१५ अगस्त स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में पेश है ‘मेरे सपनों का भारत’!
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मेरे सपनों के भारत में, कोई न भूखा नंगा होगा.
हर लड़का लडकी के हाथ में, ऊंचा सदा तिरंगा होगा!
कोई न होगा गोरा काला, कोई न नाटा ठिंगना होगा
फूलों की खुशबू से सुरभित, अपना प्यारा अंगना होगा!
न कोई नेता न कोई क्रेता, मिलजुल कर सब काम करें
मिलकर रोटी दूध मलाई, भोजन शुबहो शाम करें.
मंदिर जाय मुस्लिम मुल्ला, राम नाम का पाठ करे
मस्जिद जाकर हिन्दू पंडित, अल्ला का भी जाप करे!
गिरिजाघर, गुरुद्वारा शोभे, एक दूसरे के सम्मुख.
मालिक सबका एक ‘वही’ है, समझें हर कोई का दुःख
दीवाली में दिए जलाएं, ईद में सब जन मिले गले.
क्रिसमस में गिरिजाघर जाकर, भूले शिकवे और गिले!
राष्ट्र की भाषा एक हो अपनी, सीखें अन्य कोई भाषा
सीमा में ना बंधे कोई भी, बोले पंजाबी बंग भाषा
आम आदमी बनकर देखे, उच्च सिंहासन का सपना
ऊंचे पद का मालिक समझे, हर कोई को ही अपना.
ऐसा भारत स्वर्ग बनेगा, नहीं चाहिए अब जन्नत.
मालिक सबका एक तुम्ही हो, पूरी कर दो यह मन्नत!
मेरे मौला राम तुम्ही हो, गुर नानक साईं बाबा.
जन्नत धरती स्वर्ग यही सब, क्या करना जाकर काबा!
धान, ज्वार, गेहूं की फसलें, देख जिया सबका हरसे
गैया, भैंसी, भेड़, बकरियां, चीता और हिरण हरसे
बादल देख मोर नाचते, पपीहा पिया पुकारे क्यों?
साजन संग मिले सजनी, फिर गीत विरह के गाये क्यों!
चोरी कोई नहीं करेगा, पुलिस थाने का न कोई काम,
दिन में मिहनत सभी करेंगे, रात करेंगे पूर्ण आराम!
दिव्य रोशनी पुलकित यामिनी, चंदा मामा देखेंगे
सूरज की किरणों से रोशन, नया सवेरा देखेंगे!
नहीं चाहिए मनमोहन, न मोदी का सुन्दर सपना!
ब्लोग्गर कवि सब मुदित मनोहर, सोहेगा अपना अंगना!
भारत माता ग्राम वासिनी, गाँव में खग कूजेंगे
वृद्धों को उनके कुटुंब जन, देवों के संग पूजेंगे!
मेरे जैसे सपने देखें, मेरे सब संगी साथी.
बुरे वक्त में साथ निभाए, न होगा कोई घाती!
ऐसा मैंने सपना देखा, मित्र मेरे सब आन मिले
हर्ष के आंसू निकले दृग से, जब हम सब आ मिले गले!…
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