आज पूरे विश्व में मूल रूप से दो समस्या है – एक
आतंकवाद और दूसरा ग्लोबल वार्मिंग.
आतंकवाद से पूरा विश्व किसी न किसी रूप में
ग्रसित है. इसका सबसे ताजा उदाहरण फ्रांस ही है. जिसमे सैंकड़ो लोग मारे गए हैं और
हजारों प्रभावित हुए हैं. इसके पहले भी जनवरी में फ्रांस के एक प्रेस 'शार्ली हेब्दो’ के मुख्यालय पर हुआ था जहाँ ११ लोग मारे गए थे.
ग्लोबल वार्मिंग भी आने वाले समय में पूरे विश्व
को तकलीफ देनेवाले हैं. इन दोनों विषयों पर पूरे विश्व को चिंतन कर इसके स्थायी हल
की तरफ कार्य करने की जरूरत है.
जिस तरह से प्रधान मंत्री मोदी का स्वागत लंदन के
वेम्बली स्टेडियम में हुआ है, जिस तरह से वहां रहनेवाले भारतीयों ने प्रधान मंत्री
का शानदार स्वागत किया है यह भारत के लिए गर्व की बात तो है ही. प्रधानमंत्री ऐसे
मौकों पर अपने आप को बेहतरीन ढंग से पेश करने में हर संभव कोशिश करते हैं, जैसे
ग्लोबल वार्मिंग से मुक्ति के लिए दुनिया के १०२ देशों को आह्वान किया कि वे
सूर्यपुत्र हैं और वहां सूर्य की रोशनी भरपूर रहती है तो क्यों नहीं सौर उर्जा को
इन देशों में बढ़ावा दिया जाय इससे गैरपारंपरिक बिजली तो मिलेगी ही, कोयले, पानी
आदि प्राकृतिक संसाधनों की बचत भी होगी और ग्रीन हाउस गैसों का उत्पादन भी कम
होगा. बिजली की बचत भी जरूरी है, साथ ही जरूरी है भारत के उन १८००० गांवों में
बिजली पहुँचाना, जो अभी भी बिजली के पहुँच से दूर हैं. प्रधान मंत्री ने अपने भाषण
में अलवर, राजस्थान के इमरान खान की भी चर्चा की जिसने मोबाइल में में ५० फ्री
एजुकेशनल एप्प बनाये है. वेम्बली में लगभग ६०० भारतीय कलाकारों ने अपने हुनर का
प्रदर्शन किया जिससे विदेशों में हमारा सर ऊंचा हुआ. वहीं से उन्होंने अहमदाबाद से
लंदन के लिए डायरेक्ट फ्लाइट की भी घोषणा की, जिससे वहां उपस्थित अधिकांश गुजराती
और पंजाबी लोगों में हर्ष की लहर दौर गयी. मोदी के अच्छे दिन की चर्चा डेविड कैमरन
ने भी की. सबसे बड़ी बात तो मुझे यह लगी की लेडी कैमरन वहां साड़ी में नजर आयीं और
पूरे कार्यक्रम में वे भी मौजूद रहे.
''ब्रेनड्रेन'' देशप्रेमी भारतीयों के लिए सदैव दुख का विषय रहा
है. पर दूसरा पहलू भी महत्वपूर्ण रहा कि तमाम प्रतिभाओं को स्वदेश में अनुकूल
माहौल और सम्मान न मिलने के कारण ही उन्हें विदेश में रोजी-रोटी तलाशनी पड़ी.
प्रवासी भारतीय अब हर देश में पचासों हजार की तादाद में मोदी-मोदी के नारे लगाते
हुए अपनी खुशी और उत्साह का प्रदर्शन कर रहे हैं. जाहिर है कि उन्हें 'मोदी' से
कोई लगाव हो या न हो भारत के उस प्रधानमंत्री को देखकर उन्हें खुशी होती है जिसने
कई दशक बाद भारत को विदेशी धरती पर एक 'खास
सम्मान' दिलाया है. मोदी के नेतृत्व में ''भारत
को जो सम्मान और रुतबा अंतरराष्ट्रीय मंचों पर'' मिल
रहा है, उसने प्रवासी भारतीयों का सीना ''छप्पन'' का कर
दिया। आत्म-गौरव उन्हें प्रफुल्लित कर रहा है. इसका सार्वजनिक प्रदर्शन करने से वो
गुरेज नहीं कर रहे. उनका दबा हुआ भारत-प्रेम मोदी को देखकर कुलांचे मार रहा है.
