Sunday, 26 October 2014

मोदी की दीवाली

दीवाली के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सियाचिन ग्लेशियर पर तैनात भारतीय सैनिकों के साथ कुछ समय बिताया। मोदी ने वहां संदेश दिया कि सभी भारतीय उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। बर्फीली ऊंची चोटियों से मोदी ने दीपावली के मौके पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और सेना के अधिकारियों-जवानों को बधाई दी। इसके बाद प्रधानमंत्री श्रीनगर पहुंचे जहां वह बाढ़ पीड़ितों के साथ दिवाली मनाएंगे। मोदी ने जम्मू ऐंड कश्मीर में आई प्राकृतिक आपदा में राहत के लिए 745 करोड़ रुपए की सहायता देने की घोषणा की।
सियाचिन पहुंचकर मोदी ने ट्वीट किया, ‘शायद पहली बार किसी प्रधानमंत्री को दीपावली के शुभ दिन हमारे जवानों के साथ समय बिताने का अवसर मिला है। बर्फ की ऊंची चोटियों से और अपने बहादुर जवानों और सशस्त्र बलों के अधिकारियों को मैं शुभ दीपावली की कामना करता हूं। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को सियाचिन से शुभ दिपावली की शुभकामना। मैं समझता हूं कि प्रणब दा को मिली बधाइयों में यह अनोखी होगा।’
दिल्ली से रवाना होने से पहले मोदी ने कहा, ‘मैं प्रत्येक भारतीय की ओर से यह संदेश लेकर सियाचिन जा रहा हूं कि हम आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं।’ देश के प्रहरियों की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, चाहे यह ऊंचाई हो या भीषण ठंड, हमारे सैनिकों को कोई नहीं रोक सकता। वे वहां खड़े हैं और देश की सेवा कर रहे हैं। वे हमें सही मायने में गौरवान्वित कर रहे हैं।
सियाचिन के संक्षिप्त दौरे के बाद मोदी श्रीनगर रवाना हो गए। यहां मोदी का जम्मू व कश्मीर में पिछले महीने आई विनाशकारी बाढ़ के पीड़ितों के साथ दिवाली मनाने का कार्यक्रम है। मोदी ने इस प्राकृतिक आपदा में क्षतिग्रस्त हुए मकानों की मरम्मत के लिए 570 करोड़ रुपए और बाढ़ प्रभावित छह प्रमुख अस्पतालों के नवीकरण के लिए 175 करोड़ रुपये की सहायता देने की घोषणा की। उन्होंने राज्य की जनता को आश्वासन दिया कि बाढ़ प्रभावितों के सहायता क्रार्य में केंद्र सरकार प्रदेश सरकार के साथ पूरे मनोयोग के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करेगी। उन्होंने राज्य के बच्चों को पुस्तक सामग्री उपलब्ध कराने की बात भी कही जो बाढ़ के कारण नष्ट हो गई हैं।
अपने देश का शायद ये पहले प्रधान मंत्री होंगे जो इस तरह दीवाली मनाएं हैं. क्या होता अगर वे अपने दफ्तर से ही शुभकामना सन्देश भेज देते ? पर उन्होंने ऐसा नहीं किया सियाचीन की ठंढक और जवानों की गर्मी को महसूस करने स्वयं पहुँच गए. जम्मू कश्मीर के बाढ़ पीड़ितों के बीच पहुँच कर उनके मदद की घोषणा करना यह भी एक अनूठी पहल है. इसे कहते हैं अँधेरे को रोशन करना.
हम सबों ने खूब दिए जलाये, पटाखे फोड़े … पर शायद ही यह ख्याल किसी के मन में आया होगा कि किसी जरूरत मंद, कमजोर, निर्धन को मदद कर भी दीवाली मनाई जा सकती है. ये है हमारे प्रधान मंत्री/प्रधान सेवक का मानवीय पहलू जो जनता के दिल में जगह बनाये रखने के लिए काफी है. अभी हाल ही में हुद हुद तूफ़ान के समय विशाखा पटनम में राहत कार्यक्रमों को देखा और १००० करोड़ की मदद की भी घोषणा की. आगे भी वे देश के हर हिस्से की जरूरत को देखते हुए मदद करने का हर सम्भव प्रयास करते रहेंगे. ऐसी आशा की जानी चाहिुए.
वैसे पाकिस्तान ने सरहदों पर पटाखे तो फोड़े ही, पाकिस्तानी संसद ने भी भारत पर गोले दागने का ही काम किया, क्या करें? उनके पास इसके अलावा कोई चारा भी नहीं है. पूरे भारत देश में दीवाली जम कर मनाई गयी. प्रदूषण और दीवाली के बाद आतिशबाजियों से हुई गन्दगी का किसे परवाह. वैसे हर पर्व खासकर दीवाली तो सफाई के सन्देश के साथ आता है और अंत में कुछ गंदगी छोड़ जाता है. हमारे पर्व त्योहार के दोनों पक्ष है. एक तरफ सफाई, खुशी और भाई-चारे का सन्देश तो कुछ स्याह पहलू भी हैं. कभी गंदगी, राजनीति तो कभी वैभनस्य और हादसे भी छोड़ जाता है. इस बार भी कई जगह पटाखों के दुकानों में आग लगी और जान माल का नुक्सान भी हुआ.
वैसे श्री मोदी की दीवाली तो १९ अक्टूबर को हरियाणा और महाराष्ट्र में चुनाव परिणाम आने के साथ ही शुरू हो गयी थी. २५ अक्टूबर को दिल्ली में पत्रकारों से मिलते हुए उन्होंने पत्रकारों की सराहना की और कहा कि, कलम में, कैमरे में बड़ी शक्ति होती है, ये चाहें तो सरकारें बदल सकती है, बना सकती है, गिरा सकती है. साथ ही स्वच्छता अभियान पर पत्रकारों के कैमरे और कलम दोनों को सराहा. मोदी के स्वच्छता अभियान में सचिन तेंदुलकर से लेकर मारी कॉम तक, सलमान खान के साथ-साथ पूरा बॉलीवुड झाड़ू लगाने आगे आया और अब तो शशि थरूर भी. इसे कहते है बदलाव. २६ अक्टूबर को एन डी ए के सांसदों का प्रधान मंत्री के साथ दीवाली मिलन के कार्यक्रम में भी उन्होंने सभी सांसदों को जनता और गरीबों के हितों के लिए काम करने का ही मन्त्र दिया, साथ हे कुछ मंत्रियों के रिपोर्ट कार्ड भी देख लिए.
हरियाणा और महाराष्ट्र के विधान सभाओं में जीत यह दर्शाता है कि जनता अभी भी मोदी को ही आशा भरी नजरों से देख रही है. धीरे धीरे कांग्रेस और क्षेत्रीय पार्टियों का वर्चस्व कम होता जायेगा और मोदी भाजपा के सर्वमान्य नेता बने रहेंगे. निरंतर सुधार की गुंजाईश हमेशा बनी रहती है इसीलिये उन्हें कानून ब्यवस्था, महिला उत्पीड़न और दुष्कर्म जैसी घटनाओं पर लगाम लगाने के हर सम्भव प्रयास करने चाहिए. भ्रष्ट नेताओं को जनता ही सबक सीखा रही है, जैसा कि पिछले चुनावों में हुआ है. काला धन रखने वाले कम से कम तीन कारोबारियों के नाम तो उजागर हुए हैं. अर्थात मोदी सरकार कार्यरत है यह तो जाहिर हो रहा है.
लोकप्रियता के पैमाने पर अगर देखा जाय तो अमिताभ बच्चन भी कम नहीं हैं. देश का हर आदमी उनसे बात कर, मिलकर अपने आप को धन्य समझता है. कौन बनेगा करोड़पति के माध्यम से वे हर प्रकार/श्रेणी के लोगों से मिलते हैं, उनका उत्साह बढ़ाते हैं और उनके साथ, गले लगाने से लेकर डांस करने भी नहीं हिचकते. यह सब मानवीय पहलू है, जो लोगों को आम लोगों से अलग करता है.
लोकप्रियता के मामले में हास्य कलाकार और हाजिर जवाब कपिल शर्मा भी उभरकर सामने आए हैं. लोगों को हँसाना/ खुश करना साधारण बात नहीं है. कपिल आज उच्च कोटि के हास्य कलाकार बने हैं और काफी पॉपुलर अभिनेता/अभिनेत्रियां उनके शो पर अपने फिल्म का प्रोमोसन करने के लिए आ रहे हैं. सुनील गावस्कर से लेकर युवराज सिंह तक क्रिकेट प्लेयर भी उनके शो पर आ रहे हैं और अपने खुशी के पल बाँटते हैं.
मनुष्य के जीवन में सुख और दुःख आते रहते हैं, दुखों में न घबराकर सुख में आनंद के क्षण को साझा करना दूसरों को खुश कर देना बहुत बड़ा गुण है ऐसे गुण जिनमे आ जाय वे व्यक्ति महान बन जाते हैं.
