Saturday, 25 June 2016

शहरों में है गरीबी को पचाने की क्षमता

शहरों में है गरीबी को पचाने की क्षमता
शहरों में गरीबी को पचाने की क्षमता है - मोदी ... (स्मार्ट शहर और भी स्मार्टली पचा सकेंगे गरीबों को) इस वाक्य में जरा सी भी अतिशयोक्ति नहीं है क्योकि यह प्रारंभ से ही जानी-मानी बात है कि अनाज, सब्जी, फल आदि कृषि उत्पाद उपजते तो गाँव के खेतों में हैं, पर बिकते हैं शहरों में गाँव के किसान भी शहरों से अपने घर के लिए जरूरत के सामान खरीद कर लाते हैं शहरो में काम करने वाले हर प्रकार के लोग हैं, जिनका कहीं-न-कहीं या कभी-न-कभी गांव से सम्बन्ध रहा है इतना जरूर है कि शहरों में सम्पन्नता दीखती है तो आज भी बहुत सारे गांव विपन्न हैं कुछ गांव समय के साथ बदले जरूर हैं सड़कों से जुड़ने के बाद और बिजली की पहुँच के बाद गांवों की जीवन-शैली में भी बदलाव आया है और परिवर्तन ही तो प्रगति का परिचायक है अब अधिकांश गांवों में काफी दोपहिया वाहन और इक्के-दुक्के चौपहिया वाहन भी देखे जा रहे हैं हरेक घरों में टी वी और हर हाथ में मोबाइल देखे जा रहे हैं। नौजवान शिक्षा के प्रति जागरूक हैं, वे गांव से शहर की और रुख कर रहे हैं ताकि वे तरक्की कर सकें। उन्हें गलत आदतों से छुटकारा पाना होगा। जी जान से कड़ी  मिहनत करनी होगी। शॉर्टकट नहीं, सही और सच्चे रास्ते का चुनाव करना होगा।