मोदी ने दशकों बाद उन्हें वह खुशी व्यक्त करने का मौका दिया जिसकी चाहत
वर्षों-दशकों से वो सीने में दबाये हुए थे. ''मोदी-मोदी'' के
उनके नारे में वास्तव में ''भारत-भारत
की हुंकार'' ही छिपी है.
अब आते है वहां के संवाददाताओं से पूछे
गए सवाल और मोदी के जवाब पर -
“भारत बुद्ध की धरती है, गांधी की धरती है और हमारी संस्कृति
समाज के मूलभूत मूल्यों के खिलाफ किसी भी बात को स्वीकार नहीं करती है. हिन्दुस्तान के किसी कोने में कोई घटना घटे, एक हो, दो हो या तीन हो.. सवा सौ करोड़
की आबादी में हमारे लिए हर घटना का गंभीर महत्व है. हम किसी को टॉलरेट (बर्दास्त) नहीं करेंगे. कानून कड़ाई से कार्रवाई करता है और करेगा। भारत एक विविधिता पूर्ण
लोकतंत्र है जो संविधान के तहत चलता है और सामान्य से सामान्य नागरिकों, उनके विचारों की रक्षा को
प्रतिबद्ध है, कमिटेड है”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने
बीबीसी के रिपोर्टर के एक प्रश्न के जबाब में यह बातें कहीं. उस संवाददाता ने यह
प्रश्न किया था कि भारत क्यों लगातार असहिष्णु स्थल बनता जा रहा है? उस रिपोर्टर ने भारत में हाल की
असहिष्णुता की घटनाओं का हवाला भी दिया था. प्रधानमंत्री मोदी ने न सिर्फ उचित
जबाब दिया बल्कि सारी दुनिया को यह आश्वासन भी दिया कि भारत के किसी भी हिस्से में
असहिष्णुता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.- हालाँकि यह बातें बहुत पहले भारत में
कही जानी चाहिए थी. इसे कहने में श्री मोदी ने काफी देर कर दी और दूसरे-दूसरे
मुद्दे में उलझकर रह गए, फलस्वरूप बिहार में उनकी पार्टी तीसरे नंबर की पार्टी
बनकर रह गयी.
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड
कैमरन के साथ वार्ता के बाद जो संयुक्त संवाददाता सम्मेलन हुआ ‘द गार्डियन’ के रिपोर्टर ने पीएम मोदी से
लंदन की सड़कों पर हो रहे प्रदर्शन के बारे में पूछा था और गुजरात में उनके
कार्यकाल पर भी सवाल खड़ा किया था कि लंदन की सड़कों पर यह कहते हुए प्रदर्शन हुए
हैं कि गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर उनके रिकॉर्ड को देखते हुए वह उस सम्मान
के हकदार नहीं हैं, जो विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता को सामान्य तौर पर मिलता है.
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने जवाब
में कहा, “अपना रिकॉर्ड दुरुस्त कर लीजिए. 2003 में मैं यहां आया था और मेरा
बहुत स्वागत,
सम्मान हुआ था. यू.के.
ने मुझे कभी यहां आने से नहीं रोका. कोई प्रतिबंध नहीं लगाया. मेरे समायाभाव के
कारण मैं यहां नहीं आ पाया, यह अलग बात है. कृपया अपना परसेप्शन (नजरिया) ठीक कर लें” प्रधानमंत्री मोदी ने उस
रिपोर्टर को बहुत सटीक, सही और करारा जबाब देकर निरुत्तर कर दिया.
