टाटा कंपनी का मूल्यों पर आधारित विशेष प्रबंधन
टाटा समूह के क्रिया कलापों पर नजर दौराते हुए कुछ और मूल्यों पर, जिसे टाटा समूह ने हमेशा से प्रमुखता दी है, उसकी भी चर्चा हम यहाँ कर लेते हैं.
झारखंड में विकास की तेज़ रफ़्तार के चलते पर्यावरण संबंधी चिंताएं भी उठने लगी हैं. पत्रकार दिव्या गुप्ता जमशेदपुर की मुख्य नदी के दूषित होने के बारे में कहती हैं, “इसके लिए टाटा को ज़िम्मेदार ठहराना सही नहीं होगा लेकिन जमशेदपुर में उनका ही मुख्य यूनिट है.” टाटा समूह के मुख्य अधिकारी (इथिक्स डिपार्टमेंट) मुकुंद राजन कंपनी का बचाव करते हुए कहते हैं, “आप रसायन या स्टील का उद्योग पर्यावरण को प्रभावित किए बिना नहीं चला सकते. सवाल ये है कि टाटा समूह हो रहे नुकसान से बचाव के लिए क्या कदम उठाता है.” आप देख सकते हैं कि पर्यावरण को बचाने के लिए कंपनी ने हर स्तर पर काम किया है. जल और वायु का प्रदूषण कम से कम हो उसके लिए टाटा समूह द्वारा उठाये गए क़दमों की सराहना की जानी चाहिए. इलेक्ट्रोस्टेटिक प्रेसिपिटेटर के द्वारा धूल के सूक्ष्मतम कणों को खींचकर सही प्रबंधन किया जाता है. पानी को साफकर पुनरुपयोग में लाया जाता है. कचरा प्रबंधन यहाँ का अनुकरणीय है. प्रतिदिन करीब ३५० टन कचड़ा को उठाकर उससे प्लास्टिक छांटकर सडकों के निर्माण में उपयोग को यहाँ बड़े पैमाने पर अपनाया गया है. जैविक कचरा से कम्पोस्ट बनाकर उसका उपयोग बागवानियों में किया जाता है और उसकी बिक्री भी की जाती है. यहाँ के इस कचड़ा प्रबंधन के प्रयोग को अब दूसरे शहरों में भी अपनाने लगे हैं.
दिसंबर, 2012 में रतन टाटा ने कारोबार की बागडोर टाटा परिवार से बाहर के व्यक्ति सायरस मिस्त्री के हाथों में दे दी. टाटा समूह के कारोबार का मुख्य उद्देश्य पारसी उक्ति -हमाता, हुख्ता और हवारष्टा पर आधारित है, जिसका मतलब है- अच्छे विचार, अच्छे बोल और अच्छे काम. लेकिन जब कारोबार बढ़ता चला जाता है, तो ये बेहद मुश्किल होता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 जनवरी २०१५ को टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा के सम्मान में 100 रुपये और 5 रुपये का सिक्का जारी किया। जमशेदजी को आधुनिक भारतीय उद्योग का जनक कहा जाता है और यह सिक्का उनकी 175वीं जयंती पर जारी किया गया है।
मोदी ने जमशेदजी नुसेरवानजी टाटा को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, ‘जिन्होंने बिना सत्ता अथवा ताकत के ही इतिहास बनाया वे सचमुच में महान थे।’ मोदी ने जमशेदजी के पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा के दृष्टिकोण तथा टाटा समूह से जुड़े लोगों के कल्याण के लिए उनकी पहलों की भी सराहना की। प्रधानमंत्री ने कहा कि उद्योगपतियों द्वारा बड़ी मात्रा में धन कल्याणकारी योजनाओं में लगाने की संस्कृति पश्चिमी दुनिया के लिए नयी है लेकिन जमशेदजी टाटा यह बहुत पहले ही यह कर चुके हैं। जमशेदजी टाटा को आधुनिक भारतीय उद्योग का संस्थापक कहा जाता है और केंद्र से इस तरह का सम्मान पाने वाले वह पहले उद्योगपति हैं। सरकारी अधिकारी ने कहा कि सरकार ने जमशेदजी टाटा को इसलिए चुना है क्योंकि वे विख्यात हस्ती थे और सरकार इस पहल के जरिए भारतीय उद्योग को प्रोत्साहित करना चाहती है। सरकार अब तक कलाकारों, स्वतंत्रता सेनानियों, वैज्ञानिकों, संस्थानों व संगठनों के सम्मान में ही सिक्के जारी करती रही है। जमशेदजी का जन्म तीन मार्च 1839 को गुजरात के एक छोटे से कस्बे नवसेरी में हुआ और उन्होंने टाटा समूह की नींव रखी जो देश का सबसे बड़ा औद्योगिक घराना है। 1880 से 1904 में अपने निधन के बीच की अवधि में उन्होंने टाटा आयरन एण्ड स्टील कंपनी की स्थापना, पनबिजली परियोजनाओं तथा विश्वस्तरीय शिक्षा संस्थानों की स्थापना को अपने जीवन का मुख्य ध्येय बना लिया था।
आज भी जमशेदपुर का शहर टाटा द्वारा ही प्रबंधित और नियंत्रित है. यहाँ २४ घंटे बिजली, पानी, सड़क और सफाई की उत्तम ब्यवस्था है. टाटा स्टील जो की भारतीय इस्पात कम्पनी की पहली समेकित इकाई है आठ बार प्रधान मंत्री ट्रॉफी जीत चुकी है. अपने कर्मचारियों के कल्याण के लिए बहुत सारी योजनाएं और विभाग हैं जो इनके परिवारों की सेवा में लगे रहते हैं. टाटा मुख्य अस्पताल में सभी आधुनिक सुविधाएँ मौजूद हैं जहाँ कर्मचारियों और उनके परिवार का मुफ्त इलाज होता है. कंपनी की तरफ से हाई स्कूल तक की शिक्षा तो मुफ्त है ही १२ के लिए एक इण्टर कॉलेज भी है इसके अलावा, XLRI यहाँ का प्रमुख व्यवसायिक प्रबंधन शिक्षा का विख्यात संस्थान है. यहाँ से सफलता प्राप्त प्रबंधकों को उच्च ब्यापारिक घरानों में अच्छे पॅकेज देकर नियुक्त किया जाता है.
टाटा स्टील के अंदर इसमें काम करने वाले कर्मचारी कैसे सुरक्षित रहें इसके लिए कंपनी हर साल करोड़ों रुपये सुरक्षा के नाम पर ही खर्च करती है. इस कंपनी का आधार ही है सुरक्षा और गुणवत्ता प्रथम और हर हाल में. कंपनी के अंदर विभिन्न प्रकार के सुरक्षा उपकरण लगाये गए हैं जो टाटा की अपने कर्मचारियों के प्रति लगाव को दर्शाता है. यही नहीं जिस कर्मचारी या अधिकारी ने सुरक्षा, गुणवत्ता या उत्पादकता बढ़ाने में विशेष योगदान दिया है उसे कंपनी उपयुक्त फोरम पर सम्मानित भी करती है. अभी अभी १९ जनवरी को लगभग ५०० कर्मचारियों/अधिकारियों और उनके टीमों के सदस्यों को सम्मानित किया. एक भव्य समारोह का आयोजन कीनन स्टेडियम में किया गया था, जहाँ भारत और एसिया के प्रबंध निदेशक के साथ वरिष्ठ अधिकारीगण और यूनियन के प्रतिनिधि उपस्थित थे. वास्तव में यह कंपनी कर्मचारियों के लिए गौरव की बात होती है.
विभिन्न क्षेत्रों में कंपनी को महत्वपूर्ण पुरस्कार तो मिलते ही रहते हैं. समेकित इस्पात उत्पादन करनेवाली कंपनी के रूप में यह अब तक आठ बार प्रधानमंत्री ट्राफी जीत चुकी ही. एथिक्स, मानव प्रबंधन, ज्ञान के प्रसार और प्रचार क्षेत्र में भी कई पुरस्कार यह अपने नाम कर चुकी है. टाटा स्टील, इण्डिया और साउथ एसिया के मैनेजिंग डायरेक्टर श्री टी वी नरेन्द्रन ने अपने संबोधन में कर्मचारियों/अधिकारियों का हौसला बढ़ाते हुए कहा – कठिन परिस्थितियों में भी हम अपनी कंपनी को बचाए रखने की हर चुनौती को स्वीकार करते हैं और इसमें सबका सहयोग रहा है. उन्होंने ‘बचिए और बचाइए’ (Safe and save) का नारा देते हुए मिलजुलकर काम करने की सलाह दी.
इसके अलावा टाटा खेलकूदों को भी बढ़ावा देती है. यहाँ कीनन स्टेडियम तथा टाटा स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स है टाटा फूटबाल अकादमी है. तो तीरंदाजी को भी बढ़ावा देती है. रवि शास्त्री, सौरभ गांगुली और धोनी भी यहाँ के अच्छे खिलाड़ी रह चुके हैं. दीपिका कुमारी तीरंदाज जो की टाटा की ब्रांड अम्बेसडर भी है अभी हाल ही में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित हुई है. कम उम्र में यह पुरस्कार प्राप्त करने वालों में शायद यह पहली महिला/ लड़की है.
अनुशासन ही देश को महान बनता है इस वाक्य को भी टाटा ग्रुप अक्षरश: पालन करता है. यहाँ, समय की पाबंदी और अपनी ड्यूटी के प्रति इमानदारी बहुत ही जरूरी है. अगर कहीं चूक होती है तो दंड का भी प्रावधान है. बड़े से बड़े अधिकारी भी इस नियम से बंधे हैं और सभी समय के पाबंद हैं. एथिक्स इसके लिए बहुमूल्य है और इसके लिए भी इसे विश्वस्तर का प्रमाण मिल चुका है.
अभी भी समय समय पर कवि सम्मलेन, मुशायरा, सांस्कृतिक कार्यक्रम, आदिवासियों के साथ संवाद और उसकी संसृति को बढ़ाने वाले कार्यक्रम बीच-बीच में आयोजित किये जाते है. कई साहित्यकार/कलाकार/रंगकर्मी इसके कर्मचारी और अधिकारी भी है. वे अपनी ड्यूटी के अलावा खाली समय में साहित्य और समाज की सेवा करते रहते हैं. हर पर्व त्योहारों में कंपनी द्वारा, निर्बाध विद्युत आपूर्ति के साथ, पानी और सफाई की भी उचित ब्यवस्था की जाती है. कानून ब्यवस्था बनी रहे इसके लिए स्थानीय प्रशासन के साथ ताल मेल बैठाकर चलती है. कर्मचारियों के जीवन स्तर में सुधार हो उसके लिए भी कंपनी दिनरात प्रयास में लगी रहती है. अभी ३ मार्च को श्री जे एन टाटा की जयन्ती मनाई जायेगी. इस अवसर पर कंपनी और शहर को दुल्हन की तरह सजाया जाता है. इसके लिए एक महीना पहले से ही तैयारियां होती रहती है. सभी लोगों के लिए यहाँ लगभग एक सप्ताह तक जश्न का माहौल रहता है.
चुनौतियाँ आती रहती हैं, पर बिना विचलित हुए/अपने मूल्यों से बिना समझौता के यह कंपनी इसी तरह आगे बढ़ती रहे और लोगों को रोजगार के साथ जीवन स्तर भी सुधारती रहे, यह उम्मीद हम करते हैं. यह कंपनी प्रतिभा का सम्मान करती है. धर्म, जाति, भाषा या क्षेत्र वाद से यह अभी तक अछूती रही है और आगे भी रहेगी ऐसी उम्मीद हम करते हैं. यह कंपनी इस्पात तो बनाती ही है प्रतिभा को निखारने में भी सहायक है. आप सभी को पता होगा, झाड़खंड के वर्तमान मुख्य मंत्री रघुवर दास टाटा स्टील के कर्मचारी रह चुके हैं और दिल्ली के मुख्य मंत्री अरविन्द केजरीवाल भी यहाँ अपनी प्रारंभिक सेवा दे चुके हैं.
- जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर.
टाटा समूह के क्रिया कलापों पर नजर दौराते हुए कुछ और मूल्यों पर, जिसे टाटा समूह ने हमेशा से प्रमुखता दी है, उसकी भी चर्चा हम यहाँ कर लेते हैं.
झारखंड में विकास की तेज़ रफ़्तार के चलते पर्यावरण संबंधी चिंताएं भी उठने लगी हैं. पत्रकार दिव्या गुप्ता जमशेदपुर की मुख्य नदी के दूषित होने के बारे में कहती हैं, “इसके लिए टाटा को ज़िम्मेदार ठहराना सही नहीं होगा लेकिन जमशेदपुर में उनका ही मुख्य यूनिट है.” टाटा समूह के मुख्य अधिकारी (इथिक्स डिपार्टमेंट) मुकुंद राजन कंपनी का बचाव करते हुए कहते हैं, “आप रसायन या स्टील का उद्योग पर्यावरण को प्रभावित किए बिना नहीं चला सकते. सवाल ये है कि टाटा समूह हो रहे नुकसान से बचाव के लिए क्या कदम उठाता है.” आप देख सकते हैं कि पर्यावरण को बचाने के लिए कंपनी ने हर स्तर पर काम किया है. जल और वायु का प्रदूषण कम से कम हो उसके लिए टाटा समूह द्वारा उठाये गए क़दमों की सराहना की जानी चाहिए. इलेक्ट्रोस्टेटिक प्रेसिपिटेटर के द्वारा धूल के सूक्ष्मतम कणों को खींचकर सही प्रबंधन किया जाता है. पानी को साफकर पुनरुपयोग में लाया जाता है. कचरा प्रबंधन यहाँ का अनुकरणीय है. प्रतिदिन करीब ३५० टन कचड़ा को उठाकर उससे प्लास्टिक छांटकर सडकों के निर्माण में उपयोग को यहाँ बड़े पैमाने पर अपनाया गया है. जैविक कचरा से कम्पोस्ट बनाकर उसका उपयोग बागवानियों में किया जाता है और उसकी बिक्री भी की जाती है. यहाँ के इस कचड़ा प्रबंधन के प्रयोग को अब दूसरे शहरों में भी अपनाने लगे हैं.
दिसंबर, 2012 में रतन टाटा ने कारोबार की बागडोर टाटा परिवार से बाहर के व्यक्ति सायरस मिस्त्री के हाथों में दे दी. टाटा समूह के कारोबार का मुख्य उद्देश्य पारसी उक्ति -हमाता, हुख्ता और हवारष्टा पर आधारित है, जिसका मतलब है- अच्छे विचार, अच्छे बोल और अच्छे काम. लेकिन जब कारोबार बढ़ता चला जाता है, तो ये बेहद मुश्किल होता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 जनवरी २०१५ को टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा के सम्मान में 100 रुपये और 5 रुपये का सिक्का जारी किया। जमशेदजी को आधुनिक भारतीय उद्योग का जनक कहा जाता है और यह सिक्का उनकी 175वीं जयंती पर जारी किया गया है।
मोदी ने जमशेदजी नुसेरवानजी टाटा को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, ‘जिन्होंने बिना सत्ता अथवा ताकत के ही इतिहास बनाया वे सचमुच में महान थे।’ मोदी ने जमशेदजी के पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा के दृष्टिकोण तथा टाटा समूह से जुड़े लोगों के कल्याण के लिए उनकी पहलों की भी सराहना की। प्रधानमंत्री ने कहा कि उद्योगपतियों द्वारा बड़ी मात्रा में धन कल्याणकारी योजनाओं में लगाने की संस्कृति पश्चिमी दुनिया के लिए नयी है लेकिन जमशेदजी टाटा यह बहुत पहले ही यह कर चुके हैं। जमशेदजी टाटा को आधुनिक भारतीय उद्योग का संस्थापक कहा जाता है और केंद्र से इस तरह का सम्मान पाने वाले वह पहले उद्योगपति हैं। सरकारी अधिकारी ने कहा कि सरकार ने जमशेदजी टाटा को इसलिए चुना है क्योंकि वे विख्यात हस्ती थे और सरकार इस पहल के जरिए भारतीय उद्योग को प्रोत्साहित करना चाहती है। सरकार अब तक कलाकारों, स्वतंत्रता सेनानियों, वैज्ञानिकों, संस्थानों व संगठनों के सम्मान में ही सिक्के जारी करती रही है। जमशेदजी का जन्म तीन मार्च 1839 को गुजरात के एक छोटे से कस्बे नवसेरी में हुआ और उन्होंने टाटा समूह की नींव रखी जो देश का सबसे बड़ा औद्योगिक घराना है। 