मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम
हमारे आराध्य हैं और जन-जन के ह्रदय में विराजमान हैं, इससे कौन इनकार कर सकता है?
श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम इसलिए भी कहा गया है क्योंकि उन्होंने मानव रूप के
मर्यादा में रहकर एक पुत्र धर्म, अग्रज धर्म, शिष्य धर्म, एवं राज धर्म का पालन
किया. मर्यादा में रहकर ही उन्होंने ऋषि-मुनियों, देवताओं, और वानर भालुओं की
सहायता से रावण सहित सभी दुष्कर्मी, अधर्मी राक्षसों का संहार किया और अयोध्या में
राम राज्य की स्थापना की. ऐसा राम राज्य जहाँ बाघ, बकरी एक घाट पर पानी पीते थे.
वैसा राम राज्य जहाँ हर प्रजा की बात सुनी जाती थी. यहाँ तक कि एक धोबी के आरोप
मात्र से जगतजननी और अयोध्या के राजा श्रीराम (यानी कि स्वयं) की पत्नी का भी
परित्याग कर दिया और गर्भावस्था में वन में भेज दिया. ऐसे मर्यादा पुरुषोत्तम राम-जन
जन में व्याप्त हैं. उनके मंदिर भी हर स्थान पर हैं, पर कहते हैं कि अयोध्या में
भी उनका बहुत ही पुराना मंदिर था जिसे बाबर ने ध्वस्त कर वहां मस्जिद बनवा दी. बाद
में वह बाबरी-मस्जिद के नाम से जाना जाने लगा. १९९२ में अयोध्या राममंदिर के
निर्माण के लिए तब के लौहपुरुष श्री लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से रथ यात्रा आरम्भ
की और कार सेवकों की मदद से 6 दिसम्बर के दिन बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर वहां
भगवान राम की मूर्ति की पुनर्स्थापना कर दी. राम मंदिर का निर्माण कार्य आरम्भ हो
गया पर अदालत के हस्तक्षेप से निर्माण कार्य रुक गया और तब से अबतक यथास्थिति
वर्तमान है. भगवान राम की मूर्ति तो स्थापित है, पर उनके ऊपर छत की जगह तिरपाल है
उसी अवस्था में पूजा-पाठ होती है, पर विश्व हिंदू परिषद्, राष्ट्रीय स्वयं-सेवक
संघ के साथ भाजपा का भी मुख्य मुद्दा है- अयोध्या में श्रीराम मंदिर का भव्य मंदिर
बनना चाहिए इसके लिए विभिन्न प्रकार के प्रस्तरों और शिला-खण्डों पर नक्कासी का
कार्यक्रम बदस्तूर जारी है.
मामला सुप्रीम कोर्ट में
विचाराधीन है. अभी हाल ही में सुनवाई हुई तो तीन मिनट में तीन महीने के लिए स्थगित कर अगली तारीख जनवरी में कर
दी. तब से पूरे देश में भाजपा समर्थित और राम मंदिर निर्माण समर्थकों में एक उबाल
सा आ गया है. सभी लोग अपने अपने ढंग से बयान और प्रतिक्रिया दे रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व
न्यायाधीश जस्ती चेलमेश्वर ने शुक्रवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय में मामला लंबित
होने के बावजूद सरकार राम मंदिर निर्माण के लिए कानून बना सकती है. उन्होंने कहा
कि विधायी प्रक्रिया द्वारा अदालती फैसलों में अवरोध पैदा करने के उदाहरण पहले भी
रहे हैं. न्यायमूर्ति चेम्लेश्वर ने यह टिप्पणी ऐसे समय में की है जब अयोध्या में
राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने के लिए एक कानून बनाने की मांग संघ
परिवार में बढ़ती जा रही है. कांग्रेस पार्टी से जुड़े संगठन ऑल इंडिया
प्रोफेशनल्स कांग्रेस (एआईपीसी) की ओर से आयोजित एक परिचर्चा सत्र में न्यायमूर्ति
चेलमेश्वर ने यह टिप्पणी की.
चेलमेश्वर ने कावेरी जल
विवाद पर उच्चतम न्यायालय का आदेश पलटने के लिए कर्नाटक विधानसभा द्वारा एक कानून
पारित करने का उदाहरण दिया। उन्होंने राजस्थान, पंजाब
एवं हरियाणा के बीच अंतर-राज्यीय जल विवाद से जुड़ी ऐसी ही एक घटना का भी जिक्र
किया। उन्होंने कहा, ‘‘देश को इन चीजों को लेकर बहुत पहले ही खुला रुख
अपनाना चाहिए था....यह (राम मंदिर पर कानून) संभव है, क्योंकि हमने इसे उस वक्त नहीं रोका''.
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने राम मंदिर के मुद्दे पर हो रही राजनीति पर आरएसएस को घेरा है. उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को कहा कि अगर राम मंदिर के लिए आरएसएस को देश में आंदोलन की जरूरत है तो वह केंद्र की सरकार को ही क्यों नहीं गिरा देती. ठाकरे ने कहा कि मोदी सरकार ने आरएसएस के समूचे एजेंडे को नजरअंदाज किया है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद राम मंदिर का मुद्दा दरकिनार कर दिया गया. जब शिवसेना ने मुद्दा उठाया और मंदिर निर्माण पर जोर देने का फैसला किया तो आरएसएस अब इस मांग पर जोर देने के लिए आंदोलन की जरूरत महसूस कर रहा है. ठाकरे ने कहा कि एक मजबूत सरकार होने के बावजूद अगर आप (आरएसएस) किसी आंदोलन की जरूरत महसूस करते हैं तो इस सरकार को गिरा क्यों नहीं देते. शिवसेना प्रमुख ने कहा कि आरएसएस के कठिन-कठोर काम के चलते भाजपा केन्द्र में सत्ता में आई, लेकिन उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण, जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान का अनुच्छेद 370 निरस्त करने और समान नागरिक संहिता लागू करने समेत संघ के समूचे एजेंडा को अब ताक पर रख दिया गया है. ठाकरे ने दावा किया कि जब मैंने राम मंदिर का मुद्दा उठाया और 25 नवंबर अयोध्या जाने की घोषणा की तो दूसरे लोगों ने भी मुद्दे पर चर्चा करना शुरू कर दिया
जब चेलमेश्वर से पूछा गया कि उच्चतम न्यायालय में मामला लंबित रहने के दौरान क्या संसद राम मंदिर के लिए कानून पारित कर सकती है, इस पर उन्होंने कहा कि ऐसा हो सकता है. उन्होंने कहा, ‘‘यह एक पहलू है कि कानूनी तौर पर यह हो सकता है (या नहीं). दूसरा यह है कि यह होगा (या नहीं)। मुझे कुछ ऐसे मामले पता हैं जो पहले हो चुके हैं, जिनमें विधायी प्रक्रिया ने उच्चतम न्यायालय के निर्णयों में अवरोध पैदा किया था''.
मुंबई से सटे उत्तन में चल रहे आरएसएस के तीन दिवसीय शिविर के समापन के मौके पर महासचिव भैयाजी जोशी ने कहा है कि राम मंदिर को लेकर अगर आवश्यकता पड़ी तो 1992 जैसा आंदोलन करेंगे. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर अध्यादेश जिनको मांगना है वो मांगेंगे, ला सकते हैं या नहीं यह फैसला सरकार को करना है. जोशी ने कहा कि राम सबके दिल में रहते हैं पर वह प्रकट होते हैं मंदिरों के द्वारा. हम चाहते हैं कि मंदिर बने. उन्होंने कहा, 'काम में कुछ बाधाएं अवश्य हैं और हम आशा करते हैं कोर्ट हिंदुओं की भावनाओं का समझ कर निर्णय करेगा. आरएसएस के महासचिव ने कहा कि हम चाहते थे कि दीपावली के पहले कोई शुभ समाचार मिल जाए.
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने राम मंदिर के मुद्दे पर हो रही राजनीति पर आरएसएस को घेरा है. उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को कहा कि अगर राम मंदिर के लिए आरएसएस को देश में आंदोलन की जरूरत है तो वह केंद्र की सरकार को ही क्यों नहीं गिरा देती. ठाकरे ने कहा कि मोदी सरकार ने आरएसएस के समूचे एजेंडे को नजरअंदाज किया है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद राम मंदिर का मुद्दा दरकिनार कर दिया गया. जब शिवसेना ने मुद्दा उठाया और मंदिर निर्माण पर जोर देने का फैसला किया तो आरएसएस अब इस मांग पर जोर देने के लिए आंदोलन की जरूरत महसूस कर रहा है. ठाकरे ने कहा कि एक मजबूत सरकार होने के बावजूद अगर आप (आरएसएस) किसी आंदोलन की जरूरत महसूस करते हैं तो इस सरकार को गिरा क्यों नहीं देते. शिवसेना प्रमुख ने कहा कि आरएसएस के कठिन-कठोर काम के चलते भाजपा केन्द्र में सत्ता में आई, लेकिन उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण, जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान का अनुच्छेद 370 निरस्त करने और समान नागरिक संहिता लागू करने समेत संघ के समूचे एजेंडा को अब ताक पर रख दिया गया है. ठाकरे ने दावा किया कि जब मैंने राम मंदिर का मुद्दा उठाया और 25 नवंबर अयोध्या जाने की घोषणा की तो दूसरे लोगों ने भी मुद्दे पर चर्चा करना शुरू कर दिया
जब चेलमेश्वर से पूछा गया कि उच्चतम न्यायालय में मामला लंबित रहने के दौरान क्या संसद राम मंदिर के लिए कानून पारित कर सकती है, इस पर उन्होंने कहा कि ऐसा हो सकता है. उन्होंने कहा, ‘‘यह एक पहलू है कि कानूनी तौर पर यह हो सकता है (या नहीं). दूसरा यह है कि यह होगा (या नहीं)। मुझे कुछ ऐसे मामले पता हैं जो पहले हो चुके हैं, जिनमें विधायी प्रक्रिया ने उच्चतम न्यायालय के निर्णयों में अवरोध पैदा किया था''.
मुंबई से सटे उत्तन में चल रहे आरएसएस के तीन दिवसीय शिविर के समापन के मौके पर महासचिव भैयाजी जोशी ने कहा है कि राम मंदिर को लेकर अगर आवश्यकता पड़ी तो 1992 जैसा आंदोलन करेंगे. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर अध्यादेश जिनको मांगना है वो मांगेंगे, ला सकते हैं या नहीं यह फैसला सरकार को करना है. जोशी ने कहा कि राम सबके दिल में रहते हैं पर वह प्रकट होते हैं मंदिरों के द्वारा. हम चाहते हैं कि मंदिर बने. उन्होंने कहा, 'काम में कुछ बाधाएं अवश्य हैं और हम आशा करते हैं कोर्ट हिंदुओं की भावनाओं का समझ कर निर्णय करेगा. आरएसएस के महासचिव ने कहा कि हम चाहते थे कि दीपावली के पहले कोई शुभ समाचार मिल जाए.
राम मंदिर पर बाबा रामदेव
ने कहा है कि यदि न्यायालय के निर्णय में देर हुई तो संसद में जरूर इसका बिल आएगा, आना ही चाहिए. रामदेव ने आगे कहा है कि संतो और
रामभक्तों ने संकल्प किया है अब राम मंदिर में और देर नहीं. वहीं राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष राम विलास
वेदांती का दावा है कि राम मंदिर का निर्माण दिसंबर में शुरू हो जाएगा. उनका कहना
है कि बिना किसी अध्यादेश के आपसी सहमति के आधार पर मंदिर का निर्माण किया जाएगा.
अयोध्या में राम मंदिर बनेगा और लखनऊ में मस्जिद बनेगी.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में सुनवाई को टाल दिया है. इसके बाद आरएसएस ने सरकार से मांग की है कि वह संसद में कानून बनाकर जमीन का अधिग्रहण करे और मंदिर बनाने का रास्ता साफ करे. वहीं शुक्रवार को आरएसएस के शिविर में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, मोहन भागवत से मिलने पहुंचे. वहीं राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने राम मंदिर के लिए संसद के शीतकालीन सत्र में प्राइवेट बिल लाने का भी ऐलान किया है. फिलहाल ऐसा लग रहा है चुनावी साल में राम मंदिर का मुद्दा एक बार फिर से गरमा रहा है.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में सुनवाई को टाल दिया है. इसके बाद आरएसएस ने सरकार से मांग की है कि वह संसद में कानून बनाकर जमीन का अधिग्रहण करे और मंदिर बनाने का रास्ता साफ करे. वहीं शुक्रवार को आरएसएस के शिविर में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, मोहन भागवत से मिलने पहुंचे. वहीं राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने राम मंदिर के लिए संसद के शीतकालीन सत्र में प्राइवेट बिल लाने का भी ऐलान किया है. फिलहाल ऐसा लग रहा है चुनावी साल में राम मंदिर का मुद्दा एक बार फिर से गरमा रहा है.
आब उत्तर प्रदेश के मुख्य
मंत्री योगी जी और उप मुख्य मंत्री ने अभी हाल में ऐलान कर दिया कि जबतक कोर्ट का
फैसला आता है हम सरयू तट पर १५१ मीटर ऊंची भगवान श्री राम की मूर्ति को स्थापित करेंगे जो कि दुनिया
भर में भगवान् राम की सबसे बड़ी और ऊंची मूर्ति होगी. संभवत: दीवाली के अवसर पर योगी जी
इसकी औपचारिक घोषणा कर सकते हैं. मंदिर न सही मूर्ति तो बनाई जा सकती है. अभी हाल
ही में श्री नरेंद्र मोदी ने सरदार वल्लभ भाई पटेल की १८२ मीटर मूर्ति का अनवारण
किया जो अपने आप में अनूठी है. योगी जी मोदी जी के बाद संभावित प्रधान मंत्री की
सूची में हैं तो यह पहल तो उन्हें भी करनी ही चाहिए ताकि हिन्दू वोटों का
ध्रुवीकरण किया जा सके. यह मुद्दा भावनात्मक से ज्यादा राजनीतिक है, जिसमे भाजपा
अपना हित देख रही है... अब तक तो ऐसा ही महसूस हो रहा है क्योंकि पांच राज्यों में
चुनाव के साथ २०१९ में लोकसभा का चुनाव होना है तो कुछ तो भवनात्मक मुद्दा होना चाहिए
जिससे हिन्दू मतदाताओं को अपनी तरफ मोड़ा जा सके.
इस प्रकार अब मंदिर
मुद्दा सरकार के पाले में है और सरकार येन केन प्रकारेण इस मुद्दे को भुनाना
चाहेगी. मंदिर बनाने की अगर सचमुच ईच्छा होती तो जो बिल अभी लाने की बात हो रही है
वह बिल 4 साल पहले भी लाया जा सकता था. लोकसभा में सरकार को पूर्ण बहुमत प्राप्त
है ... संभवत: विरोधी पार्टियाँ भी इस बिल का विरोध नहीं करती क्योंकि अब राहुल
गाँधी भी मंदिरों का चक्कर काट रहे हैं, जिसे भाजपा ढोंग बताने में कोई कसर नहीं
छोड़ना चाहती. मंदिर और हिंदुत्व का ठेका तो भाजपा और भाजपा समर्थित पार्टियों का
है.
अब दीवाली का त्योहार आ चुका
है और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान राम के रावण वध के बाद १४ वर्ष वनवास की
अवधि पूरा कर अयोध्या पुनरागमन के अवसर पर ही दीवाली का त्योहार मनाया जाता है.
इसलिए इस बार दीवाली भगवान राम के साथ- हर दिया भगवान राम के नाम .... जय श्री राम
! जय श्री राम !
- -- जवाहर
लाल सिंह, जमशेदपुर
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