Sunday, 31 August 2014

मोदी चमत्कारी हैं!

आपने सुना है कभी पहले एक दिन में डेढ़ करोड़ आदमी को गरीब से अमीर बनते हुए? नहीं न! फिर ...यह काम कौन व्यक्ति कर सकता है? जो कहते हैं, कर के दिखलाते हैं. यही हैं हमारे अद्भुत प्रधान मंत्री नहीं, नहीं  प्रधान सेवक...गरीबी हटाने का इतना आसान नुस्खा आजतक किसी को समझ में नहीं आया. अभी तो सरकार के सौ दिन भी पूरे नहीं हुए और डेढ़ दो, तीन करोड़ गरीब आदमी बैंक खाता धारी बन गए, खाता धारी ही नहीं डेबिट कार्ड धारी, एक लाख का दुर्घटना बीमा मुफ्त, पांच हजार तक ओवरड्राफ्ट की सुविधा, २६ जनवरी तक खाता खोलने वाले को ३० हजार का जीवन बीमा अलग से! ...कांग्रेस सरकार ने सबको मोबाइल पकड़ा दिया, मोदी जी ने डेबिट कार्ड ...अब गरीब आदमी भी मॉल में जाकर महंगे सामान लेकर डेबिट कार्ड से बिल का भुगतान कर सकेंगे. गरीबी और अमीरी का छुआछूत समाप्त! ...बैंक कर्मी बड़े जोश के साथ काम कर रहे हैं. बच्चे बूढ़े जवान, छात्र, मजदूर, किसान सभी लाइन में लगे हैं.... प्रधान मंत्री जनधन योजना का फॉर्म दे दीजियेगा..कोई आधार कार्ड लेकर आया है, कोई वोटर कार्ड लेकर आया है. कोई अपना राशन कार्ड ही लेकर आ गया. सबके हाथ में अपना फोटो भी है, फोटो पर दस्तखत भी करना है. मुश्किल वहां होती है जब बुर्के में फोटो खिचवाई गयी महिला को अपने फोटो पर दस्तखत करना होता है. काली बुर्के पर दस्तखत दिखेगी नहीं और चहरे पर दस्तखत करने से चेहरा साफ़ कैसे दिखेगा. सभी बैंक कर्मी जी जान से फॉर्म की जांच कर रहे हैं, सभी डाक्यूमेंट्स को भी मिला रहे हैं, अंत में खाता नंबर. डालकर बोलते है - "जाओ जाकर कैश काउंटर पर रुपये जमा करो" ... "कितने रुपये जमा करने होंगे?" - "कम से कम पांच सौ रुपये", "पांच सौ रुपये? ...उतने तो नहीं हैं, पास में" ..."जो है, वही जमा कर दो, पास में पैसे नहीं, चले आए खाता खुलवाने...पैसा नहीं रहेगा बैंक में तो डेबिट कार्ड का क्या करेगा ? वो भी ओवरड्राफ्ट में लेगा?...चलो जो करना है करो...  आज तो घर पहुंचने में नौ बजेगा ही"....बैंक वाले भुनभुनाते हैं. एक बात तो माननी पड़ेगी ...बैंक कर्मी बड़े कुशल कर्मी होते हैं. किसी के पहचान पत्र के नाम में कुछ भी गलती हो, तुरंत पकड़ लेते हैं. - "कैसे होगा भाई?    सही पहचान पत्र लेकर आओ" ....
एक दिन में ही मोदी जी को पता चल गया कि हमारे बैंक कर्मचारी कितना काम कर सकते हैं. अन्य दिनों भले ही आम जनता को शिकायत रहती है... काम में देरी करते हैं, पर आज सभी अपना काम जल्दी  कर देते हैं. एकाध लोग झल्लाते हैं, घर के बच्चों की चिंता में महिलाकर्मी भी झल्लाती हैं, पर डरती हैं, कही कोई विडिओ न बना ले ... किस भेष में रिपोर्टर घूम रहा होगा, क्या पता ...अगर मामला उछला तो  सस्पेंसन तो जरूरी है...न बाबा न - "लाओ जी क्या काम है, तुम्हारा खाता एंट्री करनी है, लाओ सब जमा कर दो... मैं एक एक कर नाम बुलाऊंगी ...आकर ले जाना. ...इतंने सारे चेक भी पड़े हुए हैं ......इन्हे भी निपटाना है..  सबके अच्छे दिन आ गये, हमारे कब आएंगे?
बहुत सारे विश्लेषक इसे अच्छा कदम मान रहे हैं, गरीब लोग अपनी आमदनी का छोटा ही हिस्सा बचा सकेंगे, फिजूलखर्ची रुकेगी, बैंकों से ऋण मिलना आसान होगा. सरकारी सुवधाओं/ रहत करर रकम सीधे आपके बैंक खाते में जाएगी. बैंकों की नयी शाखाएं खुलेंगी, पढ़े लिखे नवयुवकों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. वैसे कुछ कांग्रेसियों का कहना है यह तो कांग्रेस की योजना थी. मोदी जी इसमे अपना नाम डाल रहे हैं. लेकिन बात है कि कांग्रेस चूक गयी तभी तो सत्ता से बेदखल हो गयी है. अब क्या पांच साल बाद ही नतीजे नजर आएंगे? खासकर महंगाई और भ्रष्टाचार के साथ कला धन वाला मुद्दा. महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा, अफसरशाही का मुद्दा, सरकारी कामों में समय सीमा का मुद्दा. कानून ब्यवस्था का मुद्दा और आम आदमी की सुरक्षा का मुद्दा ...आज भी आम आदमी को दिन दहाड़े लूटा जा रहा है, हत्याएं हो रही हैं, दुष्कर्म की घटनाओं में लगातार बृद्धि हो रही है. इन सब सुधारों के अवसर कब आएंगे.?   बीच बीच में धार्मिक और साम्प्रदायिक मुद्दों की हवा.
राजनाथ जी अब बड़े खुश हैं, दो नंबर की जिम्मेदारी मिल गयीअपने बेटे को मना लेंगे. सबको जलन हो रही है...पर मोदी जी भी बड़ा होशियार है, जापान से भी खबर लेता रहेगा. काशी तो क्योटो बनने जा रहा है ...लखनऊ की कब बारी आएगी. हमें  तो वहां के लोगों से ही वोट लेना है. ये सदानंद को भी इतनी जल्दी क्या थी अपने बेटे की सगाई करने की ...कोई हिन्दू भादो में .अपने बेटे की सगाई करता है? हो गया न भादो का भद! अरे उस मॉडल को पहले निपटा लेना चाहिए था...मॉडलिंग में जितना कमाई होगी उससे ज्यादा देकर चुप करा देना चाहिए था. सब मीडिया और कांग्रेस के शह पर हो रहा है या कोई अपना आदमी ही दुश्मन बन बैठा ही. देश के दुश्मन पाकिस्तान से तो निपट लेंगे, पर घर के दुश्मनों का क्या?
अभी शकराचार्य को भी धर्मसंसद करने की क्या जरूरत थी. बेवजह बखेरा खड़ा करते रहते हैं...ऐसे ही क्या हिन्दू विरोधी कम थे जो साईं भक्तों को अपना दुश्मन बना लिया... यहाँ भी सोनिया की ही चाल लगती है तभी दिग्विजय सिंह भी समर्थन कर रहा है.
वित्त मंत्री बड़ी राहत महसूस कर रहे हैं... पर्यटन में न सही पर मैन्युफैक्चरिंग, और सेवा क्षेत्र के चलते पहली तिमाही का औसत विकास दर ५.७ % ठीक ठाक ही कहा जायेगा. एक बार अर्थ ब्यवस्था को पटरी पर लाने की जरूरत है. फिर तो यह रफ़्तार पकड़ लेगी. थोड़ा कोयला बिजली में सुधार हो जाए तो विकास की रफ़्तार अपने-आप बढ़ जाएगी.  दिल्ली में अभी चुनाव करना ठीक नहीं रहेगा. बाकी राज्यों का परिणाम पहले देख लेते हैं. केजरीवाल को थोड़ा और बदनाम करना है जो भी अपराध दिल्ली में हो उसे आम आदमी पार्टी का बता दो. जनता उसे धीरे धीरे भूल जाएगी. उसे चंदा भी कौन देगा? ज्यादा ईमानदार बनते हैं. केवल ईमानदार बने रहने से पोलटिक्स नहीं होता.
अंतराष्ट्रीय मार्किट में पेट्रोलियम प्रोडक्ट की कीमत कम होने से पेट्रोल की कीमत और रसोई गैस की कीमत लगातार कम हो रही है, ये अच्छी बात है. कुछ दिनों बाद डीजल भी मार्केट के हवाले कर दिया जाएगा. यानी सीधा अंतराष्ट्रीय मार्केट में जब डीजल के दाम बढ़ेंगे /घटेंगे उसका सीधा असर यहाँ भी होगा.
अब एक नजर पी एम की पांच दिन की जापान यात्रा पर... भारतीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी  और जापानी प्रधान मंत्री शिंजो आबे का प्रोटोकॉल से अलग हटकर एक दूसरे के साथ गले मिलना और एक दूसरे की पीठ थपथपाना, अपने आप में आन्तरिक सम्बन्ध दर्शाते हैं. जापान के क्योटो शहर के जैसा काशी(बनारस) को विकसित करना, प्रधान मंत्री का दूरगामी सोच है. दोनों शहर धार्मिक है, मंदिरों का शहर है. काशी में आस्था ज्यादा पर साफ़ सफाई और सुविधाए कम है. क्योटो एक स्मार्ट सिटी है. मोदी को यह शहर पसंद है. वे काशी को वैसा ही देखना चाहते हैं.
इसके अलावा अहमदाबाद से मुंबई तक बुलेट ट्रेन के सपना को जापान की मदद से पूरा करना है. परमाणु उर्जा पर भी बात होगी. जापान और भारत एक दूसरे के साथ तकनीकी, ब्यवसायिक और सामाजिक रूप से कन्धा से कन्धा मिलकर काम करेंगे. ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है. प्रधान मंत्री के साथ उद्योगपतियों का भी एक दल जापान गया है. कुछ समझौते होंगे विकास के नए दरवाजे खुलेंगे. इसी उम्मीद के साथ जय हिन्द! जय भारत!

-    - जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर 


Sunday, 10 August 2014

डॉलर की औकात!

डॉलर की औकात बताये लाल टमाटर.
बांधे बहिना राखी घर से बाहर जाकर
खाते आलू भात तनिक न हम घबराए
आलू दादा देखो अब हिचकोले खाए
ममता दी ने आलू को फुसलाया
अपनी साड़ी के आँचल में उसे छुपाया
आम आदमी खास आदमी को यह भाए
आलू रोटी भात सभी जन इसको खाए
हरी सब्जियां नहीं मिले कोई बात नहीं है,
आलू संग ही प्याज की औकात वही है
बारिश हो घनघोर छिपे सब रहें घरों में
चाय की प्याली साथ चिप्स को लिए करों में
राजनीति और नेता चाहे जो करवा दें,
मोदी जी को सबके सर पे ही बैठा दें ,
होती कहाँ मुसीबत कम है आम जनों की
आलू प्याज टमाटर सुनते बड़े जनों की
आलू नहीं तो कोई सवारी नहीं चलेगी,
सड़कें होंगी जाम विपदा और बढ़ेगी.
होते खुश फिर जमाखोर गद्दी पर बैठे,
सर पे पगड़ी लाल मूंछ कुछ ऐसे ऐंठे.
पैंतीस चालीस या फिर पचास ही ले लो
आलू दादा तू अब दर्शन सबको दे दो
कहते बाबा रामदेव डॉलर से, सुन लो,
आए हो औकात में आ अब हमसे मिल लो.
कहा था मैंने तुमको हम पीछे छोड़ेंगे
आना मेरे पास टमाटर हम दे देंगे.
लाल टमाटर सुघर और मासूम सा दिखता
करके नित्य ही योग वह आश्रम में टिकता.
.……जमशेदपुर में आलू की किल्लत के बाद उपजे विचार पर आधारित रचना
आप सब सड़े-गले टमाटर डाल सकते हैं.

Monday, 4 August 2014

अच्छे दिन! बुरे दिन!

यह राजनीति भी अजीब चीज है. कहते हैं इसमें कोई स्थाई दुश्मन या दोस्त नहीं होता है. अच्छे दिन का वादा कर के मोदी जी तो कामयाब हो गए. वाकई उनके और भाजपा के अच्छे दिन तो आ ही गए. गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में वीजा देने से इंकार करने वाला अमेरिका वीजा साथ में लेकर निमंत्रण देने (कैरी) आ गया. उस ‘कैरी’ को भी ‘कौड़ी’ बनाकर वापस भेजा. इधर कांग्रेस से मुक्त भारत के निर्माण में भी मोदी जी सफल होते नजर आ रहे हैं. मोदी जी सचमुच जादूगर हैं. महज ४४ सीट जीतकर कांग्रेस विपक्ष की दावेदारी से भी बाहर हो गयी. अब संसद में विपक्ष नाम की चीज ही नहीं रह गयी है. ऊपर से सोनिया राहुल के ऊपर मनी लॉन्डरिंग का सुब्रमण्यम स्वामी का मुक़दमा और पेशी से परेशान सोनिया राहुल पर नटवर सिंह की किताब के साथ जुबानी हमला. करैला और नीम के साथ मिर्ची भी. कभी नेहरू गांधी परिवार के खासमखास कहे जाने वाले नटवर सिंह आज सबसे बड़े दुश्मन के रूप में नजर आ रहे हैं.  अब सोनिया गांधी भी किताब लिखेंगी 'वन लाइफ इज़ नॉट एनफ' ...सचमुच में अब इस लाइफ में वह भारत का प्रधान मंत्री बनने से रही, क्या पता उन्हें इटली वापस जाने का मौका भी मिलेगा या नहीं. सुख के सब सब साथी....दुःख में न कोय....
समय का और राजनीति का ही तकाजा है कि एक दुसरे को बर्दाश्त नहीं करने वाले नितीश और लालू कांग्रेस के साथ महागठबंधन बनाने को मजबूर हुए. बकौल चिराग पासवान सांप बिच्छू की जोड़ी ... ऐसे ही पुत्र पिता का का नाम रोशन करते हैं. उधर ममता बाम दलों के साथ मिलना चाहती हैं.  यह सब अस्थाई है ..इस संसार में स्थाई क्या है? जो आया है, जायेगा ही जो चढ़ा है, कभी गिरेगा ही....जय हो पशुपति नाथ की! जीत बहादुर भी अपनी माँ से मिलकर कितना खुश है. सोमनाथ की धरती से पशुपति नाथ की धरती तक. नेपाल की जनता का मन मोहा... भोले बाबा खुद भिखारी जैसे दिखते हैं, पर किसी पड़ोसी को देना हो तो हम दिल खोल देते हैं. आप भी हमसे मिलो, कारोबार करो...
मोदी जी ने कहा था - जन प्रतिनिधियों पर मुकदमों का निपटारा एक साल के अंदर किया जाय, पर सुप्रीम कोर्ट के पास सिर्फ वही काम तो नहीं है... और भी सीरियस मुकदमे होते हैं. तब तक जन प्रतिनिधि सांसद या विधायक बने रह ही सकते हैं. देखते-देखते तो पांच साल गुजर ही जाते हैं..फिर अगली बार कौन सत्ता में आता है, कौन जानता है? जब तक चार्जेज साबित नहीं होते, तबतक सभी क्लीन ही कहे जायेंगे न! चार्जेज लगाएगा कौन जो चार्ज लगाने की हिम्मत करेगा उस पर मान हानि का मुक़दमा ठोक देंगे कि नहीं. सबूत कहाँ से लाओगे...???
भारत में ‘संचार क्रांति’ तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गांधी की देन थी. उसका इतना बड़ा नुकसान उनके ही परिवार को उठाना पड़ेगा, शायद उन्होंने सोचा भी नहीं होगा. अब मनमोहन सिंह बकौल नटवर सिंह  'घटिया आदमी' हो गए और नटवर सिंह ‘नटवर लाल’ ...वाह रे समय की मार! मीडिया के तो पौबारह हैं, चटकारे लेकर ख़बरें बनाना और कमाना यही तो रह गया है मीडिया का काम. किसे उठाना है, किसे गिराना है, अब मीडिया और सोसल मीडिया के हाथ में है. मुख्य मुद्दे से ध्यान हटाना भी हो, तो सनसनी खेज खबरें दिखाना भी इन्हे खूब आता है.
कभी बलात्कार, तो कभी, हाहाकार, कभी बरबादी तो कभी करतब बाजी, क्रिकेट में भारत हारा तो क्या हुआ कॉमन वेल्थ गेम में तो भारत को पदक मिल रहे हैं न! इंडिया 1स्वर्ण ३०  रजत,       और १९ कांस्य कुल ६४  पदक जीतकर भारत पांचवे स्थान पर है. वह भी पदक ऐसे खिलाड़ी ले रहे हैं, जो साधारण यानी आम घरों  में पले-बढे. यह क्या अच्छे दिन का आगाज नहीं है?  वही दो अधिकारी बेशर्मी का भी पदक लेने से नहीं हिचके ...
हम प्राकृतिक हादसों को नियंत्रण करने में कामयाब नहीं हो रहे हैं, पिछले साल उत्तराखंड के केदारनाथ में त्रासदी, तो इस बार पुणे के मालिण  गांव में तबाही. पूरा गांव पहाड़ की चपेट में आ गया... और अब कोशी की कहर का बिहार को खतरा. ख़राब मॉनसून की भविष्यवाणी को मोदी जी की प्रार्थना ने अच्छे मॉनसून में बदल दिया. हर जगह लगभग औसत बरसात हुई/हो रही है.
टमाटर लाल होने से क्या? आलू-प्याज तो नियंत्रण में है ही ..पेट्रोल के दाम कम हुए है ...और कैसा होता है, अच्छा दिन भाई! ...बेचारे ई रिक्शा वाले ...तुम लोग तो मिहनतकश इंसान थे. क्यों मिहनत से कतराने लगे? साइकिल रिक्शा के जगह ऑटो रिक्शा चलाने लगे. मिहनत करना सीखो ऐ मिहनत करने वालों. हाँ चोरी वगैरह मत करने लगना इन चौदह दिनों में. कुछ तो बचत करके रक्खे होगे ... नहीं तो ई रिक्शा को गिरवी रखो... दो सप्ताह के खाने का इंतजाम हो ही जायेगा... तब तक गडकरी जी नया कानून बनवा देंगे ... तुम लोगों को लाइसेंस मिल जायेगा. नहीं तो केजरीवाल फिर किस मर्ज की दवा है. इस बार विधान सभा के चुनाव में उसे ही वोट दोगे न! या पाला बदल लोगे?  पाला बदलने में ही होशियारी है. बड़े बड़े नेता अपनी पार्टी छोड़ भाजपा रूपी टाइटेनिक पर सवार हो रहे हैं. फिर तुम काहे को अपनी डोंगी डुबाओगे. समझ गए न?
बस अच्छे कपडे पहनो अच्छे दिन आ जायेंगे. बुलेट ट्रैन, ए. सी. स्लीपर, आधुनिक स्टेसन, आधुनिक शहर और विकसित गांव अच्छे दिन किसे कहते हैं भाई... और सब कुछ इस पांच साल में सम्भव नहीं है. अगली बार भी मुझे ही चुनना होगा, क्योंकि अब दूसरा बचा ही कौन है? अब प्रियंका राहुल का जमाना गया. ये लोग छुट्टी मनाने अपना ननिहाल ही चले जाएँ तो अच्छा है.  .
ई यु. पी. बिहार वाले... हर जगह माहौल ख़राब कर देते हैं, पहले मुंबई का माहौल ख़राब किया, अब दिल्ली को बिगाड़ रहे हैं. अरे आए थे, मजदूरी करने और बस गए यही आकर. तुम लोगों के लिए लोकल ट्रेन भी बुलेट ट्रैन की स्पीड से चला देंगे, रोज आरा, छपरा से ट्रेन में बैठकर नहीं ..नहीं लटक कर आना और दिन भर काम करके चले जाना. गलती से भी यहाँ घर बनाने की कोशिश मत करना और अगर घर बनाओगे तो वोट भाजपा को देना पड़ेगा, अन्यथा राज ठाकरे के बारे में सुना है न? यहाँ भी विजय गोयल है. डॉ. हर्षवर्धन को तो स्वास्थ्य मंत्री बना ही दिया है. अब गोयल को मुख्य मंत्री बनाने दो भाई. उसके भी तो अच्छे दिन आने ही चाहिए. ‘सी सैट’ का हल भी निकाल देंगे. आखिर हिंदी भाषियों की हम नहीं सुनेंगे तो कौन सुनेगा? गीता और महाभारत जैसे धर्मग्रन्थ हमारे पथ प्रदर्शक हैं. फिर अंग्रेजी की हिमायत क्यों?
और हाँ...इस बार १५ अगस्त को असली लाल किला से मेरा भाषण जरूर सुनना ... इस बार तो मेरा भाषण अमेरिका भी सुनेगा और चीन भी. पाकिस्तान को तो सुनना ही पड़ेगा. एक बार प्रेम से बोलो बाबा पशुपति नाथ की जय!

जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर