Monday, 4 August 2014

अच्छे दिन! बुरे दिन!

यह राजनीति भी अजीब चीज है. कहते हैं इसमें कोई स्थाई दुश्मन या दोस्त नहीं होता है. अच्छे दिन का वादा कर के मोदी जी तो कामयाब हो गए. वाकई उनके और भाजपा के अच्छे दिन तो आ ही गए. गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में वीजा देने से इंकार करने वाला अमेरिका वीजा साथ में लेकर निमंत्रण देने (कैरी) आ गया. उस ‘कैरी’ को भी ‘कौड़ी’ बनाकर वापस भेजा. इधर कांग्रेस से मुक्त भारत के निर्माण में भी मोदी जी सफल होते नजर आ रहे हैं. मोदी जी सचमुच जादूगर हैं. महज ४४ सीट जीतकर कांग्रेस विपक्ष की दावेदारी से भी बाहर हो गयी. अब संसद में विपक्ष नाम की चीज ही नहीं रह गयी है. ऊपर से सोनिया राहुल के ऊपर मनी लॉन्डरिंग का सुब्रमण्यम स्वामी का मुक़दमा और पेशी से परेशान सोनिया राहुल पर नटवर सिंह की किताब के साथ जुबानी हमला. करैला और नीम के साथ मिर्ची भी. कभी नेहरू गांधी परिवार के खासमखास कहे जाने वाले नटवर सिंह आज सबसे बड़े दुश्मन के रूप में नजर आ रहे हैं.  अब सोनिया गांधी भी किताब लिखेंगी 'वन लाइफ इज़ नॉट एनफ' ...सचमुच में अब इस लाइफ में वह भारत का प्रधान मंत्री बनने से रही, क्या पता उन्हें इटली वापस जाने का मौका भी मिलेगा या नहीं. सुख के सब सब साथी....दुःख में न कोय....
समय का और राजनीति का ही तकाजा है कि एक दुसरे को बर्दाश्त नहीं करने वाले नितीश और लालू कांग्रेस के साथ महागठबंधन बनाने को मजबूर हुए. बकौल चिराग पासवान सांप बिच्छू की जोड़ी ... ऐसे ही पुत्र पिता का का नाम रोशन करते हैं. उधर ममता बाम दलों के साथ मिलना चाहती हैं.  यह सब अस्थाई है ..इस संसार में स्थाई क्या है? जो आया है, जायेगा ही जो चढ़ा है, कभी गिरेगा ही....जय हो पशुपति नाथ की! जीत बहादुर भी अपनी माँ से मिलकर कितना खुश है. सोमनाथ की धरती से पशुपति नाथ की धरती तक. नेपाल की जनता का मन मोहा... भोले बाबा खुद भिखारी जैसे दिखते हैं, पर किसी पड़ोसी को देना हो तो हम दिल खोल देते हैं. आप भी हमसे मिलो, कारोबार करो...
मोदी जी ने कहा था - जन प्रतिनिधियों पर मुकदमों का निपटारा एक साल के अंदर किया जाय, पर सुप्रीम कोर्ट के पास सिर्फ वही काम तो नहीं है... और भी सीरियस मुकदमे होते हैं. तब तक जन प्रतिनिधि सांसद या विधायक बने रह ही सकते हैं. देखते-देखते तो पांच साल गुजर ही जाते हैं..फिर अगली बार कौन सत्ता में आता है, कौन जानता है? जब तक चार्जेज साबित नहीं होते, तबतक सभी क्लीन ही कहे जायेंगे न! चार्जेज लगाएगा कौन जो चार्ज लगाने की हिम्मत करेगा उस पर मान हानि का मुक़दमा ठोक देंगे कि नहीं. सबूत कहाँ से लाओगे...???
भारत में ‘संचार क्रांति’ तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गांधी की देन थी. उसका इतना बड़ा नुकसान उनके ही परिवार को उठाना पड़ेगा, शायद उन्होंने सोचा भी नहीं होगा. अब मनमोहन सिंह बकौल नटवर सिंह  'घटिया आदमी' हो गए और नटवर सिंह ‘नटवर लाल’ ...वाह रे समय की मार! मीडिया के तो पौबारह हैं, चटकारे लेकर ख़बरें बनाना और कमाना यही तो रह गया है मीडिया का काम. किसे उठाना है, किसे गिराना है, अब मीडिया और सोसल मीडिया के हाथ में है. मुख्य मुद्दे से ध्यान हटाना भी हो, तो सनसनी खेज खबरें दिखाना भी इन्हे खूब आता है.
कभी बलात्कार, तो कभी, हाहाकार, कभी बरबादी तो कभी करतब बाजी, क्रिकेट में भारत हारा तो क्या हुआ कॉमन वेल्थ गेम में तो भारत को पदक मिल रहे हैं न! इंडिया 1स्वर्ण ३०  रजत,       और १९ कांस्य कुल ६४  पदक जीतकर भारत पांचवे स्थान पर है. वह भी पदक ऐसे खिलाड़ी ले रहे हैं, जो साधारण यानी आम घरों  में पले-बढे. यह क्या अच्छे दिन का आगाज नहीं है?  वही दो अधिकारी बेशर्मी का भी पदक लेने से नहीं हिचके ...
हम प्राकृतिक हादसों को नियंत्रण करने में कामयाब नहीं हो रहे हैं, पिछले साल उत्तराखंड के केदारनाथ में त्रासदी, तो इस बार पुणे के मालिण  गांव में तबाही. पूरा गांव पहाड़ की चपेट में आ गया... और अब कोशी की कहर का बिहार को खतरा. ख़राब मॉनसून की भविष्यवाणी को मोदी जी की प्रार्थना ने अच्छे मॉनसून में बदल दिया. हर जगह लगभग औसत बरसात हुई/हो रही है.
टमाटर लाल होने से क्या? आलू-प्याज तो नियंत्रण में है ही ..पेट्रोल के दाम कम हुए है ...और कैसा होता है, अच्छा दिन भाई! ...बेचारे ई रिक्शा वाले ...तुम लोग तो मिहनतकश इंसान थे. क्यों मिहनत से कतराने लगे? साइकिल रिक्शा के जगह ऑटो रिक्शा चलाने लगे. मिहनत करना सीखो ऐ मिहनत करने वालों. हाँ चोरी वगैरह मत करने लगना इन चौदह दिनों में. कुछ तो बचत करके रक्खे होगे ... नहीं तो ई रिक्शा को गिरवी रखो... दो सप्ताह के खाने का इंतजाम हो ही जायेगा... तब तक गडकरी जी नया कानून बनवा देंगे ... तुम लोगों को लाइसेंस मिल जायेगा. नहीं तो केजरीवाल फिर किस मर्ज की दवा है. इस बार विधान सभा के चुनाव में उसे ही वोट दोगे न! या पाला बदल लोगे?  पाला बदलने में ही होशियारी है. बड़े बड़े नेता अपनी पार्टी छोड़ भाजपा रूपी टाइटेनिक पर सवार हो रहे हैं. फिर तुम काहे को अपनी डोंगी डुबाओगे. समझ गए न?
बस अच्छे कपडे पहनो अच्छे दिन आ जायेंगे. बुलेट ट्रैन, ए. सी. स्लीपर, आधुनिक स्टेसन, आधुनिक शहर और विकसित गांव अच्छे दिन किसे कहते हैं भाई... और सब कुछ इस पांच साल में सम्भव नहीं है. अगली बार भी मुझे ही चुनना होगा, क्योंकि अब दूसरा बचा ही कौन है? अब प्रियंका राहुल का जमाना गया. ये लोग छुट्टी मनाने अपना ननिहाल ही चले जाएँ तो अच्छा है.  .
ई यु. पी. बिहार वाले... हर जगह माहौल ख़राब कर देते हैं, पहले मुंबई का माहौल ख़राब किया, अब दिल्ली को बिगाड़ रहे हैं. अरे आए थे, मजदूरी करने और बस गए यही आकर. तुम लोगों के लिए लोकल ट्रेन भी बुलेट ट्रैन की स्पीड से चला देंगे, रोज आरा, छपरा से ट्रेन में बैठकर नहीं ..नहीं लटक कर आना और दिन भर काम करके चले जाना. गलती से भी यहाँ घर बनाने की कोशिश मत करना और अगर घर बनाओगे तो वोट भाजपा को देना पड़ेगा, अन्यथा राज ठाकरे के बारे में सुना है न? यहाँ भी विजय गोयल है. डॉ. हर्षवर्धन को तो स्वास्थ्य मंत्री बना ही दिया है. अब गोयल को मुख्य मंत्री बनाने दो भाई. उसके भी तो अच्छे दिन आने ही चाहिए. ‘सी सैट’ का हल भी निकाल देंगे. आखिर हिंदी भाषियों की हम नहीं सुनेंगे तो कौन सुनेगा? गीता और महाभारत जैसे धर्मग्रन्थ हमारे पथ प्रदर्शक हैं. फिर अंग्रेजी की हिमायत क्यों?
और हाँ...इस बार १५ अगस्त को असली लाल किला से मेरा भाषण जरूर सुनना ... इस बार तो मेरा भाषण अमेरिका भी सुनेगा और चीन भी. पाकिस्तान को तो सुनना ही पड़ेगा. एक बार प्रेम से बोलो बाबा पशुपति नाथ की जय!

जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर  

2 comments:

  1. बहुत धीरे धीरे , जोर का तमाचा जड़ रहे हैं आप आदरणीय श्री जवाहर सिंह जी ! लेकिन राज ठाकरे की तरह विजय गोयल नहीं हो सकता , वो तो जैसे तैसे अपने दिन काट रहा है ! एकदम बढ़िया समसामायिक पोस्ट

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  2. हार्दिक आभार आदरणीय श्री योगी जी!

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