कठुआ समेत कई इलाकों में बच्चियों के साथ हुई दरिंदगी
के बाद ऐसे आरोपियों को फांसी की सजा की मांग के लिए देश भर में आवाज उठाई गई.
इसके बाद शनिवार(२१.०४.२०१८) को केंद्र सरकार ने 12 साल तक की बच्ची के साथ रेप के मामले में फांसी की सजा का प्रावधान कर दिया है.
इसके लिए पोक्सो एक्ट में बदलाव के लिए
ऑर्डिनेंस जारी कर दिया है. 16 दिसंबर को निर्भया रेप और मर्डर केस में बाद देश में
संसद से सड़क तक पर रेप कानून में बदलाव के लिए लोगों ने आवाज उठाई थी,
तब रेप कानून में सख्त सजा का प्रावधान किया गया था और इसके तहत रेप विक्टिम
मरनासन्न अवस्था में पहुंच जाए तो फांसी की सजा का प्रावधान किया गया था. पॉक्सो
और ऐंटी-रेप लॉ में कानून का क्या
प्रावधान है, उसका अवलोकन जरूरी है.
पॉक्सो कानून के तहत 18 साल से कम को बच्चा माना गया
अधिवक्ता नवीन शर्मा के मुताबिक, पॉक्सो कानून के तहत 18 साल से कम उम्र के बच्चों से किसी भी तरह का सेक्शुअल अपराध इस कानून के दायरे में आता है. इस कानून के तहत 18 साल से कम उम्र के लड़के या लड़की दोनों को ही प्रॉटेक्ट किया गया है. इस ऐक्ट के तहत बच्चों को सेक्शुअल असॉल्ट, सेक्शुअल हैरसमेंट और पॉर्नोग्रफी जैसे अपराध से प्रॉटेक्ट किया गया है. 2012 में बने इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा का प्रावधान किया गया है. पॉक्सो कानून की धारा-3 के तहत पेनेट्रेटिव सेक्शुअल असॉल्ट को परिभाषित किया गया है. इसके तहत कानून कहता है कि अगर कोई शख्स किसी बच्चे के शरीर के किसी भी हिस्से में प्राइवेट पार्ट डालता है या फिर बच्चे के प्राइवेट पार्ट में कोई भी ऑब्जेक्ट या फिर प्राइवेट पार्ट डालता है या फिर बच्चों को किसी और के साथ ऐसा करने के लिए कहा जाता है या फिर बच्चे से कहा जाता है कि वह ऐसा उसके (आरोपी) साथ करे तो यह सेक्शन-3 के तहत अपराध होगा और इसके लिए धारा-4 में सजा का प्रावधान किया गया है. इसके तहत दोषी पाए जाने पर मुजरिम को कम से कम 7 साल और ज्यादा से ज्यादा उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान किया गया है.
प्राइवेट पार्ट टच करने पर भी सजा
भारत सरकार के वकील अजय दिग्पाल बताते हैं कि अगर कोई शख्स किसी बच्चे के प्राइवेट पार्ट को टच करता है या फिर अपने प्राइवेट पार्ट को बच्चों से टच कराता है तो ऐसे मामले में दोषी पाए जाने पर धारा-8 के तहत 3 साल से 5 साल तक कैद की सजा का प्रावधान किया गया है. अगर कोई शख्स बच्चों का इस्तेमाल पॉर्नोग्राफी के लिए करता है तो वह भी गंभीर अपराध है और ऐसे मामले में उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है. बच्चों के साथ ऐसा कोई काम करते हुए अगर उसकी पॉर्नोग्राफी की जाती है तो वैसे मामले में कम से कम 10 साल और ज्यादा से ज्यादा उम्रकैद तक हो सकती है.
ऐंटी-रेप लॉ में क्या है प्रावधान
16 दिसंबर 2012 को निर्भया गैंग रेप और हत्या के बाद की वारदात के बाद रेप और छेड़छाड़ से संबंधित कानून को सख्त करने के लिए सड़क से लेकर संसद तक बहस चली और फिर वर्मा कमिशन की सिफारिश के बाद सरकार ने कानून में तमाम बदलाव किए थे. संसद में बिल पास किया गया और दो अप्रैल 2013 को नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया. सीनियर वकील रमेश गुप्ता के मुताबिक, मौजूदा समय में रेप व छेड़छाड़ के मामले में जो कानूनी प्रावधान हैं, उसके तहत रेप के कारण अगर कोई महिला मरणासन्न अवस्था में पहुंच जाती है या फिर मौत हो जाती है तो उस स्थिति में दोषियों को फांसी तक की सजा हो सकती है. साथ ही रेप मामले में अगर कोई शख्स दूसरी बार दोषी पाया जाता है, तो उसे फांसी की सजा तक हो सकती है.
रेप की नई परिभाषा -आईपीसी की धारा-375 में रेप मामले में विस्तार से परिभाषित किया गया है. इसके तहत बताया गया है कि अगर किसी महिला के साथ कोई पुरुष जबरन शारीरिक संबंध बनाता है तो वह रेप होगा. साथ ही मौजूदा प्रावधान के तहत महिला के साथ किया गया यौनाचार या दुराचार दोनों ही रेप के दायरे में होगा. इसके अलावा महिला के शरीर के किसी भी हिस्से में अगर पुरुष अपना प्राइवेट पार्ट डालता है, तो वह भी रेप के दायरे में होगा.
रेप में उम्रकैद तक की सजा -अधिवक्ता अमन सरीन का कहना है कि महिला की उम्र अगर 18 साल से कम है और उसकी सहमति भी है तो भी वह रेप ही होगा. अगर कोई महिला विरोध न कर पाए इसका मतलब सहमति है, ऐसा नहीं माना जाएगा. आईपीसी की धारा-376 के तहत कम से कम 7 साल और ज्यादा से ज्यादा उम्रकैद की सजा का प्रावधान किया गया.
रेप में कब फांसी -इसके अलावा आईपीसी की धारा-376 ए के तहत प्रावधान किया गया कि अगर रेप के कारण महिला विजिटेटिव स्टेज (मरने जैसी स्थिति) में चली जाए तो दोषी को अधिकतम फांसी की सजा हो सकती है. साथ ही गैंग रेप के लिए 376 डी के तहत सजा का प्रावधान किया गया, जिसके तहत कम से कम 20 साल और ज्यादा से ज्यादा उम्रभर के लिए जेल का प्रावधान किया गया. साथ ही 376 ई के तहत प्रावधान किया गया कि अगर कोई शख्स रेप के लिए पहले दोषी करार दिया गया हो और वह दोबारा अगर रेप या गैंग रेप के लिए दोषी पाया जाता है तो उसे उम्रकैद से लेकर फांसी तक की सजा होगी.
अधिवक्ता नवीन शर्मा के मुताबिक, पॉक्सो कानून के तहत 18 साल से कम उम्र के बच्चों से किसी भी तरह का सेक्शुअल अपराध इस कानून के दायरे में आता है. इस कानून के तहत 18 साल से कम उम्र के लड़के या लड़की दोनों को ही प्रॉटेक्ट किया गया है. इस ऐक्ट के तहत बच्चों को सेक्शुअल असॉल्ट, सेक्शुअल हैरसमेंट और पॉर्नोग्रफी जैसे अपराध से प्रॉटेक्ट किया गया है. 2012 में बने इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा का प्रावधान किया गया है. पॉक्सो कानून की धारा-3 के तहत पेनेट्रेटिव सेक्शुअल असॉल्ट को परिभाषित किया गया है. इसके तहत कानून कहता है कि अगर कोई शख्स किसी बच्चे के शरीर के किसी भी हिस्से में प्राइवेट पार्ट डालता है या फिर बच्चे के प्राइवेट पार्ट में कोई भी ऑब्जेक्ट या फिर प्राइवेट पार्ट डालता है या फिर बच्चों को किसी और के साथ ऐसा करने के लिए कहा जाता है या फिर बच्चे से कहा जाता है कि वह ऐसा उसके (आरोपी) साथ करे तो यह सेक्शन-3 के तहत अपराध होगा और इसके लिए धारा-4 में सजा का प्रावधान किया गया है. इसके तहत दोषी पाए जाने पर मुजरिम को कम से कम 7 साल और ज्यादा से ज्यादा उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान किया गया है.
प्राइवेट पार्ट टच करने पर भी सजा
भारत सरकार के वकील अजय दिग्पाल बताते हैं कि अगर कोई शख्स किसी बच्चे के प्राइवेट पार्ट को टच करता है या फिर अपने प्राइवेट पार्ट को बच्चों से टच कराता है तो ऐसे मामले में दोषी पाए जाने पर धारा-8 के तहत 3 साल से 5 साल तक कैद की सजा का प्रावधान किया गया है. अगर कोई शख्स बच्चों का इस्तेमाल पॉर्नोग्राफी के लिए करता है तो वह भी गंभीर अपराध है और ऐसे मामले में उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है. बच्चों के साथ ऐसा कोई काम करते हुए अगर उसकी पॉर्नोग्राफी की जाती है तो वैसे मामले में कम से कम 10 साल और ज्यादा से ज्यादा उम्रकैद तक हो सकती है.
ऐंटी-रेप लॉ में क्या है प्रावधान
16 दिसंबर 2012 को निर्भया गैंग रेप और हत्या के बाद की वारदात के बाद रेप और छेड़छाड़ से संबंधित कानून को सख्त करने के लिए सड़क से लेकर संसद तक बहस चली और फिर वर्मा कमिशन की सिफारिश के बाद सरकार ने कानून में तमाम बदलाव किए थे. संसद में बिल पास किया गया और दो अप्रैल 2013 को नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया. सीनियर वकील रमेश गुप्ता के मुताबिक, मौजूदा समय में रेप व छेड़छाड़ के मामले में जो कानूनी प्रावधान हैं, उसके तहत रेप के कारण अगर कोई महिला मरणासन्न अवस्था में पहुंच जाती है या फिर मौत हो जाती है तो उस स्थिति में दोषियों को फांसी तक की सजा हो सकती है. साथ ही रेप मामले में अगर कोई शख्स दूसरी बार दोषी पाया जाता है, तो उसे फांसी की सजा तक हो सकती है.
रेप की नई परिभाषा -आईपीसी की धारा-375 में रेप मामले में विस्तार से परिभाषित किया गया है. इसके तहत बताया गया है कि अगर किसी महिला के साथ कोई पुरुष जबरन शारीरिक संबंध बनाता है तो वह रेप होगा. साथ ही मौजूदा प्रावधान के तहत महिला के साथ किया गया यौनाचार या दुराचार दोनों ही रेप के दायरे में होगा. इसके अलावा महिला के शरीर के किसी भी हिस्से में अगर पुरुष अपना प्राइवेट पार्ट डालता है, तो वह भी रेप के दायरे में होगा.
रेप में उम्रकैद तक की सजा -अधिवक्ता अमन सरीन का कहना है कि महिला की उम्र अगर 18 साल से कम है और उसकी सहमति भी है तो भी वह रेप ही होगा. अगर कोई महिला विरोध न कर पाए इसका मतलब सहमति है, ऐसा नहीं माना जाएगा. आईपीसी की धारा-376 के तहत कम से कम 7 साल और ज्यादा से ज्यादा उम्रकैद की सजा का प्रावधान किया गया.
रेप में कब फांसी -इसके अलावा आईपीसी की धारा-376 ए के तहत प्रावधान किया गया कि अगर रेप के कारण महिला विजिटेटिव स्टेज (मरने जैसी स्थिति) में चली जाए तो दोषी को अधिकतम फांसी की सजा हो सकती है. साथ ही गैंग रेप के लिए 376 डी के तहत सजा का प्रावधान किया गया, जिसके तहत कम से कम 20 साल और ज्यादा से ज्यादा उम्रभर के लिए जेल का प्रावधान किया गया. साथ ही 376 ई के तहत प्रावधान किया गया कि अगर कोई शख्स रेप के लिए पहले दोषी करार दिया गया हो और वह दोबारा अगर रेप या गैंग रेप के लिए दोषी पाया जाता है तो उसे उम्रकैद से लेकर फांसी तक की सजा होगी.
नाबालिगों से रेप की
बढ़ती घटनाओं पर सख्ती बरतते हुए मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. केंद्रीय कैबिनेट ने शनिवार(२१.०४.२०१८)
को 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से रेप के दोषियों को मौत की
सजा देने को मंजूरी दे दी. इस अध्यादेश की मंजूरी राष्ट्रपति से भी मिल गयी है अर्थात
यह कानून मान्य हो गया और तत्काल प्रभाव से लागू भी हो गया. कैबिनेट ने रेप के
मामलों में तेज जांच और सुनवाई की समयसीमा भी तय कर दी है.
मामले
की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
ने विदेश दौरे से लौटते ही कैबिनेट की बैठक बुला ली. सरकार ने यह फैसला ऐसे समय
में लिया है जब मासूम बच्चियों के साथ दरिंदगी की बढ़ती घटनाओं से देशभर में गुस्सा है.
6 साल से कम उम्र की लड़की से रेप करनेवाले की न्यूनतम
सजा को 10 साल से बढ़ाकर 20 साल किया गया है. दोषी को उम्रकैद भी दी जा सकती है. इतना ही नहीं,
अध्यादेश में यह भी प्रावधान किया गया है कि 12 साल से कम उम्र की लड़की से रेप के दोषी को न्यूनतम 20 साल की जेल या उम्रकैद या मौत की सजा दी जाएगी.
दिल्ली महिला आयोग की
अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने शनिवार को घोषणा की कि वह रविवार को दो बजे अपना अनशन
समाप्त कर देंगी, क्योंकि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शनिवार को एक
अध्यादेश को मंजूरी दी है जिसमें 12 साल से
कम उम्र की बच्चियों से दुष्कर्म के दोषियों को फांसी की सजा का प्रावधान है.
पिछले नौ दिन से यहां राजघाट पर भूख हड़ताल कर रहीं स्वाति ने आज अपने समर्थकों से
कहा, ‘‘ प्रधानमंत्री ने हमारी और देश की मांगें सुनीं. इसलिए
मैंने रविवार दोपहर दो बजे अपना अनशन समाप्त करने का फैसला किया है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मैं इस
अध्यादेश को लाने के लिए प्रधानमंत्री की शुक्रगुजार हूं. मैं देश की जनता को इस
जीत के लिए बधाई देती हूं.’’ उन्होंने
ट्वीट में कहा, ‘‘मैं अध्यादेश पारित होने तक अनशन करती रहूंगी. पुलिस
के संसाधन और जवाबदेही भी बढ़ने चाहिए. वाकई दुख की बात है कि कुछ चैनल झूठी खबर
फैला रहे हैं कि मैंने अनशन तोड़ दिया है. सभी समाचार चैनलों से मेरी अपील है कि
फर्जी खबर नहीं चलाएं. ’’ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार
को स्वाति से अनशन तोड़ने की अपील की थी, लेकिन
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष ने कहा था कि वह अपनी मांगें पूरी नहीं होने तक भूख
हड़ताल जारी रखेंगी. यह भी शायद पहला अवसर है
जब महिला आयोग के अध्यक्षा ने नौ दिन तक का अनशन किया. मीडिया और आम जन के बढ़ते
दबाव में ही सही, सरकार ने एक सही फैसला लिया है. अब इसका पालन भी उसे तरह त्वरित
गति से होना चाहिए. त्वरित न्यायालय बनाये जाने चाहिए जो जल्द फैसला लेकर
बलात्कारी को जल्द से जल्द कठोरतम सजा दे ताकि दुष्कर्म करने से पहले कोई भी हजार
बार सोचे. साथ ही हमारे समाज के अन्दर भी एक स्वस्थ सोच विकसित होनी चाहिए ताकि हम
किसी भी महिला, युवती या बालिका को सम्मान की नजर से देखे. किसी भी महिला के प्रति
कुत्सित विचार ही मन को इस प्रकार के दुष्कर्म करने को प्रेरित करते हैं. विचार
में ही परिवर्तन आवश्यक है जिसके लिए कानून के साथ-साथ नजरिया बदलना चाहिए. महिला
वर्ग को भी शालीन बने रहने का हर संभव प्रयास करना चाहिए. भरकीले पोशाक से बचने की
कोशिश करनी चाहिए. फ़िल्में मनोरंजन का साधन है वहां की अभिनेत्रियों या अभिनेताओं
का अन्धानुकरण सही नहीं हो सकता. महिला वर्ग को खुद अपने आपको सबल और समर्थ बनाने
की जरूरत है. आत्मरक्षार्थ कदम उठाने से परहेज नहीं करनी चाहिए. आज बेटियां किसी
भी हाल में बेटों से कम नहीं है इसलिए उन्हें कम करके आंकने की जरूरत भी नहीं होनी
चाहिए. अंतत: सबका सहयोग जरूरी है तभी अपराध कम होंगे.
- - जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर.