Monday, 11 May 2015

9 मई और मोदी जी के विभिन्न कार्यक्रम

दंतेवाड़ा, भारत के छत्तीसगढ़ प्रान्त का एक शहर है जो कि दंतेवाड़ा जिला के अंतर्गत आता है.| यह दंतेवाड़ा जिला का प्रशासनिक कार्यालय भी है.| इस शहर एवं जिले का नाम यहाँ की स्थानीय देवी मां दंतेश्वरी के नाम पर पड़ा. यह क्षेत्र नक्सलियों का गढ़ है विकास से दूर यहाँ के आदिवासी जल, जंगल और जमीन के लिए संघर्षरत हैं. माओवादियों के आतंक के कारण यह इलाका खूबसूरत होते हुए भी उपेक्षित है. अक्सर इस इलाके में नक्सलियों और सुरक्षा बालों के बीच मुठभेड़ होते ही रहते हैं और ज्यादातर हमारे पुलिसकर्मी ही मारे जाते हैं. तीन साल पहले दंतेवाड़ा में हुए नक्सली हमले में 76 जवानों को बेरहमी से मार दिया गया था. नक्सलियों की बर्बरता की यह तस्वीरें दिल दहला देंने वाली थी.
दंतेवाड़ा भारत सरकार द्वारा निर्मित सलवा-जुडूम और माओवादियों के बीच लडाई के चलते पिछले वर्ष ३५०से अधिक लोग मारे गए और लगभग ५०००० लोग शिविरों में स्थानांतरित हो गए. सलवा-जुडूम को, जिसका गठन २००५ में हुआ, राज्य सरकार द्वारा शान्ति मिशन का नाम दिया गया है.| दूसरी ओर माओवादियों का कहना है कि सलवा-जुडूम का निर्माण आदिवासियों से ज़मीन लेकर बड़े गैर-सरकारी निगमों को देने में मदद करने के लिए किया गया है.|
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को नक्सलियों के गढ़ छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा का दौरा किया. दंतेवाड़ा में मोदी ने एक सभा को संबोधित करते हुए नक्सलियों को पांच दिन का एक ‘प्रयोग’ करने की सलाह दी. मोदी ने कहा कि इस प्रयोग से एक ‘बच्चा’ उनके जीवन को बदलकर रख देगा. मोदी ने इस दौरान बस्तर के लिए रेल लाइन समेत 24 हजार करोड़ की योजनाओं की घोषणा की. मोदी ने नक्सलियों से एक प्रयोग करने को कहा. उन्होंने इसके बारे में बताते हुए कहा, ‘दो-पांच दिन के लिए कंधे पर से बंदूक नीचे रख दीजिए. आदिवासियों की तरह सादे कपड़े पहन लीजिए. आपके कारण जिस परिवार ने किसी अपने को खोया है, उस घर के बचे बच्चे के साथ 5 दिन बिताकर आइए. उससे बातें कीजिए. उसे मत बताइए कि आप कौन हैं. मैं विश्वास से कहता हूं वह बच्चा अपने अनुभव से आपको बदल देगा. आप हिल जाएंगे कि आपने कितना पड़ा पाप किया है’. अब देखना है की मोदी जी के इस बात का असर नक्सलियों पर कितना पड़ता है. वैसे मोदी ने इस दौरान बस्तर के लिए 24 हजार करोड़ रुपये की योजनाओं की घोषणा की. मोदी ने कहा कि बस्तर के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि एक साथ 24 हजार करोड़ के पूंजी निवेश के साथ फैसला किया गया है. उन्होंने कहा कि बस्तर जिले में 24 हजार करोड़ रुपये के प्रॉजेक्ट्स की जो शुरुआत हुई है, उससे आने वाले दिनों में बस्तर की जिंदगी में कैसा बदलाव आएगा, इसका उन्हें अनुमान है. उन्होंने कहा कि बस्तर में रावघाट से जगदलपुर तक रेल की पटरी बिछने से यह पूरा इलाका देश की मुख्य धारा से जुड़ेगा.
मूल भूत सुविधाओं के विस्तार से जीवन शैली में सुधार होगा और लोगों को रोजगार भी मिलेगा. पिछड़ा इलाका भी विकास के मार्ग पर चल पड़ेगा. हो सकता है उस इलाके का विकास होने से नक्सलियों के आतंक में भी कमी आएगी. लोग बन्दूक छोड़ काम के औजार पकड़ेंगे, खेती करेंगे या कोई रोजगार शुरू करेंगे. लोगों को रोजगार मिलेगा, तो खुशहाली आएगी यही तो सपना है, हमारे प्रधान मंत्री मोदी जी का. आम जनता भी यही चाहती है, पर जल्द चाहती है. देरी होने से बेसब्री बढ़ जाती है.