प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार(२५.०६.१६) को पुणे में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स को लॉन्च किया। उन्होंने कहा कि अर्बनाइजेशन को बड़ा संकट माना गया है, लेकिन मेरा सोचना अलग है। शहरों में गरीबी को पचाने की ताकत होती है। हमें इसमें अवसर की तलाश करनी चाहिए। पीएम ने इसे बहुत बड़ा आंदोलन बताया। बता दें कि 'स्मार्ट सिटी चैलेंज कॉम्पिटीशन' के पहले फेज के लिए चुने गए 20 शहरों में ये प्रोजेक्ट्स शुरू होंगे। इनमें 48 हजार करोड़ का इन्वेस्टमेंट होगा। मोदी ने कहा- "हमारे देश में ऐसा तो नहीं है कि पहले कोई काम नहीं होता था। ऐसा भी नहीं है कि सरकारें बजट खर्च नहीं करती थीं। इसके बावजूद भी दुनिया के कई देश हमारे बाद आजाद हुए। बहुत ही कंगाल थे। लेकिन वह आर्थिक बदहाली से बाहर आए।"  क्या वजह है कि कम समय में दुनिया के कई देश हमसे आगे निकल गए। लेकिन हम ऐसा नहीं कर पाए। आने वाले दिनों में एक बड़े बदलाव का काम होने वाला है। हमें यह काम जनभागीदारी से शुरू करना होगा। अगर एक बार देश के सवा सौ करोड़ लोग अपनी ताकत को झोंक दें, तो किसी भी सरकार की जरूरत नहीं होगी। अर्बनाइजेशन कोई प्रॉब्लम नहीं है. सभी के मन में अपने शहर को नंबर वन बनाने की इच्छा है। अर्बनाइजेशन को बड़ा संकट माना गया है, लेकिन मेरा सोचना अलग है। हमें इसे मौके के तौर पर समझना चाहिए। अवसरों को तलाशना जरूरी है। गरीबी पचाने की सबसे बड़ी ताकत शहरों में होती है। जहां ज्यादा गरीबी होती है, वहां से लोग निकलकर शहर पहुंचते हैं। उन्हें शहर में काम मिलने की उम्मीद होती है। अरबन डेवलपमेंट मिनिस्टर वेंकैया नायडू ने कहा- MODI का मतलब- मेकिंग ऑफ़ डेवलपिंग इंडिया . (मोदी जी अक्सर शब्दों के मतलब उसे तोड़ कर बताते हैं, इस बार वेंकैया नायडू ने उनके नाम का मतलब बताया। -अच्छा लगा होगा मोदी जी को भी)
“देश की कई बेहतरीन योजनाओं की शुरुआत पुणे से हुई है। इसलिए हमने इसके लिए पुणे को सिलेक्ट किया।  तिलक के स्वराज से लेकर, तुकाराम, महात्मा फुले तक कई आंदोलन यहीं से हुए।"  यह अरबन डेवलपमेंट का ऐतिहासिक दिन है। यह प्रोजेक्ट भी यहां से शुरू हो रहा है।"
इस मौके पर मोदी ने मेक योर सिटी कॉन्टेस्ट भी लॉन्च किया। यहां स्मार्ट सिटी पर बनी शार्ट फिल्म दिखाई गई।  इसका शहर के 40 स्पॉट्स पर लाइव टेलिकास्ट का अरेंजमेंट किया गया था। मोदी ने स्मार्ट नेट पोर्टल भी लॉन्च किया। 'मेक योर सिटी स्मार्ट' का मकसद सड़कों, जंक्शन और पार्कों की डिजाइन तय करने में नागरिकों को शामिल करना है। आम लोगों की सुझाई गई डिजाइन उनकी स्मार्ट सिटी में शामिल की जाएंगी। कॉम्पिटीशन जीतने वालों को 10,000 से 1,00,000 रुपए तक के अवॉर्ड दिए जाएंगे।
इन फैसिलिटीज से लैस होंगी स्मार्ट सिटी
* वर्ल्‍ड क्‍लास ट्रांसपोर्ट सिस्टम * 24 घंटे बिजली-पानी की सप्लाई * सरकारी कामों के लिए सिंगल विंडो सिस्टम * एक जगह से दूसरे जगह तक 45 मिनट में जाने की व्यवस्था *स्मार्ट एजुकेशन * एन्वायरन्मेंट फ्रैंडली * बेहतर सिक्युरिटी और एंटरटेनमेंट की फैसिलिटीज।
 स्मार्ट सिटी बनाने के लिए सबसे पहले मोदी सरकार के पहले बजट में घोषणा की गई थी।
 बजट में 7060 करोड़ रुपए का फंड भी अलॉट किया गया था।

स्‍मार्ट सिटी मिशन को शुरू हुए एक साल पूरा होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को पुणे के स्‍मार्ट सिटी के तहत 14 प्रोजेक्‍ट्स को लॉन्‍च किया। इतना ही नहीं उन्‍होंने यहां से वीडिया कॉन्‍फ्रेंसिंग के जरिये अन्‍य शहरों के 69 प्रोजेक्‍ट्स को भी लॉन्‍च किया। इन प्रोजेक्‍ट्स में संयुक्‍त रूप से कुल 1770 करोड़ रुपए का निवेश किया जा रहा है। 'स्मार्ट सिटी चैलेंज कॉम्पिटीशन' के पहले फेज के लिए चुने गए 20 शहरों में ये प्रोजेक्ट्स शुरू हो जाएंगे। इनमें 48 हजार करोड़ का इन्वेस्टमेंट होगा। मोदी के आने से पहले यहां कांग्रेस वर्कर्स ने विरोध-प्रदर्शन किया। 
 इसी प्रोग्राम में मोदी ने मेक योर सिटी कॉन्स्टेंट लॉन्च किया। यहां स्मार्ट सिटी पर बनी शार्ट फिल्म दिखाई। इस कार्यक्रम का शहर के 40 स्पॉट्स पर लाइव टेलिकास्ट हो रहा है।
स्मार्ट नेट पोर्टल भी पीएम मोदी ने किया लांच। प्रोग्राम में अर्बन डेवलपमेंट मिनिस्टर एम. वैंकेया नायडू, महाराष्ट्र के गवर्नर विद्यासागर राव और सीएम देवेंद्र फड़णवीस भी मौजूद रहे। 
हले चरण में ये शहर बनेंगे स्मार्ट सिटी
1. भुवनेश्वर 2. पुणे 3. जयपुर 4. सूरत 5. कोच्चि 6. अहमदाबाद 7. जबलपुर 8. विशाखापत्तनम 9. सोलापुर 10. डावंगेरे 11. इंदौर 12. न्यू दिल्ली 13. कोयम्बटूर 14. ककिनाडा 15. बेलगाम 16. उदयपुर 17. गुवाहाटी
18.
चेन्नई 19. लुधियाना 20. भोपाल

