रवि महिमा- ॐ श्री सूर्याय नम:
चौपाई – रवि की महिमा सब जग जानी, बिनू रवि संकट अधिक बखानी.
शुबह सवेरे प्रगट गगन में, फूर्ति जगावत जन मन तन में!
दूर अँधेरा भागा फिरता, सूरज नहीं किसी से डरता.
आभा इनका सब पर भारी, रोग जनित कीटन को मारी
ग्रीष्म कठिन अति जन अकुलानी, शरद ऋतू में दुर्लभ जानी
ग्रीष्महि जन सब घर छुप जावें, शरद ऋतू में बाहर आवें.
गर्मी अधिक पसीना आवे, मेघ दरस न गगन में पावे.
पावस मासहि छिप छिप जावें. जलद बीच नजर नहीं आवे.
हल्की बारिश में दिख जावें, इन्द्रधनुष अति सुन्दर भावे.
दोहा - कबहू रवि घन में छिपे, कबहू प्रगटे सुदूर
लुक्का छिप्पी करत हैं, नभ से निकले नूर.
सूरज जग के त्राण हैं, पूजा करिए जरूर.
जो जन सूरज भगत हैं, तन से निकले नूर!
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