Saturday, 12 March 2016

आर्ट ऑफ़ लिविंग

श्री श्री रविशंकर की आर्ट ऑफ़ लिविंग संस्था का ‘वर्ल्ड कल्चरल फेस्टिवल’ नाम से शुरू हुआ दिल्ली के यमुना तीर पर कार्यक्रम जितना विवादों में रहा उतनी ही भव्यता से इसकी  शुरुआत भी हुई. इंद्रदेव की हल्की फुहार ने वातावरण में ठंढक पैदा कर दी और यमुना के तीर पर सुरम्य वातावरण बन गया. अनगिनत वाद्य यंत्रों के साथ लगभग १०५० कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया. इस आयोजन में दुनिया भर के १५५ देशों के प्रतिनिधि आए हैं. इससे भारत के आध्यात्म और संस्कृति का प्रदर्शन ही हुआ है. विदेशी से मेहमानों के आने से हमारी सरकार को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आर्थिक मदद भी मिली है. योग के कार्यक्रम से भी यह बड़ा और भव्य कार्यक्रम है, ऐसा परिलक्षित होता है. और श्री श्री का रुतवा दक्षिण के बंगलोर से अब दिल्ली तक दस्तक दे चुका है. बाबा रामदेव हो सकता है इस भव्यता को आश्चर्यजनक आँखों से देख रहे हों. पर उनका अपना अलग साम्राज्य है श्री श्री का अलग. श्री श्री रामदेव पर भारी साबित हुए हैं. प्रधान मंत्री के साथ भाजपा के अधिकांश मंत्री और आडवाणी सहित अनेक नेता इसमें शामिल होकर इसकी गरिमा को और भी ज्यादा बढ़ाया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को इस पर जोर दिया कि आज की दुनिया में 'सॉफ्ट पॉवर’ महत्वपूर्ण हैं और श्री श्री रविशंकर अपने ऑर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के माध्यम से यही संदेश फैला रहे हैं. मोदी तीन दिवसीय विश्व संस्कृति कार्यक्रम में बोल रहे थे. मोदी ने दिल्ली में यमुना के खादर क्षेत्र में आयोजित विश्व संस्कृति कार्यक्रम का उद्घाटन किया और अपने संबोधन में कहा कि जब हम जीवन में समस्याओं से जूझते हैं तो हमें आर्ट ऑफ लिविंग की जरूरत पड़ती है. हम किसी एक मुद्दे को लेकर अपने आप से बाहर निकल कर एकजुट होते हैं तो हमें आर्ट ऑफ लिविंग की जरूरत पड़ती है. भारत के पास वह सांस्‍कृतिक विरासत है जिसकी दुनिया को तलाश है. भारत विविधताओं से भरा हुआ है. भारत के पास विश्‍व को देने के लिए बहुत कुछ है. दुनिया केवल आर्थिक मुद्दों पर नहीं जुड़ सकती. हम दुनिया की उन आवश्‍यकताओं को किसी न किसी रूप में पूरा करते रहेंगे. हमें अपनी संस्‍कृति पर अभिमान होना चाहिए लेकिन अगर हम अपनी ही परंपरा और संस्‍कृति की बुराई करते रहेंगे तो बाकी क्‍या करेंगे. खुद को कोसते रहने का मतलब नहीं है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार(११.०३.१६) को इस पर जोर दिया कि आज की दुनिया को एक करने में सॉफ्ट पॉवर की भूमिका महत्वपूर्ण है लेकिन उन्होंने जोर दिया कि भारत इसमें अपनी भूमिका बेहतर तरीके से तभी निभा सकेगा जब देशवासी अपने ही देश की आलोचना से बचेंगे. उन्होंने अपने संक्षिप्त संबोधन में कहा कि जब कभी सत्ता प्रतिष्ठान वांछित नतीजे नहीं हासिल कर पाते हैं, तब सॉफ्ट पावर की प्रासंगिकता सामने आती है. उन्होंने यह भी कहा कि हमने उपनिषद से लेकर उपग्रह तक की यात्रा की है.