टी वी चैनेल के कुछ कार्यक्रम अच्छे और शिक्षाप्रद होते हैं, पर कुछ चैनल अश्लीलता और फूहड़ता फ़ैलाने में भी आगे हैं. टी वी और फ़िल्में मनोरंजन का साधन तो है ही उनके द्वारा समाज को सार्थक सन्देश भी दिया जा रहा है. अक्सर भले और बुरे लोग आजकल फ़िल्में या टी वी के कार्यक्रम देखकर बन रहे हैं. पर बाजारवाद इतना हावी हो गया है कि सभी चैनेल अपनी टी आर पी बढ़ाने और विज्ञापन बटोड़ने के जुगाड़ में लगे रहते हैं. थोड़ा जन-कल्याण की तरफ़ भी इन्हे ध्यान देना चाहिए. सूचना तंत्र आज जितना विकसित हुआ है, उसका फायदा और नुक्सान दोनों सामने है. हमें सकारात्मकता की तरफ ज्यादा ध्यान देना चाहिए.
आज से शुरू होने वाले बिहार, झारखण्ड और पूर्वांचल में होने वाले लोक-आस्था के महान पर्व छठ की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ.
- जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर

Sunday, 19 October 2014

पगार, पोंगा और पकौड़ी

रंग कोयले का काला है, जलकर दिया उजाला है,
तापित होकर ठंढा पानी, भाप की शक्ति सबने जानी.
बिजली भले नहीं दिखती है, इससे मृत भी नृत्य करती है.
बड़े छोटे सब कल करखाने, बिजली की लीला सब जाने.
रेल क्रेन या अन्य मशीने, मृत बने गर बिजली छीने
कारीगर हो या मजदूर, घर से रहता हरदम दूर.
साइरन की मीठी धुन सुन, बिस्तर छोड़े होकर निर्गुण.
चश्मा हेलमेट बूट पहनकर, आता वह साइकिल पर चढ़कर.
हाजिरी लेती सजग यन्त्रिका, देरी से हो स्वत: दण्डिता.
घर्र घर्र आवाजे करती, अनेक मशीनें चलती रहती. .
पाना, पेंचकस, और हथौड़ा, सामने टेबुल लम्बा चौड़ा.
पढ़े लिखे कुछ मन में सोचे, अनपढ़ अपना हाथ न खींचे.
टाइम टेबुल बनी हुई है, बॉस की भौहें तनी हुई है.
अपनी गति से चले मशीने, मानव देह से बहे पसीने.
गलती छोटी गर हो जाती, खून करीगर की बह जाती.
तापित लोहा द्रव बन जाता, सोलह डिग्री पर खौलाता
अपनी ड्यटी नित्य निभाए, सकुशल अगर वो घर आ जाए,
पत्नी बच्चे खुश हो जाते, बैठ के थोड़ा वे सुस्ताते.
मिहनत का फल उसको मिलता, एक मास जिस दिन हो जाता.
घर का राशन लाना होगा, कर्जा किश्त चुकाना होगा.
पत्नी को साड़ी की आशा, नए खिलौने ला दे पापा.
बोनस जिस दिन वह पाता है, सबसे ज्यादा सुख पाता है.
कपड़े नए बनाने होंगे, घर पर कुछ भिजवाने होंगे.
भूल के सारे रीति रिवाज, बॉस की सुनता बस आवाज.
