Wednesday, 7 May 2014

कुछ दोहे

माली ऐसा चाहिए, किसलय को दे प्यार
खरपतवारहि छांटके, कलियन देहि निखार.
नित उठ देखे बाग़ को, नैना रहे निहार 
सिंचन, खुरपी चाहिए, मन में करे विचार
हवा ताजी तन में लगे, करे भ्रमर गुंजार,
दिल में यूं खुशियाँ भरे, होवे जग से प्यार
कर्म सबहि तो करत हैं, गर न करे प्रचार
लोग न जानहि पात हैं, जाने बस करतार     
दीपक ऐसा चाहिए, घर में करे प्रकाश
तन मन जारे आपनो, किन्तु नेह की आश.
उजियारा लेते रहें, बुझने न दें ज्योति  
समय समय पर तेल दें, कभी उभारें बाति  

6 comments:

  1. Replies
    1. हार्दिक आभार मोनिका जी!

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  2. कर्म सबहि तो करत हैं, गर न करे प्रचार
    लोग न जानहि पात हैं, जाने बस करतार
    `
    :)
    सच है विज्ञापन का ज़माना है... भाईजी जे.एल.सिंह जी
    सुंदर दोहे...

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  3. # एक निवेदन
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    Replies
    1. आदरणीय राजेन्द्र जी, सादर अभिवादन! सुझाव के लिए धन्यवाद! मैंने कोशिश की है ...आपके सुझाव का हमेश स्वागत है.सादर!

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