आगामी मंगलवार ८ अप्रैल को राम नवमी है… उत्तर भारत में रामनवमी का त्यौहार धूम धाम से मनाया जाता है. वैसे रामनवमी के दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था. पर ऐसी मान्यता है कि राम जी को पाने के लिए हनुमान जी की आराधना करनी होती है और पूरे उत्तर भारत में रामनवमी के दिन हनुमान जी का ध्वजारोहण किया जाता है और दूसरे दिन उनकी ध्वजा को पूरे शहर में जुलूश के साथ घुमाया जाता है. जुलूश में नवयुवक और पहलवान किश्म के साहसी लोग विभिन्न प्रकार के साहसिक और हैरतअंगेज करतब दिखाते हैं. इन करतबों में कभी कभी ज्यादा जोश में खून गर्म हो जाता है, तो कभी अपने ही समुदाय के दूसरे दल(समूह) से भिड़ जाते हैं- मेरा झंडा तेरे झंडे से आगे निकलेगा… मेरा झंडा सबसे लम्बा और बड़ा होगा. इस झंडे के जुलूश में अगर दूसरे धर्म-सम्प्रदाय का धर्मिक स्थल हो, तब तो जोश और भी दूना बढ़ जाता है …ऐसे समय में एक पत्थर भर फेंकने की जरूरत होती है. बस जुलूश बेकाबू हो जाती है और पुलिस वाले घबड़ा कर मामले को रफा-दफा करने का हर संभव प्रयास करते हैं. इसीलिये आजकल हर शहरों में रामनवमी से पहले शांति समिति की बैठक प्रशासन के साथ होती है, जिसमे हर समुदाय के गणमान्य लोगों को शामिल कराया जाता है. कोशिश की जाती है कि रामनवमी का त्योहार शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो जाय पर अक्सर छिटपुट घटनाएँ हो ही जाती है.
इस साल चुनाव का माहौल है और राजनेताओं द्वारा भड़काऊ भाषण दिए जा रहे हैं … तब किसी प्रकार की अनहोनी की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. हर चौक चौराहे पर पुलिस दल चेकिंग के साथ साथ भीड़ को नियंत्रण करने में पहले से ही ब्यस्त है. रामनवमी जुलूश के रिहरसल की शुरुआत हो चुकी है.
आज जिस प्रकार से हर माध्यम से अबकी बार मोदी सरकार का प्रचार किया जा रहा है, सभी सर्वेक्षण मोदी के पक्ष में होते हुए दिखलाये जा रहे हैं, हर हर मोदी, घर घर मोदी, हर तरफ मोदी ही मोदी, कमल और मोदी, मुहर कमल पर लगना है, नए नए नारे और गाने गढ़े जा रहे हैं यथा
हम मोदी जी को लाने वाले हैं, अब नए दिन आने वाले हैं.
‘मैं देश नही झुकने दूंगा.’ मोदी जी का राष्ट्र गान
गुलाबी क्रांति क्या होती है?
मोदी जी की बोटी बोटी करने वाले इमरान मसूद के बयान के बाद वसुंधरा राजे सिंधिया का बयान … यह तो चुनाव के बाद पता चलेगा कि टुकड़े किसके होते हैं?
हम अपमान का बदला लेकर रहेंगे. इशारा वर्ग विशेष की तरफ – मोदी जी के चाणक्य अमित शाह.
सोनिया के अनुरोध पर जमा मस्जिद के इमाम बुखारी का सेक्युलर वोट वाला बयान और उनके भाई का खंडन.
वातावरण में ऐसे ही गर्मी कम नहीं है, ऊपर से बयान पर बयान और हर टी वी चैनलों के सर्वेक्षण, जिसमे भाजपा की बढ़त और मोदी जी को प्रधान मंत्री के करीब पहुंचते हुए दिखलाना …लगभग सभी मीडिया घराने का सर्वेक्षण एक जैसा ही दीख रहा है …सर्वेक्षण का असर या अपनी हार को प्रत्यक्ष देख अधिकांश कांग्रेसी नेता या तो चुनाव लड़ने से इंकार कर चुके हैं या कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो चुके हैं. कई क्षेत्रीय पार्टियाँ भाजपा के साथ गठबंधन कर चुकी है. यानी उन सभी को भरोसा हो चला है कि एन डी ए की सरकार बनने वाली है और अच्छे और चालाक राजनेता की पहचान तो यही है न कि सत्ता के साथ रहा जाय. रामविलाश पासवान, करूणानिधि, रामकृपाल यादव और अब तेलगु देशम पार्टी के चंद्रबाबू नायडू … सब कुछ अनुकूल होता दीख रहा है, फिर जहरीले बयान क्यों? विद्वेष फ़ैलाने की कोशिश क्यों?
भाजपा यानी मोदी जी की पार्टी में निवेश करने वाले कॉरपोरेट घराने में होड़ लगी है…. हाँ, यह बात मोदी जी को अवश्य मालूम होना चाहिए यह भी वे सुनिश्चित कर लेना चाहते हैं … नितीश जी ने अभी हाल ही में ABP के घोषणापत्र कार्यक्रम में कहा था – पहले लोग राजनीतिक पार्टियों को सहयोग करते थे, अब निवेश करते हैं. निवेश का मतलब तो समझते ही हैं न!
वरुण, सावधान! तुम्हारी स्मृति (याददाश्त) कमजोर हो रही है, शायद. तुम धर्मयुद्ध लड़ रहे हो अपने ही भाई से. यहाँ खून के रिश्तों को भूलना होगा .. वह तुम्हारा दुश्मन है, यही याद रखना होगा … जल्दी सफाई दे डालो नहीं तो कब कुदृष्टि पड़ जाय … क्या पता! (खैर, माँ मेनका तो हैं ही) … अभी सिर्फ जंग जीतना है. रिश्ते नाते बाद में … यानी कोई रिश्ता नहीं चलेगा. देखा नहीं माँ बेटे, भाई बहन, दामाद का रिशता कहाँ से कहाँ पहुंचा देता है? हाँ अगर रिश्ता निभाना ही है, तो समाजवादी पार्टी में चले जाओ जहाँ पिता, पुत्र, भाई, बहु, चाचा आदि सभी एक साथ रहते हैं या झारखण्ड में चले जाओ जहाँ, पिता पुत्र और बहू साथ साथ चलते हैं… और बिहार ..अभी नहीं चुनाव बाद देखेंगे…
अरविंद केजरीवाल से बड़ी गलती हो गयी … दुविधा में दोनों गए माया मिली न राम. पहाड़ से टकराओगे तो चूर चूर हो जाओगे …पिछली बार लोगों ने आप पर भरोसा जताया था, पर आप उनकी अपेक्षाओं पर खड़े नहीं उतरे … टिकट लौटनेवाले भी कुछ चाह लेकर आये थे. उनकी चाह की भरपाई नहीं होने पर वे क्यों अपना घर का आटा भी गीला करेंगे. आपने अन्ना को भुला दिया …अधिकांश नेता के साथ, मीडिया वाले भी आपको बदनाम करने का कोई मौका नहीं छोड़ते … आपका मिशन उतना आसान नहीं है, वक्त लगेगा, घबरा कर बीच में छोड़ना नहीं है, जैसी की आपकी आदत है. मोदी जी ने मिहनत किया है … राजनीति एक दिन, एक साल में नहीं होती. इसके लिए लम्बे समय और संघर्ष की जरूरत है …कब कहाँ और क्या बोलना है, मोदी जी बखूबी जानते हैं, भीड़ जुटाने, उसे बांधे रखने में वे माहिर हैं. मीडिया का भले वे सामना न करते हों, पर मीडिया उनके पीछे पीछे चलती ही रहती है …अब बाबा रामदेव के साथ श्री श्री रविशंकर भी मोदी के समर्थन में आ गए हैं. साम, दाम, दंड, भेद की नीति अगर नहीं सीख सके तो राजनीति क्या ख़ाक करोगे?