अर्थ नीति का पालन करता, देश विकास में इक पग धरता
नेता अवसर खूब भुनाता, मालिक से चंदा जो पाता,
लेखक कवि जो भाव जगाये, सुन्दर शब्द कहाँ से पाये,
बातें करता लम्बी चौड़ी, पगार, पोंगा और पकौड़ी
‘तीन शब्द’ से गहरा नाता, ‘पोंगा’ उसको समय बताता
चाय संग खाए ‘पकौड़ी’, ख़त्म ‘पगार’ बचे न कौड़ी

श्रम एव जयते

वर्षों पहले मैंने अपने मित्र और विख्यात कथाकार श्री जयनंदन की पुस्तक (उपन्यास) ‘श्रम एव जयते’ पढ़ी थी. जिसमे श्री जयनंदन ने एक प्रतिष्ठित कारखाने और उसके मजदूरों का विस्तृत विवरण, कथा के रूप में लिखा था. इसमे मजदूरों की ख़राब स्थिति और साथ ही सुधार के उपायों का भी जिक्र किया गया था. कुछ अच्छे कदम बताये गए थे. जिससे मजदूर और मालिक के सम्बन्ध बेहतर हो सकते हैं. बड़ी ही व्यावहारिक और सत्य घटनाओं पर आधारित कहानी थी. श्री जयनंदन को १९९१ में भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा युवा पीढ़ी प्रकाशन योजना के तहत सर्वश्रेष्ठ चयन के आधार पर उपन्यास श्रम एव जयतेका चयन और प्रकाशन, युवा साहित्यकार के रूप में भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था. आज मेरे वे मित्र निश्चित ही गद-गद होंगे क्योंकि उनकी कल्पना के कुछ अंश साकार होते दीख रहे हैं. नाम भी ठीक वही जो उस उपन्यास का था.  देश के प्रधान सेवक, मजदूर नंबर वन ने श्रमेव जयते कार्यक्रम की घोषणा कर अब सभी मजदूरों,  नौकरी पेशावाले निचले और मध्यम दर्जे के कर्मचारियों का दिल जीत लिया. कुछ सुधार, तो कुछ प्रोत्शाहन, और मान सम्मान भी बढ़ाया है. लेनिन ने नारा दिया था दुनियां के मजदूरों एक हो! अब मोदी जी ने सभी कामगारों, श्रमिकों, को नए सूत्र मे पिरोया है. जैसे कि  कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) के लिए यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (यूएएन) के जरिये पोर्टेबिलिटी, श्रम मंत्रालय के साथ कामकाज में सहूलियत प्रदान करने के लिए सिंगल विंडो व्यवस्था के लिए पोर्टल और यूनिफाइड लेबर इन्सपेक्शन स्कीम शामिल हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंस्पेक्टर राज व्यवस्था को समाप्त करने के उपायों समेत अनेक श्रम सुधार कार्यक्रम पेश किए और कहा कि 'मेक इन इंडिया' कैंपेन की सफलता के लिए कारोबार के अनुकूल माहौल बनाना जरूरी है। श्री मोदी ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय श्रमेव जयते कार्यक्रम के तहत कई योजनाएं पेश कीं, जिनमें कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) के लिए यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (यूएएन) के जरिये पोर्टेबिलिटी, श्रम मंत्रालय के साथ कामकाज में सहूलियत प्रदान करने के लिए सिंगल विंडो व्यवस्था के लिए पोर्टल और यूनिफाइड लेबर इन्सपेक्शन स्कीम शामिल हैं।
दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री ने इन योजनाओं की शुरुआत करते हुए कहा कि ये सभी कदम उनकी सरकार के 'न्यूनतम सरकार और अधिकमत सुशासन' की पहल को बताते हैं। लेबर इन्सपेक्शन में पारदर्शिता लाकर इंस्पेक्टर राज खत्म करने और अधिकारियों द्वारा परेशान करने की प्रवृत्ति पर लगाम लगाने का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि एकाधिकार से जुडी प्रवृत्ति पर लगाम लगाने के लिए पारदर्शी लेबर इन्सपेक्शन स्कीम तैयार की जा रही है। अभी इन्सपेक्शन के लिए इकाइयों का चयन स्थानीय स्तर पर किया जाता है, जिसमें व्यावहारिक मापदंड का अभाव पाया जाता है। नई योजना के तहत गंभीर मामले अनिवार्य इन्सपेक्शन की सूची में आएंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जितनी ताकत सत्यमेव जयते की है, उतनी ही ताकत श्रमेव जयते की है। उन्होंने कहा, 'गरीबों के 27 हजार करोड़ रुपये ईपीएफ में पड़े हैं, जिसके लिए किसी ने दावा नहीं किया है। यह गरीब कर्मचारियों की मेहनत का पैसा है और मुझे इसे उन्हें वापस लौटाना है।' छोटे कारोबारियों के लिए बड़ी राहत की घोषणा करते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें फॉर्म के झंझट से मुक्ति मिलेगी, अब 16 की जगह एक फॉर्म भरने होंगे और यह ऑनलाइन उपलब्ध है। मोदी ने ऐलान किया कि अब कम्प्यूटर पर ड्रॉ के जरिये यह तय होगा कि कौन लेबर इंस्पेक्टर किस फैक्टरी का इन्सपेक्शन करने के लिए जाएगा और उसे 72 घंटे के भीतर ऑनलाइन रिपोर्ट आपलोड करना होगा। वैसे भी कहा जाता है परिश्रम कभी भी बेकार नहीं जाता और मौजूदा प्रधान मंत्री ने इसे साबित भी किया है|

