प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में प्रवास के दूसरे दिन(२३ सितम्बर को) तोहफों की बौछार के बीच विपक्ष पर भी जोरदार तंज कसा. प्रधानमंत्री ने पीएम आवास योजना के लाभार्थियों को प्रमाण पत्र वितरित किया. इस दौरान उन्होंने छोटी सी सभा को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि हम सिर्फ वोट बैंक के लिए काम नहीं करते हैं. उन्होंने कहा कि आमतौर पर राजनीति में लोग वही काम करते हैं जिससे वोट बैंक मजवूत हो. हम ऐसे नहीं. इन पशुओं से वोट नहीं मिलना. हमारी योगी सरकार ने इनका भी मेला लगाया. बधाई! हमारे संस्कार अलग हैं. हमारे लिए दल से बड़ा देश है. पशुधन आरोग्य मेले से किसानों को बहुत मदद मिलेगी. अब तक पशुधन के लिए काम नहीं किया गया था. पशुपालन और दूध उत्पादन से नई आर्थिक क्रांति का जन्म होगा. हमारे किसानों को सबसे ज्यादा मदद पशुपालन और दुग्ध उत्पादन के जरिये होती है. दूसरे स्थानों पर भी पशु आरोग्य मेला लगाने की अपील.
2022 में देश की आजादी के 75 वर्ष पूरे होंगे सो आजादी के दीवानों का संकल्प पूरा करने का संकल्प लें और 5 साल में संकल्प सिद्ध करें. 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का संकल्प है. स्वच्छता के साथ सबको घर तो देना ही है.
पीएम ने कहा कि हमने मुश्किल काम का बीड़ा उठाया, मैं मुश्किल काम नहीं करूंगा तो कौन करेंगा. हमें करोड़ों घर बनाने हैं, जिससे रोजगार आएगा. यूरोप के एक देश जितने घर हमें बनाने हैं. पिछली सरकारों ने घर को लेकर कोई काम नहीं किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 2022 आजादी का 75 वां साल होगा. 2022 तक सभी को आवास का संकल्प पूरा करेंगे, पिछली सरकार को लोगों के घरों में रूचि नहीं थी. पीएम ने कहा कि मैं आज शहंशाहपुर में शौचालय की नींव रखने गया था. वहां मैंने देखा कि उन्होंने शौचालय का नाम इज्जतघर दिया. मुझे बहुत अच्छा लगा. जिसे भी अपनी इज्जत की चिंता है, वह जरूर इज्जतघरबनाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि संकल्प लें एक-एक, बेहतर करने का. हमें स्वच्छता की ओर बढ़ना होगा क्योंकि आरोग्य की पहली शर्त यही है. स्वच्छता मेरे लिए पूजा है. मेरा सौभाग्य है कि नवरात्र में मुझे शौचालय की नीव रखने का मौका मिला. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस गांव में एक शौचालय के लिए प्रतीकात्मक गड्ढ़ा भी खोदा.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी सभा को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैश्विक नेता हैं. उन्होंने तो दुनियाभर में देश का सम्मान बढ़ाया. प्रधानमंत्री के मार्ग दर्शन में आवास योजना पर काम चल रहा है. उत्तर प्रदेश में छह महीने में हमने आठ लाख लोगों को घर दिया है. आज यहां 15 हजार लोगों को घर का सर्टिफिकेट दिया जाएगा. गांवों में शौचालय के लिए 12 हजार रुपये दिए जा रहे हैं.
इसके बाद पशु आरोग्य मेले का शुभारंभ किया. शाहंशाहपुर में पशु आरोग्य मेला शुभारंभित करने के बाद प्रधानमंत्री ने वहां पर ऐसी गायों को देखा जो पॉलीथीन के सेवन से गंभीर रूप से बीमार हो गईं थी. इसके बाद इन सभी को ऑपरेशन करने के बाद फिर से स्वस्थ्य किया गया. यहां गंगातीरी नस्ल की 1000 गायों को पशु आरोग्य मेले में लाया गया है. कदरन छोटी काठी की गायें बेहद पौष्टिक दूध देती हैं, मगर इन दिनों यह नस्ल संकट में है. कम से कम इस कार्य की सराहना की जानी चाहिए और दूसरे राज्य सरकारों को भी इससे सीख लेनी चाहिए. असल में गौरक्षा का संकल्प यही होगा.
इससे पहले शुक्रवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र और राज्य की 30 परियोजनाओं में से 17 का लोकार्पण और बाकी का शिलान्यास किया. प्रधानमंत्री ने सबसे पहले बुनकरों के लिए 305 करोड़ की लागत से बने दीनदयाल हस्तकला संकुल ट्रेड सेंटर का लोकार्पण किया. इसके बाद उन्होंने वाराणसी से बड़ोदरा को जोडऩे वाली महामना एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया.
दीनदयाल हस्तकला संकुल के उद्घाटन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभा को भी संबोधित किया. प्रधानमंत्री ने इस दौरान विपक्ष पर हमला किया. उन्होंने कहा कि विपक्ष की सरकारों को विकास से कोई लेना देना नहीं था. उनका मकसद सिर्फ चुनावों के समय तिजोरी के बल पर चुनाव लडऩा था. उनकी तिजोरी में अब सेंध लग चुकी है, नोट्बंदी के दौरान. भाजपा तो बिना एक पैसा खर्च किये(?) चुनाव जीतती ही जा रही है.
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार चाहती है कि पूर्वांचल और पूर्वी भारत देश की अर्थव्यवस्था में पश्चिम भारत जैसी ताकत बने. हम इस दिशा में काम भी कर रहे हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि गरीबों का सपना हमारी सरकार का भी सपना है. हम उनका सशक्तिकरण करने और उन्हें सामर्थ्यवान बनाने में लगे हुए हैं.
उधर छेड़खानी से त्रस्त बीएचयू की छात्राओं का धैर्य गुरुवार देर शाम हुई घटना के बाद जवाब दे गया. शुक्रवार को शहर में पीएम मोदी के आगमन से पूर्व सुबह बड़ी संख्या में आक्रोशित छात्राएं सड़क पर उतर आईं. बीएचयू सिंहद्वार पर उनकी गर्जना से शासन-प्रशासन हिल गया. छात्राओं के आक्रोश-आंदोलन की धमक सिर्फ काशी ही नहीं दिल्ली ने भी महसूस की. छात्राओं को सिंहद्वार से न हटता देख एसपीजी को मौके पर जाना पड़ा. छात्राओं ने करीब 12 घंटे तक सिंहद्वार बंद किए रखा, जिला-पुलिस प्रशासन के हाथ-पांव फूले रहे. त्रिवेणी और महिला महाविद्यालय के हॉस्टलों की छात्राओं ने सुबह से ही आंदोलन शुरू कर दिया. उनकी मांग थी कि कुलपति आकर उन्हें सुरक्षा के प्रति आश्वस्त करें, पर वे नहीं आए. इससे पांच मिनट में ही समाप्त होने वाला आंदोलन सुबह से रात तक चलता रहा. छात्राओं ने प्रशासन पर हास्टलों में कैद करने का भी आरोप लगाया. एसएस अस्पताल आने वाले मरीजों को छात्राओं के आंदोलन से परेशानी झेलनी पड़ी. उन्हें नरिया गेट से होकर अस्पताल आना-जाना करना पड़ा. एंबुलेंस को जाने की छूट थी. पल-पल की अपडेट दिल्ली जा रही थी. छात्राओं द्वारा शाम को पीएम मोदी के काफिले की घोषणा के बाद सभी अधिकारियों के हाथ-पांव फूलने लगे.
गुरुवार की शाम बीएफए द्वितीय वर्ष की एक छात्रा दृश्यकला संकाय से हास्टल की ओर जा रही थी. आरोप है कि इस दौरान भारत कला भवन के पास कुछ शोहदों ने उससे छेड़खानी की और कपड़े उतारने की कोशिश की. इस घटना से सहमी छात्रा ने बचाने की गुहार लगाई. आरोप है कि चंद कदम की दूरी पर बैठे सुरक्षाकर्मियों ने उस पर ध्यान नहीं दिया. छात्रा के जिम्मेदारों से शिकायत करने पर यह कहकर उसे टाल दिया गया कि इतनी शाम को तुम्हें बचकर चलना चाहिए. इसके बाद किसी तरह छात्रा होस्टल पहुंची और अन्य छात्राओं को घटना की जानकारी दी. इसके बाद त्रिवेणी सहित अन्य होस्टलों की छात्राओं में उबाल आ गया. रात में भी कई छात्राएं सड़क पर उतर आई. जिन्हें अधिकारियों ने पीएम के कार्यक्रम का हवाला देते हुए किसी तरह शांत किया लेकिन आए दिन हो रही छेड़खानी से आजिज छात्राओं ने शुक्रवार सुबह छह बजे ही सड़क पर उतर आंदोलन का शंखनाद कर दिया. इसके बाद बड़ी संख्या में छात्राएं सिंहद्वार पर पहुंचकर आंदोलन में शामिल हो गईं. इस दौरान छात्राएं कुलपति को हटाने, सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने, हर होस्टल, चौराहे पर सीसीटीवी लगाने की मांग करती रहीं. और अंतत: प्रशासन ने रात्रि में कर ही दिया लाठीचार्ज ! धन्य हैं योगी सरकार और मोदी जी का बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का नारा!