नई दिल्ली, श्री श्री रविशंकर के नेतृत्व वाले ऑर्ट ऑफ लिविंग द्वारा आयोजित तीन दिवसीय विश्व सांस्कृतिक महोत्सव दिल्ली में शुक्रवार शाम को शुरू हो गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शाम 5.30 बजे आयोजन स्थल पर पहुंचे। कार्यक्रम की शुरुआत से पहले रिमझिम बारिश हुई. 11 मार्च से 13 मार्च तक चलने वाले इस तीन दिवसीय समारोह में 35 लाख लोगों के पहुंचने की उम्मीद की जा रही है.
कार्यक्रम की शुरुआत वैदिक मंत्रोच्चार एवं सांस्कृतिक नृत्य के साथ हुई. यमुना किनारे 1050 विद्वानों ने विश्वशांति एवं पर्यावरण से जुड़े वेद मंत्रों का पाठ किया. समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शिरकत की. मंच पर विभिन्न देशों से आए अतिथियों का स्वागत किया गया. यमुना खादर इलाके में आयोजित हो रहे इस समारोह में पहले से ही लोग हजारों की संख्या में मौजूद हैं. दुनिया के विभिन्न देशों के लोगों के इस समारोह में शिरकत करने की उम्मीद जताई जा रही है. कार्यक्रम स्‍थल के आस पासके सभी रास्‍ते ब्‍लॉक कर दिए गए. तीन दिवसीय इस भव्य कार्यक्रम में 155 से ज्यादा देशों से लोगों के शिरकत करने की संभावना है.
वर्ल्ड कल्चर फेस्टिवल को संबोधित करते हुए श्री श्री रविशंकर ने कहा कि विविधता इस ग्रह की खासियत है और कला-संस्कृति हमारे जीवन के अंग हैं. आध्यात्मिक गुरु ने कहा कि अच्छा काम शुरू करने से पहले बाधा आती है लेकिन उससे घबड़ाए नहीं. हर मुश्किल का समाधान होता है. श्री श्री ने वर्ल्ड कल्चर फेस्टिवल में शामिल होने आए लोगों का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि जो लोग यहां आए हैं, ये उनका आध्यात्मिक घर है. आर्ट ऑफ लिविंग संस्था के 35 साल पूरे होने पर यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. इस दौरान कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिये भारतीय संस्कृति को वैश्विक पटल पर प्रस्तुत किया जाएगा.
इससे पहले हुए विवाद में श्री श्री की संस्था ने एनजीटी की तरफ से लगाए गए जुर्माने में से 25 लाख रुपए जमा कर दिए हैं। एनजीटी ने आर्ट ऑफ लिविंग (एओएल) पर पांच करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है. बाकी राशि 4 करोड़ 75 लाख को भरने के लिए चार सप्ताह का समय मिला है. एनजीटी 5 करोड़ का जुर्माना किश्तों में लेने को तैयार है. इससे पूर्व इस संस्था ने जुर्माने को लेकर हाथ खड़े कर दिए और कहा कि इतनी जल्दी एक चैरिटेबल संस्था के लिए पांच करोड़ का धन जुटाना मुश्किल काम है. आर्ट ऑफ लिविंग ने एनजीटी से कहा कि एक चैरिटेबल संस्था इतने कम समय में 5 करोड़ रुपये कहां से ला सकती है. हालांकि आर्ट ऑफ लिविंग की ही संस्था व्यक्ति विकास केन्द्र का खर्च 100 करोड़ है. चाहे जो हो कार्यक्रम की शुरुआत भव्यतापूर्ण तरीके से हो चुकी है. दूसरे दिन भी इंद्रदेव ने अपनी कृपा जारी रक्खी और बाधाओं से लड़ने का जज्बा भी आयोजकों और प्रतिभागियों में बरक़रार रहा. यह आर्ट ऑफ़ लिविंग (Art of Living) यानी जीने की कला.