पीएम ने कहा, '2020 तक दुनिया में करोड़ों कामगारों की जरूरत होगी। हमें श्रम को देखने का नजरिया बदलना चाहिए। आईटीआई वालों को हीन भावना से देखा जाता है,यह सही नहीं है।' योजनाओं की शुरुआत के मौके पर औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आइटीआई) में ट्रेनिंग ले रहे 4.2 लाख छात्रों को पीएम की ओर से एसएमएस भेजकर उनका उत्साह बढ़ाया गया। एसएमएस में प्रधानमंत्री इन छात्रों को विशिष्ट बताते हुए उन्हें स्किल डिवलेपमेंट का ब्रैंड ऐंबैसडर बनने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री पिछले सालों में बड़ी उपलब्धियां हासिल करने वाले आईटीआई से पास चुनिंदा व्यक्तियों की उपलब्धियों से संबंधित पुस्तिका का विमोचन किया।
छात्रों के अलावा करीब एक करोड़ ईपीएफओ उपभोक्ताओं को यूनिवर्सल अकाउंट नंबर के जरिये पोर्टेबिलिटी के बारे में एसएमएस भेजा गया। यूएएन के जरिए उपभोक्ता अपने ईपीएफ खाते की ऑनलाइन जानकारी प्राप्त करने के साथ ही फंड निकालने के लिए ऑनलाइन आवेदन भी कर सकेंगे। उन्हें अपने एंप्लॉयर से आवेदन फॉरवर्ड कराने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। नौकरी बदलने के बाद भी कर्मचारी का यूएएन नंबर वही रहेगा। उसे केवल नए एंप्लॉयर के पास अपना यूएएन दर्ज कराना होगा। ईपीएफओ अब तक लगभग 4.17 करोड़ ईपीएफ ग्राहकों के यूएएन तैयार कर चुका है, जो 15 अक्टूबर से ऑपरेशनल हो गए।
तीसरी स्कीम का संबंध श्रम सुधारों से है। इसके तहत श्रम मंत्रालय द्वारा तैयार एकीकृत श्रम पोर्टल और यूनिफाइड लेबर इन्सपेक्शन स्कीम की शुरुआत हुई। आगे चल कर यूनिक लेबर आइडेंटिफिकेशन नंबर (एलआईएन) के जरिए प्रत्येक औद्योगिक इकाई का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन संभव होगा। वे आसानी से अपना एकल रिटर्न दाखिल कर सकेंगी। लेबर इंस्पेक्टर भी इस पर अपनी निरीक्षण रिपोर्ट अपलोड कर शिकायतों का त्वरित समाधान कर सकेंगे। जल्द ही 6-7 लाख इकाइयों को एलआईएन जारी किए जाने की संभावना है।
चौथी और अंतिम स्कीम स्किल डिवलेपमेंट अप्रेंटिसशिप से ताल्लुक रखती है। इस समय देश में उद्यमिता प्रशिक्षण के लिए 4.9 लाख सीटें उपलब्ध हैं। इसके बावजूद महज 2.82 लाख अप्रेंटिस ही प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। सरकार इस स्थिति को बदलना चाहती है। इसके लिए अप्रेंटिस प्रोत्साहन योजना शुरू की गई है। योजना के तहत प्रशिक्षुओं का स्टाइपेंड (मानदेय) बढ़ाने के साथ-साथ सिलेबस में भी बदलाव होगा। इससे मार्च, 2017 तक एक लाख प्रशिक्षुओं को फायदा मिलने की उम्मीद है। अगले कुछ वर्षो में प्रशिक्षु सीटों की संख्या बढ़कर 20 लाख होने की संभावना है।
निश्चित ही श्री मोदी अपने वोटरों के बड़े वर्ग को प्रभावित करने का काम किया है. सफाई अभियान से सभी को जोड़कर सफाई और सफाई कर्मचारियों के महत्व को इंगित किया और अब श्रमिकों के बड़े वर्ग को| श्री मोदी में इस तरह की कलाएं कूट कूट कर भरी है| मंगल मिशन की सफलता के समय वैज्ञानिकों  का हौसला बढ़ाते हैं, तो सैन्य कमांडरों के सालाना सामूहिक सम्मेलन को संबोधन में मोदी ने कहा कि सुरक्षा बल भारत के प्रति दूसरों के बर्ताव को प्रभावित करेंगे।
तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ अपने पहले संवाद में प्रधानमंत्री ने कहा कि पूर्ण युद्ध शायद ही होंगे, लेकिन प्रतिरोध तथा दूसरों का बर्ताव प्रभावित करने के हथियार के तौर पर बल अपनी भूमिका निभाते रहेंगे।
संघर्षों की अवधि छोटी होगी। खतरे ज्ञात हो सकते हैं, लेकिन शत्रु अदृश्य हो सकता है। प्रधानमंत्री का यह बयान हाल में पाकिस्तान की ओर से एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर संघर्षविराम उल्लंघन और लद्दाख में चीनी घुसपैठ की पृष्ठभूमि में अहम है।
मोदी ने कहा कि आर्थिक, राजनैतिक और सुरक्षा नीतियों को लेकर बदलता वैश्विक परिदृश्य हमें नई तैयारियों के लिए आगाह कर रहा है। वर्तमान से इतर, भविष्य की चुनौतियां ज्यादा मायने रखती हैं जहां हालात बड़ी आसानी से बदल सकते हैं, क्योंकि वहां टेक्नॉलजी अपना काम कर रही होगी।
हमें उम्मीद ही नहीं पूर्ण भरोसा करनी चाहिए किमोदी के नेतृत्व में देश बहुत आगे बढ़ेगा. सभी लोग ज्ञानवान, धनवान, और बुद्धिमान होंगे. सभी देश के प्रति समर्पित भाव से अपना काम करते हुए देश सेवा करेंगे.