इसी कार्यक्रम के दौरान श्री मोदी वैशाली नामकी ६ साल छोटी बच्ची वैशाली से मिले जिसके हार्ट में छेद था और उसके इलाज के लिए उसके पिता और परिवार के पास पैसे नहीं थे उसने अपनी इलाज के लिए श्री मोदी को चिट्ठी लिखी थी श्री मोदी ने उसका इलाज पुणे के अस्पताल में सरकारी खर्च से करवाया. ठीक हो जाने के बाद वैशाली ने उन्हें थैंक यु लिखा था और उनसे मिलाने की ईच्छा जाहिर की थी मोदी ने उसे निराश नहीं किया और पुणे के कार्यक्रम में उससे मिले उसे चोकोलेट्स के साथ ढेर सारा आशीर्वाद भी दिया इसके अलावा मोदी जी उस रिटायर्ड शिक्षक चंद्रकांत कुलकर्णी से मिले जिन्होंने अपने १६००० प्रति माह मिलने वाले पेंशन के लगभग एक तिहाई (५००० रुपये प्रति माह) स्वच्छता अभियान के लिए दान में दे दिए इसके अलावा श्री मोदी पुणे इंजीनियरिंग कॉलेज के उन छात्रों से भी मिले जिन्होंने हाल ही में सेटेलाईट बनाई जिसे ISRO ने अभी हाल ही में २२ जून को लांच किया था एक और सेटेलाईट मद्रास इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों ने भी बनाया था, उसकी भी चर्चा मोदी जी ने २६ जून को अपने मन की बात में की
यह सब मोदी जी के मानवीय पहलू को दर्शाता है हमें ऐसे प्रधान  मंत्री पर गर्व होना ही चाहिए वह बात अलग है कि NSG की सदस्यता से वंचित करने में हमारे चिर विरोधी चीन ने ही गैर-जिम्मेदराना भूमिका निभायी खैर यह सब अन्तराष्ट्रीय कूटनीति का मामला है जिसके लिए लगातार प्रयास करते रहने की जरूरत है पर जम्मू कश्मीर आतंकी हमले और हमरे जवान लगातार शहीद हो रहे हैं उनपर सीधी कार्रवाई की जरूरत है आखिर कब तक हमारे जवान मारे जाते रहेंगे और हम अहिंसा के पुजारी बने रहेंगे। सुना है मोदी जी अपने मंत्रियों से उनके कार्यकलापों के बारे में पूछताछ करनेवाले हैं. यह भी अच्छी बात है, एकाउंटेबिलिटी जरूरी है हर एक के लिए।
इधर अच्छी बात यह है कि मॉनसून देश के हर भाग में अपनी पहुँच बना रहा है। अच्छी बारिश हुई तो हमारा उत्पाद बढ़ेगा, आर्थिक गति बढ़ेगी, चाहे इंगलैंड और ब्रिटेन अपना जो भी निर्णय लेता रहे। हम अपना विकास, सबके साथ मिलकर करते रहेंगे। चुनाव के समय बहुत सी बातें होती हैं, होती रहेंगी। पर देश और देश की जनता सर्वोपरि है। वही किसी को सिंहासन और ताज सौंपती है तो ताज वापस भी ले लेती है। यही तो है लोकतंत्र की ताकत!  जयहिंद! जय भारत!


- जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर 

Saturday, 18 June 2016

एयर फोर्स में फाइटर प्लेन उड़ानेवाली महिलाएं !

१८.०६.२०१६ का दिन भारतीय महिलाओं के लिए ख़ास है। भारतीय वायुसेना को पहली बार तीन ऐसी महिला अफ़सर मिलीं हैं, जो बाद में जाकर फाइटर पायलट बनेंगी। फ्लाइंग कैडेट भावना कंठ, मोहना सिंह और अवनी चतुर्वेदी को हैदराबाद के पास वायुसेना एकेडमी में कमीशन दिया गया है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर तीनों को फ़ाइटर पायलट की ट्रेनिंग का एलान किया गया था।  इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट ये तीनों युवा महिलाएं अपनी शुरुआती ट्रेनिंग पूरी कर चुकी हैं। अब इनकी एक साल की एडवांस ट्रेनिंग कर्नाटक के बीदर में होगी।
क्या कहती हैं तीनों ऑफिसर्स...
भावना कहती हैं कि मेरा बचपन का सपना था कि मैं लड़ाकू विमान की पायलट बनूं। जहां चाह होती है, वहां राह होती है। महिला और पुरुष में कोई अंतर नहीं होता है। दोनों में एक ही तरह की हुनर, क्षमता क्षमता होती है कोई भी खास अंतर नहीं होता है। मोहना कहती हैं कि मैं तो ट्रांसपोर्ट विमान उड़ाना चाहती थी लेकिन मेरे प्रशिक्षक ने मुझे लड़ाकू विमान के लिये प्रेरित किया। लड़ाकू विमानों का करतब और उनकी तेजी की वजह से मैं यहां पर हूं।
अवनी का कहना है कि हर किसी का सपना होता है कि वो उड़ान भरें। अगर आप आसमान की ओर देखते हैं तो पंछी की तरह उड़ने का मन करता है। आवाज की स्पीड में उड़ना एक सपना होता है और अगर ये मौका मिलता है तो एक सपना पूरे होने के सरीखा है।
फ्लाइंग कैडेट्स भावना कांत, अवनी चतुर्वेदी और मोहना सिंह ने शनिवार को इंडियन एयरफोर्स में इतिहास रच दिया। एयरफोर्स में कमीशन मिलने के साथ ये ऐसी पहली वुमन पायलट्स बन गई हैं, जो फाइटर जेट्स उड़ाएंगी। शनिवार सुबह हैदराबाद के हकीमपेट में इनकी पासिंग आउट परेड हुई। डिफेंस मिनिस्टर मनोहर पर्रिकर इस मौके पर मौजूद थे। एयरफोर्स चीफ कह चुके हैं- नहीं बरती जाएगी कोई रियायत...
एयरफोर्स चीफ अरूप साहा पहले ही कह चुके हैं कि इन पायलट्स को महिला होने की कोई रियायत नहीं मिलेगी। उन्हें फोर्स की जरूरत के हिसाब से तैनात किया जाएगा। 2017 में वे पूरी तरह से फाइटर पायलट बन जाएंगी। इनकी एक साल की एडवांस ट्रेनिंग कर्नाटक के बीदर में होगी। तीनों पायलट्स की फ्लाइंग ट्रेनिंग हैदराबाद एयरफोर्स एकेडमी में हुई थी।
ट्रेनिंग में उन्होंने उड़ान के दौरान आने वाली हर मुश्किलों का सामना करना सीख लिया है।
ट्रेनिंग के एक्सपीरियंस, तीन पायलट्स की जुबानी
1. अवनि चतुर्वेदी- दूसरी उड़ान के कुछ देर पहले कैंसल करना पड़ा था टेकऑफ