देख रहे हो न! मोदी जी कैसे अपने घर के अंदर के और बाहर के विरोधियों के एक एक कर परास्त करते हुए वे एक एक कदम आगे बढ़ाते ही जा रहे हैं. आज हर व्यक्ति देने के बजाय पाना चाहता है. अगर कुछ देकर भी पाया जा सके, तो भी ठीक है. आप निवेश कहाँ करते हैं, जहाँ से अच्छी रिटर्न की आशा रहती है. देखते नहीं कांग्रेस रूपी डूबते जहाज से कैसे लोग छलांग लगाकर नए टाइटेनिक में सवार हो रहे हैं. सभी क्षेत्रीय पार्टियां, राजनीतिक लोग अपने अपने सिद्धांतों को तिलांजलि देकर इस नए जहाज में सवार होने को आतुर हैं.
बस फैसले की घड़ी में और लगभग एक महीने से कुछ ही दिन ज्यादा है. अनुमान कयास लगाये जा रहे हैं … फैसला जनता के हाथ में है. कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने दस सालों में जनता को और देश को लूटा, भ्रष्टाचार को रोकने का कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया बल्कि उसे बढ़ावा ही दिया ऊपर से कुछ दागियों को इस चुनाव में भी टिकट पकड़ा दिया. माँ बेटे से पार्टी नहीं चल सकती दूसरे दर्जे के नेताओं को भी स्थान देना चाहिए था. महंगाई रोकने का कोई सार्थक कदम नहीं उठाया, अगर उठाया भी तो काफी देर से … जनता बदलाव चाहती है और बदलाव के रूप में मोदी जी का कद सबसे ऊंचा दिख रहा है. इसलिए देश और जनता को इंतज़ार करना होगा और जनता जनार्दन जो फैसला करेगी वही सही होगा. इस देश में इंदिरा गाँधी भी हारी हैं, राजीव गाँधी भी हारे हैं तो अटल बिहारी बाजपेयी की भी हार हुई है. मोदी जी अगर जनता और देश के हित में काम करते हैं तो जनता जरूर उन्हें सर आँखों पर बैठाएगी, वरना… अभी तो वे सिर्फ साठ महीने ही मांग रहे हैं. . अब जबकि भाजपा का घोषणा पत्र जारी हो गया है, अच्छे अच्छे वादे किये गए हैं और विवादास्पद मुद्दों को हासिये पर रक्खा गया है. आज मोदी जी बड़े भावुक नजर आये. उनके ही शब्दों में – “मैं देश की जनता को भरोसा दिलाना चाहता हूं कि बुरे इरादे(बद इरादे) के साथ काम नहीं करूंगा।” देखा जाय क्या होता है. देश में पहले चरण का मतदान हो गया है और मतदान का प्रतिशत भी बढ़ा है. निश्चित ही यह परिवर्तन की लहर है . आम जनता को अमन चैन के साथ रोजी, रोटी, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और मूलभूत सुविधा तो चाहिए ही गरीब और पिछड़े तबकों तक भी लाभ पहुँचना चाहिए. इसी आशा के साथ जय श्री राम! जय हनुमान! जय भारत! जय लोकतंत्र!
आप सभी को रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर.
इस साल चुनाव का माहौल है और राजनेताओं द्वारा भड़काऊ भाषण दिए जा रहे हैं … तब किसी प्रकार की अनहोनी की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. हर चौक चौराहे पर पुलिस दल चेकिंग के साथ साथ भीड़ को नियंत्रण करने में पहले से ही ब्यस्त है. रामनवमी जुलूश के रिहरसल की शुरुआत हो चुकी है.
आज जिस प्रकार से हर माध्यम से अबकी बार मोदी सरकार का प्रचार किया जा रहा है, सभी सर्वेक्षण मोदी के पक्ष में होते हुए दिखलाये जा रहे हैं, हर हर मोदी, घर घर मोदी, हर तरफ मोदी ही मोदी, कमल और मोदी, मुहर कमल पर लगना है, नए नए नारे और गाने गढ़े जा रहे हैं यथा
हम मोदी जी को लाने वाले हैं, अब नए दिन आने वाले हैं.
‘मैं देश नही झुकने दूंगा.’ मोदी जी का राष्ट्र गान
गुलाबी क्रांति क्या होती है?
मोदी जी की बोटी बोटी करने वाले इमरान मसूद के बयान के बाद वसुंधरा राजे सिंधिया का बयान … यह तो चुनाव के बाद पता चलेगा कि टुकड़े किसके होते हैं?