‘द गार्डियन’ समाचार पत्र के एक पत्रकार ने
संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में मोदी के साथ खड़े ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड
कैमरन से सवाल किया कि मोदी का देश में स्वागत करते हुए वे कितना सहज महसूस कर रहे
हैं, खासकर इस तथ्य को देखते हुए कि
उनके प्रधानमंत्री पद के पहले कार्यकाल के समय मोदी को गुजरात के मुख्यमंत्री के
तौर पर ब्रिटेन आने की अनुमति नहीं दी गई थी. कैमरन ने अपने जवाब में कहा, “मुझे मोदी का स्वागत करने में
प्रसन्नता है. वह एक विशाल और ऐतिहासिक जनादेश के बाद यहां आए हैं. जहां तक अन्य
मुद्दों का सवाल है, उसकी कानूनी प्रक्रियाएं हैं.”
बिट्रिश प्रधानमंत्री ने कितना
सटीक जबाब दिया है. हमारे देश में प्रधानमंत्री मोदी को मिले जिस विशाल और
ऐतिहासिक जनादेश की आज विदेशों में जय-जयकार हो रही है. जम्मू कश्मीर के पूर्व
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ब्रिटिश संसद में
दिए गए भाषण की तारीफ़ की है और एक अच्छे राजनीतिज्ञ का परिचय दिया है. उन्होंने एक
ट्विटर अकाउंट पर किए गए एक ट्वीट के जवाब में कहा, ‘भारतीय प्रधानमंत्री ने ब्रिटिश संसद में वहां के सांसदों के समक्ष
बेहतरीन भाषण दिया. हम उससे क्यों गौरवान्वित नहीं हो सकते.’
यह देश के लिए गौरव की बात है,
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने
बेहद शानदार और कई मायनों में ऐतिहासिक भाषण ब्रिटिश संसद में दिया. उसकी जितनी भी
तारीफ़ की जाये,
वो कम है. अपने
ब्रिटेन दौरे के अंतर्गत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न सिर्फ ब्रिटिश
पार्लियामेंट में शानदार और ऐतिहासिक भाषण दिया, बल्कि लंदन के वेंबले स्टेडियम में भारतीय समुदाय के 60 हजार से ज्यादा लोगों की
रिकार्डतोड़ और ऐतिहासिक भीड़ को सम्बोधित करते हुए कहा कि ‘हम दुनिया से अब मेहरबानी नहीं
चाहते. हम बराबरी चाहते हैं, मैं 18 महीनों के अनुभव से कह सकता हूं कि आज भारत के साथ जो भी बात करता है
बराबरी से बात करता है.’ यह पूरे देश के लिए गौरव की बात है.
उन्होंने कहा कि ‘भारत अब विकास के पथ पर चल पड़ा
है. भारत के गरीब रहने का कोई कारण नजर नहीं आता. दुनिया भारत में एक नई संभावना
देख रही है. भारत के प्रति दुनिया का नजरिया बदला है. पहले हाथ मिलाते थे अब हाथ
पकड़ कर रखते हैं. यह बदलाव भारत की सफलता की निशानी है.’
अब आता हूँ अपनी बात पर. कुछ
बातों पर मोदी जी अपनी ही पीठ बार-बार ठोकते नजर आते हैं. जनधन, स्वच्छता आदि पर
वे बहुत बार बोल चुके हैं. तीस से अधिक विदेश यात्राओं के अगर परिणाम दिखेंगे तो
बोलने की आवश्यकता ही नहीं रहेगी. कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य में अपेक्षित निवेश
और रोजगार के अवसर पैदा करने होंगे ताकि ये भारतीय विदेशों की जगह अपने देश में ही
रहकर देश का अपेक्षित विकास करें. भारत के नौजवान मोदी जी को आशा भरी नजरों से देख
रहे हैं. उनका प्रयास यथोचित है पर उनकी टीम के कुछ लोग या अफसरशाही उनके कार्य
में रोड़ा अटका रही है. उन्हें इससे आगे निकलना ही होगा. सबको साथ लेकर चलने की
प्रतिबद्धता का मतलब विपक्ष को भी साथ लेकर चलना होना चाहिए. कौन विपक्ष जनता और
देश का विकास नहीं चाहेगा और अगर नहीं चाहेगा तो जनता उसका जवाब देगी. जयहिंद! जय भारत!
– जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर.
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