदाज में पूछा कि क्या यह सफाई हम खुद नहीं कर सकते।
मोदी बोले, ‘मेरी कोशिश है कि हम जितने भी आगे चले जाएं, पर जिन्होंने हमें आगे भेजा है, उनको आगे बढ़ाने की भी तो कोई योजना हो।’ उन्होंने कहा कि मैंने पार्टी के लोगों और अधिकारियों से इस गांव की समस्या के बारे में पूछा है और जाहिर तौर पर इसका समाधान निकाला जाएगा, लेकिन उस बारे में मंच से नहीं कहा जा सकता है।
उन्होंने सुझाव दिया कि हमें गांव का जन्मदिन मनाना चाहिए और उसमें सबको भाग लेना चाहिए और उस मौके पर बुजुर्गों को सम्मानित करना चाहिए। इससे गांवों से जातिवाद खत्म होगा और विकास तेजी से होगा। उन्होंने बेटियों के जन्म को उत्सव की तरह मनाने को कहा। प्रधानमंत्री ने लोगों को बिना हाथ धोए कुछ नहीं खाने का संकल्प लेने को भी कहा।
बुनकरों के लिए केंद्र की आधारशिला रखते वक्त उन्होंने कहा, ‘आज में यहां अपनों के बीच आया हूं। मैं काशी के लोगों के सुख-दुख में उनके जनप्रतिनिधि के रूप में, एक सेवक के रूप में और साथी के रूप में हमेशा साथ हूं।’
बुनकरों की तारीफ करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमारे देश में कृषि क्षेत्र के बाद सबसे अधिक रोजगार देने वाला कोई क्षेत्र है तो वो टेक्सटाइल है और कम पूंजी से ज्यादा लोग अपनी आजीविका चला सकते हैं। यह ऐसा क्षेत्र है, जिसमें मजदूर और मालिक के बीच में खाई संभव ही नहीं है। खेती में भी किसान और मजदूर के बीच खाई नजर आती है। यह एक क्षेत्र ऐसा है, जहां पूरा माहौल एक परिवार की तरह होता है। न जाति होती है, न संप्रदाय, एक अपनेपन का माहौल होता है। जैसे कपड़े के तानेबाने बुने जाते हैं, वैसे ही ये बुनने वाले समाज का तानाबाना बुनते हैं।’
यह सेंटर बुनकरों और हस्तशिल्पियों की मदद के लिए बनाया जा रहा है। बुनकर के लिए बनाए जा रहा केंद्र हैंडलूम्स के लिए डिजाइन और प्रॉडक्शन के सेंटर के रूप में काम करेगा, लेकिन इससे भी अहम बात यह है कि यह छोटे बुनकरों को यहां आकर बड़े खरीदारों को अपना माल बेचने में मदद करेगा। इससे बिचौलियों के खेल पर अंकुश लग सकता है और बुनकरों की जेब में ज्यादा पैसे पहुंचेंगे। यहां की बनारसी साड़ियां दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। इसे बनाने के काम में ज्यादातर अल्पसंख्यक समुदाय के लोग जुड़े हैं। हालांकि कई ओबीसी भी बुनकरी के पेशे में हैं।
इस बात की औपचारिक घोषणा तो नहीं हुई है, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि पीएम 1,602 किमी़ लंबा इलाहाबाद-वाराणसी-हल्दिया जलमार्ग खोले जाने का ऐलान करेंगे। इस रूट पर कुछ नौकाएं परीक्षण के लिए चलाई जा चुकी हैं। अभी इस मार्ग का इस्तेमाल वाराणसी के पास सटे रामनगर तक ही होता है। यहां के लोग शहर के लिए एक आउटर रिंग रोड और मेट्रो की मांग भी कर रहे हैं, लेकिन मोदी के अब तक के भाषणों में इनका जिक्र नहीं आया है। हो सकता है कि वह वाराणसी-क्योटो करार पर बात करें, जिसके तहत जापान के शहर के साथ वाराणसी का विकास आधुनिक तकनीक के जरिये किया जाना है।
अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के दो दिनों के दौरे के आखिरी दिन आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गंगा के अस्सी घाट पहुंचे, जहां उन्होंने मां गंगा की पूजा-अर्चना की और कुदाल चलाकर और मिट्टी हटाकर घाट की सफाई की शुरुआत भी की। इसे सांकेतिक कहा जा सकता है, पर जिस ढंग और रफ़्तार से उन्होंने लगभग ७ मिनट तक फावड़े(कुदाल) चलाई, मिट्टी को कराही(तगाड़ी, टोकड़ी) में डाला, मानो उन्होंने इस काम को भी कभी किया है, मजदूरों के साथ मिलकर काम किया, थकान के बाद पसीने पोंछे, इसे क्या कहने की जरूरत है? बहुत सारे नेताओं, जानी मानी हस्तियों ने जिस प्रकार अपने स्वच्छता अभियान की शुरुआत करने के क्षणों के फोटो खिंचवाए, उन सबको श्री मोदी से सीखने की जरूरत है. इस मौके पर उन्होंने स्वच्छता अभियान को आगे बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश से जुड़ी नौ हस्तियों को नॉमिनेट भी किया। अब यहाँ कहने और बताने की जरूरत है कि अगर देश का प्रधान मंत्री खुद कुदाल से मिट्टी हटाकर टोकड़ी में रख सकता है, तो बाकी क्यों नहीं?
मोदी ने सुबह-सुबह अस्सी घाट पर पंडितों की मौजूदगी में पूरे विधि विधान से गंगा पूजन किया और उसके बाद आरती की। इसके बाद कुदाल से उन्होंने मिट्टी हटाकर अपने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत वाराणसी में भी की। इस मौके पर उन्होंने कहा, ‘आज यह घाट की सफाई का काम शुरू किया है। मुझे यहां के सामाजिक संगठनों ने विश्वास दिलाया है कि एक महीने में पूरा घाट साफ कर दिया जाएगा। कई वर्षों में अपने आप में सफाई के माध्यम से यह अच्छी सौगात होगी।’
उत्तर प्रदेश में जिन नौ लोगों को प्रधानमंत्री ने नॉमिनेट किया है, उनमें राज्य के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, चित्रकूट विकलांग विश्वविद्यालय के वीसी स्वामी राम भद्राचार्य, भोजपुरी फिल्मों के अभिनेता, गायक और अब दिल्ली से बीजेपी सांसद मनोज तिवारी, साहित्यकार मनु शर्मा, क्रिकेट खिलाड़ी और कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ चुके मोहम्मद कैफ, संस्कृत के विद्वान पद्मश्री प्रफेसर देवी प्रसाद द्विवेदी, हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव, क्रिकेटर सुरेश रैना और बॉलिवुड गायक कैलाश खेर शामिल हैं।
अब इसमें कहने की जरूरत नहीं है कि प्रधान मंत्री श्री मोदी द्वारा नोमिनेट किए गए नामों में श्रीमान अखिलेश यादव सहित कोई भी इंकार तो नहीं ही कर सकेंगे.
सारांश यही है कि देश को संभवत: पहली बार ऐसा प्रधान मंत्री मिला है, जो खुद काम की शुरुआत कर दूसरों के लिए प्रेरणाश्रोत बना है. खुद अनुशासन बद्ध रहकर, समय का पाबंद होकर दूसरों के लिए प्रेरणा बनता है. अपनी बातों से जनता के दिल में जगह बनाता है. मंत्रिमंडल विस्तार में भी मोदी जी ने वही कुछ कर दिखाया जिसके बारे में पहले से कुछ नहीं कहा था..यानी कहूँगा कम काम ज्यादा करूंगा..ऐसा व्यक्तित्व जिसके गुण अब विरोधी भी गाने लगे हैं, चाहे वे कांग्रेस के नेता हों या आम आदमी पार्टी के केजरीवाल. ऐसे में सचमुच अब प्रधान मंत्री को ज्यादा कुछ कहने की जरूरत नहीं पड़ेगी. पेट्रोल डीजल के लगतार गिरते हुए दामों का असर ट्रांसपोटरों ने अपने ट्रंकों का किराया कम कर सन्देश देने की कोशिश की है. बस और ऑटो के भी भाड़े कम होनेवाले हैं. नयी सब्जियों और फसलों के उत्पादन का असर भी उनके मूल्यों पर पड़ेगा ही. कानून ब्यवस्था राज्य के अन्दर का मामला है, इसके लिए सभी राज्य सरकारों को तत्परता दिखानी होगी, अन्यथा विकल्प मोदी की भाजपा ही होगी, ऐसा संकेत मिलने लगा है. विकास और नए संयंत्रों की स्थापना से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, बेरोजगारों को रोजगार मिलेंगे. . तब होगा सम्पूर्ण विकास, सबके साथ. कुछ दिन और करें इंतज़ार!
जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर.
मोदी ने सुबह-सुबह अस्सी घाट पर पंडितों की मौजूदगी में पूरे विधि विधान से गंगा पूजन किया और उसके बाद आरती की। इसके बाद कुदाल से उन्होंने मिट्टी हटाकर अपने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत वाराणसी में भी की। इस मौके पर उन्होंने कहा, ‘आज यह घाट की सफाई का काम शुरू किया है। मुझे यहां के सामाजिक संगठनों ने विश्वास दिलाया है कि एक महीने में पूरा घाट साफ कर दिया जाएगा। कई वर्षों में अपने आप में सफाई के माध्यम से यह अच्छी सौगात होगी।’
उत्तर प्रदेश में जिन नौ लोगों को प्रधानमंत्री ने नॉमिनेट किया है, उनमें राज्य के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, चित्रकूट विकलांग विश्वविद्यालय के वीसी स्वामी राम भद्राचार्य, भोजपुरी फिल्मों के अभिनेता, गायक और अब दिल्ली से बीजेपी सांसद मनोज तिवारी, साहित्यकार मनु शर्मा, क्रिकेट खिलाड़ी और कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ चुके मोहम्मद कैफ, संस्कृत के विद्वान पद्मश्री प्रफेसर देवी प्रसाद द्विवेदी, हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव, क्रिकेटर सुरेश रैना और बॉलिवुड गायक कैलाश खेर शामिल हैं।
अब इसमें कहने की जरूरत नहीं है कि प्रधान मंत्री श्री मोदी द्वारा नोमिनेट किए गए नामों में श्रीमान अखिलेश यादव सहित कोई भी इंकार तो नहीं ही कर सकेंगे.
सारांश यही है कि देश को संभवत: पहली बार ऐसा प्रधान मंत्री मिला है, जो खुद काम की शुरुआत कर दूसरों के लिए प्रेरणाश्रोत बना है. खुद अनुशासन बद्ध रहकर, समय का पाबंद होकर दूसरों के लिए प्रेरणा बनता है. अपनी बातों से जनता के दिल में जगह बनाता है. मंत्रिमंडल विस्तार में भी मोदी जी ने वही कुछ कर दिखाया जिसके बारे में पहले से कुछ नहीं कहा था..यानी कहूँगा कम काम ज्यादा करूंगा..ऐसा व्यक्तित्व जिसके गुण अब विरोधी भी गाने लगे हैं, चाहे वे कांग्रेस के नेता हों या आम आदमी पार्टी के केजरीवाल. ऐसे में सचमुच अब प्रधान मंत्री को ज्यादा कुछ कहने की जरूरत नहीं पड़ेगी. पेट्रोल डीजल के लगतार गिरते हुए दामों का असर ट्रांसपोटरों ने अपने ट्रंकों का किराया कम कर सन्देश देने की कोशिश की है. बस और ऑटो के भी भाड़े कम होनेवाले हैं. नयी सब्जियों और फसलों के उत्पादन का असर भी उनके मूल्यों पर पड़ेगा ही. कानून ब्यवस्था राज्य के अन्दर का मामला है, इसके लिए सभी राज्य सरकारों को तत्परता दिखानी होगी, अन्यथा विकल्प मोदी की भाजपा ही होगी, ऐसा संकेत मिलने लगा है. विकास और नए संयंत्रों की स्थापना से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, बेरोजगारों को रोजगार मिलेंगे. . तब होगा सम्पूर्ण विकास, सबके साथ. कुछ दिन और करें इंतज़ार!
जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर.
No comments:
Post a Comment