हम अपमान का बदला लेकर रहेंगे. इशारा वर्ग विशेष की तरफ – मोदी जी के चाणक्य अमित शाह.
सोनिया के अनुरोध पर जमा मस्जिद के इमाम बुखारी का सेक्युलर वोट वाला बयान और उनके भाई का खंडन.
वातावरण में ऐसे ही गर्मी कम नहीं है, ऊपर से बयान पर बयान और हर टी वी चैनलों के सर्वेक्षण, जिसमे भाजपा की बढ़त और मोदी जी को प्रधान मंत्री के करीब पहुंचते हुए दिखलाना …लगभग सभी मीडिया घराने का सर्वेक्षण एक जैसा ही दीख रहा है …सर्वेक्षण का असर या अपनी हार को प्रत्यक्ष देख अधिकांश कांग्रेसी नेता या तो चुनाव लड़ने से इंकार कर चुके हैं या कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो चुके हैं. कई क्षेत्रीय पार्टियाँ भाजपा के साथ गठबंधन कर चुकी है. यानी उन सभी को भरोसा हो चला है कि एन डी ए की सरकार बनने वाली है और अच्छे और चालाक राजनेता की पहचान तो यही है न कि सत्ता के साथ रहा जाय. रामविलाश पासवान, करूणानिधि, रामकृपाल यादव और अब तेलगु देशम पार्टी के चंद्रबाबू नायडू … सब कुछ अनुकूल होता दीख रहा है, फिर जहरीले बयान क्यों? विद्वेष फ़ैलाने की कोशिश क्यों?
भाजपा यानी मोदी जी की पार्टी में निवेश करने वाले कॉरपोरेट घराने में होड़ लगी है…. हाँ, यह बात मोदी जी को अवश्य मालूम होना चाहिए यह भी वे सुनिश्चित कर लेना चाहते हैं … नितीश जी ने अभी हाल ही में ABP के घोषणापत्र कार्यक्रम में कहा था – पहले लोग राजनीतिक पार्टियों को सहयोग करते थे, अब निवेश करते हैं. निवेश का मतलब तो समझते ही हैं न!
वरुण, सावधान! तुम्हारी स्मृति (याददाश्त) कमजोर हो रही है, शायद. तुम धर्मयुद्ध लड़ रहे हो अपने ही भाई से. यहाँ खून के रिश्तों को भूलना होगा .. वह तुम्हारा दुश्मन है, यही याद रखना होगा … जल्दी सफाई दे डालो नहीं तो कब कुदृष्टि पड़ जाय … क्या पता! (खैर, माँ मेनका तो हैं ही) … अभी सिर्फ जंग जीतना है. रिश्ते नाते बाद में … यानी कोई रिश्ता नहीं चलेगा. देखा नहीं माँ बेटे, भाई बहन, दामाद का रिशता कहाँ से कहाँ पहुंचा देता है? हाँ अगर रिश्ता निभाना ही है, तो समाजवादी पार्टी में चले जाओ जहाँ पिता, पुत्र, भाई, बहु, चाचा आदि सभी एक साथ रहते हैं या झारखण्ड में चले जाओ जहाँ, पिता पुत्र और बहू साथ साथ चलते हैं… और बिहार ..अभी नहीं चुनाव बाद देखेंगे…
अरविंद केजरीवाल से बड़ी गलती हो गयी … दुविधा में दोनों गए माया मिली न राम. पहाड़ से टकराओगे तो चूर चूर हो जाओगे …पिछली बार लोगों ने आप पर भरोसा जताया था, पर आप उनकी अपेक्षाओं पर खड़े नहीं उतरे … टिकट लौटनेवाले भी कुछ चाह लेकर आये थे. उनकी चाह की भरपाई नहीं होने पर वे क्यों अपना घर का आटा भी गीला करेंगे. आपने अन्ना को भुला दिया …अधिकांश नेता के साथ, मीडिया वाले भी आपको बदनाम करने का कोई मौका नहीं छोड़ते … आपका मिशन उतना आसान नहीं है, वक्त लगेगा, घबरा कर बीच में छोड़ना नहीं है, जैसी की आपकी आदत है. मोदी जी ने मिहनत किया है … राजनीति एक दिन, एक साल में नहीं होती. इसके लिए लम्बे समय और संघर्ष की जरूरत है …कब कहाँ और क्या बोलना है, मोदी जी बखूबी जानते हैं, भीड़ जुटाने, उसे बांधे रखने में वे माहिर हैं. मीडिया का भले वे सामना न करते हों, पर मीडिया उनके पीछे पीछे चलती ही रहती है …अब बाबा रामदेव के साथ श्री श्री रविशंकर भी मोदी के समर्थन में आ गए हैं. साम, दाम, दंड, भेद की नीति अगर नहीं सीख सके तो राजनीति क्या ख़ाक करोगे?
देख रहे हो न! मोदी जी कैसे अपने घर के अंदर के और बाहर के विरोधियों के एक एक कर परास्त करते हुए वे एक एक कदम आगे बढ़ाते ही जा रहे हैं. आज हर व्यक्ति देने के बजाय पाना चाहता है. अगर कुछ देकर भी पाया जा सके, तो भी ठीक है. आप निवेश कहाँ करते हैं, जहाँ से अच्छी रिटर्न की आशा रहती है. देखते नहीं कांग्रेस रूपी डूबते जहाज से कैसे लोग छलांग लगाकर नए टाइटेनिक में सवार हो रहे हैं. सभी क्षेत्रीय पार्टियां, राजनीतिक लोग अपने अपने सिद्धांतों को तिलांजलि देकर इस नए जहाज में सवार होने को आतुर हैं.
बस फैसले की घड़ी में और लगभग एक महीने से कुछ ही दिन ज्यादा है. अनुमान कयास लगाये जा रहे हैं … फैसला जनता के हाथ में है. कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने दस सालों में जनता को और देश को लूटा, भ्रष्टाचार को रोकने का कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया बल्कि उसे बढ़ावा ही दिया ऊपर से कुछ दागियों को इस चुनाव में भी टिकट पकड़ा दिया. माँ बेटे से पार्टी नहीं चल सकती दूसरे दर्जे के नेताओं को भी स्थान देना चाहिए था. महंगाई रोकने का कोई सार्थक कदम नहीं उठाया, अगर उठाया भी तो काफी देर से … जनता बदलाव चाहती है और बदलाव के रूप में मोदी जी का कद सबसे ऊंचा दिख रहा है. इसलिए देश और जनता को इंतज़ार करना होगा और जनता जनार्दन जो फैसला करेगी वही सही होगा. इस देश में इंदिरा गाँधी भी हारी हैं, राजीव गाँधी भी हारे हैं तो अटल बिहारी बाजपेयी की भी हार हुई है. मोदी जी अगर जनता और देश के हित में काम करते हैं तो जनता जरूर उन्हें सर आँखों पर बैठाएगी, वरना… अभी तो वे सिर्फ साठ महीने ही मांग रहे हैं. . अब जबकि भाजपा का घोषणा पत्र जारी हो गया है, अच्छे अच्छे वादे किये गए हैं और विवादास्पद मुद्दों को हासिये पर रक्खा गया है. आज मोदी जी बड़े भावुक नजर आये. उनके ही शब्दों में – “मैं देश की जनता को भरोसा दिलाना चाहता हूं कि बुरे इरादे(बद इरादे) के साथ काम नहीं करूंगा।” देखा जाय क्या होता है. देश में पहले चरण का मतदान हो गया है और मतदान का प्रतिशत भी बढ़ा है. निश्चित ही यह परिवर्तन की लहर है . आम जनता को अमन चैन के साथ रोजी, रोटी, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और मूलभूत सुविधा तो चाहिए ही गरीब और पिछड़े तबकों तक भी लाभ पहुँचना चाहिए. इसी आशा के साथ जय श्री राम! जय हनुमान! जय भारत! जय लोकतंत्र!
आप सभी को रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर.
जी भाई जी परिवर्तन की लहर से इंकार नहीं लेकिन होता क्या है अंत में सब मिल एक और किसी एक की टांग खींच सपने ध्वस्त आइये देखें जनता महरानी क्या करती हैं
ReplyDeleteभ्रमर ५
इंतजार तो जनता के फैसले का ही है ...हार्दिक आभार आदरणीय भ्रमर जी!
Delete