इसमें कोई दो राय नहीं कि हमारे प्रधान मंत्री श्री मोदी जी इवेंट मैनेजमेंट के मास्टर हैं. अपने हर दौरे/ कार्यक्रम का इस तरह प्रचार-प्रसार करते हैं कि मीडिया कवरेज खूब हो और जहाँ तक संभव हो लाइव प्रसारण भी हो. मंदिरों के दर्शन को भी इस तरह दिखाया जाता है जैसे दर्शन के अन्दर भी कोई अंतर्निहित भावना हो जिसका उद्देश्य जनता/दर्शकों के दिलों पर छा जाना है.
सांकेतिक शिलान्यास और भव्य उद्घाटन! सब कुछ अच्छे दिन की भांति और फिर एक नया संकल्प! संकल्प से सिद्धि! इस बीच जो भी विरोध के स्वर होते हैं उन्हें आसानी से परदे के पीछे कर दिया जाता है. अच्छे परिणाम का श्रेय अगर आप लेते हैं तो बुरे परिणाम की भी जिम्मेदारी का अहसास होना चाहिए. मोदी जी के कार्यकाल में और योगी जी के कार्यकाल में सब कुछ अच्छा ही नहीं हुआ है. कभी उनका भी जिक्र कर लिया करते. पर उन्होंने पीछे मुड़कर देखना सीखा कहाँ है? अभी हाल ही में उनका एक भाषण वायरल हुआ है कि मोदी जी का बुलेट ट्रेन का शिलान्यास का मतलब अपनी शक्ति प्रदर्शन का था ताकि पड़ोसी जल मरे. ऐसे हैं हमारे प्रधान मंत्री और उनके इवेंट मैनेजर! अगर धरातल पर अच्छे परिणाम सामने आते हैं तो अवश्य लोग वाह वाह करेंगे पर जिस तरह से किसानों की ऋण माफी योजना के तहत कुछ किसानों को कुछ रुपये और कुछ पैसे यहाँ तक कि एक पैसे की ऋण माफी का सर्टिफिकेट सामने आया, यह किसानों की बेइज्जती नहीं तो क्या है? भले ही इसमें ऑफिसर की लापरवाही रही हो, पर दिखाया ही क्यों गया? क्या इससे सरकार की साख को धब्बा नही लगता है? दुःख की बात यही है कि अभी विपक्ष और मीडीया भी हमलावर नहीं है. जो भी आवाज उठाने की कोशिश करता है उसे दबा दिया जाता है या कुचल दिया जाता है. क्या एक लोकतान्त्रिक देश में सक्रिय विपक्ष और मीडिया की आवश्यकता नहीं है?
- जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर.
2022 में देश की आजादी के 75 वर्ष पूरे होंगे सो आजादी के दीवानों का संकल्प पूरा करने का संकल्प लें और 5 साल में संकल्प सिद्ध करें. 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का संकल्प है. स्वच्छता के साथ सबको घर तो देना ही है.
पीएम ने कहा कि हमने मुश्किल काम का बीड़ा उठाया, मैं मुश्किल काम नहीं करूंगा तो कौन करेंगा. हमें करोड़ों घर बनाने हैं, जिससे रोजगार आएगा. यूरोप के एक देश जितने घर हमें बनाने हैं. पिछली सरकारों ने घर को लेकर कोई काम नहीं किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 2022 आजादी का 75 वां साल होगा. 2022 तक सभी को आवास का संकल्प पूरा करेंगे, पिछली सरकार को लोगों के घरों में रूचि नहीं थी. पीएम ने कहा कि मैं आज शहंशाहपुर में शौचालय की नींव रखने गया था. वहां मैंने देखा कि उन्होंने शौचालय का नाम इज्जतघर दिया. मुझे बहुत अच्छा लगा. जिसे भी अपनी इज्जत की चिंता है, वह जरूर इज्जतघरबनाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि संकल्प लें एक-एक, बेहतर करने का. हमें स्वच्छता की ओर बढ़ना होगा क्योंकि आरोग्य की पहली शर्त यही है. स्वच्छता मेरे लिए पूजा है. मेरा सौभाग्य है कि नवरात्र में मुझे शौचालय की नीव रखने का मौका मिला. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस गांव में एक शौचालय के लिए प्रतीकात्मक गड्ढ़ा भी खोदा.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी सभा को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैश्विक नेता हैं. उन्होंने तो दुनियाभर में देश का सम्मान बढ़ाया. प्रधानमंत्री के मार्ग दर्शन में आवास योजना पर काम चल रहा है. उत्तर प्रदेश में छह महीने में हमने आठ लाख लोगों को घर दिया है. आज यहां 15 हजार लोगों को घर का सर्टिफिकेट दिया जाएगा. गांवों में शौचालय के लिए 12 हजार रुपये दिए जा रहे हैं.
इसके बाद पशु आरोग्य मेले का शुभारंभ किया. शाहंशाहपुर में पशु आरोग्य मेला शुभारंभित करने के बाद प्रधानमंत्री ने वहां पर ऐसी गायों को देखा जो पॉलीथीन के सेवन से गंभीर रूप से बीमार हो गईं थी. इसके बाद इन सभी को ऑपरेशन करने के बाद फिर से स्वस्थ्य किया गया. यहां गंगातीरी नस्ल की 1000 गायों को पशु आरोग्य मेले में लाया गया है. कदरन छोटी काठी की गायें बेहद पौष्टिक दूध देती हैं, मगर इन दिनों यह नस्ल संकट में है. कम से कम इस कार्य की सराहना की जानी चाहिए और दूसरे राज्य सरकारों को भी इससे सीख लेनी चाहिए. असल में गौरक्षा का संकल्प यही होगा.
इससे पहले शुक्रवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र और राज्य की 30 परियोजनाओं में से 17 का लोकार्पण और बाकी का शिलान्यास किया. प्रधानमंत्री ने सबसे पहले बुनकरों के लिए 305 करोड़ की लागत से बने दीनदयाल हस्तकला संकुल ट्रेड सेंटर का लोकार्पण किया. इसके बाद उन्होंने वाराणसी से बड़ोदरा को जोडऩे वाली महामना एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया.
दीनदयाल हस्तकला संकुल के उद्घाटन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभा को भी संबोधित किया. प्रधानमंत्री ने इस दौरान विपक्ष पर हमला किया. उन्होंने कहा कि विपक्ष की सरकारों को विकास से कोई लेना देना नहीं था. उनका मकसद सिर्फ चुनावों के समय तिजोरी के बल पर चुनाव लडऩा था. उनकी तिजोरी में अब सेंध लग चुकी है, नोट्बंदी के दौरान. भाजपा तो बिना एक पैसा खर्च किये(?) चुनाव जीतती ही जा रही है.
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार चाहती है कि पूर्वांचल और पूर्वी भारत देश की अर्थव्यवस्था में पश्चिम भारत जैसी ताकत बने. हम इस दिशा में काम भी कर रहे हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि गरीबों का सपना हमारी सरकार का भी सपना है. हम उनका सशक्तिकरण करने और उन्हें सामर्थ्यवान बनाने में लगे हुए हैं.
उधर छेड़खानी से त्रस्त बीएचयू की छात्राओं का धैर्य गुरुवार देर शाम हुई घटना के बाद जवाब दे गया. शुक्रवार को शहर में पीएम मोदी के आगमन से पूर्व सुबह बड़ी संख्या में आक्रोशित छात्राएं सड़क पर उतर आईं. बीएचयू सिंहद्वार पर उनकी गर्जना से शासन-प्रशासन हिल गया. छात्राओं के आक्रोश-आंदोलन की धमक सिर्फ काशी ही नहीं दिल्ली ने भी महसूस की. छात्राओं को सिंहद्वार से न हटता देख एसपीजी को मौके पर जाना पड़ा. छात्राओं ने करीब 12 घंटे तक सिंहद्वार बंद किए रखा, जिला-पुलिस प्रशासन के हाथ-पांव फूले रहे. त्रिवेणी और महिला महाविद्यालय के हॉस्टलों की छात्राओं ने सुबह से ही आंदोलन शुरू कर दिया. उनकी मांग थी कि कुलपति आकर उन्हें सुरक्षा के प्रति आश्वस्त करें, पर वे नहीं आए. इससे पांच मिनट में ही समाप्त होने वाला आंदोलन सुबह से रात तक चलता रहा. छात्राओं ने प्रशासन पर हास्टलों में कैद करने का भी आरोप लगाया. एसएस अस्पताल आने वाले मरीजों को छात्राओं के आंदोलन से परेशानी झेलनी पड़ी. उन्हें नरिया गेट से होकर अस्पताल आना-जाना करना पड़ा. एंबुलेंस को जाने की छूट थी. पल-पल की अपडेट दिल्ली जा रही थी. छात्राओं द्वारा शाम को पीएम मोदी के काफिले की घोषणा के बाद सभी अधिकारियों के हाथ-पांव फूलने लगे.
गुरुवार की शाम बीएफए द्वितीय वर्ष की एक छात्रा दृश्यकला संकाय से हास्टल की ओर जा रही थी. आरोप है कि इस दौरान भारत कला भवन के पास कुछ शोहदों ने उससे छेड़खानी की और कपड़े उतारने की कोशिश की. इस घटना से सहमी छात्रा ने बचाने की गुहार लगाई. आरोप है कि चंद कदम की दूरी पर बैठे सुरक्षाकर्मियों ने उस पर ध्यान नहीं दिया. छात्रा के जिम्मेदारों से शिकायत करने पर यह कहकर उसे टाल दिया गया कि इतनी शाम को तुम्हें बचकर चलना चाहिए. इसके बाद किसी तरह छात्रा होस्टल पहुंची और अन्य छात्राओं को घटना की जानकारी दी. इसके बाद त्रिवेणी सहित अन्य होस्टलों की छात्राओं में उबाल आ गया. रात में भी कई छात्राएं सड़क पर उतर आई. जिन्हें अधिकारियों ने पीएम के कार्यक्रम का हवाला देते हुए किसी तरह शांत किया लेकिन आए दिन हो रही छेड़खानी से आजिज छात्राओं ने शुक्रवार सुबह छह बजे ही सड़क पर उतर आंदोलन का शंखनाद कर दिया. इसके बाद बड़ी संख्या में छात्राएं सिंहद्वार पर पहुंचकर आंदोलन में शामिल हो गईं. इस दौरान छात्राएं कुलपति को हटाने, सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने, हर होस्टल, चौराहे पर सीसीटीवी लगाने की मांग करती रहीं. और अंतत: प्रशासन ने रात्रि में कर ही दिया लाठीचार्ज ! धन्य हैं योगी सरकार और मोदी जी का बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का नारा!
इसमें कोई दो राय नहीं कि हमारे प्रधान मंत्री श्री मोदी जी इवेंट मैनेजमेंट के मास्टर हैं. अपने हर दौरे/ कार्यक्रम का इस तरह प्रचार-प्रसार करते हैं कि मीडिया कवरेज खूब हो और जहाँ तक संभव हो लाइव प्रसारण भी हो. मंदिरों के दर्शन को भी इस तरह दिखाया जाता है जैसे दर्शन के अन्दर भी कोई अंतर्निहित भावना हो जिसका उद्देश्य जनता/दर्शकों के दिलों पर छा जाना है.
सांकेतिक शिलान्यास और भव्य उद्घाटन! सब कुछ अच्छे दिन की भांति और फिर एक नया संकल्प! संकल्प से सिद्धि! इस बीच जो भी विरोध के स्वर होते हैं उन्हें आसानी से परदे के पीछे कर दिया जाता है. अच्छे परिणाम का श्रेय अगर आप लेते हैं तो बुरे परिणाम की भी जिम्मेदारी का अहसास होना चाहिए. मोदी जी के कार्यकाल में और योगी जी के कार्यकाल में सब कुछ अच्छा ही नहीं हुआ है. कभी उनका भी जिक्र कर लिया करते. पर उन्होंने पीछे मुड़कर देखना सीखा कहाँ है? अभी हाल ही में उनका एक भाषण वायरल हुआ है कि मोदी जी का बुलेट ट्रेन का शिलान्यास का मतलब अपनी शक्ति प्रदर्शन का था ताकि पड़ोसी जल मरे. ऐसे हैं हमारे प्रधान मंत्री और उनके इवेंट मैनेजर! अगर धरातल पर अच्छे परिणाम सामने आते हैं तो अवश्य लोग वाह वाह करेंगे पर जिस तरह से किसानों की ऋण माफी योजना के तहत कुछ किसानों को कुछ रुपये और कुछ पैसे यहाँ तक कि एक पैसे की ऋण माफी का सर्टिफिकेट सामने आया, यह किसानों की बेइज्जती नहीं तो क्या है? भले ही इसमें ऑफिसर की लापरवाही रही हो, पर दिखाया ही क्यों गया? क्या इससे सरकार की साख को धब्बा नही लगता है? दुःख की बात यही है कि अभी विपक्ष और मीडीया भी हमलावर नहीं है. जो भी आवाज उठाने की कोशिश करता है उसे दबा दिया जाता है या कुचल दिया जाता है. क्या एक लोकतान्त्रिक देश में सक्रिय विपक्ष और मीडिया की आवश्यकता नहीं है?
- जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर.
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