1880 से 1904 में अपने निधन के बीच की अवधि में उन्होंने टाटा आयरन एण्ड स्टील कंपनी की स्थापना, पनबिजली परियोजनाओं तथा विश्वस्तरीय शिक्षा संस्थानों की स्थापना को अपने जीवन का मुख्य ध्येय बना लिया था।
आज भी जमशेदपुर का शहर टाटा द्वारा ही प्रबंधित और नियंत्रित है. यहाँ २४ घंटे बिजली, पानी, सड़क और सफाई की उत्तम ब्यवस्था है. टाटा स्टील जो की भारतीय इस्पात कम्पनी की पहली समेकित इकाई है आठ बार प्रधान मंत्री ट्रॉफी जीत चुकी है. अपने कर्मचारियों के कल्याण के लिए बहुत सारी योजनाएं और विभाग हैं जो इनके परिवारों की सेवा में लगे रहते हैं. टाटा मुख्य अस्पताल में सभी आधुनिक सुविधाएँ मौजूद हैं जहाँ कर्मचारियों और उनके परिवार का मुफ्त इलाज होता है. कंपनी की तरफ से हाई स्कूल तक की शिक्षा तो मुफ्त है ही १२ के लिए एक इण्टर कॉलेज भी है इसके अलावा, XLRI यहाँ का प्रमुख व्यवसायिक प्रबंधन शिक्षा का विख्यात संस्थान है. यहाँ से सफलता प्राप्त प्रबंधकों को उच्च ब्यापारिक घरानों में अच्छे पॅकेज देकर नियुक्त किया जाता है.
टाटा स्टील के अंदर इसमें काम करने वाले कर्मचारी कैसे सुरक्षित रहें इसके लिए कंपनी हर साल करोड़ों रुपये सुरक्षा के नाम पर ही खर्च करती है. इस कंपनी का आधार ही है सुरक्षा और गुणवत्ता प्रथम और हर हाल में. कंपनी के अंदर विभिन्न प्रकार के सुरक्षा उपकरण लगाये गए हैं जो टाटा की अपने कर्मचारियों के प्रति लगाव को दर्शाता है. यही नहीं जिस कर्मचारी या अधिकारी ने सुरक्षा, गुणवत्ता या उत्पादकता बढ़ाने में विशेष योगदान दिया है उसे कंपनी उपयुक्त फोरम पर सम्मानित भी करती है. अभी अभी १९ जनवरी को लगभग ५०० कर्मचारियों/अधिकारियों और उनके टीमों के सदस्यों को सम्मानित किया. एक भव्य समारोह का आयोजन कीनन स्टेडियम में किया गया था, जहाँ भारत और एसिया के प्रबंध निदेशक के साथ वरिष्ठ अधिकारीगण और यूनियन के प्रतिनिधि उपस्थित थे. वास्तव में यह कंपनी कर्मचारियों के लिए गौरव की बात होती है.
विभिन्न क्षेत्रों में कंपनी को महत्वपूर्ण पुरस्कार तो मिलते ही रहते हैं. समेकित इस्पात उत्पादन करनेवाली कंपनी के रूप में यह अब तक आठ बार प्रधानमंत्री ट्राफी जीत चुकी ही. एथिक्स, मानव प्रबंधन, ज्ञान के प्रसार और प्रचार क्षेत्र में भी कई पुरस्कार यह अपने नाम कर चुकी है. टाटा स्टील, इण्डिया और साउथ एसिया के मैनेजिंग डायरेक्टर श्री टी वी नरेन्द्रन ने अपने संबोधन में कर्मचारियों/अधिकारियों का हौसला बढ़ाते हुए कहा – कठिन परिस्थितियों में भी हम अपनी कंपनी को बचाए रखने की हर चुनौती को स्वीकार करते हैं और इसमें सबका सहयोग रहा है. उन्होंने ‘बचिए और बचाइए’ (Safe and save) का नारा देते हुए मिलजुलकर काम करने की सलाह दी.
इसके अलावा टाटा खेलकूदों को भी बढ़ावा देती है. यहाँ कीनन स्टेडियम तथा टाटा स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स है टाटा फूटबाल अकादमी है. तो तीरंदाजी को भी बढ़ावा देती है. रवि शास्त्री, सौरभ गांगुली और धोनी भी यहाँ के अच्छे खिलाड़ी रह चुके हैं. दीपिका कुमारी तीरंदाज जो की टाटा की ब्रांड अम्बेसडर भी है अभी हाल ही में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित हुई है. कम उम्र में यह पुरस्कार प्राप्त करने वालों में शायद यह पहली महिला/ लड़की है.
अनुशासन ही देश को महान बनता है इस वाक्य को भी टाटा ग्रुप अक्षरश: पालन करता है. यहाँ, समय की पाबंदी और अपनी ड्यूटी के प्रति इमानदारी बहुत ही जरूरी है. अगर कहीं चूक होती है तो दंड का भी प्रावधान है. बड़े से बड़े अधिकारी भी इस नियम से बंधे हैं और सभी समय के पाबंद हैं. एथिक्स इसके लिए बहुमूल्य है और इसके लिए भी इसे विश्वस्तर का प्रमाण मिल चुका है.
अभी भी समय समय पर कवि सम्मलेन, मुशायरा, सांस्कृतिक कार्यक्रम, आदिवासियों के साथ संवाद और उसकी संसृति को बढ़ाने वाले कार्यक्रम बीच-बीच में आयोजित किये जाते है. कई साहित्यकार/कलाकार/रंगकर्मी इसके कर्मचारी और अधिकारी भी है. वे अपनी ड्यूटी के अलावा खाली समय में साहित्य और समाज की सेवा करते रहते हैं. हर पर्व त्योहारों में कंपनी द्वारा, निर्बाध विद्युत आपूर्ति के साथ, पानी और सफाई की भी उचित ब्यवस्था की जाती है. कानून ब्यवस्था बनी रहे इसके लिए स्थानीय प्रशासन के साथ ताल मेल बैठाकर चलती है. कर्मचारियों के जीवन स्तर में सुधार हो उसके लिए भी कंपनी दिनरात प्रयास में लगी रहती है. अभी ३ मार्च को श्री जे एन टाटा की जयन्ती मनाई जायेगी. इस अवसर पर कंपनी और शहर को दुल्हन की तरह सजाया जाता है. इसके लिए एक महीना पहले से ही तैयारियां होती रहती है. सभी लोगों के लिए यहाँ लगभग एक सप्ताह तक जश्न का माहौल रहता है.
चुनौतियाँ आती रहती हैं, पर बिना विचलित हुए/अपने मूल्यों से बिना समझौता के यह कंपनी इसी तरह आगे बढ़ती रहे और लोगों को रोजगार के साथ जीवन स्तर भी सुधारती रहे, यह उम्मीद हम करते हैं. यह कंपनी प्रतिभा का सम्मान करती है. धर्म, जाति, भाषा या क्षेत्र वाद से यह अभी तक अछूती रही है और आगे भी रहेगी ऐसी उम्मीद हम करते हैं. यह कंपनी इस्पात तो बनाती ही है प्रतिभा को निखारने में भी सहायक है. आप सभी को पता होगा, झाड़खंड के वर्तमान मुख्य मंत्री रघुवर दास टाटा स्टील के कर्मचारी रह चुके हैं और दिल्ली के मुख्य मंत्री अरविन्द केजरीवाल भी यहाँ अपनी प्रारंभिक सेवा दे चुके हैं.
- जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर.
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