उधर नई दुनिया के जगदलपुर संवाददाता के अनुसार प्रधानमंत्री के छत्तीसगढ़ दौरे पर आने से पूर्व अगवा किए एक हजार से ज्यादा ग्रामीणों में से एक की हत्या के बाद शेष को नक्सलियों ने छोड़ दिया। साथ ही, ग्रामीणों को पुलिया निर्माण में सहायता करने से दूर रहने की चेतावनी दी. शनिवार रात प्रधानमंत्री के प्रदेश से जाने के बाद नक्सलियों के चंगुल से छूटे ग्रामीण अपने घरों को वापस आ गए. इनमें महिलाओं, पुरुषों के अलावा बच्चे भी शामिल थे. इससे पहले शुक्रवार रात नक्सलियों ने बस्तर संभाग के सुकमा जिला स्थित तोंगपाल थाना से महज डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर मारेंगा व टाहकवाड़ा पंचायतों के छह गांवों में जमकर आतंक मचाया था.रात करीब 10 बजे 300 से अधिक वर्दीधारी हथियारबंद नक्सली मारेंगा पंचायत के मारेंगा, कानापारा व टीपनपाल गांव जबकि टाहकवाड़ा पंचायत के जूनापानी, कोटवारपारा, पेरमापारा गांव में आ धमके। रात में ही घर-घर दस्तक देकर लोगों को उठाया और साथ चलने को कहा. विरोध करने वालों की पिटाई की और उनके हाथ-पैर बांधकर ले गए. नक्सलियों ने बुजुर्ग महिलाओं को छोड़ सभी को अगवा कर लिया और उनके मोबाइल भी ले लिए. शनिवार रात जनअदालत लगाकर मारेंगा गांव के सदाराम नाग की हत्या कर दी, जबकि अन्य को छोड़ दिया. सदाराम गांव के पास पुलिया निर्माण में मुंशी का काम करता था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को सामाजिक क्षेत्र की तीन बड़ी योजनाओं की शुरुआत की. इनमें से दो बीमा क्षेत्र से जुड़ी हैं और एक पेंशन स्कीम है. मोदी ने आज कोलकाता में नजरुल मंच से प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (जीवन बीमा), प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (दुर्घटना बीमा) और अटल पेंशन योजना की शुरुआत की. राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मौजूदगी में मोदी ने इस मौके पर कहा कि हम सत्ता में आए और तय किया कि किसी को एक हज़ार रुपये से कम पेंशन नहीं मिलेगा. पश्चिम बंगाल में दो दिनों के दौरे पर आए पीएम ने कोलकाता में कहा कि गरीबों को सहारा नहीं शक्ति की जरूरत है. सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी इन योजनाओं को शुरू करते हुए उन्होंने इस ओर ध्यान दिलाया कि देश में 80 से 90 फीसदी लोगों के पास किसी तरह का बीमा या पेंशन स्कीम नहीं है.
मोदी ने बताया कि देश में चार महीने में 15 करोड़ नए खाते खोले गए हैं जिनमें 15,000 करोड़ रुपये जमा किए गए हैं. उन्होंने इस बात को दोहराया कि वे प्रधान सेवक की तरह काम कर रहे हैं. उन्होंने यहां एक कार्यक्रम में कहा, ‘मैंने गरीबों से कहा है, यह देश, यह सरकार और हमारे बैंक आपके लिये है.. गरीब सहारा नहीं चाहते हैं। हम जिस तरीके से सोचते हैं, उसमें बदलाव लाने की जरूरत है. गरीबों को शक्ति चाहिए.’ मोदी ने कहा कि 60 साल पार कर जाने के बाद किसी को सहारे की जरूरत नहीं होगी. साथ ही रसोई गैस सब्सिडी सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में डाले जाने से सब्सिडी का दुरुपयोग रुका है.
प्रधानमंत्री ने जिन सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की शुरुआत की उनमें दो लाख रुपये का दुर्घटना बीमा कवर देने वाली प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना भी शामिल है जिसका प्रीमियम मात्र 12 रुपए वार्षिक है. अन्य दो योजनाओं में प्रधान मंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और अटल पेंशन योजना शामिल है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि तीनों योजनाएं एक जून से अमल में आएगी और इस दिशा में आगे बढ़ते हुये पहले सात दिन में बैंकों ने 5.05 करोड़ लोगों का पंजीकरण किया है, इसमें 42 लाख लोग पश्चिम बंगाल के हैं.
