हाँ, सद्कर्म हमेशा करता आम आदमी!
फल की चिंता करता रहता आम आदमी.
पाप कर्म करने से डरता आम आदमी
अनजाने में पाप से डरता आम आदमी
धर्म कर्म में लिप्त ही रहता आम आदमी
ईश्वर में भी आस्था रखता आम आदमी
मोक्ष की चिंता करता रहता आम आदमी
तीर्थाटन करने को जाता आम आदमी!
देवभूमि में जाकर मरता आम आदमी
प्राकृत आपदा में भी मरता आम आदमी
जलधारा मे कौन है बहता आम आदमी!
धर्म आधारित दंगा करता आम आदमी
सबसे ज्यादा कौन है मरता आम आदमी
महंगाई के मार से मरता आम आदमी
टैक्स हमेशा समय से भरता आम आदमी
कानून का नित पालन करता आम आदमी
कानून के डंडे से डरता आम आदमी
सजा हमेशा ही है पाता आम आदमी
छोटा धंधा नौकरी करता आम आदमी!
हर हालत में मदद है करता आम आदमी
वोट बूथ पर जाकर देता आम आदमी
नेता का भी बना चहेता आम आदमी
नेता का शिकार भी बनता आम आदमी
जात धर्म में जाकर बंटता आम आदमी
आत्म हत्या ज्यादा करता आम आदमी!
रोज दिखावा कौन है करता आम आदमी
और कर्ज में भी है फंसता आम आदमी
किसी किसी को ख़ास बनाता आम आदमी
और जुल्म की मार है सहता आम आदमी
बीच सड़क पर कौन है मरता आम आदमी
मुआवजे के लिए भी मरता आम आदमी
दफ्तर के बाबू से भिड़ता आम आदमी
बच्चे ज्यादा पैदा करता आम आदमी
सदा शिकायत करता रहता आम आदमी
इज्जत की चिंता भी करता आम आदमी
ईश्वर को भी खूब मानता आम आदमी
उनसे दया की आशा रखता आम आदमी
रक्षा मेरी करो ये कहता आम आदमी
रोज रोज बंद कौन है करता आम आदमी
बंद की पीड़ा कौन है सहता आम आदमी
नेताओं की ढाल है बनता आम आदमी
शिकार आतंकी का बनता आम आदमी
आतंकी भी कौन है बनता आम आदमी
सेना पुलिस में भरती होता आम आदमी
कभी जुल्म तब वो ही करता आम आदमी
आदेश पालन वो ही करता आम आदमी
उसका डंडा कौन है सहता आम आदमी
सीमा की रक्षा है करता आम आदमी
विपदा से भी रक्षा करता आम आदमी
और ना बदले में कुछ लेता आम आदमी
सदा अभाव के बीच ही रहता आम आदमी!
नई नई जिज्ञाषा रखता आम आदमी!
अन्दर रोता बाहर हँसता आम आदमी!
अपनों की चिंता में मरता आम आदमी!
हर कोई की बातें सुनता आम आदमी!
रोज नई कविताएँ लिखता आम आदमी!
कविता लिखकर खुद ही पढ़ता आम आदमी!
आम आदमी का गुण गाता आम आदमी
अब जग जाओ ये भी कहता आम आदमी
फल की चिंता करता रहता आम आदमी.
पाप कर्म करने से डरता आम आदमी
अनजाने में पाप से डरता आम आदमी
धर्म कर्म में लिप्त ही रहता आम आदमी
ईश्वर में भी आस्था रखता आम आदमी
मोक्ष की चिंता करता रहता आम आदमी
तीर्थाटन करने को जाता आम आदमी!
देवभूमि में जाकर मरता आम आदमी
प्राकृत आपदा में भी मरता आम आदमी
जलधारा मे कौन है बहता आम आदमी!
धर्म आधारित दंगा करता आम आदमी
सबसे ज्यादा कौन है मरता आम आदमी
महंगाई के मार से मरता आम आदमी
टैक्स हमेशा समय से भरता आम आदमी
कानून का नित पालन करता आम आदमी
कानून के डंडे से डरता आम आदमी
सजा हमेशा ही है पाता आम आदमी
छोटा धंधा नौकरी करता आम आदमी!
हर हालत में मदद है करता आम आदमी
वोट बूथ पर जाकर देता आम आदमी
नेता का भी बना चहेता आम आदमी
नेता का शिकार भी बनता आम आदमी
जात धर्म में जाकर बंटता आम आदमी
आत्म हत्या ज्यादा करता आम आदमी!
रोज दिखावा कौन है करता आम आदमी
और कर्ज में भी है फंसता आम आदमी
किसी किसी को ख़ास बनाता आम आदमी
और जुल्म की मार है सहता आम आदमी
बीच सड़क पर कौन है मरता आम आदमी
मुआवजे के लिए भी मरता आम आदमी
दफ्तर के बाबू से भिड़ता आम आदमी
बच्चे ज्यादा पैदा करता आम आदमी
सदा शिकायत करता रहता आम आदमी
इज्जत की चिंता भी करता आम आदमी
ईश्वर को भी खूब मानता आम आदमी
उनसे दया की आशा रखता आम आदमी
रक्षा मेरी करो ये कहता आम आदमी
रोज रोज बंद कौन है करता आम आदमी
बंद की पीड़ा कौन है सहता आम आदमी
नेताओं की ढाल है बनता आम आदमी
शिकार आतंकी का बनता आम आदमी
आतंकी भी कौन है बनता आम आदमी
सेना पुलिस में भरती होता आम आदमी
कभी जुल्म तब वो ही करता आम आदमी
आदेश पालन वो ही करता आम आदमी
उसका डंडा कौन है सहता आम आदमी
सीमा की रक्षा है करता आम आदमी
विपदा से भी रक्षा करता आम आदमी
और ना बदले में कुछ लेता आम आदमी
सदा अभाव के बीच ही रहता आम आदमी!
नई नई जिज्ञाषा रखता आम आदमी!
अन्दर रोता बाहर हँसता आम आदमी!
अपनों की चिंता में मरता आम आदमी!
हर कोई की बातें सुनता आम आदमी!
रोज नई कविताएँ लिखता आम आदमी!
कविता लिखकर खुद ही पढ़ता आम आदमी!
आम आदमी का गुण गाता आम आदमी
अब जग जाओ ये भी कहता आम आदमी