हममे से काफी लोगों ने रेडियो मिर्ची के नावेद के उस ऑडियो को सुना
होगा, जिसमे वह एक गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. से फोन पर यह कहता है
कि उसकी वाइफ प्रेग्नेंट है और उसे पता है कि उसे लडकी ही होनेवाली है. वह उसका
एबॉर्शन करवाना चाहता है क्योंकि उसे डर है कि उसकी लड़की का रेप हो जायेगा. वह बहुत सारे उदाहरण देकर
बतलाता है कि दिल्ली में आठ महीने की बच्ची का रेप हो जाता है, कहीं ६ साल की
बच्ची तो कही आठ साल की बच्ची का सामूहिक बलात्कार हो जाता है. बलात्कार के बाद
उसकी निर्मम हत्या कर दी जाती है. प्रतिदिन के अख़बार और टीवी इन्ही प्रकार के
समाचारों से भरे होते हैं. लड़कियां या महिलाएं कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं, न घर
में, न खेत में, न बाजार में, न ऑफिस में, न थाने में, न न्यायालय में, नहीं मंदिर
में, न ही मस्जिद में. साधू के वेश में भी लोग लड़कियों को अपने हवश का शिकार बनाते
हैं, जो पुलिसकर्मी रक्षक हैं, वे भी अपनी हवश को मरते दम तक एक कमजोर लड़की के साथ
शांत करते हैं. आखिर कहाँ जा रहे हैं हम सब? पाशविकता से भी बहुत आगे .... शायद
राक्षस प्रवृत्ति पैदा हो गयी है, आज के पुरुषों में.
अभी ताजा ताजा मामला कश्मीर के कठुआ और यु पी के उन्नाव का है, ये
दोनों नाम तो बहुचर्चित हैं इसलिए.... मीडिया में और राजनीति में भी हलचल है. इसके
अलावा भी अनगिनत ऐसे मामले हैं जिनकी चर्चा तो होती ही नहीं. थाने में प्राथमिकी
तक दर्ज नही होती, लोकलाज के भय से लोग मामले को दबा देने में ही भलाई समझते हैं.
पर कठुआ और उन्नाव की घटना दिल दहला देने वाली है और इसमे बड़े-बड़े रसूखदार लोग शामिल हैं. दिल्ली की दामिनी या
निर्भया काण्ड के बाद सबसे चर्चित होनेवाले ये काण्ड हैं.
कठुआ में आठ साल की
मासूम के साथ हुई हैवानियत और उत्तर प्रदेश के उन्नाव में 17 वर्षीय युवती के साथ गैंगरेप की घटना सामने आने के बाद देशभर में जबरदस्त
गुस्सा है. कठुआ में आठ वर्षीय मासूम को बंधक बनाकर कई दिनों तक रखने उसके साथ
गैंगरेप कर वहशियाना करतूत करने के बाद उसकी हत्या करने का आरोप है. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने बेहद कड़ा रूख अपनाया है. उधर, उन्नाव रेप केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीबीआई से 2 मई तक केस में स्टेटस रिपोर्ट फाइल करने के
लिए कहा है.
बॉलीवुड एक्ट्रेस और बीजेपी सांसद हेमा
मालिनी ने कठुआ और उन्नाव रेप केस में आखिर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए दोषियों को
फांसी देने की मांग की है. और कहा है कि ऐसे मामलों में मीडिया के समर्थन के साथ
राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन होने चाहिए. उन्होंने ट्वीट कर अपनी चिंता जाहिर
की.
उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि “इन जानवरों के खिलाफ, जो बच्चों और मासूमों को भी नहीं छोड़ते, मीडिया के जबरदस्त समर्थन के साथ राष्ट्रीय स्तर पर विरोध प्रदर्शन होना चाहिए... मैं मेनका जी (मेनका गांधी) से सहमत हूं कि दोषी साबित होने पर तत्काल
मौत की सजा दी जान चाहिए और सभी दुष्कर्मो (नाबालिग) के लिए कोई जमानत या माफी नहीं मिलनी
चाहिए...
रवीना टंडन ने भी अपने ट्वीट में कहा कि – एक दुष्कर्म पीड़िता ने अपने पिता को
खो दिया- ये चैनल वाले विधायक से जुड़े मामले दिखाने के बजाय यह दिखला रहे हैं कि
सुबह किसने छोले भठूरे खाये?
जम्मू
एवं कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने शनिवार को कठुआ जिले में आठ साल की
बच्ची के साथ दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या किए जाने के मामले में आरोपी चार
पुलिसकर्मियों को बर्खास्त कर दिया. आधिकारिक सूत्रों ने यहां कहा कि मुख्यमंत्री
ने जम्मू एवं कश्मीर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर मामले की
सुनवाई 90 दिनों में समाप्त करने के लिए त्वरित
अदालत की मांग की है. जानकार सूत्रों ने कहा कि राज्य सरकार ने मामले में आरोपी एक
उपनिरीक्षक,
एक हवलदार और दो विशेष पुलिस
अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया है. राज्य सरकार ने यह कदम भाजपा के दो मंत्रियों
चौधरी लाल सिंह और चंद्र प्रकाश गंगा के इस्तीफे के एक दिन बाद उठाया है. दोनों ही
गठबंधन सरकार में मंत्री थे. दोनों मंत्री कठुआ में आठ साल की बच्ची के साथ
दुष्कर्म और हत्या मामले के आरोपियों के समर्थन में निकाली गई रैली में शामिल हुए
थे.
बकरवाल
समुदाय से ताल्लुक रखने वाली नाबालिग बच्ची का 10 जनवरी को अपहरण हुआ था. उसे कठुआ जिले के रसाना गांव के एक मंदिर
में रखा गया था. जहाँ
उसका बलात्कार कर निर्मम हत्या कर दी गयी.
उन्नाव
दुष्कर्म प्रकरण के बारे में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की टिप्पणियों से यह साफ है
कि भाजपा सरकार दुष्कर्म के आरोपियों को बचा रही है. यह निश्चित तौर पर 'जन विश्वासघात' है. उन्होंने
कहा कि मुख्यमंत्री अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं और अपनी जिम्मेदारियों का
निवर्हन करने में नाकाम रहे हैं. राज्य में उनके रवैये के कारण भारतीय जनता पार्टी
का शासन महिलाओं,
दलितों और किसानों के लिए 'रावण राज' बन गया
है. भाजपा के नेता दुष्कर्म के आरोपियों को सरंक्षण दे रहे हैं. पूरे मामले में
राज्य की भाजपा सरकार और प्रशासन आरोपी विधायक के प्रभाव में काम कर रहे हैं. कांग्रेस
ने आरोप लगाया है कि भाजपा की मौजूदा प्रदेश सरकार के कार्यकाल में महिलाओं के
खिलाफ अपराधों में बेहताशा बढ़ोत्तरी हुई है.
उन्नाव मामले में जनाक्रोश
इतना बढ़ा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर सरकार को फटकार लगाई तब
जाकर आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की गिरफ्तारी होती है. अब सीबीआई इस आरोप के
जांच में लग गयी है संभवत: न्याय होगा और पीड़िता को न्याय मिलेगा. पर उसके पिता को
तो जेल में ही पीटकर पीटकर मार डाला उसे कैसे वापस लायेंगे?
आश्चर्य इस बात का भी है कि
उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री के साथ साथ प्रधान मंत्री भी दोनों मुद्दों पर कुछ
दिन खामोश रहे बाद में या कहा जाय मीडिया के दबाव में इनलोगों ने अपनी चुप्पी तोड़ी
और कहा कि बेटियों के साथ न्याय होगा. न्यायालय के दखल के बाद आरोपी विधायक की
गिरफ्तारी होती है. हो सकता है कानून इंसाफ करे. पर इस प्रकार की घटनाओं में कोई
कमी नहीं आ रही....प्रतिदिन अखबार और अन्य मीडिया में इन्ही ख़बरों की भरमार होती
है. आखिर कब रुकेगा महिलाओं और बेटियों पर जुल्म! पुरुष की पाशविक वृत्ति में कब
कमी आयेगी? क्या मनोवैज्ञानिक, बुद्धिजीवी, प्रशासन और सार्वजनिक जीवन में सामाजिक
मुद्दों पर बहस करने वाले, कोई स्थाई समाधान खोज पायेंगे ताकि हमारी बच्चियां जो
आज भी हर क्षेत्र में पुरुषों से कन्धा से कन्धा मिलाकर काम कर रही है उनकी
स्वतंत्रता और भय के वातावरण में कोई कमी आयेगी? सवाल चुभनेवाला है. पर है चिंतनीय.
क्या न्यायव्यवस्था दोषी नहीं है जहाँ फैसले आने में वर्षों लग जाते हैं और अंतत:
आरोपी छूट जाता है, अगर उसके पास पैसा और पॉवर है. तो क्या बेटियों को अपनी रक्षा
के लिए खुद का हथियार उठाना जरूरी हो गया है? दोषी चाहे कोई भी हो उसे तत्काल सजा
नहीं मिलनी चाहिए? महिला और बच्चियों की सुरक्षा के लिए हर वर्ग को साथ आना चाहिए.
सारे विकास के दावे धरे रह जायेंगे, अगर इस आधी आबादी के साथ न्याय नहीं होगा. एक
बार फिर मजबूत जन-जागरण की आवश्यकता है. कई लोग अपने मुहल्लों में यह पोस्टर लगा
रहे है कि फलां राजनीतिक दल के लोग इस मुहल्ले में न आयें, क्योंकि इस मुहल्ले में
बहन बेटियां रहती हैं. डॉ. अम्बेडकर की १२७ जयन्ती मनाई गयी पर उनके विचारों को हम
कब अपनाएंगे. संविधान की रक्षा कैसे होगी? महात्मा गाँधी के साथ अन्य महापुरुषों
के विचारों को अपनाना ज्यादा जरूरी है बशर्ते
कि उनकी हर चौक चौराहे मूर्तियाँ लगाई जाय, उनकी जयन्ती मनाने में दिखावा किया
जाय! यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते नमन्ते तत्र देवता केवल वेदवाक्य बनकर न रहा जाय
बल्कि उसे जीवन में भी उतारा जाय! क्या भगवान में आस्था केवल दिखावा है. अगर हम
भगवान और धर्म को मानते हैं तो इस प्रकार के अन्याय तो कदापि नहीं करते. दरअसल ये
लोग धर्म को और भगवान को सिर्फ कवच के रूप में इस्तेमाल करते हैं. जरूरत है कि हम
सभी अपने अन्दर झांकें और अन्दर की आत्मा को देखें कि वह क्या कह रही है?
- - जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर
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