इन तीन योजनाओं -प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और अटल पेंशन योजना एक साथ देश भर में 115 स्थानों पर शुरू की गयी. प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) के तहत सभी बचत बैंक खाताधारकों को 12 रुपये सालाना प्रीमियम पर 2 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा मिलेगा. इस योजना में दुर्घटना के कारण मौत या स्थायी अपंगता पर 2 लाख रुपये का कवर मिलेगा. यह योजना 18 से 70 साल की आयु समूह के लोगों के लिये है।
प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई) के तहत सभी बचत बैंक खाताधारकों को सालाना 330 रुपये के प्रीमियम पर बीमित व्यक्ति की मौत होने की स्थिति में 2 लाख रुपये का जीवन बीमा कवर मिलेगा. यह योजना 18 से 50 साल के आयुवर्ग के लोग ले सकते हैं. अटल पेंशन योजना का जोर असंगठित क्षेत्र पर होगा और अंशधारकों को 1,000, 2,000, 3,000, 4,000 और 5,000 रुपये प्रति महीने पेंशन के रूप में मिलेगा. पेंशन 60 वर्ष की आयु से मिलनी शुरू होगी. इस योजना में दी जाने वाली पेंशन 18 से 40 साल की उम्र के लोगों द्वारा दी जाने वाली योगदान राशि पर निर्भर करेगी.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह गलत धारणा है कि बड़े औद्योगिक घराने ज्यादा रोजगार देते हैं, करीब 5.5 करोड़ लघु एवं मझोले उद्यमी 14 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध कराते हैं. उन्होंने कहा, ‘हम कुछ भी हासिल कर सकते हैं, लेकिन अगर फल गरीबों तक नहीं पहुंचता है तो हमारी विकास यात्रा अधूरी है … हम दुनिया को ‘मेक इन इडिया’ के लिये बुला रहे हैं और साथ ही हम गरीबों के लिये बैंक खातें खोल रहे हैं।’ प्रधानमंत्री ने लोगों से अपने घरेलू नौकरों, ड्राइवरों और लिफ्टमैन समेत अन्य के लिये इन योजनाओं के लिये प्रीमियम देने का भी अनुरोध किया.
शनिवार को नजरूल मंच पर कार्यक्रम से पहले मोदी और ममता के बीच घंटे की प्राइवेट मीटिंग ने सबको हैरान कर दिया, क्योंकि यह मीटिंग पहले से फिक्स नहीं थी। ममता मीटिंग के बाद मोदी के साथ मंच पर नजर आईं। यह पहला मौका था जब मोदी और ममता सार्वजनिक तौर पर साथ दिखे। बाद में दोनों ने राजभवन में साथ-साथ चाय-नाश्ता भी किया।
नजरूल मंच पर मोदी और ममता के बीच बेधड़क बातचीत हो रही थी। बीच-बीच में दोनों मुस्कुरा भी रहे थे। जब सीएम ममता बनर्जी ने राज्य के कई पंचायतों में बैंक नहीं होने की शिकायत की तो पीएम ने कहा, ‘मैं उनसे (ममता से) सहमत हूं। यह समस्या 60 सालों से बनी है। उन्होंने यह मुद्दा मेरे सामने उठाया क्योंकि वह जानती हैं कि मैं इसका समाधान कर सकता हूं।’
दर्शकों ने भी यह देखा कि पीएम और सीएम के बीच तल्खी खत्म हुई है और सहयोग एवं विकास की बातें हो रही हैं। त्रिपुरा के सीएम माणिक सरकार ने जब पीएम मोदी से मुलाकात की थी तो यही ममता बनर्जी ने माणिक का मजाक उड़ाया था। लेकिन, शनिवार को सुर बदलते हुए ममता ने कहा, ‘राज्य और केंद्र को कंधे से कंधा मिलाकर देश के विकास के लिए काम करना चाहिए।’
मतलब माहौल बदल रहा है. पहले नीतीश कुमार के साथ सम्बन्ध अच्छे बने, फिर ममता दीदी के साथ!… हो रहा भारत निर्माण!
गुरूदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर को श्रद्धांजलि देते हुए मोदी ने कहा, ‘इस भूमि (बंगाल) को मां लक्ष्मी और सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त है।’ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस अवसर पर कहा कि सरकार को निश्चित रूप से हमेशा लोगों के लिये काम करना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘केंद्र तथा राज्यों को साथ मिलकर काम करना है तभी देश के लिये अच्छा होता हैं आइये इस कार्यक्रम को देश के लोगों को समर्पित करे.’ मोदी सरकार के एक साल पूरा होने के समय इन्हे महत्वपूर्ण उपलब्धि के तौर पर देखा जाना चाहिए. और यह एक अच्छी शुरुआत है. 

-जवाहर लाल सिंह जमशेदपुर

2 comments:

  1. सर! नक्सलियों में कैसा असंतोष है जो मिट नहीं रहा...करना क्या चाहते हैं ये समझ नहीं आता। दहशत का व्यापार करना इनका मकसद है क्या?
    मेरा एक मित्र है,पलामू गृह नगर है उसका, मेरे साथ ही कानून की पढाई कर रहा है। एक दिन नक्सलियों ने उसे फोन किया कि तुम्हारे पापा हमारे कब्जे में है 5 लाख दो वरना मर देंगे, उसके पापा शिक्षक है प्राइमरी स्कूल में..एक आम आदमी कहाँ से लाएगा इतने पैसे..जमीन बेच के छुड़ाया...ये कैसी क्रांति है नक्सलियों की...सर! एक बार जिसे माओवाद की आग लगी शांति उसे नहीं दिखती...इनका इलाज नरसंहार ही है।

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    1. प्रिय अभिषेक जी, मेरे ख्याल से तो उस इलाके का विकास ही सही हल है. विकसित इलाके में नवयुवक अगर कार्यरत हैं तो उन्हें इन सब कार्यों के लिए समय नहीं मिलेगा. बेरोजगारी. गरीबी इन लोगों को हथियार उठने पर मजबूर करती है. हाँ इनके पीछे किसी आतंकवादी गिरोह का हाथ अवश्य होता है जिसके बहकावे में ये लोग आ जाते हैं. इन्हें पुलिस या सेना में भी रखा जा सकता है ...बातचीत का माहौल तैयार करके ...सही और सकारात्मक प्रयास की जरूरत है. नरसंहार तो ये लोग कर ही रहे हैं निर्दोष लोगों को मारकर ...

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