अब दूसरे तरह की आर्ट ऑफ़ लीविंग ( Art of Leaving) यानी छोड़ने या भागने की कला की भी बात कर लें. श्रीमान विजय माल्या जो, राज्य सभा के सांसद भी हैं और विश्व स्तर के कारोबारी हैं. उनका बिजनेस शराब से लेकर शबाब तक, जमीन से लेकर आसमान तक चलता है. वे कारोबार के लिए ही विभिन्न बैंकों से ९००० करोड़ रुपये ऋण लेकर अब चुकाने की स्थिति में नहीं हैं. बैंक और सीबीआई के नजर में वे डिफाल्टर हैं. उनपर कानूनी कार्रवाई चल रही है, पर वे ऐन मौके पर लन्दन चले जाते हैं और वहां से ट्वीट कर जानकारी देते हैं कि वे भगोड़ा नहीं हैं. बिजनेस के सिलसिले में उनका विदेश आना जाना लगा रहता है. उनके अहसानों के बोझ से बहुत सारे लोग दबे हैं यहाँ तक कि मीडिया के मालिक भी. इसलिए कोई भी उनसे कानून के दायरे में ही बात कर सकता है. आँख दिखाने की कोशिश न करें, नहीं तो वे सबका भेद खोल देंगे. कुछ दिन पहले ललित मोदी का जिक्र चला था. वे भी सबकी भेद खोलने लगे तो सब शांत हो गए. माल्या की अपनी जिन्दगी है. वे कर्ज लेकर घी पीने में बिश्वास रखते हैं. ऐशो आराम की जिन्दगी उन्होंने जिया है. किंगफ़िशर एयर लाइन हो या किंगफ़िशर बियर सब कुछ अतुलनीय है. पॉलिटिशियन, सहारा फोर्स इंडिया, रॉयल चैलेंजर्स, मैक्डोवेल, मोहन बगान, किंगफिशर और ईस्ट बंगाल के मालिक रहे विजय माल्या का जन्म 18 दिसंबर, 1955 को हुआ था. कोलकाता में पैदा हुए माल्या के पिता विठ्ठल माल्या भी देश के जाने-माने कारोबारी थे. माल्या को शराब(सोमरस) का बिजनेस पिता विट्ठल माल्या से विरासत में मिला था. उन्होंने देश के प्रतिष्ठित मैनेजमेंट संस्थानों से लोगों को चुना और इस शराब उद्योग को एक कारपोरेट रूप दिया.
बाकी सब कुछ आईने की तरह साफ़ है. उनका कहना है कि उन्होंने कोई भी ऋण व्यक्तिगत रूप से नहीं लिया. उन्होंने ऋण तो कारोबार के लिए लिया है. उनको ऋण मुहैया करने वाले बैंक, और सरकार दोषी है. वे क्यों डिफाल्टर होने लगे.
तो यही है जीने की कला! आप और हम दिन रात रोटी, कपड़ा और मकान की चिंता में जिन्दगी गुजार देते हैं. जबकि यह सब तो माया है. क्या लेकर आए हो और क्या लेकर जाओगे. जो कुछ तुमने पाया है वह इसी जगत से पाया है और जाते समय इन सबको यहीं छोड़ कर जाना है. इसलिए चिंता मत पालो. मस्त रहो, संगीत सुनो, भजन सुनो और गुनगुनाओ, परमात्मा का ध्यान करो. इस जन्म में न सही अगले जन्म में तुम्हारा कर्मफल अवश्य मिलेगा. पर कर्म ही करना फल की आशा मत करना. यही तो गीता का सार है. गीता जीवन का मूल मन्त्र है यह भगवान के श्रीमुख से निकली हुई वाणी है इसलिए इसमें संदेह के कोई गुंजाईश नहीं हो सकती. जय श्री कृष्ण! जय श्री श्री द्वय!

-    जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर      

1 comment:

  1. Art of living, Art of Leaving, Art of Lying, Art of looting, Art of Laughing आदि विषयों पर चर्चा होनी चाहिए. नहीं?

    ReplyDelete