अवनि ने कहा था, ''दूसरी सोलो फ्लाइंग के कुछ मिनट पहले ही मुझे टेकऑफ कैंसल करना पड़ा था। फर्स्ट मार्कर के पास जैसे ही टेकऑफ के लिए रोलिंग शुरू की, मैंने कैनोपी वॉर्निंग सुनी।''  उन्होंने कहा कि शुरुआत में वॉर्निंग उन्हें कन्फ्यूज्ड कर देती थी। पर अब ऐसा नहीं होता। उनका कहना है, ''पायलट को एक सेकंड से भी कम वक्त में फैसला लेना होता है कि कहीं मैंने टेकऑफ में एबोर्टिंग डिले तो नहीं कर दिया या ओपन कैनोपी में एयर तो नहीं आ गई। ये तबाही का कारण बन सकता है।''
2. भावना ने कहा- मैं सोचने लगी, अगर एयरक्राफ्ट ने रिस्पांड नहीं किया तो
20 हजार फीट पर पहली सोलो स्पिन फ्लाइंग पर जाने से पहले भावना कांत के दिमाग में भी कई विचार आए थे। उन्होंने कहा, ''मैं डाउट करने लगी कि कहीं एयरक्राफ्ट ने रिस्पॉन्ड नहीं किया तो क्या होगा?''  ''हालांकि, मैं स्पिन के लिए गई और बतौर पायलट उसे पूरा किया। रिकवरी एक्शन ड्रिल ने हमें उबारा। जैसे ही एयरक्राफ्ट स्पिन से रिकवर हुई, वैसे ही मेरा कॉन्फिडेंस भी रिकवर हुआ।''
3. मोहना सिंहः पहली ही फ्लाइंग में हुआ था खराब मौसम से सामना
फ्लाइंग कैडेट मोहना सिंह को पहली ही फ्लाइंग में खराब मौसम से जूझना पड़ा था।
 ''पहली नाइट फ्लाइंग में आसमान में तारों और जमीन पर लाइट के बीच अंतर नहीं कर पा रही थी।''  ''इसके कारण उतनी ऊंचाई पर एयरक्राफ्ट मेंटेन करना मुश्किल हो गया था।''
 ''इस दौरान मैंने सीखा कि अपने सिर को बिना वजह मूव न करो और फिर मैंने कंट्रोल पूरा कर फ्लाइट को रिकवर किया।''
कौन हैं ये तीनों पायलट?
अवनि मध्य प्रदेश के रीवा से हैं। उनके पिता एग्जीक्यूटिव इंजीनियर और भाई आर्मी में हैं।
भावना बिहार के बेगूसराय की रहने वाली हैं। उसके पिता इंडियन आयल कारपोरेशन में हैं।   
मोहना गुजरात के वडोदरा की हैं। उनके पिता एयरफोर्स में वारंट अफसर हैं।
तीनों फोर्स में महिलाओं की क्या है स्थिति?
1. एयरफोर्स
महिलाओं की हिस्सेदारी 8.5 फीसदी है, जो तीनों फोर्स में सबसे ज्यादा है।
एयरफोर्स में वुमन पायलट्स ने अब तक ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट और हेलिकॉप्टर ही उड़ाए हैं। फोर्स की सात विंग में महिलाएं काम करती हैं- एडमिनिस्ट्रेशन, लॉजिस्टिक्स, मीट्रियोलॉजी, नेविगेशन, एजुकेशन, एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग और अकाउंट्स।
एयरफोर्स में कुल 1500 महिलाएं हैं। इनमें से 94 पायलट हैं, जबकि 14 नेविगेटर हैं।
2. नेवी  महिलाओं की हिस्सेदारी 2.8 फीसदी है। अभी नौसेना में भी महिला अफसरों को वॉरशिप पर जाने की इजाजत नहीं है।
3. आर्मी महिलाओं की हिस्सेदारी 3 फीसदी है। आर्मी में भी बॉर्डर पर जंग जैसे हालात में महिलाओं को भेजने की इजाजत नहीं है। आर्मी में ज्यादातर महिलाएं एडमिनिस्ट्रेटिव, मेडिकल और एजुकेशनल विंग में काम करती हैं।

इसमें कोई दो राय नहीं कि हमारे देश की महिलाएं पुरुषों से किसी भी मामले में कम नहीं हैं हमारे देश में महिलाएं राष्ट्रपति, राज्यपाल, लोकसभा अध्यक्ष और मुख्य मंत्री भी बन चुकी हैं आईएएस, आईपीएस अधिकारियों में दिन प्रतिदिन वृद्धि हो रही है. अधिकांश महिलाएं अपने अपने क्षेत्रों में आश्चर्यजनक रूप से सफलता की सीढियां चढ़कर अच्छे परिणाम सामने आये हैं पहली महिला आईपीएस अधिकारी किरण बेदी से हम सभी परिचित हैं और भी कई महिला आईपीएस अधिकारी अभी हाल ही में लेडी सिंघम का रूप भी अपना चुकी हैं
दिनांक 21-05-2016 को समय 11:00 बजे श्रीमती अपर्णा कुमार आईपीएस (उ.प्र. कैडर) पुलिस उपमहानिरीक्षक तकनीकी सेवाएं, उ.प्र. द्वारा विश्व की सबसे ऊॅची पर्वत चोटी माउण्ट एवरेस्ट पर फतह हासिल कर भारत एवं उ.प्र. पुलिस का ध्वज फहराया। श्रीमती अपर्णा कुमार अखिल भारतीय सेवा के पुरूष एवं महिलाओ में देश की पहली महिला हैं, जिन्होंने यह कीर्तिमान स्थापित किया है।
उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले की महिला कलेक्टर किंजल सिंह की भी अजीब दास्तान है उनके सामने ही आज से तीस साल पहले उनके पिता की हटी कर दी गयी थी तभी से वह अपनी पिता के हत्यारों को सजा दिलाने के साथ महिला अधिकारी बनने में भी कामयाब हुईं हाल ही में उन्होंने एक बुजुर्ग महिला से सब्जी खरीदी और उसपर ऐसी द्रवित हुई कि उसी दिन उसकी कायाकल्प को चमत्कारी रूप से बदल दीं
मध्‍य प्रदेश के सिंगरौली में एक महिला अधिकारी का 'लेडी सिंघम' अवतार सामने आया है। इन्‍होंने फर्जीवाड़े के आरोप में एक पंचायत सचिव को सरेआम सजा देते हुए उठक-बैठक कराई। इस महिला अधिकारी का नाम निधि निवेदिता है, जो जिला पंचायत सीईओ हैं।
उदाहरण बहुत सारे हैं, पर दुःख की बात यही है कि विधाता ने उन्हें शारीरिक रूप से और भावनात्मक रूप से कमजोर बनाया है अक्सर वे या तो शारीरिक या मानसिक रूप से सताई जाती रही हैं अगर सुन्दर हुईं तो भी, असुंदर हुईं तब भी वे प्रताड़ित होती रहती हैं प्रतिदिन अखबारों में जो ख़बरें आती रहती हैं, वह विचलित कर देने वाली होती हैं क्या पुरुष समाज क्या उन्हें बराबरी का मौका नही देना चाहता आखिर महिलाओं को ही अपनी लड़ाई स्वयं लड़कर जीतनी होगी ऐसा मेरा मानना है शौम्य, सुशील, शालीन के साथ बलिष्ठ भी बनना होगा पुरुषों की चुनौती से मुकाबले के लिए हमेशा तैयार रहना होगा पुरुष समाज को भी अपनी सोच में क्रांतिकारी परिवर्तन लाना होगा महिला शक्ति को नमन! जयहिंद!

-    जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर