Saturday, 18 August 2018

केरल में जल-प्रलय


प्रकृति के सामने हम कितने कमजोर हैं यह हम तब समझ पाते हैं, जब गंभीर आपदा में फंस जाते हैं. विज्ञान चाहे जितनी तरक्की कर ले प्रकृति को परास्त नहीं कर सकती. हम गर्मी पर नियंत्रण के लिए वातानुकूलित कक्ष का निर्माण कर लेते हैं, जाड़ों में भी रूम-हीटर लगाकर घर को गर्म कर लेते हैं. वर्षा और प्रकृति के कहर से बचने के लिए असंख्य उपाय कर लेते हैं, पर जब प्रकृति अपना रौद्र रूप दिखलाती है तो हम निहायत ही कमजोर साबित होते हैं. अभी कुछ दिन पहले महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, और ऊत्तर प्रदेश में बाढ़ की ख़बरें थीं. तब वहां के लोग परेशान थे. पर जो हालात केरल में जल-प्रलय के चलते हुआ है, वह शायद पिछले सौ साल का रिकॉर्ड को तोड़ रहा है. इतनी भयंकर तबाही शायद पहले नहीं हुई थी. केरल प्राकृतिक रूप से, शैक्षिक और स्वास्थ्य के स्तर पर भी सबसे समृद्ध राज्य है. प्राकृतिक सुरम्यता की वजह से ही यहाँ का पर्यटन उद्योग काफी अच्छा है. पर सब बेकार हो गया. मीडिया की ख़बरों के अनुसार -  
देश का दक्षिणी राज्य केरल भारी बारिश और बाढ़ से बेहाल है. जिधर देखो, पानी ही पानी है. कुछ इलाकों में बाढ़ से हालात इतने खराब हो गए हैं कि घर की छत तक पानी पहुंच गया है. सड़कों पर नाव चल रही है. इंसानों के साथ-साथ जानवरों और पशु-पक्षियों की जान भी खतरे में है. इस बीच, NDRF (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल) और तीनों सेनाओं के जवान प्राकृतिक आपदा में फंसे लोगों के लिए 'देवदूत' बनकर पहुंचे हैं. NDRF का कहना है कि उसने अब तक का सबसे बड़ा बचाव अभियान शुरू किया है. राज्य के 14 में से 13 जिलों में रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है. NDRF ने अब तक 10,000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है. बड़े पैमाने पर राज्य में राहत एवं बचाव अभियान चलाया जा रहा है. लोगों की जान बचाने के लिए जवान चॉपर को भी छत पर उतारने से पीछे नहीं हट रहे हैं. तिरुवनंतपुरम, कसारागोड़ और कोल्लम में रेड अलर्ट जारी नहीं किया गया है. राज्य में बाढ़ के चलते 9 अगस्त से अब तक 360 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया और 500 करोड़ की मदद का ऐलान कर दिया है.
मदद को आगे आए राज्य 
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के मुताबिक, राज्य को तकरीबन 19512 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. केंद्र सरकार द्वारा 500 करोड़ रुपये की मदद की घोषणा पर सीएम ने कहा कि यह राशि काफी कम है. वहीं, कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी केरल की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया है. दिल्ली, हरियाणा, बिहार, झारखंड, कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र, ओडिशा और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने भी मदद का ऐलान किया है. साथ ही आम आदमी पार्टी के सभी नेताओं ने अपनी एक महीने की सैलरी बाढ़ से जूझ रहे राज्य केरल की मदद के लिए देने का फैसला किया है. 
लगभग तीन गुना ज्यादा हुई है बारिश 
भारतीय मौसम विभाग की डॉ. एस देवी ने कहा, '16 अगस्त तक केरल वास्तविक वर्षा 619.5 मिमी थी जबकि आमतौर पर इसे 244.1 मिमी होना चाहिए था. बारिश की तीव्रता में कमी आई है और अब भारी बारिश नहीं होगी लेकिन बारिश 2 दिनों तक जारी रहेगी.
बाढ़ से प्रभावित केरल के लिए भारतीय रेलवे 7 लाख लीटर पीने का पानी भेजेगा. केरल जानेवाले वॉटर स्पेशल ट्रेन के 14 वैगन पुणे में भरे जा रहे हैं. 15 लोडेड वैगन रतलाम से आ रहे हैं, जो शनिवार को दोपहर तक पुणे पहुंच जाएंगे. रतलाम से 15 वैगन आ जाने के आधे घंटे बाद वॉटर स्पेशल को पुणे से केरल के लिए रवाना कर दिया जाएगा. अस्थायी पाइपलाइनों के साथ त्वरित समय में स्थापित 15 एचपी पंप तुरंत इन वैगनों को भरने के लिए रखे गए हैं. पुणे का फायर ब्रिगेड भी इसमें मदद कर रहा है. भेजे जानेवाले पानी की जांच कर ली गई है. 
तमाम एजेंसियां लगातार कर रही हैं मदद 
एनडीआरएफ के महानिदेशक संजय कुमार ने बताया, '58 टीमों को आठ प्रभावित जिलों में तैनात कर दिया गया है. हमने 170 लोगों का बचाया और 7000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया है. यदि आवश्यकता हुई तो और टीमें तैनात की जाएंगी.' एनडीआरएफ के अलावा आर्मी, नेवी, एयरफोर्स और इंडियन कोस्ट गार्ड की टीमें भी लगातार राहत और बचाव कार्य में लगी हुई हैं. केरल 50 हजार परिवारों के करीब 2.23 लाख लोग इस समय बेघर हैं, जो राज्य भर में बने 1568 राहत शिविरों में रह रहे हैं. 700 सैनिक स्पेशलाइज्ड इंजिनियरिंग टास्क फोर्स बोट और जरूरी इक्विपमेंट के साथ बचाव कार्य में लगे हैं. पिछले 9 दिनों में करीब 5000 लोगों को बचाया जा चुका है. 
हमारा देश बहुत बड़ा है और उससे बड़ा है देश वासियों का दिल, NDRF टीम के जवानों, और भारतीय सेना के जवानों का हौसला. इसके अलावा अन्य स्वयं सेवी संस्थाएं लगातार हर संभव मदद पहुंचा रही है. अशक्त लोगों, बच्चों और महिलाओं यहाँ तक की गर्भवती महिला को भी हेलिकोफ्टर से लिफ्ट कर हॉस्पिटल में पहुँचाया गया जहाँ उसने सकुशल बच्चे को जन भी दिया. इन सब कार्यों के लिए हमारी सेना और NDRF की टीम की जितनी भी सराहना की जाय कम है. जब भी देश के किसी भी हिस्से में आपदा आई है देश के बाकी हिस्से के लोगों ने हर संभव मदद पहुंचाई है. अभी भी लोग मदद कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे.
अभी अभी हमने १५ अगस्त को ७२ वीं स्वतंत्रता दिवस का जश्न मनाया, उसके दूसरे दिन ही देश के सर्वप्रिय महान नेता, कवि, साहित्यकार, पत्रकार, सांसद और तीन बार प्रधान मंत्री के पद को सुशोभित करनेवाले भारतरत्न श्री अटलबिहारी बाजपेयी मौत से लड़ते हुए आखिर में हार गए. पूरे देश और विदेश के लोगों ने शोक-संतप्त होकर श्रद्धांजलि अर्पित की. उनकी लिखी हुई अमर कविताओं के मर्म को बार-बार समरण किया गया. हमारे देश में ऐसे ऐसे प्रतिभाशील लोग भी पैदा होते हैं जिनके लिए सारा देश एक स्वर में आंसू बहाता है. उसी प्रकार केरल की आपदा के साथ पूरा देश खड़ा है. केरल जैसे सुन्दर सुरम्य प्रदेश को पुन: सम्हालने में शायद कई वर्ष लग जायेंगे. फिर भी हम उम्मीद क्यों छोड़े और अपने ही भाई-बन्धु को बचाने से मुंह क्यों मोड़ें.
पूरे विश्व के पर्यावरण विशेषज्ञ उपयोग के लायक पानी की कमी का अनुमान लगा रहे थे. अभी इस साल इतनी वर्षा हुई कि हम जल को सम्हाल नहीं पा रहे हैं. बाजपेयी जी के अन्यान्य सपनों में एक सपना यह भी था कि देश की सभी नदियों को आपस में जोड़ा जाय ताकि जल की निरंतरता बनी रहे. एक राज्य से दुसरे राज्यों में जो नदियाँ जाती हैं उनपर भी समुचित अधिकार देश के हर नागरिक को हो. वह सपना अभी धरातल पर नहीं उतरा है, नहीं गंगा साफ़ और अविरल हुई है. प्रयास जारी है. प्रकृति और मानव का संग्राम चलता रहेगा, हमें सामंजस्य बनाकर चलना होगा. दिन रात अंधाधुंध विकास से प्राकृतिक संसाधनों का क्षरण लगातार हो रहा है.
हम वर्षाजल को संगृहीत कर उसको उपयोग के लायक बना पाने में असमर्थ ही रहे हैं. हरसाल वर्षा का जल देश के भूभागों को तबाह करता हुआ समुद्र के खारे जल में मिलकर खारा ही हो जाता है. जबकि वर्षाजल अपने आप में आसवित और शुद्ध होता है. इसे संग्रह करने के लिए छोटे-बड़े जलाशयों का निर्माण जरूरी है. आज स्थिति यह है कि तालाबों को  भरकर उनपर निर्माण कार्य लगातार जारी है. नदियों का भी अतिक्रमण हो रहा है. नदियों में गंदगी के प्रवाह से जल धारण करने की क्षमता में लगातार कमी हो रही है. हर साल निर्माण के साथ विनाश लीला भी जारी है. हालाँकि विकसित देशों, जापान, फ्रांस, चीन, अमेरिका आदि भी प्राकृतिक आपदा से अछूता नहीं है. फर्क इतना है कि वहां आपदा प्रबन्धन हमारे यहाँ से बेहतर है. हमारे यहाँ भी आपदा प्रबंधन लगातार बेहतर हो रहे हैं. अभी और बेहतरी की जरूरत है. सरकार के साथ सभी एजेंसियों को भी बेहतर और ईमानदार होना पड़ेगा. करोड़ों की लागत से बना पुल या सड़क जब पहले ही मॉनसून में ध्वस्त हो जाता है तो सवाल तो उठेंगे. हम शिलान्यास और उद्घाटन समारोह में ब्यर्थ के करोड़ों रुपये फूंक देते हैं पर निर्माण की गुणवत्ता में कोताही बरत जाते हैं. यह भी सभी जानते हैं कि वह पैसा कहाँ जाता है. आपदा प्रबंधन में भी करोड़ों की मदद दी जाती है, उसका भी कितना प्रतिशत सही इस्तेमाल होता है यह भी हम सभी जानते हैं.     
अंत में श्रीमान अटलबिहारी बाजपेयी को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए हम यही चाहेंगे कि बाजपेयी जी जैसे और भी नेता इस देश में जन्म लें और हम सभी उनके अच्छाइयों से कुछ न कुछ सीख अवश्य लें, अपने जीवन में उतारें और देशहित जनहित में कार्य करें. दूसरों की तरफ उंगली उठाने से पहले अपने अन्दर झांकने की जरूरत हम सबको है. हमारे यहाँ जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी और आकाश को पंचतत्व माना गया है और इन्हीं पंचभूतों से सारा विश्व बना हुआ है. हमें पंचभूतों की रक्षा करनी ही होगी... जय हिन्द! जय भारत! जय विश्व!
-      - जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर.

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