मिला जुलाकर देखा जाय तो श्री मोदी विकास के प्रति उन्मुख हैं| विकास के लिए जरूरी है निर्माण और निर्माण में लगते है कारीगरों, श्रमिकों, मजदूरों के हाथ| इन्ही हाथों की बदौलत हम अपनी आवश्यकता और सुविधा के सामानों से लैश होते हैं. ये सभी सुख- सुविधाएँ मिलाती रहे इसके लिए जरूरी है श्रमिकों का सम्मान, उनके हितों की रक्षा और सरक्षण| श्रमिकों और उद्योगपतियों (मालिकों) के बीच रिश्ते भी मधुर होने चाहिए ताकि दोनों एक दूसरे के हितों का ख्याल रक्खें. इसी में हम सबका और देश भी भला है| हम सभी देश में निर्मित सामग्री ही खरीदें ताकि हमारे अपने देश के कारीगर खुशहाल हों इसी सन्देश के साथ सभी मित्रों/पाठकों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं! ...

-    जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर    

Sunday, 5 October 2014

धार्मिक आयोजन और भगदड़

भारत में बड़े धार्मिक आयोजन के दौरान भगदड़ की घटनाएं अक्सर होती रही हैं.
आइये कुछ आंकडे देखते हैं, जो अंतर्जाल से लिए गए हैं.
त्योहारों और विशेष आयोजनों के मौकों पर धार्मिक स्थलों में श्रद्धालुओं की भीड़ भारत में आम बात है लेकिन कई बार भगदड़ मचने से रंग में भंग हो जाता है ... 1986 - हरिद्वार में एक धार्मिक आयोजन के दौरान भगदड़ में 50 लोगों की मौत हो गई.
14-01-2011 - ... 100 लोगों की मौत हो गई है. श्रृद्धालुओं को लेकर जा रही जीप के नियंत्रण खो देने और लोगों से टकरा जाने के बाद मची भगदड़ से हुआ हादसा. ...
08-11-2011 - हरिद्वार में हुई एक भगदड़ के दौरान कम से कम 16 लोग मारे गए और 40 जख्मी हुए हैं. गंगा के किनारे शांतिकुंज आश्रम के एक आयोजन के दौरान मुख्य समारोह स्थल के एक गेट पर भगदड़ मची. ... भगदड़ उस समय हुई जब कुछ श्रद्धालुओं ने गायत्री परिवार के धार्मिक अनुष्ठान में हिस्सा लेने की जल्दी की.
14-01-2012 - मध्यप्रदेश के रतलाम में शहीदे कर्बला के 40 वें दिन हुए धार्मिक आयोजन के दौरान अचानक भगदड़ मच गई। इस भगदड़ में बारह लोगों की मौत हो गई और कई अन्य जख्मी हो गए।
20-02-2012 - गुजरात में भगदड़, 6 लोगों की मौत गुजरात के जूनागढ़ में आयोजित शिवरात्रि मेले में रविवार रात हुई भगदड़ में 6 लोगों ... के लिए लाखों श्रद्धालुओं की एकत्रित भीड़ में अचानक हुई भगदड़ से 6 लोगों की मौत हो गई, जिनमें 3 महिलाएं और 1 बच्चा शामिल हैं।
24-09-2012 ... देवघर में अनुकूल चन्द्र ठाकुर की 125वीं जयंती पर सत्संग आश्रम में आयोजित समारोह में भगदड़ मे कम से कम 9 यात्रियों की मृत्यु और अनेक के घायल होने की घटना
11-02-2013 - बारह वर्षों में होने वाले कुंभ मेले में कल रविवार को मौनी अमावस्‍या के दिन इलाहाबाद के रेलवे स्‍टेशन पर भगदड़ मच जाने से लगभग 36 लोगों की मौत हो गयी।
26 अगस्त 2014 ... मथुरा के बरसाना और देवघर के श्री ठाकुर आश्रम में मची भगदड़ से लगभग एक दर्जन श्रद्धालु मारे गए थे।
०४.१०.२०१४ को आंध्रप्र्रदेश के कुर्नूल जिले में एक मंदिर में आयोजित एक धार्मिक समारोह में भगदड़ मच गई। भगदड़ में 12 साल के एक बच्चे की मौत हो गई जबकि 37 श्रद्धालु घायल हो गए।
०३.१०.२०१४ बिहार की राजधानी पटना में रावण दहन के बाद भगदड़ में मरने वालों की अधिकारिक  संख्या 3बतायी जा रही है. पटना के गांधी मैदान में हुई इस घटना पर राज्य के गृह सचिव आमिर सुभानी ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि 100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. घटना की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिए गए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के सीएम जीतन राम मांझी से फोन पर बात की है. पीएम ने मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया है.
घटना एक्जीबिशन रोड इलाके में रामगुलाम चौक के पास उस वक्त हुई जब अफवाह की वजह से भगदड़ मच गई. घायलों को पीएमसीएच में भर्ती कराया गया है. पटना के डीएम मनीष वर्मा ने बताया कि हादसे में मरने वालों में अध‍िकतर महिलाएं और बच्चे हैं. डीएम का कहना है कि हादसे की वजह की जांच की जा रही है.
पुलिस के मुताबिक लोग गांधी मैदान में आयोजित रावण दहन कार्यक्रम से लौट रहे थे. वहीं, मां दुर्गा की मूर्ति विसर्जन के लिए भी इसी रास्ते पर सैंकड़ों की तादाद में लोग मौजूद थे. बताया जा रहा है कि इस दौरान किसी ने बिजली का तार गिरने की अफवाह फैला दी. चश्मदीदों के मुताबिक जिस वक्त भगदड़ मची उस वक्त गांधी मैदान का सिर्फ एक गेट ही खुला था और एक्जीबिशन रोड पर काफी भीड़ थी. हादसे के बाद कई लोग लापता हैं जिनके परिजन तलाश कर रहे हैं. चश्मदीदों का कहना है कि जिस वक्त घटना हुई, उस वक्त मौके पर रोशनी न के बराबर थी. घटनास्थल के पास अब भी लोगों के चप्पल जूते बिखरे पड़े हैं.
हादसे के बाद सियासत भी शुरू हो गई है. बीजेपी सांसद रामकृपाल यादव ने राज्य की जेडी(यू) नीत सरकार पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है. बीजेपी नेता सीपी ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन भीड़ की तुलना में इंतजाम करने में विफल रहे हैं. पूर्व सीएम लालू यादव ने कहा है कि भगदड़ प्रशासनिक चूक का मामला है.
पटना में उसी दिन सुबह ही एक सड़क हादसा हुआ था जब फुलवारीशरीफ में एक कार ने आठ लोगों को रौंद दिया. इस हादसे में चार लोगों की मौत हो गई. गौरतलब है कि साल 2012 में छठ पर्व के दौरान भी पटना के गंगा घाट पर भगदड़ मच गई थी जिसमें कई लोग मारे गए थे.
दो वर्ष पूर्व छठ पर्व के दौरान भी पटना में इसी तरह भगदड़ मची थी लेकिन उससे कोई सबक न लेते हुए इस बार भी प्रशासन की इंतजाम नाकाफी थे। हादसे के बाद नाराज लोगों ने घटनास्थल पर और पीएमसीएच के बाहर हंगामा किया। गृह मंत्रालय ने हादसे पर रिपोर्ट तलब की है।
पांच लाख से ज्यादा की भीड़ से खचाखच भरे गांधी मैदान में 60 फीट ऊंचा रावण का पुतला बनाया गया था। पुतला दहन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने भी शिरकत की थी। बताया गया है कि रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतलों में आग लगने के बाद जैसे ही लोग मैदान से बाहर जाने लगे, तभी भगदड़ मची। मैदान के अंतर्गत रामगुलाम चौक के नजदीक मची भगदड़ में अंधेरा होने के कारण लोग चपेट में आते चले गए। बताते हैं कि भगदड़ बिजली का तार टूटने की अफवाह फैलने के बाद मची। सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मियों ने स्थिति पर काबू पाने की कोशिश की लेकिन वे असफल रहे। घटना के बाद बचाव के उपाय न होने से लोगों में काफी आक्रोश था। वे हंगामे पर उतारू हो गए। मुख्यमंत्री ने घटना की जांच का आदेश दिया है। गृह सचिव और एडीजी घटना की जांच करेंगे।
यह वही गांधी मैदान है जहां पर अक्टूबर, 2013 में नरेंद्र मोदी की रैली हुई थी और उस दौरान बम विस्फोट हुए थे। बावजूद इस सबके प्रशासन ने कोई सतर्कता नहीं बरती।
80 के दशक में जमशेदपुर में भी विजयादशमी के दिन भगदड़ मची थी और कई लोग मारे गए थे. उसके बाद जमशेदपुर में भगदड़ का इतिहास नहीं है. यहाँ के प्रशासन और अनुशासित नागरिकों ने भी सबक ले लिया.
दिक्कत यह है कि ऐसी घटनाएं होने के बाद भी न धार्मिक आयोजनों के आयोजक और न ही स्थानीय प्रशासन सावधान रहता है। स्थानीय प्रशासन इसलिए इन आयोजनों में हस्तक्षेप नहीं करता, क्योंकि इससे धार्मिक भावनाएं भड़कने का खतरा होता है। इनके आयोजकों में भी इसलिए लापरवाही होती है, क्योंकि वे जानते हैं कि धार्मिक आयोजन होने के नाते वे काफी छूट ले सकते हैं। कम ही धार्मिक प्रतिष्ठान हैं, जो आम लोगों की सुविधा और सुरक्षा के नजरिये से योजनाबद्ध तरीके से आयोजन करते हों।
ज्यादातर जगहों पर आने-जाने के मार्ग इतने संकरे होते हैं कि भगदड़ होने पर लोगों के कुचले जाने का खतरा होता है। इन दिनों भीड़ के नियंत्रण के लिए धार्मिक प्रतिष्ठानों में ऐसे बैरिकेड लगा दिए जाते हैं कि भगदड़ होने पर कोई इधर-उधर नहीं हो सकता। ज्यादातर मंदिरों या अन्य धार्मिक प्रतिष्ठानों का निर्माण तब हुआ था, जब देश की आबादी इतनी नहीं थी और यातायात के साधन भी सुगम नहीं थे। अब तो दूरदराज के मंदिरों में भी आसानी से लाखों लोग पहुंच जाते हैं। कई मंदिरों में पहले कुछ विशेष अवसरों पर ही थोड़ी-बहुत भीड़ होती थी, अब रोज वहां मीलों लंबी लाइनें देखने को मिलती हैं।
हमारा आम रवैया यह होता है कि जब तक दुर्घटना नहीं हो जाती, तब तक कुछ नहीं करते और अगर दुर्घटना हो जाती है, तो दूसरों पर जिम्मेदारी डाल देते हैं। अब संचार और यातायात की सुविधा की वजह से लाखों लोगों का किसी आयोजन में इकट्ठा होना कोई मुश्किल नहीं है, इसलिए सुरक्षा के मामले में लापरवाही का रवैया चल नहीं सकता और यह बात सिर्फ आयोजकों को नहीं, वहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को भी समझनी होगी। कोई नहीं चाहता कि श्रद्धा से की गई तीर्थयात्रा किसी के लिए मृत्यु का कारण बने, लेकिन धार्मिक आयोजन तभी सुरक्षित होंगे, जब आयोजक और श्रद्धालु, दोनों व्यवस्था और अनुशासन बनाए रखने की अपनी जिम्मेदारी को समझें।
आजकल अन्धानुकरण भी काफी बढ़ गया है, सभी लोग इन धार्मिक आयोजनों में शामिल होकर अपने पाप धो डालना चाहते हैं या पुण्य कमाकर सीधे स्वर्ग जाने की कामना रखते हैं. इसमे किसी को भी जरा सा धैर्य नहीं होता. आखिर हम सब विकसित होकर क्या सीख रहे हैं. आस्था होना अलग बात है और अन्धानुकरण अलग. हमें इनमे फर्क करना सीखना होगा. खासकर इन दुर्घटनाओं में बच्चे और महिलाएं ही ज्यादा हताहत होते हैं कम से कम उन्हें तो इस भीड़-भाड़ से बचाए जाने की कोशिश की जानी चाहिए. जांच होगी राजनीति भी होगी. मुआवजा भी मिलेगा, पर जिन्दगी वापस नहीं मिलेगी. हम सब मृत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना ही कर सकते हैं.
-       -  जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर.