नरेंद्र मोदी अहमदाबाद (१७.११.१३)में कह रहे थे – गजब का धैर्य है बिहारियों में …
२ नवंबर को पटना में बिहारियों के धैर्य की प्रशंशा कर चुके थे. उन्हें लगा होगा कि बिहारियों में समझदारी की भी कमी है. .. वे कह रहे थे – आप लोग यहाँ मेरा भाषण सुन रहे हो… कोई जोर से चिल्ला दिया सांप!… सांप ! तो क्या आपलोग भागोगे नहीं? लेकिन देखो बिहारी लोग कितने धैर्यवान होते हैं. … उधर बम फट रहा है, फिर भी मेरा भाषण एकाग्रचित्त होकर सुने जा रहे हैं …उसके बाद भी आज तक उनमे कोई हरकत नहीं हुई? इन्डियन मुजाहिद्दीन और मुस्लिन आतंकवादी के नाम पर भी कोई हरकत नहीं?……गजब का धैर्य ….
ऐसे भी वे कुछ गलत नहीं कह रहे थे. … राजेंद्र बाबू, और श्री कृष्ण सिंह की जन्म भूमि आज बेहद शांत है. जयप्रकाश नारायण ने एक ज्योति (मशाल) जलाई थी. कई नेता उनमे लालू, नितीश, रामविलास पासवान, सुशील मोदी, …आदि आदि ..सभी उस मशाल को टुकड़े टुकड़े कर बुझा दिए….
१५ सालों तक लालू को झेला, अब नीतीश को झेल रहे हैं. ..कोई सुगबुगाहट ही नहीं होती? उनका किसानो का नेता बरह्मदेव सिंह अपने घर के बाहर मारा जाता है, पटना में थोडा सा तोड़ फोड़ कर शांत हो जाते हैं.लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार के सभी आरोपी बाइज्जत बड़ी हो जाते हैं, फिर भी कोई हरकत नहीं…
मुम्बई में मार खाते हैं,… ठाकरे परिवार से गलियां सुनते हैं…कुछ फर्क नहीं पड़ता ..दिल्ली से भी जलील होते हैं, दक्षिण से भगाए जाते हैं, फिर भी हर जगह रिक्शा चलाने, कुलीगिरी आदि छोटे छोटे काम करने में ये लोग ही आगे रहते हैं.
गजब का धैर्य!…. मारीसस में मिट्टी खोदने के लिए गिरमिटिया बन कर जाते हैं … वहाँ के राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री बन जाते हैं, फिर भी अपने पुराने टूटे खडंहर घर को देखने के लिए आ जाते हैं…
ऐसा धैर्य बिहारियों में ही हो सकता है …..
२ नवंबर को पटना में बिहारियों के धैर्य की प्रशंशा कर चुके थे. उन्हें लगा होगा कि बिहारियों में समझदारी की भी कमी है. .. वे कह रहे थे – आप लोग यहाँ मेरा भाषण सुन रहे हो… कोई जोर से चिल्ला दिया सांप!… सांप ! तो क्या आपलोग भागोगे नहीं? लेकिन देखो बिहारी लोग कितने धैर्यवान होते हैं. … उधर बम फट रहा है, फिर भी मेरा भाषण एकाग्रचित्त होकर सुने जा रहे हैं …उसके बाद भी आज तक उनमे कोई हरकत नहीं हुई? इन्डियन मुजाहिद्दीन और मुस्लिन आतंकवादी के नाम पर भी कोई हरकत नहीं?……गजब का धैर्य ….
ऐसे भी वे कुछ गलत नहीं कह रहे थे. … राजेंद्र बाबू, और श्री कृष्ण सिंह की जन्म भूमि आज बेहद शांत है. जयप्रकाश नारायण ने एक ज्योति (मशाल) जलाई थी. कई नेता उनमे लालू, नितीश, रामविलास पासवान, सुशील मोदी, …आदि आदि ..सभी उस मशाल को टुकड़े टुकड़े कर बुझा दिए….
१५ सालों तक लालू को झेला, अब नीतीश को झेल रहे हैं. ..कोई सुगबुगाहट ही नहीं होती? उनका किसानो का नेता बरह्मदेव सिंह अपने घर के बाहर मारा जाता है, पटना में थोडा सा तोड़ फोड़ कर शांत हो जाते हैं.लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार के सभी आरोपी बाइज्जत बड़ी हो जाते हैं, फिर भी कोई हरकत नहीं…
मुम्बई में मार खाते हैं,… ठाकरे परिवार से गलियां सुनते हैं…कुछ फर्क नहीं पड़ता ..दिल्ली से भी जलील होते हैं, दक्षिण से भगाए जाते हैं, फिर भी हर जगह रिक्शा चलाने, कुलीगिरी आदि छोटे छोटे काम करने में ये लोग ही आगे रहते हैं.
गजब का धैर्य!…. मारीसस में मिट्टी खोदने के लिए गिरमिटिया बन कर जाते हैं … वहाँ के राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री बन जाते हैं, फिर भी अपने पुराने टूटे खडंहर घर को देखने के लिए आ जाते हैं…
ऐसा धैर्य बिहारियों में ही हो सकता है …..
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