Thursday, 16 July 2015

यह शहर समय से चलता है

मौसम चाहे हो कोई, यह शहर समय से चलता है,
सरकारें चाहे हो जिसकी, सिक्का टाटा का चलता है
शालाएं है श्रमिकों की, स्वच्छ, सुसज्जित लोग यहाँ,
पूस की रात या जेठ दुपहरी, नहीं ठहरते लोग यहाँ
घर आँगन में खुशियां झलके, वेतन जिस दिन मिलता है,
सरकारें चाहे हो जिसकी, सिक्का टाटा का चलता है
पांच बजे पोंगा बज जाता, सपने बुनते लोग जगें,
माताएं, घर की महिलाएं, टिफिन बनाने किचेन भगे.
बालिग जन संग बच्चे भी, होते हैं तैयार समय से,
बस चालक या वैन का चालक, आ जाते है ठीक समय पे
वर्क शॉप का गेट खुलेगा, समय का पहरा वहां लगे,
विद्यालय के गेट पे देखो, चौकी दार भी वहां खड़े.
चाय पान जलपान के ठेले, गेट के सम्मुख लगे खड़े,
समय की चिंता रहती सबको. समय की कीमत दिखता है
सरकारें चाहे हो जिसकी, सिक्का टाटा का चलता है
होली, ईद, दीवाली आती, गुरुपर्व और क्रिसमस भी,
टीसू पर्व भी यहाँ मनाते, छठ में नदियां भी सजतीं
खरकाई मिलती है जाकर सुवर्णरेखा की गोदी में,
दोनों की लहरें जब मिलती बूँदें सजती मोती में
बनी सुनहरी दो मुहानी भीड़ हमेशा वहां लगी,
भवनों से झांकते सभी जन मधुर मनोहर लगता है
सरकारें हो चाहे जिसकी, सिक्का टाटा का चलता है
जुबली या निक्को के पार्क हों, करते हैं सब भ्रमण यहाँ,
लेजर फांउंटेन यहाँ लुभाये, चिड़ियाघर भी सजग यहाँ,
प्रमोद पार्क में पलती प्रकृति, पुष्प कुञ्ज मन भावन हैं,
कचड़ा से कम्पोस्ट बनाते, हँसता हरदम सावन है
बना पहाड़ था अवशेषों का. कहलाता था वह मकदम.
जाकर देखो अभी वहां पर, फूल खिले रहते हरदम.
हुड़को पार्क की शोभा न्यारी, प्रकृति कितनी प्यारी है,
बड़े बड़े हैं पेड़ यहाँ पर, कहीं फूल की क्यारी है
बारिश का पानी न ठहरता, नालों नदियों में टिकता है
सूट बूट में चलो निकल लो, फर्क नहीं कुछ दिखता है
सरकारें चाहे हो जिसकी, सिक्का टाटा का चलता है
जुस्को सेवा देती निशिदिन, बिजली पानी सुलभ यहाँ,
पल भर में ही वे आ जाते, एक फोन जो सुने वहां
चिर गृह भी है सही सुरक्षित, नई इमारत क्या कहने,
बाहर के भी लोग यहाँ पर,रहें सुरक्षित क्या कहने !
अफसर हो या श्रमिक वर्ग हो, मिलनसार सब होते हैं,
दुःख सुख में सब एक साथ हैं, इक दूजे के होते हैं.
वन भोज का कर आयोजन, साथ अगर चाहें जिमना,
थोड़ी देर जाने में लगेगी, चले जाएँ सब संग डिमना
डिमना का भी डैम अजब है, पानी का भडार यहाँ,
मिनरल वाटर जैंसा पाचक, ऊंचे पर जल स्रोत यहाँ
धुंए उगलते कल कारखाने, बाग़ बगीचे सजे हुए ,
धूल-कणों के लिए मशीने, छाजन करती बिना थके
सड़कें सब हैं साफ़ सुरक्षित, सभी यहाँ अनुशासित हैं,
लाल रोशनी पर रुक जाते, हरे रंग पर चालित हैं
टाटा नाम से टाटा नगरी, जमशेद जमशेदपुर है,
तीन मार्च को नमन है उनको, सारे जन ही आतुर हैं
गौरव मुझको उतना ही है, कर्म भूमि यह मेरा है,
मेरे जैंसे अगणित जन हैं, सबका अपना डेरा है
भावों के भूखे हैं हम सब, प्यार में सबकुछ चलता है
सरकारें चाहे हो जिसकी, सिक्का टाटा का चलता है
जन्मोत्सव या शादी का भोज हो, समय बद्ध संचाल यहाँ,
ड्यूटी अपनी सबकी प्यारी, खाकर पहुंचे सभी वहां
एक से बढ़कर एक यहाँ पर, प्रतिभाएं संभ्रांतों में,
आई ए एस, आई पी एस छोड़ो, मुख्यमंत्री दो प्रांतों में .
धोनी का कीड़ा स्थल है, सौरभ जैसे लोग यहाँ
गांगुली हो या हो तिवारी, क्रिकेट खिलाड़ी कई यहाँ,
यहाँ बछेंद्री पाल हैं देखो, प्रेम लता अग्रवाल यहीं,
दीपिका तीर-धनुष के साथ है, साथ सुसज्जित पदक कई
तनुश्री हो या हो प्रियंका, फिल्मों में रंग दिखे हजार,
बच्चन पाठक सलिल सरीखे, जयनंदन से कहानीकार!
दो दो नेहा एक साथ में, बनती है जब आई. ए. एस.,
किशन सरीखे पूत यहाँ के, होते शहीद हैं सीमा पर
माता रोती, बापू रोते, दिल सबका ही दुखता है …
पूरा शहर उमर कर आता आँखों में जल दिखता है
पूरा शहर उमर कर आता आँखों में जल दिखता है
- जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर

2 comments:

  1. बहुत सुंदर ! बहुत अच्छा है की समय की कदर है!

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    1. आभार आदरणीय हर्षवर्धन जी

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